अमेरिका की ङ्क्षहडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद जिस तरह से दुनिया भर के इनवैस्टरों ने अदानी गु्रप की कंपनियों में लगाया पैसा खींचा है, उस से साफ है कि इस रिपोर्ट में दम तो बहुत है चाहे गौतम अदानी कितनी ही कोर्ट केसों की धमकियां देते रहें. अदानी के नए 20000 करोड़ रुपए के शेयर बेचने की पेशकश भी पहले दिन औंधे मुंह गिरी क्योंकि जब शेयर 3,117 से 3,276 रुपए प्रति 100 रुपए के शेयर के भाव से बेचा जा रहा था, बाजार में वह 2,762 का रुपए था.

एक उद्योग के जीनेमरने से देश को कोई लंबाचौड़ा फर्क नहीं पडऩा चाहिए पर दिक्कत यह है कि अदानी समूह में आम जनता का पैसा लाइफ इंश्योरेंस कौपेरिशन, स्टेट बैंक औफ इंडिया आदि का भी लगा है. म्यूचुअल फंडों ने भी बहुत पैसा लगा रखा है. पैसा कर्ज पर देने वाले आमतौर पर शेयरों के बाजार भाव से गिरवी रख कर पैसा देते हैं और अदानी समूह में लगभग 1 लाख करोड़ (1,00,000,000,0000) लगा है.

आम लोगों ने अपनी गाड़ी कमाई 26 बैंकों या म्यूचअल फंडों में लगाई हुई है और कोर्ट उस से बुढ़ापा काटना चाहता था. कोई बेटी की शादी के सपने देख रहा था, कोई बच्चों की पढ़ाई का खर्च जमा कर रहा था तो किसी को अचानक आई बीमारी का डर था. अदानी गु्रप के शेयरों का भाव जब बढ़ता चला गया तो हजारों ने उस से पैसा बनाया और समय रहते शेयर बेच कर मकान, महल बना लिए.हीरों के जेवर खरीद लिए. उन्हें आज फर्क नहीं पड़ता कि अदानी का क्या होगा.

अमीरों में से कुछ को हानि भी होगी पर यह उस लाभ में से होगी जो उन्होंने अदानी जैसी कंपनियों से ही कमाया था. असली नुकसान तो आम लोगों को होगा जिन्होंने मेहनत से 10-20 हजार या 2-4 लाख जमा किए थे. दूसरा नुकसान उन बीसियों प्रोजेक्टों को होगा जो नरेंद्र मोदी सरकार ने गौतम अदानी को बुलाबुला कर 2014 के चुनावों में पैसा, हवाई जहाज मुहैय्या कराने के बदले में सौंपे थे. कितने ही हवाई अड्डे, पोर्ट, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट खतरे में आ जाएंगे.

ङ्क्षहडन वर्ग रिपोर्ट ने अभी अदानी समूह के सतही तौर पर हुआ है. अब दुनिया भर के अखबारों के फाइनैंशियल एक्सपर्ट खोजबीन करने में लग गए है क्योंकि अदानी ने कितने ही देशों में पैर फैलाए थे जहां भारत सरकार के न तो ङ्क्षहदू एजेंडे का कोई मतलब है न इडी का डर है, ङ्क्षहडन वर्ग ने यह खासतौर पर बताया है कि भारत में तो अदानी की पोल खोलने वाले एंजौय गु्रप ठाकुरता और गुजरात के एक यूट्यूब के अदालतों में घसीट कर जेलों की धमकी दी थी.

विदेशी जर्नलिस्ट आडिटर शाह ढंढारिया जैसे नहीं होते जिन के पास कुल 11 लोग काम करते हों, 32000 रुपए का किराया देते हों और अदानी टोटल गैस को क्लीन चिट दे देते हों जिस कंपनी की मार्केट वेल्यू 42,75,56,70,00,000 में हो. ये रुपए इस रिपोर्ट के बाद खतरे में है. इस रकम का मतलब है कि या तो सरकारी बैंकों का या आम जनता की बचत का पैसा कहीं लगा है. यह डूबा तो कहांकहां कौन डूबोए पता नहीं पर जो पानी में से पहले से ही मोदी निकाल कर ले आए हैं उन्हें ङ्क्षचता करने की जरूरत नहीं. जिन का पैसा डूबा है, उन्हें वैसे ज्यादा ङ्क्षचता करने की जरूरत नहीं. देश भर में मंदिर बन रहे हैं जहां से पैसों की बरसात होगी. काला धन वापिस आएगा ही.

मुसलमानों की हेकड़ी ठीक कर दी जाएगी. फिर गम क्या है. लक्ष्मी तो चलायमान होती है. धर्म, जाति, दानदक्षिणा, सेवा, रीतिरिवाज, तीर्थयात्राएं चारधाम, धाॢमक कैरीडोर हैं न, वे सब कल्याण करेंगे और अदानी से आई आंधी को शांत करेंगे.

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