गरमियों में अकसर लोग फंगल इन्फैक्शन से परेशान रहते हैं. यह एक प्रकार का त्वचा संबंधी संक्रमण होता है. फंगल इन्फैक्शन तब होता है जब फंगस शरीर के किसी क्षेत्र में आक्रमण करते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली इन से लड़ने में सक्षम नहीं होती है, जिस से कवक से प्रभावित त्वचा में लाल धब्बे, दाद, खुजली और त्वचा में घाव आदि लक्षण दिखाई देने लगते हैं. बहरहाल अधिकतर फंगल इन्फैक्शन इलाज के बाद ठीक हो जाते हैं.

क्यों होता है फंगल इन्फैक्शन

यों तो फंगल इन्फैक्शन पनपने या बढ़ने के बहुत से कारण होते हैं, लेकिन इम्यूनिटी कमजोर होना, गरमी और उमस भरा वातावरण इस के बढ़ने की खास वजह बनते हैं. इन के अलावा एड्स, एचआईवी संक्रमण, कैंसर, मधुमेह जैसी बीमारियां भी फंगल संक्रमण का कारण बनती हैं. जो लोग फंगल इन्फैक्शन से जूझ रहे व्यक्ति के संपर्क में आते हैं, उन्हें भी संक्रमण का डर रहता है.

अधिक वजन और मोटापा भी इस का एक कारण बन सकता है क्योंकि मोटापे के कारण जांघों व अन्य हिस्सों में चरबी जमा होती है जिस में साइकिल चलाने, जौगिंग करने या पैदल चलने से भी इन जगहों में पसीना आता है और बारबार आपस में रगड़ लगने से त्वचा पर रैशेज का डर रहता है. इस से फंगल और अन्य संक्रमण हो सकते हैं.

फंगल इन्फैक्शन का पारिवारिक इतिहास भी इस संक्रमण का प्रमुख कारण होता है. महिलाओं को सैनिटरी पैड से भी जांघों के आसपास संक्रमण हो सकता है. आमतौर पर मौनसून के दौरान फंगल पैदा करने वाले जीवाणु कई गुना तेजी से फैलते हैं. मौनसून के दौरान लोग हलकी बूंदाबांदी में भीगने के बाद अकसर त्वचा को गीला छोड़ देते हैं. यही छोटी सी असावधानी संक्रमण का कारण बन जाती है. साफसफाई से परहेज करने वाले और अपने गंदे मोजे और अंडरगामैंट्स को बिना धोए लगातार पहनने से भी फंगल इन्फैक्शन हो सकता है.

फंगल इन्फैक्शन से बचने के तरीके

जीवनशैली और आहार में बदलाव ला कर काफी हद तक मौसमी बीमारियों और इन्फैक्शन से खुद का बचाव कर सकते हैं क्योंकि सही आहार से इम्यूनिटी मजबूत होती है. चूंकि मौनसून और गरमी के उमस भरे मौसम में फंगल इन्फैक्शन ज्यादा होता है ऐसे में त्वचा को सूखा और साफ रख कर, सूती कपड़ों का चुनाव कर खुद को फंगल इन्फैक्शन से बचा सकते हैं. इसके साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं ताकि त्वचा ड्राई न हो.

फंगल इन्फैक्शन को ठीक करने के लिए यों तो बाजार में काफी दवाइयां मौजूद हैं जोकि कारगर भी हैं, लेकिन फंगल इन्फैक्शन से बचने के लिए घरेलू नुसखों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. ये काफी कारगर होते हैं और इन से जल्द ही राहत भी मिलती है:

1 हल्दी

हल्दी में ऐंटीफंगल गुण होते हैं, इसलिए इस के प्रयोग से भी फंगल इन्फैक्शन ठीक हो जाता है. इस के लिए आप इन्फैक्शन वाली जगह पर कच्ची हल्दी को पीस कर लगा सकते हैं. अगर कच्ची हल्दी उपलब्ध नहीं है तो आप हल्दी पाउडर को थोड़े से पानी के साथ गाढ़ा पेस्ट बना कर उसे भी प्रभावित जगह पर लगा सकते हैं. हलदी के प्रयोग से इन्फैक्शन की वजह से होने वाले दागधब्बे भी मिट जाते हैं.

2 टीट्री औयल

टीट्री औयल में ऐंटीफंगल और ऐंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जिस से फंगल इन्फैक्शन का उपचार किया जा सकता है. इस के लिए आप इस की कुछ बूंदे नारियल या जैतून के तेल में मिला कर दिन में कई बार संक्रमित एरिया पर लगाएं. ध्यान रहे कि इसे कौटन या सूती कपड़े की मदद से हलके हाथ से डैब मौशन में लगाएं. साफसफाई का खास ध्यान रखें. योनि संक्रमण के लिए एक टैंपोन पर टीट्री औयल की कुछ बूंदें डालें और इसे योनि में 2-3 घंटे तक डाले रखें. इसे प्रतिदिन 2 बार दोहराएं.

3 नीम

नीम त्वचा के किसी भी तरह के संक्रमण को रोकने में लाभकारी होता है. इस की पत्तियों को पानी में उबाल कर उस के पानी के इस्तेमाल या उस की पत्तियों का पेस्ट बना कर संक्रमण एरिया पर लगाने से जल्द संक्रमण से राहत मिलती है.

4 कपूर

कैरोसिन के तेल में 5 ग्राम कपूर और 1 ग्राम नेप्थलीन (कपूर) को मिला लें. इसे संक्रमण वाली जगह पर कुछ देर मलहम की तरह लगा कर छोड़ दें. जब तक संक्रमण ठीक न हो जाए, इस प्रक्त्रिया को दिन में 2 बार दोहराएं.

5 पीपल की पत्तियां

पीपल की पत्तियों को थोड़े पानी के साथ उबाल लें. इसे ठंडा होने दें और फिर इस पानी का प्रयोग त्वचा को धोने के लिए करें. इस से घाव जल्दी ठीक होने लगते हैं.

6 पुदीना

पुदीने में इन्फैक्शन के प्रभाव को नष्ट करने की क्षमता होती है. इस की पत्तियों को पीस कर पेस्ट बना लें. इस पुदीने पेस्ट को त्वचा में लगा कर 1 घंटा लगा रहने दे, फिर धो लें.

7 लहसुन

लहसुन में ऐंटीफंगल गुण मौजूद होते हैं, इसलिए खाने में लहसुन के प्रयोग से फंगल इन्फैक्शन का खतरा कम हो जाता है और इम्यूनिटी बेहतर होती है. लहसुन की 3-4 कलियों के पेस्ट को इन्फैक्शन वाली जगह पर लगाएं.

8 शहद

खाने में भले शहद मीठा हो लेकिन अपने ऐंटीसैप्टिक गुणों के चलते यह फंगस के लिए खतरनाक साबित होता है. आप 1 टीस्पून शहद संक्रमित एरिया पर करीब 30 मिनट तक लगाए रख कर फिर साफ पानी से धो लें. ऐसा दिन में 2 बार करें.

9 ऐलोवेरा जैल

फंगल इन्फैक्शन ऐलोवेरा जैल काफी लाभकारी साबित होता है. इस से न सिर्फ इन्फैक्शन के वजह से हो रही खुजली से तुरंत राहत मिलती है बल्कि इस के जैल के लगातार उपयोग से इन्फैक्शन जल्दी ठीक भी हो जाता है. इस के लिए ताजा ऐलोवेरा के पत्तों से जैल निकाल कर इस्तेमाल करें. इसे बीच से काट कर सीधे भी संक्रमित स्थान पर रगड़ सकते हैं. 30 मिनट तक जैल को लगे रहने दें, फिर धो लें.

10 दही

दही में लैक्टोबैसिलस नामक बैक्टीरिया होता है जो हाइड्रोजन पैराऔक्साइड छोड़ता है. इस से फंगस मर जाता है. बस थोड़ा सा ठंडा दही प्रभावित जगह पर 10-15 मिनट मलें और फिर कुनकुने पानी से धो लें. ध्यान रहे कि इन्फैक्शन वाली जगह को कभी हाथ से न छुएं क्योंकि यह इन्फैक्शन संक्रामक होता है.

11 ऐप्पल साइडर विनेगर

ऐप्पल साइडर विनेगर चूंकि ऐसिडिक होता है तथा इस में जीवाणुरोधी और ऐंटीफंगल गुण भरपूर होते हैं, इसलिए यह फंगस के विकास को प्रभावी ढंग से धीमा कर देता है. इस के लिए आप ऐप्पल साइडर विनेगर के साथ थोड़ा सा पानी मिलाएं और कौटन की सहायता से दिन में 2-3 बार संक्रमित एरिया में लगाएं.

12 नारियल तेल

प्रभावित क्षेत्र पर नारियल का तेल लगाएं और इसे सूखने दें. जब तक संक्रमण साफ नहीं हो जाता तब तक दिन में 2-3 बार यह प्रक्रिया दोहराएं.

नारियल व दालचीनी के तेल को बराबर मात्रा में मिलाएं और प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं. दिन में 2 बार इस मिश्रण के इस्तेमाल से भी फंगस से छुटकारा मिलता है.

13 जैतून का तेल व पत्ते

जैतून के पत्ते में ऐंटीफंगल और एंटीमाइक्रोबौयल गुण होते हैं जो फंगस को खत्म करने में मदद करते हैं. यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में भी मददगार होता है, जिस से इन्फैक्शन से राहत पाने में आसानी होती है. इन का पेस्ट बनाने के लिए जैतून के कुछ पत्तों को पीस कर प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं. 30 मिनट तक लगा रहने दें. संक्रमण खत्म होने तक रोजाना 1-2 बार इस का उपयोग करें. साथ ही कौटन की मदद से सीधे जैतून के तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

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