एक दिन सुबहसवेरे मैसेज आया, जिसे देख कर हैरान रह गया और सोच में पड़ गया इन दो शब्दों को ले कर. वे शब्द थे ‘हैप्पी एनिवर्सरी’. उस के आगे लिखा था, ‘तुम मेरी जिंदगी हो…’

भले ही ये शब्द कहने में आसान लगे हों, लेकिन बहुत बोझ से लगे. हैं न…

यह पढ़ते ही पुराने दिनों की यादों में खो गया.

कुछ साल पहले तक ये युगल तनाव भरे माहौल में अपने रिश्ते को बखूबी निभा रहे थे. वैसे, इन का रिश्ता टूटने के कगार पर आ पहुंचा था.

मैसेज पढ़ते ही तुरंत फोन किया और शादी की सालगिरह की बधाई दी. झिझकते हुए उस से उस के पति से बात कराने का अनुरोध किया.

उस समय उस का पति उस के पास ही बैठा था. बातचीत के दौरान सोशल मीडिया पर अपनी भेजी गई तमाम पोस्ट को बड़े ही गर्व से कह रहा था, तभी  यह बातचीत अचानक ही खत्म हो गई.

उस का पति यह जताने में कामयाब हो गया कि इंटरनेट के इस जुनूनी युग वह कहां है. उस शख्स का ऐसा कहना था कि फोन करना और मिलनाजुलना अब पुरानी बातें हो गई हैं. अब केवल औनलाइन के जरीए बात करने में वह काफी सहज है.

सोशल मीडिया के माध्यम से उस महिला ने अपनी भावनाओं को व्यक्त किया. हालांकि उस का पति उस के बगल में बैठ कर सारी बातें भलीभांति सुन रहा था. ऐसा लगा कि शायद अब उन युगल का रिश्ता पहले से ज्यादा मजबूत हुआ है. ऐसा हो भी क्यों न, जब बाहरी दुनिया ने सोशल मीडिया पर शेयर की गई पोस्ट पर लाइक्स की  ज्यादा संख्या से इस की रजामंदी दे दी थी.

बाद में जब अलगअलग जगहों से पता चला कि दंपती के बीच अभी भी सबकुछ ठीक नहीं है यानी तनाव में जी रहे हैं. भले ही वे एक छत के नीचे जरूर हैं, लेकिन अभी भी अलगअलग रह रहे हैं.

सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर निजी जिंदगी को बढ़ाचढ़ा कर पेश करना एक नया ट्रेंड बन गया है, जो वास्तविक और आभासी दुनिया के बीच की खाई को चौड़ा कर रहा है यानी चकाचौंध भरी दुनिया में जीने को विवश कर रहा है, आदी बना रहा है.

आभासी दुनिया में हमारे वजूद के फैलाव ने हमें अपने चारों ओर झूठ का एक ऐसा जाल बुनने के लिए मजबूर किया है, जो वास्तविक दुनिया के साथसाथ भौतिक संपर्क किए जाने पर एक खुला रहस्य बन सकता है और झूठ का महल कभी भी टूट कर बिखर सकता है.

बेशक, सोशल मीडिया पर टूटे रिश्ते और शादियां नए सिरे से दोहराई जा रही हैं, लेकिन यह उन लोगों के लिए टूटे रिश्तों की भावना पैदा करने की कीमत पर किया जा रहा है.

वे दिन गए, जब किसी भी उत्सव को निजी तौर पर पास जा कर, खुशी के पल में शामिल हो कर या एक फोन कर के खुशियों को व्यक्तिगत स्पर्श दिया जाता था. जहां सहानुभूति का एक शब्द जो व्यक्तिगत रूप से व्यक्त किया गया, शोक में डूबे परिवार को अतिरिक्त साहस दे सकता है, आज वहां इंटरनेट के माध्यम से इंस्टेंट मैसेजिंग सर्विस के जरीए संवेदनाओं को पेश किया जाता है.

केवल रिश्ते ही नहीं, बल्कि पारिवारिक यात्राएं भी स्पर्श बिंदुओं को प्रदर्शित करने के लिए की जाती हैं, न कि उन्हें जीवंत करने के लिए. एक विदेशी दौरा केवल फोटो क्लिक करने के लिए लिया जाता है और इसे उन लोगों के लिए प्रलोभन के रूप में शेयर किया जाता है, जो हमेशा घटना के लिए अपनी पसंद दर्ज करने के इच्छुक होते हैं.

ऐसे व्यक्ति के लिए सोशल मीडिया पर ज्यादा लाइक्स मिलने के बाद खुशी और यात्रा के मूल्य को सही ठहराती है.

एक ऐसे देश के नागरिक होने के नाते जो अपने मजबूत धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों के लिए जाना जाता है, यह अनिवार्य है कि हम मूल प्रणाली में किसी भी विकृति यानी नकारात्मकता से प्रभावित होने वाले आखिरी व्यक्ति होंगे, लेकिन यह तभी हो सकता है, जब हम अपने मूल सिद्धांतों पर टिके रहें, जो सच पर आधारित है.

सोशल मीडिया भ्रमजाल है, मायाजाल है, इस के चंगुल से छूट कर अपने दोस्तों, रिश्तेदारों, प्रियजनों से खुल कर मिलिए, उन्हें बुलाइए, खुशियां बांटिए. जो आप से जुड़े हैं, उन की मौजूदगी का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए मजा लें.

थोड़ा वक्त लगेगा संभलने में, डरें नहीं, लेकिन यही भाव हमें सच्चे दोस्त बनाने में मदद करेगा और हमारे सामाजिक तानेबाने को मजबूती देगा, जो वक्त की जरूरत है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...