सुरेश ने फ़ोन पर नीलम को कहा कि उसे घर आने में देर होगी और आज रात की पार्टी में नहीं जा सकेगा. नीलम को पहले गुस्सा आया, लेकिन सुरेश के काम की व्यस्तता को समझकर चुप रह गई. वह अपनी सहेली से फ़ोन पर बात कर ही रही थी कि अचानक दरवाजे की घंटी बजी, दरवाजा खोला, तो सामने सुरेश हँसता हुआ खड़ा था, क्योंकि उसे पता था कि नीलम गुस्सा होगी. अब नीलम ने सहेली के साथ बात करना बंद किया और सुरेश को डांटने लगी कि ये कैसा झूठ है, जो मुझे तकलीफ दें. सुरेश ने हँसते हुए जवाब दिया कि मैं तुम्हे सरप्राइज देना चाहता था, इसलिए ऐसा किया. अब नीलम मान गई और दोनों पार्टी में चले गए. ये मजेदार, छोटी सी झूठ थी और सरप्राइज होने की वजह से सब ठीक हो गया, लेकिन ऐसी कई घटनाएं देखी गई है, जहाँ झूठ  बोलने की आदत ने सारे रिश्ते ख़त्म कर दिए.

सफ़ेद झूठ…..’, ‘झूठ बोले कौवा काटे…’ आमदनी अठन्नी…..आदि कई ऐसी फिल्में है, जो झूठ बोलने को लेकर ही कॉमेडी के रूप में बनाई गई और दर्शकों ने ऐसी फिल्मों को पसंद किया, क्योंकि ये पर्दे पर थी, रियल लाइफ में नहीं, लेकिन झूठ बोलने की आदत कई बार जीवन के लिए खतरनाक भी हो जाती है और इस झूठ को सच साबित करने में सालों लग जाते है.

ये सही है कि हर धर्म में झूठी बातों का शिकार महिलाएं ही हुई है, इसे कहने वाले पुरुष ही है, क्योंकि महिलाएं संवेदनशील होती है और इन धर्मगुरुओं की बातों को सहजता से मान लेती है, मसलन बीमार होने पर भी व्रत या उपवास करना, अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए नंगे पाँव मीलों चलना आदि सभी निर्देशों को महिलाएं सच्चे मन से पूरा करती है.

रिसर्च में भी ये बात सामने आई है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में झूठ कम बोल पाती है. असल में अधिकतर महिलाएं पुरुषों से अधिक सेंसेटिव और इमानदार होती है, उनपर लोग आसानी से ट्रस्ट कर सकते है. इसलिए उन्हें अधिक झूठ बोलने की जरुरत नहीं पड़ती. जेंडर को लेकर शोध करने पर यह भी पाया गया कि झूठ बोलने से अगर झूठ बोलने वाले को फायदा होता है, तो वह बार-बार झूठ बोलता है. पुरुषों के लगातार झूठ बोलने की वजह 3 है, शेम , प्रोटेक्शन एंड रेपुटेशन.

असल में अपना रियल चेहरा छुपाने के लिए लोग झूठ बोलते है, ताकि दूसरे की भावनाओं को ठेस न पहुंचे. इसके अलावा दूसरों को इम्प्रेस करने, उत्तरदायित्व से पल्ला झाड़ने, कुकर्मों को छिपाने के लिए, सामाजिक पहलूओं से दूर भागने, कनफ्लिक्ट को दूर करने, आदि कई कारणों से बोलते है. मनोवैज्ञानिक मानते है कि झूठ बोलना लाइफ की एक कंडीशन है.

मस्तिष्क की एक्टिविटी के बारें में बात की जाय तो पता चलता है कि झूठ बोलने से हमारे मस्तिष्क की कुछ पार्ट स्टीमुलेट भी हो जाता है. इसमें पहले फ्रंटल लोब यानि जिसकी क्षमता सच्चाई को आसानी से दबाने की होती है और ये झूठ को एक इंटेलेक्चुअल तरीके से रखने की क्षमता रखता है. दूसरा लिम्बिक सिस्टम, जो अधिकतर एंग्जायटी की वजह से होता है, इसमें झूठ बोलना एक धोखा भी माना जाता है और व्यक्ति कई बार अपराधबोध या स्ट्रेस्ड से ग्रसित होकर भी झूठ बोलता है. तीसरा टेम्पोरल लोब में व्यक्ति झूठ बोलने के बाद से एक आनंद महसूस करता है. झूठ बोलने पर हमारा ब्रेन सबसे अधिक व्यस्त रहता है.

इस बारें में काउंसलर राशिदा कपाडिया कहती है कि सर्वे में भी ये स्पष्ट है, झूठ बोलने की आदत लड़कों को बचपन से ही शुरू हो जाती है और ये झूठ वे अपनी माँ से अधिकतर बोलते है. इसकी वजह यह है कि पुरुष संबंधों में कडवाहट नहीं चाहते, क्योंकि सही बात शायद उनके पार्टनर को पसंद न हो, तर्क-वितर्क चल सकता है.

इसलिए उसे अवॉयड करने के लिए पुरुष झूठ का सहारा लेते है. इसके अलावा किसी काम को अवॉयड करना, या सोशल इवेंट में नहीं जाना, हो तो झूठ बोलते रहते है. साथ ही पुरुषों का इगो बड़ा होता है, वे अपनी कमजोरियां दिखाना नहीं चाहते, इस वजह से भी झूठ बोलते है. कई बार किसी दूसरे शौक को पूरा करने के लिए झूठ बोलने का सहारा लिया जाता है. साथ ही यह भी देखा गया है कि पुरुषों को गिल्ट फीलिंग महिलाओं की अपेक्षा कम होती है.

महिलाओं में अपराधबोध अधिक होता है, वे झूठ बोलकर अधिक समय तक नहीं रह पाती और सच बोल देती है. पुरुष इमोशनल कम होते है और प्रैक्टिकल अधिक सोचते है. झूठ बोलना उनके लिए बड़ी बात नहीं होती, क्योंकि व्यवसाय या जॉब में वे छोटी-छोटी झूठ बोलते रहते है. पुरुषों का झूठ पकड़ना आसान नहीं होता, क्योंकि वे बहुत सफाई से झूठ बोल लेते है और  महिलाएं भी उसे आसानी से विश्वास कर लेती है.

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