भैया की शादी के बाद आज पहली बार भैया के पास जा रही हूं. मम्मीपापा 2 महीनों से वहीं हैं. मन आशंकाओं से भरा है कि पता नहीं उन का वहां क्या हाल होगा. अपने दोस्तोंमित्रों, सगेसंबंधियों से दूर मन लगा होगा या नहीं. पापा तो बाहर घूमफिर आते होंगे, पर मां वहां सारा दिन क्या करती होंगी. भैया की नईनई शादी हुई है. वे दोनों तो आपस में ही मस्त रहते होंगे.

फिर बरबस ही उस के होंठों पर मुसकराहट आ गई. क्या खूब होते हैं वे दिन भी. हर तरफ मस्ती का आलम, देर रात तक जागना और दिन में देर तक सोना. सब कुछ चलचित्र की तरह उस की आंखों के सामने घूमने लगा...

सोमेश देर तक सोते रहते और वह चुपचाप पास पड़ी उन्हें निहारती रहती, तनबदन सहलाती रहती. उस के पास तो सोने के लिए पूरा दिन रहता. सोमेश के बाथरूम से निकलते ही उन के साथ ही खाने की मेज पर पहुंच जाती.

नाश्ते के बाद सोमेश औफिस चले जाते और वह अपने कमरे में पहुंच जाती. दिन में 5-6 बार सोमेश से फोन पर बात करती. उन के पलपल की खबर रखती. लंच के लिए उन का फोन आते ही तुरंत तैयार हो कर खाने के लिए पहुंच जाती. सोमेश कुछ देर आराम कर चले जाते और वह दीनदुनिया से दूर न जाने किन खयालों में गुम कमरे में ही पड़ी रहती.

उन्हीं दिनों अंशु कोख में आ गया. फिर तो वह 7वें आसमान पर पहुंच गई. मन चाहता सोमेश हर पल साथ बने रहें. हलका सा सिरदर्द भी हो तो वे ही आ कर सहलाएं. तनमन में आने वाले बदलाव को सम झें,

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