लव जिहाद पर काफी कट्टरवादियों का खून खौलने लगता है चाहे लव जिहाद की घटना उन के घर से 200 किलोमीटर दूर क्यों न हुई हो भगवाई पब्लिसिटी गैंग ने इस कदर माहौल को बिगाड़ दिया है कि आजकल प्रेम करने से पहले धर्म और जाति पूछनी होती है और लडक़ा अगर मुसलिम हो तो आसमान टूट पड़ता है.

यह बीमारी अब मुसलमानों में भी शुरू हो गई है, दिल्ली में 10 जुलाई को 20 साल के ङ्क्षहदू लडक़े की हत्या कर दी गई क्योंकि उस ने एक मुसलिम लडक़ी से पे्रम करने की हिम्मत दिखा दी थी. अररिया, बिहार, का राजकुमार का एक मुसलिम लडक़ी से प्रेम हो गया तो लडक़ी के रिश्तेदारों ने उस की हत्या लवजिहाद के तरीके से कर डाली.

धर्म के नाम पर प्रेम को अब इस तरह गंदला कर डाला गया है कि युवा दिनों के डर लगने लगा है कि उन्होंने यदि कदम कहीं आगे बढ़ा लिए तो मौत का ही सामना न करना पड़े.

भारतीय जनता पार्टी इस तरह की हत्याओं को खूब समर्थन देती है जबकि उन के चुराए हुए आदर्श नेता सुभाष चंद्र बोस ने खुए एक जापानी लडक़ी से शादी कर ली थी जब वे द्वितीय विश्वयुद्ध के दिनों में जापान में थे. अगर लव जिहाज बुरा है, अगर अपने धर्म से दूसरे से प्रेम करना हिंदू संस्कारों के खिलाफ है, अगर जाति तोड़ कर विवाह करना गलत है तो न केवल कई भारतीय जनता पार्टी के नेता, कितने ही भाजपा के भगवा लपेट में आ जाएंगे. पुराण उन मामलों से भरे पड़े हैं जिन में एक जाति के महापुरुषों ने दूसरी में शादी की थी और बच्चे भी पैदा किए थे. धर्म ने इस तरह अंधा बना रखा है कि बिना जांचे परखे आज के महंत, गुरू, पादरी, मुल्ला जो कहें वही पत्थर की लकीर हो जाता है और कुछ लोग इस लकीर को घर करने वालों को दंड देने पर उतारू हो जाते हैं.

दिल्ली के शहजाद बाग जैसी घटनाएं अब सारे देश में होने लगी हैं और प्रेम को बदनाम करने वाले ने इतना डर फैला दिया है कि जब हत्या हो रही होती है तो आसपास के लोग चुपचाप खड़े हो कर देखते हैं, कोई बीच में नहीं पड़ता. सभी को डर होता है कि मारने वाले अगर लोग पार्टी से जुड़े होंगे तो वे तो बच जाएंगे और बीच बचाव या बचाने वाले थानों, अदालतों के चक्कर में फंस जाएंगे.

आज का समाज यह बोडकास्ट कर रहा है कि प्रेम करना है तो पहले पंड़ों, मौलवियों, पादरियों, ग्रंथियों से पूछो, उन्हें चढ़ावा चड़ाओ और फिर ‘आईलवयू’, ‘आई लव यू टू बोलो.’

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...