नवजात शिशु को पहली बार नहलाना पेरेंट्स के लिए एक मुश्किल काम होता है, क्योंकि इस समय न्यू पेरेंट्स नवजात की देखभाल बहुत सावधानी से करती है, जिसमे वे कई बार अपनी माँ, सास या किसी बड़े का सहारा लेते है, लेकिन कई बार अकेले रहने पर उन्हें खुद ही सबकुछ करना पड़ता है. हालाँकि, डॉक्टर की सलाह के साथ नवजात शिशु को स्नान कराने पर समस्या नहीं होती साथ ही माता – पिता का बच्चे के साथ बोन्डिंग अच्छी हो जाती है, इसलिए डॉक्टर्स भी पेरेंट्स को इसे सीखने की सलाह देते है.

इस बारें में क्लाउडनाइन इंडिया एंड हेल्थकेयर डिलीवरी के कसल्टेंट, निओनाटोलॉजिस्ट डॉ आर किशोर कुमार कहते है कि शिशु की त्वचा तेजी से नमी खोती है, जिससे उसमें रूखापन और जलन पैदा होने का खतरा रहता है. असल में नवजात की त्वचा वयस्क की तुलना में तीन गुना अधिक पतली होने के साथ – साथ अपरिपक्व होती भी है. इससे त्वचा दोगुनी तेज़ी से नमी खो देती है. शिशु का pH भी बढ़ता है, जिससे उसमें सूखापन, जलन, चकत्ते, सूजन और डर्मेटाइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है.

इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) ने नवजात शिशुओं और बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण त्वचा देखभाल सुनिश्चित करने के लिए मानकीकृत दिशानिर्देश लागू किए हैं, जो निम्न है,

  • नवजात को पहला स्नान जन्म के 6 से 24 घंटों के बाद कराना चाहिए.
  • पहले, अस्पतालों में जन्म के तुरंत बाद नवजात शिशुओं को नहलाना एक आम बात थी, लेकिन अब इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स का सुझाव है कि जन्म के बाद एक बार जब बच्चा स्थिर हो जाए, जो आमतौर पर जन्म के 6 से 24 घंटों के बीच होता है, तब उसे नहलाया जा सकता है.

नहलाने के लिए प्रोडक्ट कैसे हो, उसकी जानकारी भी आवश्यक है.  

  • शिशु के लिए बेबी सेफ क्लींज़र चुने, जो लार्ज मिसेल्स वाला हो, ताकि यह बच्चे की त्वचा के भीतर न जा सके.
  • आजकल बाज़ार में शिशुओं के लिए उत्पादों की भरमार हैं. सही उत्पाद चुनना माता-पिता के लिए काफी कठिन होता है. ऐसे में उन उत्पादों को चुने, जो डोक्टर्स के द्वारा टेस्टेड, रिकमेंडेड हो और शिशुओं की त्वचा के लिए सुरक्षित हो. ये उत्पाद शिशु को क्लीन करने के अलावा त्वचा के लिए जेंटल भी होना जरुरी है, ताकि ये त्वचा के अंदर तक प्रवेश न कर सकें.
  • वयस्कों के क्लीन्ज़र की तुलना में बच्चों के क्लीन्ज़र के मोलिक्यूल्स बड़े अकार में होने चाहिए, जो नवजात के लिए सुरक्षित होते है और किसी प्रकार की रैशेज, आँखों में जलन या स्किन में जलन का खतरा नहीं रहता.
  • क्लीनर में ग्लिसरीन या नारियल तेल जैसे प्राकृतिक तत्व होने चाहिए जो शिशु की त्वचा को मॉइस्चराइज़ करें और उसमें माइक्रोबायोम को बनाए रखने में मदद करें. ध्यान रखें कि क्लींज़र स्किन की सतह के एसिड मेंटल अर्थात पसीने में सीबम मिश्रण से बने पसीने की एक परत, जिसे एसिड मेंटल कहा जाता है उसे प्रभावित न करें, नैचरल  मॉइस्चराइजिंग फैक्टर (NMF) को न हटाएं. हाइपोएलर्जेनिक और pH-संतुलित ऑल-पर्पज़ क्लीन्ज़र चुनें. इस तरह के जेंटल लिक्विड क्लींजर आमतौर पर त्वचा को आसानी से साफ कर देते हैं.
  • जन्म के बाद पहले दिन शिशु को कम से कम समय में नहलाएं और स्नान कराने के पानी का तापमान अवश्य जांच लें.
  • पहले स्नान के दौरान गर्भनाल को गुनगुने पानी से साफ करके सूखा और साफ रखना चाहिए, विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह है कि संक्रमण को रोकने के लिए कॉड स्टंप पर कुछ भी नहीं लगाना चाहिए.
  • शिशु को हमेशा गर्म कमरे में ही नहलाना चाहिए, स्नान की अवधि 5 से 10 मिनट से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए. सर्दियों के दौरान शिशु को सप्ताह में दो या तीन बार ही नहलाएं.
  • स्पंज स्नान की तुलना में टब स्नान ज़्यादा सुरक्षित और आरामदायक विकल्प है क्योंकि इससे नवजात के शरीर को ठंडक मिलती है. बबल बाथ और बाथ एडिटिव्स का इस्तेमाल न करें क्योंकि ये त्वचा का pH बढ़ा सकते हैं और बच्चे को इरीटेशन हो सकता हैं.
  • पहले दिन की स्नान में बालों की देखभाल भी जरुरी होता है. गर्भनाल गिरने पर बच्चे के बाल धोने चाहिए. साबुन से बच्चे की आंखों में जलन न हो, इसके लिए बालों को धीरे-धीरे हाथ से धोना चाहिए. केशों को सप्ताह में दो बार से अधिक न धोएं.
  • शिशु की त्वचा लगातार नमी खोती रहती है, इस दौरान भले ही वह रूखी न दिखे, लेकिन उसमें रूखापन आने का खतरा रहता है, इसलिए बच्चे के स्किन पर मॉइस्चराइज़र लगाना ज़रूरी है. बच्चे को नहलाने के बाद, उसे धीरे से थपथपाकर सुखाएं और मॉइस्चराइज़र लगाएं. इसे आमतौर पर ‘सोक एंड सील’ मेथड कहा जाता है. इसमें क्लिनिकली टेस्टेड और नवजात शिशु के लिए बनाया गया मॉइस्चराइज़र चुनें ताकि शिशु की त्वचा को दिन भर सुरक्षा मिलती रहें. नारियल तेल जैसी सामग्री से बना सौम्य बेबी लोशन शिशु के पूरे शरीर पर लगाया जा सकता है. चेहरे पर डर्मटोलॉजिस्ट्स द्वारा टेस्टेड क्रीम लगाएं, क्योंकि इसकी कंसिस्टेंसी गाढ़ी होती है और यह शिशु की नाजुक त्वचा को धीरे से पोषण देती है और नमी को त्वचा में ही सील करके त्वचा को हाइड्रेटेड रखती है.

इन आसान टिप्स के जरिये न्यू पेरेंट्स, नवजात को फर्स्ट बाथ देने के साथ -साथ उन्हें स्वस्थ रख सकते हैं. उन्हें सुरक्षित तरीके से नहला सकते हैं और  उनकी इस प्रक्रिया को अपने लिए और शिशु के लिए भी एक खास अनुभव बना सकते हैं.

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