बाहर गली में लाउडस्पीकर बज रहा था. धूलमिट्टी उड़ाते औटो पर रखे लाउडस्पीकर से आवाज आ रही थी, ‘‘आप सभी को बाबाजी के समागम में आमंत्रित किया जाता है. जहां विशेष कृपा के तौर पर बाबाजी का ठुल्लू दिया जाएगा.

ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंच कर बाबाजी की कृपा का लाभ उठाएं.’’ठुल्लू शब्द उल्लू ज्यादा सुनाई पड़ रहा था पर फिर भी मैसेज जा चुका था कि कोई विशेष कार्यक्रम ही होगा तभी इतनी जोरशोर से प्रचार हो रहा है.

जो ‘कौमेडी नाइट विद कपिल’ देखते हैं वे तो समझ गए पर जो नहीं देखते थे वे कार्यक्रम का हिस्सा बन गए.भव्य पंडाल सजा था. आसपास श्रद्धा की दुकानें सजी थीं, जिन में धूप, मालाएं, धार्मिक ग्रंथ, हवन सामग्री आदि मिल रही थी और साथ ही सजी थीं खानेपीने की दुकानें.

बाहर से तो ऐसा लग रहा था जैसे कोई शादीब्याह का आयोजन हो. एक बार को लगा कहीं गलत जगह तो नहीं आ गए पर पता तो यही था. बाबाजी का आने का समय 4 बजे का था. 7 बज रहे थे पर उन का अभी तक कोई अतापता न था. भीड़ बढ़ती जा रही थी.

8 बजे 4 गाडि़यां धूलमिट्टी उड़ाती मैदान में पहुंचीं. उन में एक औडी थी, जिस में गेरुआ चोला पहने बाबाजी अपनी धोती संभालते उतरे. उम्र यही कोई 50-55 वर्ष. बाल मिलेजुले सफेदकाले. चेहरे की चमक किसी महंगे ब्यूटीपार्लर का इश्तिहार लग रही थी जैसे अभी वहां से फेशियल करवा कर आए हों.‘‘बाबाजी की जय हो,’’ समर्थकों ने जोरजोर से नारे लगाने शुरू कर दिए.

लोग उत्सुकतावश बाबाजी की ओर ऐसे देख रहे थे जैसे वे कोई अजूबा हों.बाबाजी हाथ उठा कर बहुत आत्मविश्वास के साथ बोले, ‘‘मैं कुछ नहीं करता, भगवान मुझ से करवाता है. जब तक उस का हुक्म न हो तब तक मैं यहां आ ही नहीं सकता.’’पूरी बात जनता के पल्ले नहीं पड़ी. पर जोरदार तालियों से आभास हो गया शायद कोई बहुत बड़ी बात कही है.

‘‘बाबाजी आज आप सब को एक विशेष कृपा प्रदान करेंगे. ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंच कर आप ने जो विश्वास बाबाजी पर जताया है वह काबिलेतारिफ है.’’समर्थक 1-1 कर के बाबाजी की प्रशंसा के पुल बांधते हुए अपनी बात आगे रखने लगे.तभी एक तरफ खुसुरफुसुर शुरू हो गई.‘‘कृपया शांत बैठें…जो कुछ कहना चाहते हैं कृपया माइक पर कहें.’’कुछ श्रोता आपस में लड़ रहे थे, ‘‘मैं बोलूंगा, मैं बोलूंगा.’’‘‘सभी को मौका दिया जाएगा,’’ ऐसा कह कर एक समर्थक ने माइक एक स्मार्ट, पढ़ेलिखे दिखने वाले सज्जन को पकड़ा दिया.‘‘गुरुदेव आप की सेवा में मेरा कोटिकोटि प्रणाम स्वीकार हो.

मुझे कई सालों से शुगर और ब्लडप्रैशर की बीमारी थी, जो आप की विशेष कृपा से ठीक हो गई.’’शुगर और ब्लडप्रैशर वाले मरीज खुश थे कि हम यहां आ गए तो हमारी भी बीमारी ठीक हो जाएगी.इस के साथ ही समर्थक फिर ‘बाबाजी की जय हो’ दोहराने लगे.‘‘मुझ में ऐसा कुछ नहीं है. परमात्मा परम ज्ञानी हैं,’’ बाबाजी का इतना बोलना था कि लोग फिर जोरजोर से तालियां बजाने लगे.कई लोग जो पहली बार आए थे, थोड़े कनफ्यूज दिखे कि ऐसा कैसे हो गया? यह तो शुरुआत थी.

फिर एक महिला ने माइक पकड़ा और कहा, ‘‘बाबाजी, गृहस्थी चलानी बहुत मुश्किल हो गई है…इतनी महंगाई है कि प्याज तो अब सपने की बात हो गई है और टमाटर तो कीमत से और लाल हुए पड़े हैं,’’ बाबाजी हाथ उठाते हुए बोले, ‘‘प्याज खाना कोई फायदे की बात नहीं है. इसे छीलो तो आंसू निकलते हैं और काटो तो जेब कटती है. मुझे देखो मैं ने इस की तरफ कभी आंख उठा कर भी नहीं देखा.’’समर्थक बोले, ‘‘बाबाजी के नक्शेकदम पर चलो, आंखें भी खुश रहेंगी और जेब भी.’’इस के साथ ही वही तालियां, वही नारा और वही समर्थकों का जोश.

माइक वाली महिला कुछ समझ कुछ नहीं और फिर बगले झंकते हुए बैठ गई. तालियों से शायद उसे अंदाजा हो गया था कि बाबाजी बहुत पहुंचे हुए हैं.तभी माइक एक बच्चे को दिया गया. बोला, ‘‘बाबाजी, मैं पेपरों से पहले बीमार पड़ गया था और यह आप की कृपा ही होगी कि मैं ने 20 नंबर का प्रश्नपत्र हल कर लिया और मेरे 40 नंबर आ गए.’’जनता फिर उल्लू की तरह कभी इधर देखती तो कभी उधर, पर उसे समझ नहीं आया कि यह कैसे हो गया.

जो इन सब बातों की सचाई जानना चाहते थे उन्हें कोई माइक नहीं दे रहा था.रात का 1 बज गया. बाबाजी को नींद आने लगी, तो समागम के समापन की घोषणा हो गई और लाउडस्पीकर पर ‘बजरंगी हमारी सुध लेना भुला नहीं देना, विनय तोहे बारबार है…’ भजन चलाया गया और समर्थक स्टेज पर हाथ उठाउठा कर नाचने लगे.

सब अपने आसपास के लोगों की देखादेखी नाचने लगे. उन के बजरंगी जा चुके थे अपने नए अवतार में, जिस में उन्होंने एक पैर जमीन पर रखा हुआ है और एक लोगों के दिल पर. और अपने बलशाली हाथों पर लोगों का दिमाग रख कर अपनी औडी में उड़ गए.

जिन्होंने माइक पर बोला था स्टेज के पीछे उन्हें पैसे बांटे जा रहे थे. पंडाल वाला भी खुश था कि अगली बार ज्यादा कमाई हो जाएगी. बड़ा पंडाल जो लगाना है.खाने के खोमचे वालों की चांदी हो गई. बाबा के इंतजार में लोगों ने खा कर ही टाइमपास किया.अंत में एक समर्थक ने माइक पर घोषणा की कि अगला कार्यक्रम 15 दिन बाद होगा. अपने साथ अपने पूरे परिवार को लाएं और बाबाजी के उल्लू उफ, सौरी ठुल्लू का सीक्वल पाएं.

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