सिंदूरा शाह, बैंगलुरु शहर में रेस्तरां के बिजनैस में एक उभरता हुआ नाम था. वह एक महत्त्वाकांक्षी औरत थी और अन्य शहरों में भी रेस्तरां खोलना चाहती थी.

सिंदूरा एक बड़ी बिजनैस आइकोन बनना चाहती थी पर वह जानती थी कि मर्दों की बनाई इस दुनिया में मर्दों के बीच रह कर उन्हें पछाड़ना कितना कठिन है और इस के लिए सिर्फ मेहनत ही काफी नहीं है बल्कि उसे सफलता पाने के लिए उस के पास मौजूद हर चीज को इस्तेमाल करना आना चाहिए.

रेस्तरां के बिजनैस का गुर उसे अपने पिताजी से विरासत में मिला था, सिंदूरा ने उनके द्वारा दिए गए एकमात्र रेस्तरां को 2 और फिर 3 में तबदील किया था.सिंदूरा शाह 45 साल की अविवाहितमहिला थी. उस ने शादी क्यों नहीं करी इस का उत्तर कोई नहीं जानता सिवा सिंदूरा के.

शायदउसे उस के मन का कोई पुरुष मिला नहीं था.पर इस उम्र में भी सिंदूरा बहुत आकर्षक दिखती थी. उस की ताजगी और सुंदरता देख कर लोग हैरानी में पड़ जाते थे. गोरा रंग और गहरी काली आंखें तथा तीखी सी नाक.

अपने गोरे शरीर पर जब सिंदूरा स्लीवलैस ब्लाउज पहनती और साड़ी को नाभि प्रदर्शना ढंग से बांधती तो बहुत आकर्षक लगती.अपनी इस खूबसूरती को अपने व्यवसाय की प्रगति के लिए बखूबी इस्तेमाल करती थी सिंदूरा.

वह अगर साड़ी का पल्लू अपने कंधेपर सजाना जानती  तो उसे गिरा कर अपनेजिस्म को दिखा कर भरपूर फायदा भी उठाना जानती थी.सिंदूरा ठीक इसी रेस्तरां की तर्ज पर एक और रेस्तरां शहर से बाहर जाने वाले हाईवे पर खोलना चाहती थी और इस के लिए वह हाईवेपर जमीन खरीदने के लिए प्रयासरत थी पर हर बार उसे निराशा ही हाथ लगती थी क्योंकि इस एरिए का प्रौपर्टी डीलर शुभांग सिंह जमीन को बेचना नहीं चाहता था, सिंदूरा ने कई बार अपने आदमियों को शुभांग के पास भेजा पर कोईलाभ नहीं हुआ.

प्रौपर्टी डीलर जमीन के मुद्दे पर कोई बात नहीं करना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि मौके की जमीन को जितना देरमें बेचा जाए उतनी ही कीमत बढ़ने का अवसर रहता है.जब सिंदूरा को और कोई रास्ता नहीं सूझ तब उस ने शुभांग से डाइरैक्ट मिल कर बात करने की बात सोची और एक दिन शुभांग के औफिस पहुंच गई.

शुभांग सिंह एक 38 वर्षीय विवाहित और काफी आकर्षक व्यक्ति था जो अपने औफिस में अपनी रिवौल्विंग चेयर पर बैठा हुआ काम कर रहा था. उस की आंखों पर चश्मा लगा हुआ था और उस ने अपने कंधे तक के लंबे बालों को ऊपर की ओर कस कर एक जूडे़ की शक्ल में बांधा हुआ था.

जिस तरह से उस ने सिंदूरा को ऊपर से नीचे तक घूरा था उस से सिंदूरा समझ गई कि वह खूबसूरती का पारखी है और उस का काम आसान होने वाला है.औपचारिक परिचय के बाद दोनों के बीच काम की बातचीत शुरू हुई पर सिंदूरा को झटका तब लगा जब शुभांग ने सिंदूरा को हाईवे वाली जमीन को बेचने से साफ मना कर दिया. सिंदूरा ने दोगुनी कीमत देने को कहा पर फिर भी शुभांग सिंह राजी नहीं हुआ.

सिंदूरा ने बहुत कोशिश करी पर शुभांग सिंह टस से मस नहीं हुआ. सिंदूरा हार कर अपने औफिस आ गई. उस ने कौफी मंगवाई और कुरसी पर बैठ कर सोचने लगी कि कैसे शुभांग सिंह से हाईवे वाली जमीन ली जाए, काम कठिन था और शुभांग भी अडि़यल मालूम होता है, पर थोड़ा दिमाग लगाने के बाद ही सिंदूरा को एक आइडिया आ ही गया.

शुभांग सिंह सोशल मीडिया पर अपने बिजनैस से संबंधित जानकारी अपलोड करता रहता था. सिंदूरा ने उस की सोशल मीडिया पोस्ट को लाइक और कमैंट करना शुरू कर दिया. उस के कमैंट्स तारीफ भरे और चुटकीलापन लिए होते थे.

इस के अलावा सिंदूरा ने शुभांग के व्हाट्सऐप नंबर पर गुड मौर्निंग और सुविचार जैसे मैसेज भी भेजने शुरू कर दिए जिन के बदले शुभांग सिंह भी कभीकभी रिप्लाई कर देता.एक रात शुभांग सिंह के मोबाइल पर सिंदूरा के नंबर से फोटोज की शक्ल में लगातार 3 मैसेज आए पर इस से पहले कि शुभांग उन्हें देख पाता, सिंदूरा ने वे मैसेज डिलीट कर दिए पर एक फोटो डिलीट न हो सका तो उस ने घबराए से स्वर में शुभांग को फोन किया कि उस के मोबाइल पर सिंदूरा की कुछ निजी तसवीरें फौरवर्ड हो गई हैं जिन में से 2 तो डिलीट हो गई हैं पर एक किसी तकनीकी दिक्कत के कारण डिलीट नहीं हो पा रही है इसलिए वह प्लीज उसे न देखे और बिना देखे ही डिलीट कर दे.

मगर बिना देखे तो कुछ डिलीट हो भी नहीं सकता और फिर मनुष्य का स्वभाव होता है कि जो काम उसे करने के लिए मना किया जाए उसे  वह अवश्य करता है. शुभांग सिंह भी कोई अपवाद नहीं था इसलिए उस ने फौरन अपने मोबाइल में सिंदूरा के भेजे गए मैसेज को देखा. उसे देख कर वह दंग रह गया. यह सिंदूरा की एक ऐसी तसवीर थी जिस में वह लाल रंग की बिकिनी पहने थी और उस का गोरा शरीर गजब ढा रहा था. शुभांग सिंह हुस्न का पारखी था.

वह कई लड़कियों के साथ हमबिस्तर हो चुका था इसलिए सिंदूरा की ऐसी तसवीर देख कर वह उस के जिस्म को चूमने के लिए उतावला हो गया और  सिंदूरा के साथ रात गुजारने का मौका ढूंढ़ने लगा.कुछ दिन और बीते. इस बीच सिंदूरा ने शुभांग को हाईवे वाली जमीन के लिए टटोला पर वह तस से टस नहीं हुआ. लेकिन आज शुभांग सिंह को वह मौका मिल ही गया जिस की उसे तलाश थी.

वे दोनों एक पार्टी में मिले और शुभांग सिंह ने पार्टी समाप्त होने के बाद सिंदूरा को अपनी बड़ी सी गाड़ी में लिफ्ट औफर करी जिसे सिंदूरा ने मुसकरा कर स्वीकार कर लिया और अपने ड्राइवर को आंख के इशारे से गाड़ी घर ले जाने को कह दिया.शुभांग सिंह और सिंदूरा दोनों शहर से बाहर बने शुभांग के फार्महाउस पर पहुचे. यह एक शानदार जगह थी.

चारों तरफ रातरानी के फूलों की महक फैली थी और रंगबिरंगी रोशनी से हरा लौन एक नए ही रंग में नजर आ रहा था. दूसरी तरफ पूल में भरा पानी और उस पानी पर तैरते हुए टिमटिमाते दीए अलग ही माहौल बना रहे थे. शुभांग और सिंदूरा बैडरूम में न जा कर वहीं लौन में फूस से बनी एक गोल झोंपड़ी में बैठ गए जहां पर महंगी शराब और गोश्त का इंतजाम पहले से ही था.

शुभांग ने गोश्त खाया और शराब भी पी जबकि सिंदूरा ने सिर्फ शराब पी और गोश्त खाने से परहेज किया.शराब पीते समय शुभांग सिंदूरा के भीगे हुए होंठों को चूम भी ले रहा था. धीरेधीरे सिंदूरा की आंखें नशीली हो गईं और शुभांग उस पर छाता चला गया. दोनों जोश में थे. शुभांग ने सिंदूरा के कपड़ों को उतारने में देर नहीं करी.

सिंदूरा ने पहले तो शरमाने का अभिनय किया पर बाद में वह खुद सहज हो गई. चालक सिंदूरा ने इस सारे दृश्य को अपने मोबाइल में कैद कर लिया ताकि शुभांग को ब्लैकमेल कर के हाईवे वाली जगह हासिल कर सके.आधे घंटे बाद कमरे में आया तूफान ठंडा पड़ चुका था.

सिंदूरा ने जीवन में पहली बार किसी पुरुष के साथ को जीया था. कितना अच्छा था यह क्षणभर का आनंद, पर जैसे ही इसे जीना चाहा यह छूटता सा गया और मन फिर दोबारा इसी क्षण की मांग करने लगा. इस समय सिंदूरा द बिजनैस वूमन कहीं खो गई थी और जो बिस्तर पर निढाल पड़ी थी वह एक औरत थी.सिंदूरा ने देखा कि शुभांग के लंबे बाल बिखरे हुए थे और उस की आंखें भी गहन तृप्ति के भाव से भरी हुई थीं.

यह ठीक वही पल था जब सिंदूरा के मन में शुभांग के प्रति प्रेम का अंकुर फूटा और उस ने कुछ सोचते हुए मोबाइल में शूट की गई क्लिप्स को एक मुसकराहट के साथ डिलीट कर दिया.‘‘अब मुझे घर जाना होगा नहीं तो बीवी घर से बाहर कर देगी,’’ शुभांग ने नाटकीयता दिखाते हुए कहा और कपड़े पहनने लगा. सिंदूरा मुसकरा कर रह गई.

अगली शाम सिंदूरा को फोन कर केशुभांग ने बताया कि उस की खूबसूरती और बिस्तर पर उस की परफौर्मैंस देख कर वह सिंदूरा को हाईवे वाली जगह उसे देने को तैयार है. अब वह रेस्तरां का अपना बिजनैस उस जगह पर कर सकती है.

सिंदूरा जगह मिल जाने से खुश थी. वह गर्व भी कर रही थी कि आज फिर उस की सुंदरता ने उस के बिजनैस में उस की मदद करी है.सिंदूरा ने अब तक शादी नहीं करी थी क्योंकि उसे उस का मनचाहा पुरुष नहीं मिला था और आज शुभांग के रूप में उसे एक ऐसा व्यक्ति मिला है जिस से वह सच में प्रेम करने लगी है पर उस से विवाह नहीं कर सकती क्योंकि शुभांग पहले से ही विवाहित है.

तो क्या हुआ? प्रेम एक तरफ है तो प्रेम का विवाह में बदल जाना दूसरी तरफ, वह शुभांग को प्रेम करती है और ऐसे ही प्रेम करती भी रहेगी.आज सिंदूरा का जन्मदिन था. शुभांग ने उस के घर पर एक बड़ा सा पीले फूलों का बुके भेजा और फिर शाम तक तो तमाम गिफ्ट्स भेजने का क्रम यों ही चलता रहा.

सच कहा जाए तो सिंदूरा को यह लड़कपन वाला प्यार जताने का तरीका बहुत अच्छा लग रहा था.वे दोनों शाम को एक होटल में मिले और एकदूसरे के साथ समय गुजारा. शुभांग ने सिंदूरा को यह भी बताया कि वह आज से 3 दिन बाद  काम के सिलसिले में थाईलैंड के लिए रवाना हो रहा है जहां पर कुछ दिन बिताएगा और उस ने सिंदूरा को भी साथ चलने का औफर दिया.

‘‘पर मैं सारा बिजनैस कैसे छोड़ कर जाऊं?’’ सिंदूरा ने असमर्थता दिखाते हुए कहा.मगर शुभांग ने उस की एक न चलने दी और उसे थाईलैंड चलने के लिए मना ही लिया. सिंदूरा फूले नहीं समा रही थी. किसी ने कितने अधिकार से उस से अपने साथ चलने को कहा.

वह कहा टाल न सकी और थाईलैंड जाने की तैयारी करने लगी. लगभग 4 हजार किलोमीटर का सफर तय कर के वे दोनों थाईलैंड के बैंकौक शहर पहुंच गए, दिन में आराम करने के बाद दोनों एक रेस्तरां में खाने पहुंचे. बैंकाक का मुख्य भोजन ‘पैड थाई नूडल्स’ है जिस में चिकन तथा अन्य मांस की अधिकता रहती है. वैसे भी बैंकौक में सिंदूरा ने नौनवैज स्ट्रीट फूड बहुत देखा था.

तभी उस के दिमाग में आइडिया आया कि क्यों न बैंकाक में एक शाकाहारी रेस्तरां खोला जाए जो भारतीयों और शाकाहारी लोगों को बहुत आकर्षित करेगा.सिंदूरा थाई नूडल्स का मजा लेतेलेते इस आइडिया के बारे में और विचार करने लगी.

इस बीच शुभांग फोन पर अपनी पत्नी से बात कररहा था.ऐसा लगता था कि उस की पत्नी शुभांग के बारे में कुछ ज्यादा ही चिंतित हो रही थी. शुभांग ने उसे समझयाबुझाया और फिर वह भी नूडल्स खाने में व्यस्त हो गया.खाने के बाद दोनों शौपिंग करने के लिए ‘एशियाटिक द रिवरफ्रंट’ नाम के विशाल मौल में गए, यह काफी बड़ा मौल है जिस में पचासों बुटीक और रेस्तरां हैं. सिंदूरा ने इतनी चकाचौंध और विविधताओं से भरा हुआ मौल पहले कभी नहीं देखा था.

यहां दोनों ने अपनी फुट मसाज कराई और स्पा भी लिया तथा जम कर शौपिंग भी करी. रात हो चली थी. दोनों थक कर चूर हो गए थे. इसलिए अपने होटल के कमरे में चले आए. सिंदूरा ने कमरे में आ कर मौल से खरीदी हुई नाइटी पहनी जिस के अंदर उस का गोरा बदन और भी मादक लगने लगा.शुभांग और सिंदूरा कमरे में अकेले थे.

दोनों के दिल एकदूसरे को देख कर धड़क उठे और दोनों ने एकदूसरे को आगोश में भर लिया. शुभांग के हाथ सिंदूरा के चिकने बदन पर फिसल रहे थे. दोनों एकदूसरे में डूब जाना चाहते थे पर जैसे ही शुभांग ने सिंदूरा के शरीर में प्रवेश करना चाहा, वह कराह उठा.

उसे दर्द हो रहा था. वह दर्द किडनी वाली जगह पर था. शुभांग परेशान हो गया और दर्द के मारे सिंदूरा से अलग हो गया और बिस्तर पर करवट बदलते हुए बेहोश हो गया. सिंदूरा ने तुरंत रूम सर्विस को कौल कर के मैडिकल सुविधा प्रदान करने की गुहार लगाई.

होटल मैनेजमैंट ने तुरंत ऐक्शन लिया और होटल में ही मौजूद एक डाक्टर को बुलाया जिस ने तुरंत शुभांग को अस्पताल के लिए रैफर किया और वह खुद भी साथ में अस्पताल गया.डाक्टरों ने शुभांग के खून के ढेर सारेटैस्ट किए और उस के यूरिन को भी जांचा.

जब रिपोर्ट आने पर उन्होंने सिंदूरा को बताया कि रिपोर्ट गंभीर है और शुभांग की किडनिया जवाब दे चुकी हैं. सिंदूरा बिलख पड़ी. जीवन के इतने वर्ष के बाद उसे किसी मनचाहे पुरुष का साथ मिला था, भले ही वह एक विवाहित पुरुष था पर सिंदूरा ने उसे प्रेम किया था, सच्चा प्रेम और आज जब वह अपने प्रेमी के साथ समय बिताने विदेश आई तब शुभांग की किडनियां खराब हो गईं और वह मौत के मुंह में जा रहा है.

तो क्या शुभांग उस का साथ छोड़ जाएगा? डाक्टर को शुभांग की जान बचाने के लिए एक किडनी की तलाश थी पर इतनी जल्दी किडनी की व्यवस्था अस्पताल में नहीं थी और डोनर मिलने में पता नहीं कितना समय लगता.‘‘तो आप मेरी किडनी ले लीजिए.

मैं शुभांग को किडनी डोनेट करने के लिए तैयार हूं.’’ ‘‘देखिए, आप अच्छी तरह से सोच लीजिए. यदि आप अपने पति को किडनी देना ही चाहती हैं तो हम आप के शरीर की कुछ जांच करने के बाद ही बता पाएंगे कि आप की किडनी शुभांग के लायक है भी या नहीं,’’ डाक्टरों ने कहा. डाक्टरों के मुंह से शुभांग को उस के पति के रूप में बुलाया जाना सिंदूरा को बहुत अच्छा लगा था.सिंदूरा की भावनाएं प्रबल होती जा रही थीं. वह किसी भी हालत में शुभांग को नहीं खोना चाहती थी.

उस ने झट से अपने सारे टैस्ट करा लिए. सारी रिपोर्ट्स नौर्मल आईं. डाक्टर ने उसे यह भी बताया कि उस की किडनी शुभांग को सूट कर जाएगी और वे आराम से उस की किडनी ट्रांसप्लांट कर सकते हैं. एक सुकून की सांस ली थी सिंदूरा ने.

किडनी सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट हो गई थी और आज 1 हफ्ता हो गया था और किडनी शुभांग के शरीर में सही तरीके से काम भी कर रही थी. सिंदूरा और शुभांग दोनों एक ही कमरे में पास के बैड पर थे.

सिंदूरा की हालत में तेजी से सुधार आ रहा था जबकि शुभांग को अभी भी काफी देखरेख की आवश्यकता थी. तभी नर्स ने आ कर बताया कि भारत से कोई महिला शुभांग सिंह से मिलना चाहती है.भारत से आई महिला का नाम सुन कर दोनों चौंक गए थे. आखिर वह कौन हो सकता है? जब वह महिला सामने लाई गई तो और कोई नहीं बल्कि शुभांग की पतनी रूही थी.

अपनी पत्नी को थाईलैंड में देख कर शुभांग बुरी तरह चौंक गया.‘‘रूही तुम यहां कैसे?’’ पर रूही ने जवाब देने की बजाय सवालों की ?ाड़ी लगा दी, ‘‘तुम्हें क्या हो गया? अगर तुम्हें कुछ समस्या थी तो तुम ने अपनी पत्नी को बताने की भी जरूरत नहीं समझ… एक फोन तो कर सकते थे? शुभांग मैं तुम्हारी पत्नी हूं, कोई गैर नहीं.’’

उस की व्यग्रता और प्रेम समझते हुएशुभांग मुसकरा उठा और बदले में उस ने सिर्फ इतना ही कहा, ‘‘मेरी किडनी में भयंकर दर्द हुआ और मैं बेहोश हो गया. फिर क्या हुआ मुझे कुछ नहीं पता. उस के बाद जब मेरी आंख खुली तब मेरा औपरेशन हो चुका था और मुझे एक नई किडनी लगा दी गई थी,’’ शुभांग ने मुसकराते हुए उत्तर दिया. ‘‘पर तुम अचानक इतनी दूर यहां कैसे आईं?’’ रूही थोड़ा नौर्मल हुई तो उस ने बताया कि जब कई दिनों तक शुभांग का नंबर घंटीबजने के बाद भी नहीं उठा तब रूही ने शुभांग द्वारा चैकइन करने के समय भेजी गई होटलकी लोकेशन के अनुसार होटल के रिसैप्शनसे शुभांग सिंह का नाम पूछ कर जानकारीहासिल करी.

उन्होंने बताया कि इस नाम के मरीजकी हालत अचानक बिगड़ गई थी जिस के पश्चात उन्हें अस्पताल में भरती कराया गया है और वे किडनी की समस्या से जूझ रहे हैं. इतनी खबर पाते ही रूही वहां से थाईलैंड के लिए निकल पड़ी.‘‘पर अचानक तुम्हारे लिए किडनी की व्यवस्था कैसी हुई? आई मीन किस ने डोनेट की?’’ रूही ने पूछा.पहले तो शुभांग ने सबकुछ छिपाना चाहा पर शायद अब उस की गुंजाइश नहीं बची थी. अत: उस ने बताया कि वह और सिंदूरा एकसाथ काम करते हैं और वह सिंदूरा के ही साथ थाईलैंड आया था और दोनों एक ही होटल में रुके थे.

तभी यह हादसा हुआ. सिंदूरा ने मुझे अपनी किडनी डोनेट कर के मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया है.‘‘आगे मुझे कुछ जानने की जरूरत नहीं है. होटल के रिकौर्ड में सिंदूरा का नाम तुम ने अपनी पत्नी के नाम पर दर्ज कराया है,’’ रूही के स्वर में एक दर्द और कसैलापन था.

शुभांग कुछ न बोल सका. अब बारीसिंदूरा के बोलने की थी. बोली, ‘‘मैं क्या करती मैं इस उम्र में आ कर तुम्हारे पति से प्रेम करबैठी और जब मैं ने दिल दे ही दिया तो भला किडनी दे कर जान बचाने में क्यों चूंकती? हां, हम थोड़ी देर के लिए बहक जरूर गए थे, पर यकीन मानो मेरा शुभांग के प्रति प्रेम एकदम निस्वार्थ है.’’ रूही अजीब स्थिति में थी.

एक तरफ तो उसे सिंदूरा में अपनी सौतन नजर आ रही थी, एक ऐसी औरत जिस ने उस के पति के साथ बिस्तर पर रात बिताई है और दूसरी तरफ सिंदूरा में उस के पति की जान बचाने वाली औरत भी दिख रही थी जिस ने अपनी किडनी देने का निर्णय कर के उस के सुहाग की रक्षा करी है. बेचैनी रूही के मन में थी तो सिंदूरा के मन में भी और इस बेचैनी को खत्म करने का जिम्मा रूही ने ही उठाया.

बोली, ‘‘मैं तुम्हारी बहुत शुक्रगुजार हूं जो तुम ने मेरे पति की जान बचाई और मेरे लिए यह स्थिति भी बहुत विचित्र है कि तुम शुभांग से प्रेम करती हो, पर वे मेरा पति हैं.

मैं उन्हें तुम्हारे साथ किसी हालत में नहीं बांट सकती और मैं तुम्हारे और शुभांग के प्रेम को भी परवान चढ़ने नहीं देना चाहती, पर तुम ने मेरे पति की जान बचाई है इसलिए तुम उन के साथ एक हैल्दी रिलेशन रख सकती हो और वह रिलेशन है दोस्ती का. तुम मेरे पति की अच्छी दोस्त बन कर रह सकती हो.

उन से जब चाहे मिल सकती हो और मिलने घर भी आ सकती हो,’’ कह कर रूही ने सिंदूरा का हाथ अपने हाथों में ले लिया.सिंदूरा की आंखें नम हो चली थीं. रूही के चेहरे पर तनाव और मुसकराहट का मेलजोल दिख रहा था.शुभांग यह सब देख और सुन कर चकित हो रहा था.

उस के सामने 2 स्त्रियां थीं जिन में एक उस की पत्नी थी और दूसरी वह महिला थी जिस ने उस से प्रेम किया था.आज शुभांग अपनेआप को एक हाईवेपर खड़ा हुआ पा रहा था जहां चारों ओर कोई ट्रैफिक नहीं था, कोई शोर भी नहीं था बल्किप्रेम ही प्रेम था, रिश्तों का अजबगजब प्रेम,हाईवे का प्रेम.

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