स्कूल  व कालेजों की टैक्स्ट बुक्स में बदलाव की फिराक में भारतीय जनता पार्टी सरकार उस दिन ही जुट गई जिस दिन वह सत्ता में आई थी. यह मामला अब गहरा गया है क्योंकि योगेंद्र यादव व सुहास पलशिकर ने एनसीईआरटी को नोटिस दिया कि उन के नाम टैक्स्ट बुक डैवलपमैंट कमेटी से हटा दिए जाएं क्योंकि इन किताबों को इतना बदल डाला गया है कि उन की असली शक्ल रह ही नहीं गई है. इतना ही नहीं, इन 2 के बाद 33 और विशेषज्ञों ने कह दिया कि सलाहकार समिति से उन के नाम हटा दिए जाएं.

विश्व के कई देशों में वहां की सरकारों ने पाठ्यपुस्तकों को बदल कर झूठा इतिहास और झूठी संस्कृति फैलाई. वर्ष 1917 के बाद सोवियत संघ में लेनिन और स्टालिन ने यह काम रूस में जम कर किया और 1932 में सत्ता में आने के बाद एडोल्फ हिटलर ने जरमनी में किया.

इतिहास और संस्कृति की झूठी व्याख्या के जरिए आम जनता को बहकाने का काम राजा लोग हमेशा करते रहे हैं. वे अपने को बड़ा, और बड़ा, ईश्वर के निकट दिखाने की कोशिश करते रहे हैं और इजिप्ट में अबू सिंबल के मंदिरों से ले कर राज्य के पिरामिडों तक किया गया. इस में दूसरे डरें या नहीं, देश की अपनी प्रजा जरूर प्रभावित हो व डर जाती है.

इस प्रचार का शासक को सब से बड़ा लाभ यह होता है कि उस के लिए जनता पर टैक्स लगाना आसान हो जाता है और इस संस्कृति व इतिहास की रक्षा के नाम पर विरोध करने वालों को मारने के लिए सेना, पुलिस व देशभर में फैले सरकारी गुंडा तत्त्वों को एक बल मिल जाता है.भारतीय जनता पार्टी को ये सब लाभ मिल रहे हैं. सरकार दनादन टैक्स बढ़ा रही है. बारबार नोटबंदी कर के पैसा लूट रही है.

पंडितों की अच्छी कमाई होने लगी है और देशभर में भव्य मंदिर व पार्टी के विशाल कार्यालय बनने लगे हैं. धर्म, संस्कृति, इतिहास की झूठी कहानियों को सुना कर भक्तों की फौज को कभी कांवड़ यात्रा में धकेला जाता है, कभी कुंभ में लाया जाता है तो कभी तीर्थों के लिए पहाड़ों, जंगलों और मैदानों के मंदिरों में ले जाया जाता है जो हर रोज फैल रहे हैं और जिन में गुप्त कमरों में धर्म है, औरतें हैं और हथियार भी. आम जनता इस ढोल को बजाने से सुखी हो रही है, इस की कोई गारंटी नहीं है.

पिछले साल ही कम से कम 6,500 अरबपति लोगों ने भारत छोड़ कर दूसरे देशों की नागरिकता ले ली. अमेरिका में ऊंचे पदों पर नौकरियों के लिए भारतीय युवा सब से आगे हैं. छोटेछोटे देशों ने इंग्लिश मीडियम के मैडिकल व इंजीनियरिंग कालेज खोल लिए हैं जहां अपनी संस्कृति व इतिहास का झूठा ढोल पीटने वाले हर रोज प्लेन में बैठ कर जा रहे हैं.

यह बदलाव अगर काम का होता तो भारत से बाहर बसे 3 करोड़ से ज्यादा मूल भारतीय भारत लौटते. इस महान इतिहास के बावजूद, भाजपाभक्ति के बावजूद भारतीय भाग रहे हैं तो इसलिए क्योंकि इस झूठ की सचाई सामने जो है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...