अपनी सहेलियों आंचल, कावेरी और वंदना के साथ सोनल कालेज के लौन में आ कर बैठी ही थी कि आंचल ने अपने बैग से एक किताब निकाली और सब को दिखाते हुए बोली, ‘‘यह जानेमाने पामिस्ट कीरो की किताब है. इसे मैं ने कुछ दिनों पहले खरीदा था. इस किताब को पढ़ कर मैं भी कीरो से कम नहीं हूं. आप में से कोई अपना हाथ दिखा कर अपना भविष्य जानना चाहता है, तो आज यह सेवा बिलकुल फ्री है.’’

सोनल की सहेलियों ने फौरन अपने हाथ आंचल के सामने बढ़ा दिए.

कावेरी और वंदना की हथेली देखने के बाद आंचल, सोनल की हथेली देख कर बोली, ‘‘तेरी लव मैरिज होगी.’’

लव मैरिज के नाम पर सोनल का अजीब सा मुंह बन गया. वह बोली, ‘‘आंचल, तेरी यह भविष्यवाणी बिलकुल झूठी निकलेगी. तू तो हमारे घर के हालात जानती ही है. मेरे मम्मीपापा मुझे कालेज भेज रहे हैं, तो यह उन की ओर से मेरे लिए बहुत बड़ी आजादी है. देख लेना, जैसे ही मेरी पढ़ाई पूरी होगी वे मेरी शादी कर देंगे.’’

‘‘लेकिन मुझे लगता है कि मेरी यह भविष्यवाणी झूठी नहीं निकलेगी. अपनी

शादी के बाद तू बहुत लंबेलंबे सफर करेगी और ये सफर मामूली न हो कर विदेश से संबंधित होंगे.’’

‘‘वाह, यह की न तू ने दिल को खुश करने वाली बात,’’ सोनल खुशी से झूमते हुए बोली. फिर एकाएक उस का चेहरा बुझ गया. वह मायूस हो कर बोली, ‘‘आंचल, तेरी यह भविष्यवाणी भी झूठी निकलेगी. मैं ने तो अभी अपने दिल्ली शहर को ही पूरी तरह से नहीं देखा है, जबकि तू मेरे विदेशों में घूमने की बात कर रही है.’’

‘‘तू दिल छोटा मत कर. तू बस यह जान ले कि तेरे विदेश घूमने को कोई रोक नहीं सकता.’’

इतने में अगले पीरियड की घंटी बज गई और वह चौकड़ी अपनी क्लास की तरफ बढ़ गई.

फाइनल परीक्षा के बाद वे सब बिछड़ गईं.सोनल ने पढ़ाई छोड़ कर घर की जिम्मेदारी संभाल ली, क्योंकि उस के मातापिता उसे आगे पढ़ाने के हक में नहीं थे. आंचल और वंदना ने आगे पढ़ने के लिए यूनिवर्सिटी जौइन कर ली, जबकि कावेरी की शादी हो गई.

वक्त गुजरता गया, सोनल आंचल की वे बातें, जो उस ने हाथ देख कर बताई थीं, खासतौर पर सफर करने वाली बात न भूली थी. दरअसल, वह ख्वाबोंखयालों की दुनिया में खोई रहने वाली लड़की थी. वह हरदम सपनों के सुनहरे तानेबाने बुनती रहती और हर पल किसी ऐसे शहजादे का इंतजार करती, जो खूब ऊंची पोस्ट पर हो और वह उस के संग हवाओं में उड़े और खूब घूमे.

एक दिन शाम को सोनल अपनी किसी सहेली से मिल कर आई तो उस की छोटी बहन पूजा ने उसे बताया, ‘‘अब आप दुलहन बनने की तैयारी शुरू कर दीजिए. पड़ोस की चाची आप के लिए बहुत अच्छा रिश्ता लाई हैं, जो मम्मीपापा को भी पसंद आ गया है.’’

यह सुनते ही सोनल उमंगों से भर उठी. लेकिन अगले ही पल जब पूजा ने बताया कि उस का होने वाला पति एक सरकारी महकमे में क्लर्क है, तो उस के अरमानों पर जैसे पानी फिर गया हो.

उसे यह रिश्ता बिलकुल पसंद नहीं आ रहा था, मगर उस के लाख रोनेपीटने पर भी उस की एक न सुनी गई. उस के मम्मीपापा इतने बेवकूफ नहीं थे कि इतने अच्छे रिश्ते को हाथ से जाने देते. फिर उस की दूसरी बहन भी शादी लायक हो रही थी. उन्हें उस की भी फिक्र थी.

सोनल विवाह के बाद अपनी ससुराल आ गई. शुरूशुरू में उसे लगा कि उस की तमाम ख्वाहिशों का गला घोट दिया गया है पर विनय उस की उम्मीदों के खिलाफ उसे बहुत प्यार करने वाला पति साबित हुआ. बिलकुल ख्वाबों के शहजादे की तरह. फर्क सिर्फ इतना था कि वह उस के साथ सैरसपाटे पर नहीं जा सकता था, क्योंकि हालात उसे इजाजत नहीं देते थे. इधर सोनल ने भी वक्त के साथ समझौता कर लिया.

एक दिन सोनल पड़ोस में रहने वाली मिसेज मेहरा से मिलने गई तो वे उसे बहुत खुश दिखाई दीं.

‘‘मिसेज मेहरा, आज आप बड़ी खुश दिखाई दे रही हैं?’’

‘‘बात ही कुछ ऐसी है सोनल,’’ मिसेज मेहरा खुशी से झूमते हुए बोलीं, ‘‘असल में मेहरा साहब औफिस के काम से पैरिस जा रहे हैं, मैं भी उन के साथ जाऊंगी. कितना मजा आएगा पैरिस घूमने में.’’

‘‘बहुतबहुत मुबारक हो,’’ सोनल ने मिसेज मेहरा को बुझे मन से बधाई दी और उन के लाख रोकने के बाद भी अपने घर आ गई.

शाम को विनय औफिस से घर लौटा, तो वह चुपचुप सी थी.

‘‘क्या बात है सोनल, बड़ी खामोश हो? आज तुम ने मुसकरा कर वैलकम डियर भी नहीं कहा.’’

विनय का इतना ही कहना था कि जो लावा सोनल के दिल में कई दिनों से उबल रहा था, वह एकदम फट पड़ा.

वह बोली, ‘‘आप कोई अच्छी जौब नहीं देख सकते क्या, जिस में घूमनेफिरने के चांस हों?’’

‘‘अरे, इतनी सी बात पर तुम खफा हो गईं,’’ विनय मुसकरा कर बोला, ‘‘असल में मैं कई दिनों से बिजी रहा, इसलिए तुम्हें कहीं घुमाने नहीं ले जा सका. नो प्रौब्लम. तुम तैयार हो जाओ. हम अभी तुम्हारे पसंदीदा हीरो शाहरुख खान की फिल्म देखने चलते हैं.’’

‘‘मुझे फिल्मविल्म देखने नहीं जाना,’’ वह गुस्से से बोली.

‘‘फिर?’’

‘‘विनय, क्या ऐसा नहीं हो सकता कि हम किसी सफर पर चलें. एक लंबा सा सफर… फौरेन का न सही, अपने देश का ही सही. पता है, मिसेज मेहरा अपने पति के साथ पैरिस जा रही हैं.’’

‘‘तुम भी क्या बात करती हो. अपने हालात तो तुम अच्छी तरह से जानती हो. मैं मिस्टर मेहरा की तरह ऊंची पोस्ट पर नहीं हूं. हमारे हालात ऐसे खर्चों की इजाजत नहीं देते.’’

‘‘मैं फौरेन टूर पर जाने के लिए नहीं

कह रही.’’

‘‘ऐसी बात है तो मैं कोशिश करूंगा कि कुछ रकम का इंतजाम हो जाए. फिर मैं तुम्हें पूरी दिल्ली घुमा दूंगा. उस के बाद मैं तुम्हें तुम्हारे मायके छोड़ दूंगा, वहां तुम कुछ दिन रह लेना. तुम्हारा दिल भी बहल जाएगा.’’

‘‘नहीं, मुझे दिल्ली नहीं घूमना और न ही मुझे अपने घर जाना.’’

‘‘फिर?’’

‘‘क्या ऐसा नहीं हो सकता कि हम कुछ दिनों के लिए शिमला और कुफरी घूम आएं?’’

‘‘होने को क्या नहीं हो सकता, लेकिन इस के लिए मुझे अलग से मेहनत कर के कुछ पैसों का इंतजाम करना पड़ेगा. अब तुम ने जब घूमने का फैसला कर ही लिया है, तो मैं तुम्हें रोकने वाला कौन होता हूं. तुम कुछ दिन इंतजार करो. 1-2 महीने मैं पार्टटाइम काम कर के पैसों का इंतजाम कर लूंगा. अब तो खुश हो जाओ,’’ कहते हुए विनय ने उस के केश बिखेर दिए.

‘‘सच, तुम कितने अच्छे हो,’’ सोनल उस के कंधे पर सिर टिका कर ख्वाबों की दुनिया में पहुंच गई.

फिर विनय बहुत व्यस्त हो गया. वह सुबह का गया देर रात को घर आता और खाना खा कर बेसुध हो कर सो जाता. सोनल भी घर के खर्चों में कमी की कोशिश करती रहती. कुछ दिनों बाद उन के आंगन में एक फूल खिला और जोड़जोड़ कर जमा की हुई सारी रकम डिलीवरी के खर्चे में खत्म हो गई और सोनल की ख्वाहिश पूरी न हो सकी.

जब कभी उन के पास इतने पैसे हो भी जाते कि वे कहीं घूमफिर आएं और अपनी इस ख्वाहिश को पूरा कर सकें, तो कोई न कोई ऐसा मसला आ खड़ा होता, जिस में जोड़ी रकम खर्च हो जाती और वे कहीं घूमने न जा पाते.

उस दिन वह अपने बेटे अरमान के साथ पास के शौपिंग मौल में गई तो उस का सामना आंचल से हो गया. उसे देखते ही कई पुरानी यादें ताजा हो गईं.

वह आंचल को अपने साथ अपने घर ले आई. बातोंबातों में उस ने उस से पूछा, ‘‘आंचल, याद है कालेज में तू ने एक बार मेरा हाथ देख कर बताया था कि शादी के बाद मैं कई सफर करूंगी. मेरी शादी को 2 साल हो गए, लेकिन मैं आज तक कहीं घूमने नहीं गई. तेरी यह भविष्यवाणी तो गलत निकली.’’

‘‘मेरी भविष्यवाणी को झूठ निकलना ही था,’’ आंचल मुसकरा कर बोली.

‘‘मतलब?’’

‘‘मतलब यही मेरी बिल्लो रानी कि उस दिन मैं ने तुम लोगों से सरासर झूठ बोला था. यह बात सच है कि मैं उन दिनों हाथों की लकीरें देख कर भविष्य बताने वाली किताब जरूर पढ़ रही थी, लेकिन वह सरासर बकवासबाजी थी. भला ऐसा भी कहीं होता है कि आदमी मेहनतमशक्कत न करे और तकदीर उसे बैठेबिठाए सब कुछ दे दे.’’

सोनल को ऐसा महसूस हुआ जैसा आंचल ने यह बात कह कर उस के माथे पर वजनी हथौड़ा दे मारा हो. कई पलों तक तो वह आंचल को फटीफटी निगाहों से देखती रही.

‘‘तो उस दिन तू ने जो कुछ कहा था वह सब अपने मन से कहा था?’’

‘‘और नहीं तो क्या. उस दिन मुझे बेवकूफ बनाने के लिए कोई नहीं मिला था, इसलिए मैं ने तुम लोगों से तुम्हारे हाथ देखने के बहाने सब कुछ झूठ बोला था.’’

बरसों से सफर के बारे में देखे गए उस के सपने ताश के महल की तरह ढह गए. उसे एकएक कर के वे तमाम बातें याद आने लगीं, जो उस ने सफर के लिए सोची थीं. विनय का पार्टटाइम जौब करना. उस का घरेलू खर्चों में कंजूसी की हद तक तंगी करना और दिनरात सफर के सपने देखना.

‘‘आंचल, तू सच में बहुत बुरी है,’’ वह शिकायत भरे स्वर में बोली, ‘‘तू नहीं जानती, तेरे इस झूठ ने मुझे कितनी तकलीफ पहुंचाई है. काश, तू ने मुझ से ऐसा झूठ न बोला होता.’’

‘‘अरे यार, तू मेरे इस झूठ को इतनी संजीदगी से लेगी, मुझे पता न था. वरना मैं ऐसा मजाक तेरे साथ कभी न करती. वैसे एक बात बता दूं कि आदमी को हाथों की लकीरों पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए. यह भी हो सकता है कि तेरे लिए अचानक सफर का चांस निकल आए. अभी तू ने अपने जीवन के ज्यादा वसंत थोड़े ही देखे हैं. मेरी बात मान, जब कुदरत को तुझे घुमाना मंजूर होगा, वह अपनेआप तेरे सामने कोई न कोई रास्ता निकाल देगी. तू आज से ही सफर की ख्वाहिश अपने दिल से निकाल फेंक और अच्छी पत्नी की तरह अपने पति की खिदमत और बेटे की अच्छी परवरिश में जुट जा. क्या पता, कल को तेरा बेटा ही तुझे दुनिया भर की सैर करा दे.’’

सोनल को ऐसा महसूस हुआ जैसे उस के हृदय से बोझ हट गया हो. आंचल के जाने के बाद उसे अपनी गलती का एहसास होने लगा.

‘मैं भी कितनी पागल थी,’ वह सोचने लगी, ‘कभी न पूरी होने वाली ख्वाहिश के पीछे दौड़ती रही. खुशफहमियों के जाल में जकड़ी रही. लेकिन शुक्र है कि अब मैं उस से निकल आई हूं. विनय ने मेरी फुजूल सी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए खुद पर कितना बोझ बढ़ा लिया है.’

शाम को जैसे ही विनय के घर आने का समय हुआ, उस ने कपड़े बदले, केशों की ढीली सी चोटी बनाई, आंखों में काजल लगाया और हलकी सी लिपस्टिक लगा कर आंगन में आ गई. वहां से फूल तोड़ कर केशों में लगा लिया और गुनगुनाती हुई विनय के आने का इंतजार करने लगी.

थोड़ी देर बाद विनय घर आया तो सोनल पर निगाह पड़ते ही वह चहके बिना नहीं रह सका, ‘‘क्या बात है, आज कहां बिजली गिराने का इरादा है?’’

‘‘कहीं नहीं,’’ सोनल मुसकरा कर बोली.

‘‘इस का मतलब यह शृंगार हमारे लिए किया है?’’

‘‘नहीं तो क्या अरमान के लिए किया है,’’ वह शोखी से बोली.

‘‘हो सकता है. वह भी तुम्हें देख कर खुश हो जाए कि आज तो उस की मम्मी बहुत खूबसूरत लग रही हैं. अरे हां, वह शैतान कहां है?’’

‘‘सो रहा है. आप कपड़े बदल लीजिए. मैं आप के लिए चाय बना कर लाती हूं,’’ कहने के साथ ही सोनल किचन की तरफ बढ़ गई.

हाथमुंह धोने के बाद विनय कमरे में आया तो उस ने देखा कि सोनल शाम की चाय के साथ गरमगरम पकौड़े और चटनी सजाए बैठी है.

‘‘क्या बात है,’’ वह खुशदिली से बोला, ‘‘भई, बीवी हो तो तुम जैसी. आज तो पार्टटाइम काम करने में मजा आ जाएगा.’’

‘‘आज से आप का पार्टटाइम काम पर जाना बंद,’’ सोनल ने हिदायत देने वाले अंदाज में कहा.

‘‘क्यों?’’ विनय चौंके बिना नहीं रह सका. वह हैरत भरे स्वर में बोला, ‘‘आज यह इंकलाब कैसा? तुम्हारी तबीयत तो ठीक है?’’

‘‘मेरी तबीयत बिलकुल ठीक है.’’

‘‘फिर पार्टटाइम काम पर जाने पर यह रोक क्यों?’’

‘‘क्योंकि आज मेरी आंखें खुल गई हैं.’’

‘‘आज तुम्हें क्या हो गया है, क्या बोल रही हो तुम?’’

सोनल ने विनय को पूरी बात बताई.

‘‘ओह, तो यह बात है,’’ विनय अपने सिर को हौले से जुंबिश देते हुए बोला, ‘‘वैसे कितनी अजीब बात है. जब तुम सफर के लिए मचलती थीं, तब हमारे सामने कोई रास्ता नहीं था और जब तुम ने अपनी ख्वाहिश खत्म कर दी, तब एक रास्ता खुदबखुद हमारे सामने आ गया है.’’

‘‘क्या मतलब?’’ सोनल हैरानी से बोली.

‘‘हां सोनल, तुम्हारे लिए एक खुशखबरी है. यह खुशखबरी मैं घर आते ही तुम्हें बता देता. लेकिन आज तुम्हारी खूबसूरती में मैं ऐसा उलझा कि खुशखबरी तुम्हें सुनाना भूल गया. असल में तुम्हारे सफर के प्रति बेपनाह शौक को देखते हुए मैं ने एअरइंडिया में नौकरी के लिए आवेदन किया था. वहां मेरी जौब लग

गई है. अब हमें हर साल देशविदेश घूमने के मौके मिलेंगे.’’

‘‘सच,’’ सोनल खुशी से उछल पड़ी.

‘‘हां डियर, मैं सच कह रहा हूं.’’

मारे खुशी के सोनल विनय से लिपट गई. वर्षों बाद उस की ख्वाहिश जो पूरी होने जा रही थी.

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