मां बनना किसी भी महिला के लिए सबसे सुखद अनुभव होता है. हालांकि इस दौरान महिलाएं कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव से गुजरती हैं. वहीं अगर आप दूसरी बार मां बनने जा रही हैं तो भी आप पहली प्रेग्नेंसी और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर महसूस करेंगी. पहली प्रेग्नेंसी की तुलना में दूसरी प्रेग्नेंसी में आपका वजन ज्यादा जल्दी बढ़ता है. साथ ही आपका पेट भी जल्दी बड़ा नजर आने लगता है. आमतौर पर गर्भवती महिलाएं इस अंतर को समझ नहीं पातीं और टेंशन में आ जाती हैं. हालांकि दोनों प्रेग्नेंसी में नजर आने वाला यह अंतर बहुत ही सामान्य है. कुल 19,362 महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन में यह साफ हुआ है कि आपकी पहली प्रेग्नेंसी, दूसरी प्रेग्नेंसी से किस प्रकार अलग है और क्या है इसके पीछे का कारण.

इसलिए बढ़ जाता है दूसरी प्रेग्नेंसी में वजन

शोध के अनुसार अधिकांश महिलाएं पहली गर्भावस्था की तुलना में दूसरी गर्भावस्था के दौरान शरीर में अधिक भारीपन महसूस करती हैं. दूसरी प्रेगनेंसी में अक्सर मां का वजन तेजी से बढ़ता है. वहीं बच्चे के उभार को भी मां समय से पहले नोटिस कर पाती हैं. शोध के अनुसार ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि पहले गर्भधारण की तुलना में दूसरे गर्भधारण के दौरान माताओं का वजन पहले से ही बढ़ा हुआ होता है. पहली प्रेगनेंसी के बाद महिलाओं का प्रसवोत्तर वजन पूरी तरह से ठीक नहीं होता. यानी आप प्रेगनेंसी से पहले वाले वजन को प्राप्त नहीं कर पातीं. वहीं दूसरी प्रेग्नेंसी में फिर से आपका वजन बढ़ता है, इसलिए ये और ज्यादा बढ़ा हुआ लगता है. कई बार माताएं पहले बच्चे के जन्म के बाद थोड़े अंतराल में ही दूसरी बार गर्भधारण कर लेती हैं. ऐसे में शरीर को पहली गर्भावस्था के दौरान बढ़े अतिरिक्त वजन को कम करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता.

इसलिए भी नजर आते हैं बदलाव

गर्भावस्था में वजन के साथ ही हार्मोन और मेटाबॉलिज्म भी प्रभावित होता है. दूसरी गर्भावस्था के समय, गर्भवती माताओं के शरीर में पहले से ही कई बदलाव हो चुके होते हैं, जिसके कारण वजन ज्यादा तेजी से बढ़ता है. इतना ही नहीं इसके कारण वजन कंट्रोल भी नहीं हो पाता.

पेट जल्दी बाहर निकलने का कारण हैं ये

शोध बताते हैं कि आपकी पहली गर्भावस्था के बाद आपका गर्भाशय कभी भी अपने पिछले आकार में सिकुड़ता नहीं है. ऐसे में भ्रूण के कारण आपका पेट पहली बार की तुलना में दूसरी बार तेजी से बढ़ने लगता है. जिसके कारण इसका आकार बड़ा नजर आता है. या ये जल्दी दिखने लगता है. इसी के साथ प्रेगनेंसी में गर्भवतियों के पेट की मांसपेशियां खिंचती हैं, जिससे वे कमजोर हो जाती हैं. परिणामस्वरूप, आपका पेट दूसरी बार भ्रूण को अच्छी तरह से सहारा देने में सक्षम नहीं होता है, जिसके कारण आपका भ्रूण पेट के निचले हिस्से में चला जाता है. इससे कई बार गर्भवती माताओं को सांस लेने में तकलीफ और खाना कम खाने की परेशानी हो सकती है. भ्रूण के नीचे आ जाने के कारण गर्भवतियों के पेल्विक क्षेत्र और मूत्राशय पर अधिक दबाव पड़ने लगता है, जिससे यूरिन ज्यादा आने की समस्या हो सकती है. कई बार यह पीठ दर्द का कारण भी बन जाता है.

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