इशिता को अकसर योनि इंफेक्शन रहता था. एक दिन उसने अपने डॉक्टर से कहा,”मुझे हर समय योनि में खुजली और जलन रहती है. कभी-कभी तो वहां छोटे-छोटे बारीक से दाने भी महसूस होते हैं और मैं इस वजह से परेशान रहती हूं! ये किस वजह से है. ”

इशिता जैसी समस्या बहुत सी महिलाओं को महसूस होती है लेकिन झिझक या शर्म के कारण वो किसी से पूछना या सलाह लेना ठीक नहीं समझतीं. आंकड़े बताते हैं कि लाखों महिलाएं हर साल सर्वाइकल कैंसर की शिकार बनती हैं, और आज हालात यह हैं कि यह रोग दुनियाभर में एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन चुका है जो सर्वाइकल कैंसर के रूप में उभर रहा है.

सर्वाइकल कैंसर का कारण यौन संसर्ग से फैलने वाला इंफेक्शन -ह्यूमैन पैपिलोवायरस (एचपीवी) होता है. हाल के वर्षों में एचपीवी वैक्सीनेशन के उपलब्ध होने के बाद से सर्वाइकल कैंसर से बचाव में काफी मदद मिली है और इस घातक रोग से लड़ने में यह हथियार काफी कारगर साबित हुआ है.

एचपीवी का सर्वाइकल कैंसर से क्या है संबंध

डॉ निवेदिता कौल, लीड कंसल्टैंट, ऑब्सटैट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजी विभाग, सी के बिड़ला हॉस्पीटल, के मुताबिक एचपीवी कुछ रोगाणुओं (वायरस) का समूह है जो महिलाओं तथा पुरुषों के जननांगों/यौनांगों तथा मुख में इंफेक्शन का कारण होता है. सर्वाइकल कैंसर के ज्यादातर मामले हाइ-रिस्क एचपीवी स्ट्रेन्स की वजह से होते हैं, जिनमें टाइप 16 एवं 18 प्रमुख हैं. आमतौर पर एचपीवी इंफेक्शन का कोई लक्षण सामने दिखायी नहीं देता, यही वजह है कि इनके प्रति लापरवाही बरती जाती है. लेकिन लगातार इंफेक्शन के चलते कई बार सर्वाइक्स में कोशिकाओं की अनियंत्रित बढ़त शुरू हो जाती है जो सर्वाइकल कैंसर का कारण हो सकती है.

 एचपीवी वैक्सीन – रोकथाम का कारगर उपाय

एचपीवी वैक्सीन ने सर्वाइकल कैंसर से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. Cervarix और Gardasil 9 जैसी वैक्सीनें सर्वाधिक जोखिमकारी एचपीवी स्ट्रेन्स को लक्षित कर इंफेक्शन से सुरक्षा दिलाने में कारगर पायी गई हैं. इन वैक्सीनों की कई खुराक लेनी होती हैं, ये 11 से 12 वर्ष की उम्र के बीच दी जाने पर सबसे अधिक कारगर पायी गई हैं, यानि आमतौर पर यौन सक्रियता शुरू होने से पहले. लेकिन इस उम्र में वैक्सीन से चूकने वालों के लिए भी एक कैच-अप वैक्सीन आ चुकी है.

 हर्ड इम्युनिटी और कम्युनिटी प्रोटेक्शन

जब कम्युनिटी में बड़े पैमाने पर एचपीवी वैक्सीनेशन हो जाता है जो हर्ड इम्युनिटी अपने आप आती है और यह काफी फायदेमंद होता है. आबादी के एक बड़े हिस्से को इम्युनिटी मिलने के बाद वायरस का ट्रांसमिशन रुक जाता है, और इससे उन लोगों को भी सुरक्षा मिल जाती है जो इम्युनाइज़ नहीं हुए होते. एचपीवी के प्रसार को रोकने तथा सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए इस तरह की सामूहिक सुरक्षा प्रणाली काफी जरूरी है.

लंबे समय तक रहता है असर

एचपीवी वैक्सीनेशन के प्रभाव और इससे मिलने वाली सुरक्षा को कई अध्ययनों तथा क्लीनिकल शोध के माध्यम से स्थापित किया जा चुका है. इस वैक्सीनेशन से सर्वाइकल प्रीकैंसरस घावों को रोकने, एचपीवी इंफेक्शन का जोखिम कम करने तथा सर्वाइकल कैंसर का प्रसार घटाने में मदद मिलती है. इसके अलावा, शोध से यह भी पता चला है कि जिन देशों में बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन हो चुका है वहां एचपीवी जनित रोगों के प्रसार में काफी कमी आयी है, जो कि इसके दीर्घकालिक असर को दर्शाता है.

 चुनौतियों से निपटना और एक्सेसेबिलिटी को बढ़ावा

बेशक, एचपीवी वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में एक कारगर उपाय साबित हो चुकी है, लेकिन सभी के लिए इम्युनाइजेशन कवरेज का रास्ता सरल नहीं है. वैक्सीन लेने को लेकर संकोच या डर, इस बारे में जानकारी का अभाव और साथ ही, हैल्थकेयर सेवाओं तक सीमित एक्सेस की वजह से एचपीवी वैक्सीनेशन को व्यापक रूप से अपनाने की अपनी दिक्कतें हैं. इन चुनौतियों से निपटने के लिए हैल्थकेयर प्रोफेशनल्स, नीति-निर्माताओं और कम्युनिटी को मिल-जुलकर प्रयास करने की जरूरत है ताकि आबादी के हर वर्ग तक वैक्सीन की पहुंच का लाभ पहुंच सके.

सर्वाइकल कैंसर से बचाव में एचपीवी वैक्सीन की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता. यह काफी सुरक्षा देती है और केवल व्यक्तिगित स्तर पर ही नहीं बल्कि पूरे समुदाय के स्तर पर इससे सुरक्षा मिलती है. लगातार प्रयास जारी रखकर ग्लोबल हैल्थकेयर कम्युनिटी एक ऐसे भविष्य का सपना देख सकती है जिसमें सर्वाइकल कैंसर महिलाओं की सेहत के लिए खतरे के रूप में मौजूद नहीं हो.

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