Relationship Tips : रीमा और आदित्य, कभी एक-दूजे की आंखों में सुबह ढूंढ़ते थे, अब काम के मेलबौक्स में खो गए थे. मीटिंग्स, डेडलाइन और मोबाइल स्क्रीन ने रिश्ते में सन्नाटा भर दिया था. एक दिन आदित्य ने रीमा को बिना वजह कौफी पर बुलाया. दोनों अचकचाए, मुस्कुराए, और बातों में पुराने किस्से लौट आए. रीमा बोली, “हम थक गए थे… साथ चलना भूल गए थे.”
आदित्य ने उसका हाथ थामते हुए कहा, “तो क्या हुआ? फिर से चलना शुरू कर लेते हैं.”
कभी-कभी दूरी नहीं, एक कौफी और इरादा ही कौफी होता है… एक नई शुरुआत के लिए.
आजकल की ज़िंदगी में काम और करियर की रेस इतनी तेज हो गई है कि हम अक्सर वो लोग पीछे छोड़ देते हैं जिनके साथ ये सफर शुरू किया था. सुबह की नींद औफिस कौल्स से टूटती है और रातें लैपटौप की नीली रोशनी में बीत जाती हैं. ऐसे में ना जाने कब रिश्तों के बीच एक खामोशी आकर बैठ जाती है — जो बोलती कुछ नहीं, पर बहुत कुछ कह जाती है.
कभी जिनसे घंटों बात करते थे, अब उनसे हफ्तों तक सिर्फ “ठीक हूं” या “बिज़ी हूं” में बातचीत सिमट जाती है. क्या ये सच में बिज़ीनेस है या हम खुद ही अपने रिश्तों से दूरी बना बैठे हैं? लेकिन अच्छी बात ये है कि रिश्ते टूटते नहीं, बस थम जाते हैं. और हर थमे रिश्ते को फिर से चलाने के लिए बस एक छोटी-सी कोशिश काफी होती है.
- रिश्तों में भी रिचार्ज ज़रूरी है
जैसे मोबाइल बिना चार्ज के काम नहीं करता, वैसे ही रिश्ते भी बिना समय और संवाद के फीके पड़ जाते हैं. रोज नहीं तो हफ्ते में एक बार, बस 10 मिनट भी साथ बैठकर मुस्कुरा लेना रिश्तों की बैटरी को दोबारा जिंदा कर सकता है.
2. टेक्नोलौजी से नहीं, अपनी मौजूदगी से जुड़िए
वीडियो कॉल्स, वॉट्सऐप और ईमेल से भरे इस दौर में “असली” मौजूदगी की अहमियत और भी बढ़ गई है. एक कॉल के बजाय कभी-कभी एक चाय साथ पीना, या ऑफिस से लौटते हुए फूल ले आना — ये छोटे कदम दिलों को फिर से पास ला सकते हैं.
3. अपने रिश्ते को भी ‘डेडलाइन’ दीजिए
काम की डेडलाइन पर हम जान लगाते हैं, पर क्या अपने रिश्तों के लिए कभी टाइम फिक्स किया है? हफ्ते में एक दिन, एक तय समय जब सिर्फ आप और आपका रिश्ता — ना कोई फोन, ना लैपटॉप — सिर्फ साथ.
4. शिकायतें कम, यादें ज़्यादा बांटिए
हर रिश्ता कभी न कभी थकता है. ऐसे समय में एक-दूसरे को सुनना, बीती अच्छी बातों को याद करना और बिना जज किए सामने वाले की बात समझना बेहद जरूरी होता है. रिश्ते तब नहीं बिगड़ते जब लड़ाई हो, बल्कि तब जब बात ही बंद हो जाए.
5. नई शुरुआत के लिए बड़े प्लान की ज़रूरत नहीं
कभी-कभी एक कप कॉफी, एक वॉक, या बस “चलो बात करते हैं” कह देना भी नई शुरुआत बन सकता है. प्यार दिखाने के लिए बड़े जेस्चर नहीं, बस सच्चा इरादा चाहिए.