Social Story: असमय विधवा हुई शिल्पा अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू करना चाहती थी. मगर समाज के बनाए दकियानूसी परंपराओं के आगे बेबस थी वह. एक दिन उस ने एक निर्णय लिया और फिर... जब से पति को खोया है तब से उस के साथ अनेक ‘विश्लेषण’ जुड़ गए हैं. विशेष गुण नहीं बल्कि सदियों से उस जैसी अनेक स्त्रियों के खाते में ये संबोधन उत्तरोत्तर जमा होते जाते हैं और उन के मानसम्मान, अस्तित्व को नीचे गिराते जाते हैं. अब आज सुबह की बात ही देख लो. वह नहाधो कर जैसे ही कहीं बाहर जाने को निकली कि उस की अधेड़ उम्र की मकानमालकिन सामने आ गईं. उसे देखते ही उन के श्रीमुख से गालियों की ऐसी बौछार निकली कि सुन कर सामने वाला दहल जाए पर वह यानी शिल्पा चुपचाप ऊपर आ कर अपने कमरे में बंद हो गई.

ऐसा नहीं है कि शिल्पा को इन बातों, इस तरह के तानों या गालियों अथवा लोगों की हिकारत भरी निगाहों से फर्क नहीं पड़ता. पड़ता है और बहुत ज्यादा फर्क पड़ता है. अकेले में वह बहुत रोई है इस तरह की बातों को सुन कर. इन 2 सालों मे भी वह इन बातों की अभ्यस्त नहीं हो पाई है और शायद आगे भी नहीं हो पाएगी और क्यों हो?

शिल्पा का कुसूर क्या है? पति की मौत क्या उस की वजह से हुई है? किसी की मौत का कोई कारण नहीं बनता. आज उस ने सोच लिया वह यह घर छोड़ देगी और अलग जगह जा कर सुकूनभरी जिंदगी जीएगी.

शिल्पा के पति सुरेश एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे. शांतिपूर्ण जिंदगी चल रही थी कि अचानक हार्ट अटैक से उन की मृत्यु हो गई.

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