Anorexia: अगर आपके घर में भी कोई ऐसा है जिसे लगातार पतला होने का जूनून सवार हो गया है और लाख समझने पर भी वह नहीं समझ रहा, तो भी उसे उसके हाल पर ना छोड़े क्यूंकि हो सकता है वह जिद्दी ना हो बल्कि एनोरेक्सिया नामक बीमारी से पीड़ित हो इसलिए ऐसे समय में उसे आपकी मदद की जरूरत है. इसलिए उसका इलाज कराएं और पेशेंस बनाएं रखें और उसके साथ खड़े रहें.
क्या है एनोरेक्सिया?
एनोरेक्सिया अपने वजन को लेकर ओवर कॉन्शस होने को कहते हैं. इसके चलते व्यक्ति अपनी बॉडी इमेज को लेकर बहुत ज्यादा लेकर परेशान रहते हैं. यह एक गंभीर मनोवैज्ञानिक स्थिति है. एनोरेक्सिया से पीड़ित लोग खुद को भूखा रखते हैं और वजन बढ़ने या मोटे होने के डर (फोबिया) से पीड़ित होते हैं. ये लोग अपने वजन और शरीर के आकार को नियंत्रित करने के लिए अत्यधिक प्रयास करते हैं, मन होने और भूख लगने पर भी ये कुछ नहीं खाते.
इससे इन्हें कमजोरी और कई समस्याएं होने लगती हैं लेकिन फिर भी वजन बढ़ने का डर इन पर इस तरह हावी होता है कि ये उससे बाहर आ ही नहीं पाते. यह पागलपन इस हद तक बढ़ जाता है कि कई लोग खाने के बाद उल्टी करके, मूत्रवर्धक या एनीमा के माध्यम से भी कैलोरी को नियंत्रित करते हुए भी देखे गए हैं. कई रोगी अत्यधिक व्यायाम भी करने लग जाते हैं जिससे वजन न बढ़े.
जैसे के अभी हाल ही में केरल के कन्नूर की 18 वर्षीय लड़की श्री नंदा की 12 दिन वेंटिलेटर पर रहने के बाद मौत हो गए क्यूंकि वह खाना छोड़कर सिर्फ गर्म पानी पी रही थी और कई घंटे कसरत कर रही थी, और भोजन से परहेज कर रही थी. उसका वजन मात्र 24 किलो रह गया. डॉक्टर्स को शक है कि श्री नंदा एनोरेक्सिया नाम की बीमारी से पीड़ित थी इसमें व्यक्ति खुद को मोटा समझता है भले ही वह बेहद कम वजन का हो.
कैसे बढ़ता ही जाता है ये जूनून-
एनोरोक्सिया कोई बीमारी नहीं है बल्कि एक मैंटल प्रॉब्लम है. लड़कों के मुकाबले लड़कियों में यह डिसऑर्डर ज़्यादा होता है. 13 से 30 साल की महिलाओं में इसके चांसेस ज़्यादा होते हैं. यह समस्या पुरुषों को भी हो सकती है, लेकिन इससे लगभग 95 प्रतिशत महिलाएं प्रभावित रहती हैं.
कुछ लोग हर चीज में एक्सट्रीम कर देते हैं. जो लोग जिम में जाते हैं. वो वहां पर वेट बहुत ज्यादा उठाना शुरू कर देते हैं. अपनी कपैसिटी से ज्यादा लड़के भी वेट उठाना शुरू कर देते हैं जो घातक है. किसी ने कहा मैं मैराथन में 20 किलोमीटर जाऊँगा लेकिन 10 किलोमीटर बाद उसकी हिम्मत टूट रही है. लेकिन फिर भी वो चलता चला जायेगा जब तक वो गिर कर ,मर नहीं जायेगा. उस समय आप पागल हो चुके होते हो. उस समय तक आपकी एनालसिस की पावर ख़तम हो चुकी होती है.
किसी को पहाड़ पर चढ़ने का फितूर हो जाता है. चढ़ने में चोट लग जाये या हड्डी टूट जाए तो 2-3 महीना आराम से बैठेंगे और फिर चल पड़ेंगे. इन लोगों को आप ठीक नहीं कर सकते. कम या ना खाने के चलते बॉडी में कई जरूरी न्यूट्रिशन की कमी होती जाती है जिससे एक के बाद एक कई तरह के हेल्थ इश्यू होने लगते हैं. महिलाओं के लिए ये स्थिति ज्यादा गंभीर हो सकती है.
कैसे बिहेव करते हैं एनोरेक्सिया से पीड़ित लोग-
ऐसे लोग कितने भी पतले क्यूँ ना हो जाएँ वे हमेशा यही देखते हैं कि हम तो बहुत मोटे हैं. वे खाना खाते तो नहीं हैं लेकिन हर वक्त उसके बारे में सोचते हैं. साथ ही वहां से धयान हटाने की असफल कोशिश में लगे रहते हैं. ऐसे लोग बाकी लोगों के जितना ही खाने का दावा करते हैं लेकिन खाते नहीं है उतना.
एनोरेक्सिया से पीड़ित कुछ लोगों में ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर यानी ओसीडी की समस्या भी देखी गई है, जो भूखे होने के बावजूद भोजन न करने पर बाध्य कर सकती है.
कुछ लोगों में एनोरेक्सिया के साथ स्ट्रेस-एंग्जाइटी की समस्या भी हो सकती है.
बहुत ज्यादा जिम और एक्सरसाइज करते हैं.
एक दिन में जाने कितनी बार अपना वेट चेक करते हैं.
लोगों की नज़रों से बचकर अपने खाने को फेंक देते हैं.
भोजन से छुटकारा पाने के लिए हर्बल उत्पादों या एनीमा का उपयोग करना.
अपने आसपास के लोगों से दूरी बना लेते हैं.
भूख लगने पर भी खाना ना खाना.
नींद ना आना.
बेचैनी
हाथ पैरों में सूजन
पीरियड्स नियमित ना होना.
चिड़चिड़ापन
हर वक्त उदास रहना.
थकन और कमजोरी
स्किन डल होने लगती है,
बाल झड़ने लगते हैं,
डाइजेशन बिगड़ जाता है
अगर किसी को एनोरोक्सिया है तो घरवाले या केयरटेकर उसे कैसे हैंडल करें-
अगर घर में कोई खाना पीना छोड़ दें तो पहले तो लोग उसे समझते हैं लेकिन बात ना मैंने पर उसे उसके हाल पर छोड़ देते हैं. यानी कि कुछ टाइम बाद घर वाले थक कर उस पर छोड़ देते हैं की अब तू जा, जो तेरा मन हो कर, हम तो थक गए, अब तुझे मरना है तो मर, मैं अपनी जिंदगी जीऊं या तेरी सम्भालों. कोई किसी के लिए ये कितने दिन तक करेगा. लेकिन हमारा फर्ज है कि हम कहे की नहीं हमे इसे ठीक करना ही है. कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें सँभालने में 6 -8 महीने तक लग जाते हैं.
आपको पेशेंस रखनी पड़ेगी. एक तो केयर टेकर को ऐसा करने पर मन की शांति मिलेगी कि मैं अपने के लिए कुछ कर पाया. दूसरा इसका फायदा यह होगा कि जब आपको केयर की जरुरत होगी तो आपको भी उस बन्दे से केयर मिलेगी. चाहे वे आपके बच्चे हो, पार्टनर हो, पड़ौसी हो या फिर दोस्त हो. अगर आज आप दूसरों का भला करोगे तो लोगों को भी महसूस होगा कि ये आदमी अच्छा है इस पर भरोसा किया जा सकता है. इसके लिए हमे भी कुछ करना चाहिए.
उसे कहना शुरू करो कि तुमने अब वजन काफी कम कर लिया है और ना करो. घर में जानबूजकर खाने में घी दाल दिया, मीठा बनाना शुरू कर दिया, उसे बोलै सब साथ बैठकर खाएंगे भले ही तुम ना खाना पर उसे साथ जरूर बैठाये. वो कितने दिन इग्नोर करेगा एक दिन खा ही लेगा.
रेस्टोरेंट में उसे जबरदस्ती ले जाएँ. उसे बोले अच्छा सबके साथ चलों, तो भले ही कुछ मत खाना, हम लोगों से बाते ही कर लेना. उसे खींच के ले जाना शुरू करों. इससे एक उम्मीद बांध जाती है कि वो खाने लगेगा.
आप उसे बार बार डॉक्टर के पास ले जाओ. चाहे जबरदस्ती ले जाना पड़े.
उस पर प्रेशर बनाओं उसे सोशल इवेंट में ले जाओं. अपने मिलने जुलने वालों से मिलवाओं उसे सोशल बनाओं, उसके दोस्तों से मिलवाएं. उसे जिंदगी की तरफ वापस लौटने में मदद करें. मूवी लेकर जाओ, घूमने के लिए कहीं बहार हिल स्टेशन पर ले जाएँ.
इलाज कैसे करवाएं-
यदि डॉक्टर को लगता है कि आपको एनोरेक्सिया की समस्या है तो इसके उपचार के लिए मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और आहार विशेषज्ञ दोनों से इलाज की आवश्यकता हो सकती है. कुछ प्रकार के थेरपी, वजन को सामान्य करने वाली दवाओं की मदद से इसका इलाज होता है. हालांकि इसके लिए सबसे जरूरी है कि आप या घरवाले इन लक्षणों को नोटिस करें और समय पर इलाज कराएं.
मरीज से पहले तो ज्यादातर लोग या घरवाले यह समझ ही नहीं पाते हैं कि भोजन छोड़ना या वजन के प्रति इतना जुनूनी होना कोई मैंटल प्रॉब्लम हो सकती है. जिसमें इलाज की आवश्यकता होती है. जितना जल्दी हो सके आप यह बात समझ लें. आप समझेंगे तभी मरीज को यह बात समझा पाएंगे.
अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे या परिवार के किसी अन्य सदस्य में एनोरेक्सिया के लक्षण दिख रहे हैं, जैसे कि आत्मविश्वास में कमी, खाने की अवास्तविक आदतें, हमेशा परफेक्ट दिखने की चाहत और अपने रूप-रंग से असंतुष्ट होना, तो उनसे बात करें. उन्हें सही खाने के महत्व को समझने में मदद करें. चाहे महिला हो पुरुष उन्हें यह बताना जरुरी होता है कि हमारे शरीर के लिए खाने की कितनी अहमियत है.
मरीज को यह बात समझाएं कि मोटापा, वजन तब बढ़ता है जब हम ठूंस-ठूंस कर और हर वक्त खाते रहते हैं. सही मात्रा में और सही समय पर खाने वालों के साथ ही ये सारी दिक्कतें आती हैं. जंक फूड, फ्राइड फूड ऐसी चीज़ों से दूर रहें. फ्रूट और वेजिटेबल्स किसी भी तरह से हानिकारक नहीं.
इसके इलाज में मेडिकल ट्रीटमेंट के बाद न्यूट्रिशनल बैलेंस को मॉनिटर किया जाता है और फिर मरीज की लाइफस्टाइल पर भी नजर जाती है , ताकि वह धीरे-धीरे हेल्दी वेट गेन कर सके.
एनोरेक्सिया नर्वोसा के ट्रीटमेंट के दौरान, मरीज को काउंसलिंग करते हैं. इसके बाद, उसे थेरेपी और मेडिसिन भी दी जाती है. Anorexia