Hormonal Changes: हार्मोन हमारे शरीर के अंदर बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं और जब इन का संतुलन बिगड़ता है, तो शरीर छोटेछोटे इशारे देने लगता है. अगर हम समय रहते इन्हें पहचान लें, तो न सिर्फ बीमारियों से बच सकते हैं, बल्कि एक संतुलित और बेहतर जिंदगी भी जी सकते हैं.
महिलाओं के संपूर्ण स्वास्थ्य में हार्मोन का संतुलन एक बहुत ही अहम भूमिका निभाता है. चाहे बात मानसिक स्थिति की हो या शारीरिक ऊर्जा की, हर पहलू पर हार्मोन का गहरा असर पड़ता है. इसलिए महिलाओं के लिए जरूरी है कि वे अपने हार्मोनल स्वास्थ्य को समझें और उस पर समयसमय पर ध्यान दें.
हार्मोनल असंतुलन के संकेत
हर महिला का शरीर अलग होता है, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण होते हैं जो हार्मोनल असंतुलन की ओर इशारा करते हैं :
- बार-बार थक जाना.
- बिना वजह वजन बढ़ना या घटना.
- पीरियड्स का समय बदलना या रुक जाना
- बाल झड़ना या पतला होना.
- मुंहासे बारबार निकलना.
- डिप्रैशन या चिड़चिड़ापन महसूस होना वगैरह.
अगर ये लक्षण बारबार दिख रहे हैं और लंबे समय तक बने रहते हैं, तो इन्हें हलके में न लें. यह आप के शरीर के अंदर हो रहे हार्मोनल बदलावों का संकेत हो सकते हैं.
लक्षण शोर नहीं हैं संकेत देते हैं
कई बार महिलाएं दोपहर में अचानक थकावट महसूस करती हैं, कुछ की त्वचा हर महीने पीरियड्स से पहले खराब हो जाती है, तो कुछ महिलाएं रात के 3 बजे घबरा कर उठ जाती हैं. ये सब इत्तेफाक नहीं होते, ये हमारे शरीर के बायोकैमिकल संकेत होते हैं, जो कुछ बता रहे होते हैं.
लेकिन दिक्कत यह है कि ज्यादातर महिलाएं इन संकेतों को नजरअंदाज कर देती हैं, खुद को ही दोष देती हैं या बस चुपचाप सहन करती हैं. जब वे इन बातों को शेयर करती हैं, तो उन्हें अकसर कहा जाता है कि तनाव कम करो, लाइफस्टाइल ठीक करो, इस उम्र में ये सब नौर्मल है आदि. लेकिन सचाई यह है कि महिलाओं की बात सुनी नहीं जाती.
चुप रहने की कीमत
जब महिलाओं के हार्मोनल लक्षणों को बारबार नजरअंदाज किया जाता है, तो आगे चल कर यही छोटीछोटी बातें बड़ी बीमारियों में बदल सकती हैं. जैसे, पीसीओएस (PCOS) का समय पर पता नहीं चल पाना, थायराइड का बढ़ जाना, ऐंग्जाइटी या डिप्रैशन को सही से समझ न पाना, प्रीमेनोपौज अचानक और कठिन बन जाना.
ऐसे में महिलाएं अपने शरीर की भाषा को समझना तो चाहती हैं, लेकिन उन के पास न सही जानकारी होती है, न समझने का तरीका और न कोई गाइड.
क्या करें
अपने पीरियड्स को ट्रैक करें. कब शुरू हुए, कितने दिन चले, फ्लो कैसा था और मूड या शरीर में क्या बदलाव आया. बारबार दिखने वाले लक्षणों को नोट करें. जैसे, नींद की दिक्कत, थकान, बाल झड़ना, वजन बढ़ना आदि.
- डाक्टर से बात करने में झिझकें नहीं, जो महसूस हो रहा है, साफसाफ बताएं और सवाल जरूर पूछें.
- साल में एक बार बेसिक हैल्थ चैकअप कराएं. जैसे, थायराइड, विटामिन D, आयरन और ब्लड शुगर की आदि.
- तनाव कम करने के आसान तरीके अपनाएं. जैसे, ऐक्सरसाइज, वाक, गहरी सांसें या किसी भरोसेमंद इंसान से बात करना.
- सही और संतुलित खाना खाएं. प्रोसेस्ड फूड कम करें, पानी ज्यादा पिएं और फाइबर, प्रोटीन, हैल्दी फैट्स लें.
क्या न करें
- लक्षणों को नजरअंदाज न करें.
- बारबार की थकावट या मूड बदलने को नौर्मल न समझें.
- हर चीज के लिए खुद को दोष न दें.
- इंटरनैट ट्रेंड्स के भरोसे न रहें क्योंकि हर शरीर अलग होता है
- पीएमएस (PMS) या पीरियड पैन को हलके में न लें.
समझ ही पहली ताकत है
हर महिला का शरीर हर दिन कुछ कहता है. बस हमें उसे सुनने और समझने की जरूरत है. हार्मोनल बदलाव कोई कमजोरी नहीं है, बल्कि यह हमारे शरीर का तरीका है कुछ जरूरी बातें बताने का. अगर हम इन संकेतों को समय रहते पहचान लें, तो न सिर्फ बीमारियों से बच सकते हैं, बल्कि शांत, स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकते हैं. इसलिए अगली बार जब आप का शरीर कुछ अलग महसूस कराए, तो उसे नजरअंदाज न करें. ध्यान दें, सवाल पूछें और अपने शरीर का साथ दें.
Hormonal Changes