Long Story in Hindi: दोनों का पारा 7वें आसमान को छू रहा था. व्यंग्य, आरोप, शिकायतों से भरे कूड़े के ढेर एकदूसरे पर फेंके जा रहे थे. भूत, वर्तमान के साथ भविष्य भी इस बहस में शामिल हो चुका था. इस तीखी नोक झोंक में एकदूसरे को अपने त्याग, अपनीअपनी महानता की मिसाल गिनाते हुए दोनों ही इस बात पर तुले थे कि वे एकदूसरे को उस की गलती आज मनवा कर ही मानेंगे. पहली बार कोई सुनता तो उसे यही लगता इन दोनों के बीच का झगड़ा, मनभेद जिस मुकाम तक पहुंच चुका है, अब इस की अंतिम परिणति बस तलाक ही है.
‘‘आप को कभी भी यह महसूस हुआ कि कितना काम करती है यह औरत? कभी सोचते हैं कि दिनभर मैं घर में अकेले एक नौकरानी की तरह लगी रहती हूं?’’ श्वेता ने तिलमिला कर कहा.
‘‘क्या तुम दुनिया की अकेली औरत हो जो घर का काम करती है? फिर घर में ऐसा बड़ा काम है ही क्या? बस 2-4 लोगों का नाश्ताखाना बनाना, वाशिंग मशीन में कपड़े डालना, वह भी औटोमैटिक मशीन में. बाकी काम के लिए महरी तो आती ही है,’’ अभिषेक ने तुरंत जवाब दिया.
‘‘एक दिन घर में काम कर के देखिए तो पता चल जाए दिनभर क्या काम करती हैं हम औरतें,’’ श्वेता ने चुनौती दी.
‘‘तुम भी एक दिन औफिस जा कर देखों तो आटादाल का भाव मालूम हो जाए. तुम को तो यही लगता है नकि औफिस में हम लोग मौज करते हैं, ऐयाशी करते हैं, जबकि औफिस में घंटों खटने के बाद भी बौस की फटकार सुनने को मिलती है, सुबह और शाम औफिस के रास्ते में 2 घंटे की ड्राइव, कई दफा लंबेलंबे जाम में फंसे रहना पड़ता है. इन सब के बाद घर लौटने के बाद भी चैन नहीं, 10 तरह की मांग, तुम्हारे उलाहने. बस यही है हम जैसों की जिंदगी,’’ अभिषेक ने कहा. उस की आवाज धीरे न पड़ जाए इसलिए सोफे पर बैठेबैठे उस ने रिमोट से टीवी की आवाज धीमी कर दी.
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