Personal Grooming: 5 साल पहले सातारा के एक गांव से जौब करने आई निशा को मुंबई की ऊंचीऊंची बिल्डिंग्स और रास्ते बहुत पसंद लगे थे, लेकिन यहां के लोगों के बात करने के तरीके और हावभाव निशा को अपने गांव से बहुत अलग लगा, क्योंकि यहां कोई किसी से अचानक बात नहीं करता. वह जहां रह रही है, वहां भी उस के साथ रहने वाली लड़कियां औफिस से आ कर सीधे अपने कमरे में चली जाती हैं.
एक बार तो वह जब ड्रैस पहन कर औफिस गई, तो सब उसे अजीब नजरों से घूरने लगे. बाद में उसे समझ में आया कि उस का पहनावा सब को अजीब लगा था, जिसे उस के पास बैठने वाली एक कलीग ने बताया. निशा को मुंबई पसंद है, लेकिन वहां टिके रहने और लोगों से जानपहचान बनाने के लिए खुद की ग्रूमिंग करनी पड़ी.
निशा ने औनलाइन सर्च किया और 3 महीने की ग्रूमिंग क्लासेज जौइन भी किया, जहां उसे नए व्यक्ति से बातचीत करने के तरीके, पोशाकों का चयन और कई सारी बातों को समझाया गया.
आज वह अपने बारे में बहुत कुछ समझ चुकी है और अपने माहौल में पूरी तरह से फिट हो चुकी है. साथ ही अब वह जौब को ऐंजौय कर रही है.
ग्रूमिंग है क्या
असल में जब आप किसी बड़े समूहों में खुद को बनाए रखना चाहते हैं और आप ने वैसी लाइफस्टाइल फौलो नहीं किया है, तो आप के लिए ग्रूमिंग जरूरी है क्योंकि यह न केवल पर्सनैलिटी को बनाए रखती है, बल्कि एक अच्छा रूप और आत्मविश्वास भी देती है, जिस से सामाजिक और व्यवसायिक स्थितियों में बेहतर छाप पड़ती है. यह आप की ओवरऔल डिवेलपमैंट से बढ़ कर व्यवहार और मैनर्स तक फैला हुआ है, जो एक सकारात्मक छवि बनाने में मदद करता है.
इस बारे में मनोवैज्ञानिक राशिदा कपाङिया कहती हैं कि किसी भी लड़के या लड़की को खुद की ग्रूमिंग जौब शुरू करने से पहले कर लेनी चाहिए, इस से आत्मविश्वास बढ़ता है और जल्दी जौब मिलने की संभावना होती है. यदि वे किसी छोटे शहर या गांव से आते हैं, तो वे यहां की लाइफस्टाइल से अपरिचित होते हैं, ऐसे में उन की ग्रूमिंग बहुत जरूरी है, नहीं तो वे नए माहौल में खुद को ऐडजस्ट नहीं करा पाते और मानसिक तनाव के शिकार होते हैं.
अपने एक अनुभव के बारे में राशिदा कहती हैं कि मेरे पास छोटे शहर का एक लड़का आया था, जो मुंबई को पसंद करता है, लेकिन उस के औफिस का माहौल उसे पसंद नहीं था. वह औफिस जाना नहीं चाहता था. मैं ने उसे समझाया, कई सेशन लिए, फिर उसे समझ में आया कि काम कैसे करना है, कैसे सब से मिलजुल कर अपनी बात रखनी है वगैरह.
ग्रूमिंग से होने वाले फायदे
दरअसल, ग्रूमिंग किसी भी व्यक्ति का पर्सनल डिवेलपमैंट होता है, जिस में कम्युनिकेशन स्किल्स, पर्सनल हाइजीन, आउटफिट आदि सभी चीजें मुख्य होती हैं. यों आज की जैनरेशन ग्रूमिंग को शर्मनाक मानती है. उन्हें लगता है कि दुनिया उन का मजाक बना रही है, जबकि उन्हें सब पता है. उन्हें समझना है कि केवल सोशल मीडिया के सहारे खुद की ग्रूमिंग नहीं की जा सकती. इस में एकदूसरे के साथ मिलबैठ कर व आपसी बातचीत का होना आवश्यक होता है, जिस की कमी उन्हें बाद में महसूस होती है.
ग्रूमिंग के फायदे निम्न हैं :
- ग्रूमिंग आप की साफसुथरी और व्यवस्थित छवि पेश करती है, जो पेशेवर और सामाजिक माहौल में महत्त्वपूर्ण है.
- जब आप अच्छा दिखते हैं और खुद का खयाल रखते हैं, तो आप का आत्मविश्वास स्वाभाविक रूप से बढ़ने लगता है.
- ग्रूमिंग में रोज नहाना और त्वचा व बालों की देखभाल शामिल है, जो स्वास्थ्य और स्वच्छता बनाए रखने के लिए आवश्यक होता है.
- अच्छी ग्रूमिंग का एक अर्थ यह भी है कि आप अपने काम के प्रति गंभीर हैं और अपने पेशेवर जीवन में सफलता के लिए तैयार हैं.
दैनिक जीवन में अपनाएं कुछ आदतें
काउंसलर आगे कहती हैं कि सही ग्रूमिंग के लिए व्यक्ति को कुछ आदतों को खुद में विकास करना जरूरी होता है, जो निम्न हैं :
- कहीं भी जाने से पहले या रोज, गरमी हो या सर्दी, एक बाथ अवश्य लें, ताकि शरीर से गंदगी और पसीने की बदबू हट जाएं.
- परफ्यूम प्रयोग करने से न कतराएं.
- त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से चेहरा धोएं, स्क्रब करें और मोइस्चराइजर लगाना न भूलें. लड़कियां जरूरत के अनुसार मेकअप का भी प्रयोग करें.
- अपने बालों को नियमित रूप से ट्रिम करें और साफ रखें.
- पहनावा साफ और अच्छी तरह से इस्तरी किए हुए कपड़े होने चाहिए. नाखून साफ और छोटे रखें.
- केवल पहनावा और अच्छी डिग्री तक ग्रूमिंग सीमित नहीं होती, इस में ऐटिकेट्स और व्यवहार भी शामिल होते हैं, जो आप की पूर्ण विकास में योगदान करते हैं.
इस प्रकार ग्रूमिंग खुद को स्मार्ट और प्रभावशाली बनाए रखने और ऐसी आदतों को अपनाने के बारे में है, जो स्वयं और दूसरों के प्रति सम्मान दर्शाती हैं, जिसे हर व्यक्ति को कर लेना आवश्यक होता है, क्योंकि अगर आप अच्छे दिखेंगे तभी आप का प्रभाव आसपास के लोगों पर पड़ेगा और आप अपनी मंजिल तक आसानी से पहुंच सकेंगे.
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