Pregnancy Test: प्रैगनैंट होना हर महिला का सपना होता है और पीरियड मिस होना इस का पहला संकेत होता है लेकिन इस के आलावा भी कई कारण होते हैं जिस से पता चलता है आप प्रैगनैंट हैं. वैसे भी प्रैगनैंट होना किसी भी महिला के लिए काफी पर्सनल मामला होता है, इसलिए पहले वह इस के लिए खुद कनफर्म होना चाहती है. उस के बाद ही यह खुशखबरी सब को सुनती है. तो आइए, जानें कैसे पता करें कि आप प्रैगनैंट हैं.
पीरियड मिस होना एक बड़ा संकेत
अगर पीरियड रैगुलर हैं और अचानक किसी महीने पीरियड नहीं आया तो हो सकता है ऐसा प्रैगनैंसी की वजह से ही हुआ हो. हालांकि कई बार पीरियड्स खून की कमी होने और टैंशन होना जैसे अन्य कारणों से भी मिस हो सकता है, लेकिन एक बार जांच करवा लेना जरूरी होता है.
जी मिचलाना और उलटी आना
कई बार महिला को लगता है कुछ गलत खापी लिया होगा इस वजह से ऐसा हो रहा है. लेकिन अगर यह लगातार हो रहा है तो हो सकता है कि आपका शरीर प्रैगनैंसी के लिए तैयार हो रहा है क्योंकि ऐसा तब होता है जब शरीर में हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है.
यूरिन पास करने की फ्रीक्वेंसी का बढ़ जाना
यदि आप आपनी ओवुलेशन प्रक्रिया के बाद गर्भधारण कर लेती हैं, तो आप एक दिन में सामान्य से अधिक बार यूरिन के लिए जा सकती हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान आप के शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ जाती है, जिस से आपकी किडनी अधिक मात्रा में तरल पदार्थ निकालने लगती है जो यूरिन की सहायता से बाहर निकलता है.
कमर में दर्द तो नहीं
कई बार पीरियड्स के जाने पर भी कमर दर्द होता है. बिलकुल वैसा ही दर्द कमर के निचले हिस्से में हो रहा है तो यह प्रैगनैंसी भी हो सकता है.
सिरदर्द होना भी एक वजह
गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में शरीर में बढ़ते रक्त परिसंचरण और (निश्चित रूप से) बढ़ते हार्मोन के स्तर के कारण सिर में दर्द होना आम बात हो सकती है.
मूड स्विंग का होना
हार्मोन में असंतुलन होने की वजह से मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर प्रभावित होते हैं जिस की वजह से आप ज्यादा भावुक हो जाती हैं. कई बार यह लक्षण तनाव के कारण भी पैदा होता है. इसलिए कभी किसी बात पर बहुत हंसी आ जाती है और किसी बात पर दुखी हो जाना स्वभाविक हो जाता है.
कौंस्टिपेशन (कब्ज) होना भी वजह
हार्मोनल असंतुलन होने के कारण आप के शरीर की मांसपेशियां रिलैक्स हो जाती हैं. इन के साथ साथ आप का पाचनतंत्र भी रिलैक्स हो कर धीमी गति से काम करने लगता है जिस की वजह से आपको कौंस्टिपेशन की शिकायत हो सकती है. जैसेजैसे आप की गर्भावस्था का समय आगे बढ़ता है वैसेवैसे आप के कौंस्टिपेशन की समस्या भी बढ़ सकती है. इस से बचने के लिए आप को पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए और खुद को हमेशा हाइड्रेट रखने की कोशिश करनी चाहिए.
ब्रैस्ट में चेंज आने लगता है
हार्मोन्स में बदलाव के कारण स्तनों में संवेदनशीलता, भारीपन और दर्द महसूस हो सकता है. इस के साथ ही कुछ महिलाओं में निपल्स का रंग गहरा हो सकता है.
टेस्ट और स्मेल में बदलाव होना
अगर कोई महिला गर्भवती होती है तो हो सकता है कि खाने की कुछ चीजों की महक उस को बुरी लग सकती हैं व कुछ की अच्छी भी लग सकती हैं. ऐसा भी होता है कि जो चीजें पहले पसंद होती हैं उन का टेस्ट बुरा लगने लगता है. यह बहुत ही सामान्य बात है क्योंकि प्रैगनैंसी में ऐसा होता है.
स्पौटिंग होना भी वजह
कभीकभी गर्भधारण के समय हलका ब्लीडिंग (स्पौटिंग) और पेट में हलका खिंचाव हो सकता है. इसे इंप्लांटेशन ब्लीडिंग कहा जाता है, जो फर्टिलाइज्ड एग के यूटेरस की दीवार से चिपकने के कारण होता है.
वीकनैस होना भी एक लक्षण
अगर आप को बुखार नहीं है और अन्य कोई बीमारी भी नहीं है, बस कुछ दिनों से थकान महसूस हो रही है, तो गर्भधारण करने के बाद एक महिला का खुद में कमजोरी और सुस्ती अनुभव करना सामान्य है. यह भी गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में से एक हो सकता है.
प्रैगनैंट होने के कितने दिनों में ये लक्षण दिखने लगते हैं
अगर आप प्रैगनैंट हो गए हैं तो 10 से 15 दिन के अंदर अंदर आप को ये लक्षण दिखने लगते हैं.
प्रैगनैंसी को ऐसे कन्फर्म करें
यूरिन प्रैगनैंसी होम किट : सुबह उठने के तुरंत बाद वाशरूम जाएं और किसी प्लास्टिक के कंटेनर में यूरिन इकट्ठा करें. थोड़े से यूरिन से ही आप यह टेस्ट कर सकती हैं.
प्रैगनैंसी टेस्ट किट में एक ड्रौपर होता है. कंटेनर से उस ड्रौपर की मदद से यूरिन की बूंदें ले कर उसे सैंपल वेल पर डालें.
प्रैगनैंसी का रिजल्ट आने में पूरे 5 मिनट लगते हैं. टेस्ट किट पर धीरेधीरे गुलाबी लाइनें नजर आने लगेंगी. अगर एक गुलाबी लाइन दिखती है, तो इस का मतलब रिजल्ट निगेटिव है यानी आप प्रैगनैंट नहीं हैं.
अगर टेस्ट किट पर 2 गुलाबी लाइनें नजर आएं, तो इस का मतलब आप प्रैगनैंट हैं.
कई बार किट पर 2 लाइनें तो दिखती हैं, लेकिन उन का कलर अलगअलग होता है. गुलाबी के साथ एक नीली लाइन नजर आ सकती है. इस का मतलब टेस्ट फेल है. दूसरे किट से फिर से टेस्ट करें. अगर आपका परिणाम प्रैगनैंट दिखाता है, तभी आप को गाइनकोलौजिस्ट के पास चेकअप के लिए जाना चाहिए.
गायनकोलौजिस्ट से सलाह लें
अल्ट्रासाउंड : यह एक अन्य प्रमुख तरीका है जिस का उपयोग प्रैगनैंसी की जांच के लिए किया जाता है. इस में अल्ट्रासाउंड के द्वारा गर्भाशय की जांच की जाती है और गर्भधारण की पुष्टि की जाती है.
ब्लड टेस्ट : यह एक रक्त की जांच होती है जिस के आधार पर डाक्टर प्रैगनैंसी कन्फर्म करते हैं. लक्षण हो या न हो डाक्टर से कंसल्ट कर के बीटा एचसीजी टेस्ट करवाना चाहिए. चाहे यूपीटी में जो भी रिजल्ट आए बाद में बीएचसीजी करवाना ही चाहिए.
प्रैगनैंसी टेस्ट कब कराएं
अगर पीरियड की डेट मिस हो गए हो और पीरियड्स नहीं आ रहे हों और साथ में ये सभी लक्षण भी आप महसूस कर रही हों तो हो सकता है कि आप प्रैगनैंट हों. इसे कन्फर्म करना जरूरी है और यही समय है जब आप डाक्टर के पास जा सकती हैं. यह तकनीक गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में बच्चे के लिए छवियों को बनाती है.
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