Sex during Pregnancy: प्रैगनैंट होना वैसे तो हर कपल के लिए काफी खुशी की बात होती है, लेकिन फिर भी उन के मन में कई सवाल आते हैं कि क्या अब हम सैक्स कर पाएंगे? कहीं ऐसा तो नहीं कि सैक्स करने पर हमारे बच्चे को कुछ नुकसान पहुंच जाए? क्या ऐसा कोई तरीका है जिस से हम सैक्स कर भी लें और बच्चा भी सुरक्षित रहे? यह सिर्फ एक कपल की बात नहीं है, सभी के मन में ये सवाल जरूर आते हैं.
यों ज्यादातर मामलों में प्रैगनैंट होने पर संबंध बनाना सुरक्षित ही होता है, लेकिन अगर डाक्टर किसी भी वजह से ऐसा करने के लिए मना करता है, तो आप सैक्स न करें. ऐसा तब होता है जब :
- मिसकैरिज का खतरा लग रहा हो.
- यदि डाक्टर को यह लग रहा हो कि आप की प्रीमैच्योर डिलिवरी होने के चांस हैं.
- यदि प्लेसेंटा प्रीविया हो.
- यदि गर्भाशय ग्रीवा में कोई भी संक्रमण हो.
- अगर थकान या असहज महसूस हो रहा है, तो जबरदस्ती यौन संबंध बनाने के लिए डाक्टर मना करते हैं.
- अगर पति को सर्दी, खांसी या किसी तरह का संक्रमण हो, तो पत्नी और होने वाले बच्चे को बचाने के लिए कुछ दिन दूर रहना सही होता है.
- वेजाइना से असामान्य रक्तस्राव.
- पानी की थैली फटना.
- अगर गर्भ में 2 या 2 से ज्यादा भ्रूण पल रहे हैं तो आप को सैक्स करने से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा न करने से आप की प्रैगनैंसी में समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
वेजाइना से खून निकलना गर्भपात की तरफ इशारा करता है. अगर खून आ रहा है तो आप को सैक्स नहीं करना चाहिए क्योंकि इस से आप को परेशानी हो सकती है.
प्रैगनैंसी में संबंध बनाते समय किन बातों का ध्यान रखें :
- पेट पर दबाव न पड़े, इस के लिए ऐसी पोजिशन चुनें जो आरामदायक और सुरक्षित हो.
- हलके और सहज तरीकों को अपनाएं ताकि किसी भी तरह का अनावश्यक दबाव न पड़े.
- साफसफाई और हाइजीन का ध्यान रखें.
प्रैगनैंसी में सैक्स करने के फायदे भी बहुत हैं :
- पेल्विक की मांसपेशियां स्ट्रौंग बनती हैं. और्गेज्म के दौरान पेल्विक की मांसपेशियों की ऐक्सरसाइज होती है, जो डिलिवरी के लिए फायदेमंद हो सकती है.
- प्रैगनैंसी में सैक्स करने से ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है, जिस से रक्तसंचार बेहतर हो सकता है. इस से मां और बच्चे को औक्सीजन और पोषण मिलता है.
- नियमित रूप से संबंध बनाने से शरीर में ऐंटीबौडी बढ़ती है, जिस से मां का इम्यून सिस्टम बेहतर होता है और सफल प्रैगनैंसी में मदद मिलती है.
- प्रैगनैंसी में सैक्स करना ऐक्सरसाइज भी है. सैक्स करने पर कैलोरी बर्न होती है और यह प्रैगनैंसी के लिए अच्छा माना जाता है.
- सैक्स करने पर औक्सीटोसिन हारमोन रिलीज होता है, जो इस समय काफी अच्छा रहता है.
- गर्भावस्था में कमरदर्द और मांसपेशियों में जकड़न होना सामान्य हैं. संबंध बनाने से शरीर में ऐंडोर्फिन हारमोन बढ़ता है, जिस से दर्द कम होता है.
- गर्भावस्था के दौरान पतिपत्नी एकदूसरे के करीब महसूस कर सकते हैं और उन का भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है.
- सैक्स के बाद रिलैक्सेशन महसूस होता है, जिस से नींद की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है और प्रैगनैंसी में अच्छी नींद का मिलना बहुत जरूरी है.
- औक्सीटोसिन एक हारमोन है, जो बच्चेदानी के सिकुड़ने और दूध उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है.
- प्रैगनैंसी के दौरान मिशनरी सैक्स पोजिशन से बचना चाहिए.
प्रैगनेंसी के शुरुआती दिनों में सभी पोजिशन जो पसंद हों वे ठीक रहती हैं हालांकि तब भी बहुत ज्यादा तेज तरीके से सैक्स नहीं करना चाहिए. लेकिन इस के बाद आप को मिशनरी पोजिशन से बचना चाहिए क्योंकि इस पोजीशन के दौरान महिला पीठ के बल लेटती है और पुरुष ऊपर होता है. इस पोजिशन में सैक्स करने से गर्भाशय पर दबाव पड़ता है, जिस के कारण कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
करवट ले कर संबंध बनाना
इस में महिला साइड में लेटती है और पेट पर कोई दबाव नहीं पड़ता. प्रैगनैंसी के दौरान इस पोजिशन में सैक्स करने से महिला के पेट या गर्भ में पल रहे शिशु पर किसी तरह से कोई भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है.
वूमेन औन टौप
इस पोजिशन में महिला पुरुष के ऊपर होती है इसलिए सैक्स में उस का पूरा कंट्रोल रहता है. जब भी असहज लगे वह रुक सकती है.
किनारे पर बैठना
महिला बैड के किनारे या कुरसी पर बैठ सकती है. यह पोजिशन खासकर तीसरी तिमाही में सुविधाजनक हो सकती है, जब पीठ के बल लेटने में असहजता महसूस होती है.
पुरुष की गोद में बैठना
शुरुआती महीनों में महिला पुरुष की गोद में बैठ सकती है, यह पोजिशन हलकी और सहज मानी जाती है. इस में दोनों का चेहरा एकदूसरे के सामने होता है.
पीछे से संबंध
इस पोजिशन में भी पेट पर दबाव नहीं पड़ता, लेकिन इसे आराम और समझदारी से अपनाना चाहिए.
स्पूनिंग पोजिशन
इस में दोनों पार्टनर एकदूसरे की तरफ पीठ कर के एक ही दिशा में साइड में लेटते हैं. पुरुष पार्टनर महिला के पीछे होता है. यह पोजिशन पेट पर कोई दबाव नहीं डालती और गहरी पेनेट्रेशन से बचाती है.
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