Home Buyers Guide: दो दीवाने शहर में, रात में और दोपहर में

आब-ओ-दाना ढूंढते हैं एक आशियाना ढूंढते हैं

घरौंदा फिल्म का यह गाना, तो आपने सुना ही होगा जोकि हम सभी के जीवन की सच्चाई को उजागर करता है. वाकई अपना घर खरीदना हर किसी का सपना होता है. सब यही सोचते हैं की अच्छी नौकरी के साथ एक अच्छा घर भी हो. लेकिन मुश्किलें तब बढ़ जातीं हैं, जब प्रौपर्टी खरीदने की जानकारी बिल्कुल नहीं या कम होती है. तो जानिए कुछ आसान टिप्स जो आपके सपनों के आशियाने को खरीदने में आपकी मदद करेंगी!

सबसे पहले अपना बजट बनाए

कई लोगों को लगता है कि बजट कम है, तो क्या हुआ. अभी लोन लें लेंगे या किसी से उधार ले कर बड़ा घर ले लेते हैं आखिर घर एक बार ही बनाया जाता है. लेकिन ये सोच सही नहीं है क्योंकि जितनी अपनी चादर हो उतने ही पैर पसारने चाहिए. अगर आप की सेविंग्स कम हैं. तो फिर आपको होम लोन लेना पड़ जाएगा. लेकिन ज्यादा होम लोन लेने से आपको ज्यादा इंटरेस्ट देना होगा. इसीलिए उस बजट में घर खरीदें. जहां आपको होम लोन ज्यादा न लेना पड़े.

होम लोन लेने से पहले धयान दें

घर की कीमत और कैसे घर लेना है ये तय करने के बाद देखें कि आपको होम लोन की जरूरत पड़ रही है या नहीं. अगर पड़ रही है तो कितनी और आपके पास जमा पूंजी कितनी है. साथ ही यह भी कैल्कुलेट करें कि आपको होम लोन कितने साल के लिए लेना चाहिए. दरअसल, आप जितने कम साल के लिए लोन लेंगे, आपको ईएमआई उतनी ही अधिक चुकानी होगी.

हालांकि, ऐसे आप पर ब्याज कम लगेगा, लेकिन अपनी सैलरी के हिसाब से यह भी देखना जरूरी है कि आपके बाकी खर्चों पर घर की ईएमआई का असर न पड़े. सबसे पहले बैंक से पता करें कि आप की मौजूदा सैलरी पर आप को कितना होम लोन मिल पाएगा. होम लोन लेने से पहले सभी बैंकों के औफर्स और ब्याज दरें चेक कर लें, जहां सब से किफायती लगे वहां से लोन लें.

औन-साइट लाइसेंस और अप्रूवल

घर खरीदते समय ये जानना बहुत जरूरी है कि जहां आप अपने सपनों का घर खरीदने जा रहे हैं वहां की प्रौपर्टी से जुड़े सभी दस्तावेज जैसे; स्थानीय अथौरिटी से प्रौपर्टी के लिए अप्रूवल और क्लीयरेंस. साथ ही कुछ और जरूरी कागजात हैं जो आपको चेक करने चाहिए जैसे; बिल्डर के पास प्रोजेक्ट के लिए टाइटल डीड, रिलीज सर्टिफिकेट, प्रोपर्टी टैक्स रिसिप्ट और फायर अप्रूवल जैसे सभी कागज होने चाहिए.  इसके साथसाथ जमीन के इस्तेमाल के लिए वेरिफिकेशन और RERA सर्टिफिकेशन का होना भी जरूरी है.

रेरा रजिस्ट्रेशन चेक करें

सब से पहले यह चेक करें कि प्रोजेक्ट राज्य की रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथौरिटी (RERA) में रजिस्टर है या नहीं. इस से आप को प्रोजेक्ट की सही जानकारी और कानूनी सुरक्षा मिलती है.

प्रौपर्टी विवाद मुक्त हो

आजकल बहुत धोखाधड़ी है जिस जमीन पर मकान बना होता है वह विवादों में फांसी होती और उस पर केस चल रहा होता है और अगर आपका बिल्डर केस हार गया तो आपको अपनी ही खरीदी हुए प्रौपर्टी से हाथ धोना पड़ सकता है इसलिए तय करें कि जमीन का मालिकाना हक डेवलपर के नाम पर है और वह विवाद-मुक्त है.

बिल्डर का पिछला रिकार्ड भी देखें

डेवलपर द्वारा पहले पूरे किए गए प्रोजेक्ट्स, समय पर डिलीवरी, निर्माण गुणवत्ता और ग्राहकों की प्रतिक्रिया की जांच करें. यह सब आप को इंटरनेट पर मिल जाएगा या फिर उस बिल्डर के बाकि प्रोजेक्ट को देखकर आएं इस से आप को काफी जानकारी मिलेगी कि तरह का है. सब देखकर ही अपना पैसा वहां लगाएं.

पजेशन कब मिलेगा यह तय करें

पजेशन मिलने की तारीख के बारे में स्पष्ट बातचीत करें और देरी की स्थिति में जुर्माने से संबंधित शर्तों को भी समझें. क्यूंकि कई बार ये प्रोजेक्ट शुरू तो हो जाते हैं लेकिन इन में कई सालों की देरी हो जाती है जो आप के लिए मुश्किल कड़ी कर  इसलिए इस से सम्बंधित सारी शर्तों को अपने पेपर वर्क में ऐड कराएं.

औल-इनक्लूसिव कौस्ट

कई बार बिल्डर आपको जितनी रकम बताता है, बाद में पता चलता है ये मकान इन हैंड उससे भी कई ज्यादा पड़ेगा और वो चीज आपके बजट से बाहर है. ये चीज पहले ही तय कर लें कि जीएसटी, मेंटेनेंस डिपौजिट, पार्किंग, क्लब हाउस चार्ज जैसे सभी खर्च इस में शामिल हैं या नहीं. अगर नहीं है, तो अभी इन सभी को जोड़कर ओवरआल कौस्ट निकालें और फिर कोई फैसला लें.

लोकेशन जरूर देखें

कई बार हम बस ये देखते हैं कि घर हमारे बजट में हैं, तो चलो बुक करा देते हैं लेकिन बाद में जब हम उस में रहने आते हैं तो पता चलता है वहां न तो कोई मार्किट हैं, न ही पब्लिक ट्रांस्पोर्ट की सुविधा है. इस के अलावा भी लगता है हमने आबादी से बहुत दूर घर ले लिया जहां से सभी कुछ दूर हैं. लेकिन अब कोई औप्शन नहीं होता है इसलिए आसपास की सुविधाएं, ट्रांसपोर्ट, स्कूल, अस्पताल और भविष्य में एरिया का विकास देखें तभी कोई घर बुक कराएं.

औक्युपेंसी सर्टिफिकेट (OC)

जब तक OC न मिले, कब्जा न लें. यह बिल्डिंग की वैधता का प्रमाण होता है.

एजेंट को कमीशन देने से बचें

किसी एजेंट के माध्यम से घर खरीदने पर वह एक से डेढ़ फीसदी कमीशन लेता है. कुछ एजेंट घर बेचने वाले से भी कमीशन लेते हैं. यह आमतौर पर 1 फीसदी होता है. घर बेचने वाला अंतत: यह लागत खरीदार से ही वसूलता है. ऐसे में खरीदार को 2.5 से 3 फीसदी का डायरेक्ट और इनडायरेक्ट कमीशन देना पड़ जाता है. अगर डिवेलपर और बायर के बीच कोई एजेंट नहीं होगा तो यह कमीशन बच जाएगा. ऐसे में कोशिश करें कि घर सीधे डिवलेपर या सेलर्स से खरीदें.

रेडी टू मूव और अंडर कंस्ट्रक्शन क्या चाहते हैं आप

रेडी टू मूव घर में आप जाकर तुरंत शिफ्ट हो सकते हैं. लेकिन अंडर कंस्ट्रक्शन घर जो किसी प्रोजेक्ट के तहत बनाया जा रहा है. उस में रहने के लिए आपको वेट करना होता है. अगर आप जहां रह रहे हैं वहां आपका किराया ज्यादा नहीं है. यानी आपको रहने की कोई दिक्कत नहीं है. तो फिर आप अंडर कंस्ट्रक्शन घर में पैसा लगा सकते हैं. इसमें आप रेडी टू मूव घर के बजाय लाखों रुपए बचा सकते हैं.

लेकिन आपको इसमें बिल्डर से पहले ही पता कर लेना चाहिए कि घर का पजेशन आपको कब तक मिल पाएगा. अगर तय समय तक आपको पोजीशन नहीं मिला तो आपको मुआवजा दिया जाएगा या फिर नहीं यह भी पता कर लेना जरूरी है. लेकिन अगर आप जहां रहते हैं वहां का किराया ज्यादा है. तो फिर आप रेडी टू मूव घर ले सकते हैं.

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