Borderline Personality Disorder: एक महिला पेशेंट भावनात्मक परेशानियों के साथ मनोचिकित्सक के पास आई और बोलने लगी,“मैं बाहर निकलना चाहती हूं, मैं नहीं चाहती पर खुद को रोक नहीं पाती. मुझे कोई समझता नहीं, मुझे अच्छा भी नहीं लगता, कभीकभी खुदकुशी के विचार आते हैं.”
उस ने बताया कि शादी के बाद व्यस्तता और दूरी के कारण पति से भावनात्मक दूरी बन गई. रिश्ते में बारबार जुड़ना और अचानक टूटना उस की जिंदगी बन गई. वह अत्यधिक ईर्ष्या, परवाह की आवश्यकता और अकेलेपन की भावना से पीड़ित थी. गुस्सा अनियंत्रित हो जाना और खुद को नुकसान पहुंचाने के प्रयास भी हुए थे. परिवार के इतिहास में उस के पिता को भी यही मानसिक परेशानी रही थी.
लक्षण व उपचार
मनोचिकित्सक ने ध्यानपूर्वक सुनने के बाद उसे बीपीडी यानि बौर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऔर्डर का निदान बताया और समझाया कि इस के कई लक्षण भावनात्मक अस्थिरता, रिश्तों में अतिव्यापकता और अचानक दूरी, खुद की पहचान में धुंधलापन, आत्मघातक विचार और आवेग नियंत्रण की समस्याएं आदि हैं.
डाक्टर ने आश्वस्त किया कि यह बीमारी व्यक्तित्व का हिस्सा है, पर नियंत्रण योग्य है और उपचार से जीवन बेहतर किया जा सकता है.
उपचार के रूप में उन्होंने डाइलैक्टिकल बिहेवियर थेरैपी (डीबीटी) की सलाह दी. इस के 5 मुख्य घटक बताए गए- व्यक्तिगत चिकित्सा, समूह कौशल प्रशिक्षण, माइंडफुलनैस, आवश्यकतानुसार फोन पर सलाह और रोगी के देखभाल के लिए परिवार व समर्थन प्रणाली की ट्रेनिंग. इन्हें अपना कर क्षणिक भावनाओं को नियंत्रित करना, तनाव का सामना करना और आवेगों पर काबू पाना सिखाया जाता है. जरूरत के अनुसार दवाइयां भी दी जा सकती हैं, पर थेरैपी लंबी चलती है और नियमितता जरूरी है.
उपचार के परिणाम
मरीज ने पहले कुछ सत्रों में सुधार देखा. उस का बेटा अब उस से बात करने लगा, पर वह नियमित अभ्यास छोड़ देती और इंप्लसिव फोन काल्स व सत्र छोड़ने की प्रवृत्ति वापस आ जाती. डाक्टर ने परिवार के सहयोग और मरीज के संकल्प पर जोर दिया और बताया कि यह बीमारी परिवारिक सहयोग और रोगी की प्रतिबद्धता से खत्म किया जा सकता है.
Borderline Personality Disorder
