Swelling during pregnancy: प्रैगनैंसी में हारमोनल बदलाव के कारण शरीर में कई तरह की परेशानियां हो जाती हैं. उसी में एक है सूजन आना. वैसे सूजन गर्भावस्था में होने वाली एक सामान्य समस्या है. लेकिन कभीकभी यह इतनी विकट हो जाती है कि आप को चलनेफिरने में भी बहुत परेशानी होने लगती है. वैसे तो सूजन कहीं भी आ सकती है लेकिन मां बनने वाली ज्यादातर औरतें पैरों में सूजन की समस्या का अनुभव करती हैं.

वैसे, थोड़ाबहुत सूजन आना तो आम बात है लेकिन फिर भी परेशानी हो तो डाक्टर को दिखाना जरूरी हो जाता है क्योंकि यह गंभीर भी हो सकती है.

प्रैगनैंसी में सूजन कहांकहां संभव है

-फेस पर सूजन आ जाती है.

-पैरों या टखनों में अत्यधिक सूजन.

-हाथों में सूजन.

-आंखों के आसपास सूजन.

सूजन क्यों हो जाती है

प्रैगनैंसी में पैरों में सूजन एक आम समस्या है जो हर गर्भवती महिला को होती है. यह सूजन आमतौर पर 20वें सप्ताह या दूसरी तिमाही में शुरू होती है और प्रैगनैंसी के अंत तक रहती है. प्रैगनैंसी में सूजन क्यों आती है, इस का कारण यह है कि इस दौरान शरीर ज्यादा पानी रखता है और जैसेजैसे गर्भाशय बड़ा होता है, पैरों पर अधिक दबाव पड़ता है. इस दबाव से रक्त पैरों में इकट्ठा हो जाता है, जिस से सूजन होती है.

हीमोग्‍लोबिन और प्रोटीन में कमी

इस के अलावा गर्भवती के शरीर में खून की कमी भी सूजन का कारण बनती है. शुरुआत में हीमोग्लोबिन की मात्रा अच्‍छी रहती है, लेकिन 3 से 4 महीने के बाद हीमोग्‍लोबिन में कमी आने लगती है जिस वजह से शरीर में सूजन पैदा होती है. इस के अलावा प्रोटीन का कम होना भी एक कारण है.

डाक्‍टर बताती हैं कि वैजिटेरियन लोगों की बौडी में अकसर प्रोटीन की कमी पाई जाती है. खासतौर से गर्भावस्‍था में अगर होने वाली मां प्राेटीन का सेवन ज्‍यादा नहीं कर पाती, तो उस के शरीर में सूजन आ सकती है.

किसी अन्य बीमारी के कारण भी सूजन आ जाती है

अगर आप को पहले से ही कोई बीमारी है जैसे फेफड़े का रोग, किडनी से जुडी परेशानियां, लिवर रोग, थायराइड, कंजेस्टिव हार्ट फेलियर, एडिमा की वजह से भी सूजन आ जाती है.

  • कुछ दवाओं की वजह से भी सूजन आ जाती है
  • अगर आप डिप्रैशन या फिर हाई ब्लड प्रेशर की दवा खाती हैं, तो उन की वजह से भी सूजन आ सकती है.

सूजन प्रीक्लैंपसिया का संकेत हो सकता है

हाथ और चेहरे पर होने वाली सूजन प्रीक्लैंपसिया का संकेत हो सकती है. यह प्रैगनैंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति को कहते हैं. ऐसे में डाक्टर को तुरंत दिखाएं.

हारमोंस का स्तर बढ़ जाने पर सूजन

प्रैगनैंसी के दौरान महिला के शरीर में प्रोजेस्टेरौन, ऐस्ट्रोजन, एचसीजी और प्रोलैक्टिन जैसे कई हारमोंस का स्तर काफी बढ़ जाता है और इस वजह से भी एडिमा (सूजन) होने लगती है.

नौर्मल सूजन को कैसे पहचानें

  • सूजन आमतौर पर टखनों और पैरों तक ही सीमित रहने चाहिए.
  • सुबहसुबह पैरों में सूजन नहीं होती है.
  • सूजन पूरे दिन बढ़ती है और बच्चे के वेट से पैदा होने वाले दबाव के कारण शाम या फिर रात में ज्यादा हो जाती है.
  • रेस्ट करने और टांगों को कुछ देर के लिए ऊपर उठाने पर सूजन कम हो सकती है.

सूजन कम करने के लिए क्या करें

-सूजन कम करने के लिए बहुत सारा पानी पीना चाहिए, क्योंकि इस से सूजन और दर्द से बचने में मदद मिलेगी.

-हील्स या कम सहारे वाले जूते न पहनें, बल्कि आरामदायक जूते पहनें.

-जब भी शरीर में सूजन महसूस हो, तुरंत अपना ब्‍लड प्रेशर चैक करना चाहिए.

-प्रैगनैंसी के दौरान नमक का सेवन कम से कम करें.

-अगर आप की डेस्‍क जौब है, तो अपने पैरों को लटकाए रखने के बजाय फुट स्‍टूल पर रखें.

-अपने पैरों को ऊंचा कर के आराम करें, इस से सूजन कम होगी.

-हर 1 घंटे में कम से कम 5 मिनट टहलें.

-जब भी आप लेटें तो अपने पैरों को ऊपर उठाने की कोशिश करें और एक तकिया रख लें. साथ ही साथ रात में 8 घंटे की नींद पूरी करें.

-सोते समय बाएं तरफ करवट रहें

-रोजाना थोड़ा समय जरूर टहलें, क्योंकि यह रक्त प्रवाह को ठीक करने में मदद करता है.

-ऊंची हील की चप्पलें या जूते न पहनें.

-खूब पानी पीएं और तरल पदार्थ लें.

-नमक का सेवन कम मात्रा में करें.

-अपनी डाइट में पोटेशियम से भरपूर आहार जैसे- केला, पालक, आलू, बींस, अनार और संतरे जैसे फलों को शामिल करें.

-कैफीन का सेवन कम करें.

-एक टब में गरम पानी भर कर उस में सेंधा नमक (एक बाल्टी में आधा किलोग्राम) मिलाएं और 15 मिनट के लिए उस में पैर डाल कर बैठें.

सूजन को कब नजरअंदाज न करें

-अगर सूजन के साथ आप को सांस लेने में तकलीफ हो रही है.

-अगर आप के एक पैर में दूसरे पैर की तुलना में ज्यादा सूजन है.

-अगर अचानक गंभीर सूजन हो जाए, तो आप को तुरंत अपने डाक्टर से मिलना चाहिए.

-सिरदर्द रहने लगे.

-आंखों में धुंधलापन.

-यूरिन कम आने लगें.

डाक्टर को कब दिखाएं

अगर आप को चेहरे और हाथों में अचानक सूजन आ जाए, दिनभर सूजन ठीक न हो या आप अन्य चेतावनी संकेतों जैसे तेजी से वजन बढ़ना, सीने में दर्द या सांस फूलने का अनुभव करें, तो तुरंत डाक्टर को दिखाएं, क्योंकि यह प्रीक्लेंपिसिया जैसी खतरनाक स्थिति का संकेत हो सकता है.

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