Sunitha Krishnan: सुनीता कृष्णन भारत की निर्भीक मानव तस्करी विरोधी योद्धा और ह्यूमन राइट्स ऐक्टिविस्ट हैं. प्रज्ज्वला की सहसंस्थापक के रूप में उन्होंने दुनिया का सब से बड़ा मानव तस्करी विरोधी संगठन बनाया है जिस ने 28,600 से अधिक पीडि़तों को बचाया और पुनर्वासित किया है. उन के पीडि़त नेतृत्व वाले सशक्तीकरण मौडल ने 12 देशों में मानव तस्करी विरोधी नीतियों को फिर से आकार दिया है.
बैंगलुरु के एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार में जन्मी सुनीता कृष्णन प्रज्ज्वला की सहसंस्थापक हैं. सुनीता को बचपन से ही समाज सेवा का शौक था. जब वे 8 साल की थीं तब उन्होंने मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को डांस सिखाना शुरू कर दिया था. 12 साल की उम्र में वे वंचित बच्चों के लिए झुग्गियों में स्कूल चलाती थीं.
15 की उम्र में जब वे दलित कम्युनिटी के लिए नव साक्षरता अभियान चला रही थीं तब 8 लोगों ने उन का सामूहिक बलात्कार किया था. उन्हें उन के पुरुष प्रधान समाज में एक महिला की दखलंदाजी पसंद नहीं थी. सुनीता को बुरी तरह पीटा भी गया था. इस से उन का एक कान भी आंशिक रूप से डैमेज हो गया और उन्हें कम सुनाई देने लगा. मगर सुनीता ने हार नहीं मानी. नजरें झुका कर जीने, कुछ न कहने या आत्महत्या करने के बजाय सुनीता कृष्णन ने संघर्ष का रास्ता चुना.
किताब के जरीए जिंदगी की कहानी
कृष्णन कहती हैं, ‘‘आज मुझे जो याद है वह बलात्कार नहीं है. मुझे अपना गुस्सा याद है,’’ उन्होंने उस गुस्से का बखूबी इस्तेमाल किया है जो अब उन के जीवन का काम बन गया है. उन्होंने एक किताब के जरीए अपनी जिंदगी की कहानी भी बयां की. ‘आई एम, व्हाट आई एम’ नाम की इस किताब में अपनी आपबीती के साथ एक मुहिम की शुरुआत की दास्तां लोगों के सामने रखी.
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