लेखक- पूजा अग्निहोत्री
Romantic Story: आदित्य और मीरा 5 साल से साथ रह रहे हैं. दोनों ने मिल कर अपने छोटे से घर को सपनों और हंसी से भर कर रखा है. कोई भी उन्हें देखे तो फख्र से भर जाए और कहे कि ऐसा ही प्रेम मेरे जीवन में भी आए. सुबह की चाय, साथ में टीवी देखते हुए राजनीतिक बहसें और किचन में रोटियां बेलते हुए की जाने वाली शरारतें सबकुछ इतना सहज है जैसे दोनों का साथ हमेशा के लिए तय हो.
मगर एक शाम जब किचन से ताजा रोटी की खुशबू उठ रही थी मीरा अचानक गुमसुम खड़ी थी. होंठ हिले पर शब्द निकल न सके. अंतत: सकुचाते हुए बोली, ‘‘आदि, सुनो तुम से कुछ कहना है. समझ नहीं पा रही कैसे कहूं.’’
आदित्य ने बेलन थामे मुसकरा कर उस की ओर देखा, फिर रोटी पलटते हुए सहज स्वर में बोला, ‘‘ऐसे ही कह दो, जैसे हर रात को मेरे माथे पर चुंबन जड़ते हुए गुड नाइट कहती हो.’’
मीरा की निगाहें जमीन पर टिक गईं. उसे शब्द भारी लगने लगे. वह सकुचाते हुए बोली, ‘‘मगर यह बात गुड नाइट जितनी आसान नहीं है आदि.’’
‘‘मेरे लिए तुम्हारी कही हर बात सुनना आसान है. बस तुम वह सब बिना किसी हिचकिचाहट कह दो डार्लिंग जो अभी कहना चाहती हो.’’
मीरा ने गहरी सांस ली, ‘‘आदि मैं अब तुम से प्रेम नहीं करती.’’
आदित्य का बेलन पर चलता हाथ कुछ पलों को रुक गया. चूल्हे पर फूली हुई रोटी सीधी करने से पहले आदित्य ने उसे ध्यान से देखा. लेकिन चेहरे पर कोई शिकन न आई. उस ने रोटी पर घी चुपड़ा, अपना काम उसी तल्लीनता से पूरा किया जैसा वह अमूमन करता है और शांत स्वर में मीरा के कंधे पर हाथ रख कर बोला, ‘‘ठीक है, इस में कोई बड़ी बात नहीं है. इतनी चिंता भी मत करो.’’
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