सिस्टमेटिक यानी व्यवस्थित होना तमाम क्षेत्रों में सफलता की पहली शर्त होती है. बचत और निवेश के मामले में इसकी अहमियत ज्यादा है. ऐसा इसलिए क्योंकि बचत और निवेश में अनुशासन बरतने से बड़ी पूंजी इकट्ठी होती है और वह समय के साथ-साथ बढ़ती जाती है.

इस मामले में कई मौकों पर दिक्कतें आ सकती हैं, लेकिन यदि इनसे सही तरीके से निपट लिया जाए तो आगे की राह आसान हो जाती है. एकमुश्त रकम इकट्ठी करना हमेशा आसान नहीं होता, लिहाजा नियमित बचत को आदत बना लेना चाहिए.

अनुशासित निवेश का सबसे सरल तरीका म्युचुअल फंडों में पैसा लगाना है, लेकिन सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप) निवेश का ऐसा जरिया है, जो इस मामले में सहज अनुशासन सिखाता है.

सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप)

सिप किसी फंड में निश्चित अंतराल पर निश्चित रकम का नियमित निवेश है. आम तौर पर निवेश की दो किस्तों के बीच एक महीने का अंतर रखा जाता है.

सिप बिलकुल सहज तरीके से म्युचुअल फंड्स में निवेश करके सबसे ज्यादा संभव लाभ कमाने के रास्ते में आने वाली दो कठिनाइयों का समाधान करता है. पहला यह कि चूंकि सिप के तहत निश्चित रकम का नियमित निवेश किया जाता है और इस मामले में एनएवी (संपत्ति का निवल मूल्य) या बाजार में गिरावट या तेजी का ध्यान नहीं रखा जाता, लिहाजा निवेशक स्वत: कम मूल्यों पर ज्यादा यूनिटें खरीदता है.

नतीजतन यूनिटों की औसत कीमत कम रहती है, जिसका सीधा मतलब है ज्यादा कमाई. निवेश का एक आधारभूत सिद्धांत है ‘कम दाम में खरीदना और ऊंचे दाम में बेचना.” सिप सहज तरीके से यह जरूरत पूरी करता है.

यदि आप एक ही बार में बड़ी रकम निवेश करते हैं, तो आप ज्यादा कीमतों पर यूनिटें खरीदकर मुश्किल में पड़ सकते हैं. इसका मतलब होगा कि आपने अधिक एनएवी पर निवेश किया है. ऐसे में बाजार में गिरावट आने पर लाभ की रकम कम हो जाएगी. सिप इस समस्या से बचाता है.

इसके जरिए एक निश्चित अवधि में औसत कीमत पर निवेश किया जा सकता है. दूसरा फायदा यह है कि सिप से निवेश करते समय मनोवैज्ञानिक मदद मिलती है. निवेशक स्वाभाविक रूप से बाजार में पैसा लगाने की सही टाइमिंग की तलाश में रहते हैं. बाजार में जब गिरावट आती है तो आम तौर वे बिकवाली शुरू कर देते हैं, निवेश नहीं बढ़ाते.

निवेश का समय और रकम पहले से निर्धारित होती है. इसका फायदा होता है कि यह फैसला नहीं करना पड़ता कि अधिक-से-अधिक लाभ कमाने के लिए कब निवेश करना है. गैर-अनुभवी निवेशकों के लिए अपनी पूंजी से बढ़िया रिटर्न पाने की दिशा में यह सबसे बड़ी बाधा साबित होती है. दरअसल, जो निवेशक कम कीमत पर लिवाली करता है वह अंतत: फायदे में ही रहता है.

सिस्टमेटिक विड्रावल प्लान (एसडब्ल्यूपी) किसी फंड में किए गए निवेश को नियमित तरीके से भुनाने का प्लान है. इसके तहत निवेशक निश्चित रकम निकाल सकता है, निश्चित संख्या में यूनिटों की बिक्री कर सकता है या फिर एक निश्चित स्तर से ऊपर मुकम्मल रिटर्न निकाल सकता है. अन्य तमाम बातों के अलावा यह किसी इन्वेस्टमेंट फंड से नियमित आय का सुविधाजनक तरीका है.

सिस्टमेटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी)

एसटीपी एक फंड से किसी दूसरे फंड में नियमित तरीके से निवेश ट्रांसफर करने की योजना है. यह सिप जैसा ही है, लेकिन इसमें निवेश की रकम दूसरे फंड से निकाली जाती है. एसटीपी का इस्तेमाल अक्सर तब किया जाता है, जब निवेशक के पास किसी इक्विटी फंड में डालने के लिए एकमुश्त रकम हो.

जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि हमेशा यही बेहतर होता है कि एक ही बार में बड़ी रकम निवेश करने की जगह सिप के जरिए नियमित तरीके से निवेश किया जाए. ऐसे मामलों में किसी एएमसी के डेट फंड में एकमुश्त रकम डाली जा सकती है और सीधे-सीधे निर्देश दिया जा सकता है कि हर महीने चुने हुए इक्विटी फंड में निश्चिम रकम ट्रांसफर की जाए. निवेश के इस तरीके को एसटीपी कहा जाता है.

सिस्टमेटिक प्लान से जुड़ी बातें

1.सिप बाजार के उतार-चढ़ाव की परवाह किए बगैर औसत लागत पर नियमित निवेश का तरीका है

2.सिप मुनाफा कमाने का पक्का साधन नहीं है. ऐसे हालात भी होते हैं, जब एकमुश्त निवेश से भी बेहतर आय हो सकती है.

3. ऐसा तब होता है, जब बाजार उस स्तर से कभी भी नीचे न आया हो, जिस स्तर पर निवेश शुरू किया गया था.

4.आम तौर लंबी अवधि में बाजार के उतार-चढ़ाव के कारण सिप से बेहतर कमाई पक्की होती है.

5.यह कहने का कोई आधार नहीं है कि किसी खास तरीके का नियमित निवेश सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है.

6.सिप के जरिए सबसे अधिक कमाई के लिए स्वाभाविक बचत चक्र पर ध्यान देने की दरकार होती है, इसी से तय करना चाहिए कि निवेश का अंतराल कितना हो.

सिप निवेशक की सुविधाओं के अनुरूप होना चाहिए. स्वाभाविक आय और बचत के आधार पर. निवेश की दो किस्तों के बीच एक महीने का अंतर हो सकता है, एक हफ्ते का या फिर तीन महीनों का भी.

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