अमेरिका में एक शोध से पता चला है कि जिन लड़कियों के पिता विवाह के दौरान किसी दूसरी के साथ अफेयर रखते हैं या विवाह दूसरी के लिए तोड़ देते हैं, उन लड़कियों का आमतौर पर पुरुषों पर से विश्वास उठ जाता है. पिता का यह बरताव उन्हें इतना गहरा घाव देता है कि जीवन भर नहीं भरता है. इन लड़कियों को मां को पिता का दिया आघात खलता है. मां में तो पति के धोखा देने पर गुस्सा होता ही है पर लड़कियां भी कई बार सोचने लगती हैं कि शायद उन में ही कोई कमी है, जो पिता उन्हें प्यार न कर के घर के बाहर किसी और को प्यार करते हैं.

ऐसी लड़कियां यह सिद्ध करने के लिए कि वे प्यार के काबिल हैं, वे आकर्षक हैं और उन में पुरुष को सुख देने की क्षमता है, आमतौर पर गलत बौयफ्रैंड पाल लेती हैं, क्योंकि उन में फ्रस्ट्रेशन और वीकनैस भर जाती है. इस तरह के बौयफ्रैंड भी उन्हें धोखा देते हैं. उन्हें बनाए रखने के लिए वे उन के साथ सैक्स करती हैं, मादक दवाएं लेती हैं, पैसा लुटाती हैं.

ऐसी लड़कियां बड़ी होने पर विवाह कर लेती हैं, तो पति को बांध कर रखना चाहती हैं और इस प्रयास में अति कर जाती हैं. ऐसे में पति को घर कैदखाना लगने लगता है. वह मुक्ति चाहता है. फिर वह भी वही करता है, जो लड़की के पिता ने किया. लड़की को पिता से विरासत में पैसा मिला या न मिला, शक और हीनभाव जरूर मिल जाता है.

इस का इलाज यही है कि स्लेट को बारबार साफ किया जाए. पिता ने मां के साथ क्या किया यह भूल कर पिता के साथ संबंध मजबूत रखें. पिता में देरसवेर बेटी के प्रति मोह जागेगा ही. वह बेटी के प्रति हमेशा के लिए कू्रर नहीं हो सकता. अगर उस ने बचपन में मां को सबक सिखाने के लिए बेटी की अवहेलना की भी हो तो भी बाद में वह अपनी गलती सुधार लेता है.

बेटियों के लिए यह पाठ कठिन होता है. वे आसानी से पिता को उस के दिए जख्मों के दोष से मुक्त नहीं कर पातीं, पर पिता को इग्नोर कर के उसे दंड भी नहीं दिया जा सकता. यह दंड एक लकड़ी को तोड़ने के लिए अपने हाथों पर जख्म करने की तरह का होता है. लकड़ी टूट भी जाए तो भी खुद को भी दर्द होता ही है.

पतिपत्नी विवाद सामान्य माने जाने चाहिए. मां या पिता की दूसरे के प्रति आसक्ति को बच्चे सहजता से लें. यह बड़ों का अपना मामला है. ठीक है उन की सुरक्षा और प्यारदुलार में कमी हो सकती है पर यही तो जीवन है. प्रकृति ने स्त्रीपुरुष को सदा साथ रहने के लिए नहीं बनाया है.

सौतेला पिता या सौतेली मां को पहले दिन दुश्मन घोषित करने से माता या पिता को भी खोना पड़ेगा. यह सौदा महंगा है. कम से कम अमेरिका के सामाजिक वैज्ञानिकों का तो यही खयाल है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...