इडियट बॉक्स पर अनगिनत चैनल्स आते हैं और उन चैनल्स पर अनगिनत प्रोग्राम्स. कुछ तो दिल को छू जाते हैं और कुछ दिमाग का दही कर जाते हैं.

कहीं नागिन तो कहीं डायन और कहीं मक्खी और मच्छर. हमारे टीवी के ये कलाकार डायरेक्टर के कहने पर कुछ भी बन जाते हैं और वहीं एक ओर किसी घर में औरतें सजी धजी बैठी घर के आदमियों पर रौब जमाया करती हैं.

टीआरपी के लिए है सारा खेल

टीवी के इन कार्यक्रमों की टीआरपी यानि की टेलीविजन रेटिंग पॉइंट ये तय करता है कि एक निश्चित समय के लिए कौन-कौन से सीरियल्स लोकप्रियता के किन पायदानों पर रहे. इसिलिए नाटकों में कई तरह के घुमाव दिखाए जाते हैं.

इसके अलावा भी समय समय पर निजी कंपनियां इस तरह के सर्वे करवाती रहती हैं. हाल ही में एक बड़ी अखबार कम्पनी ने एक सर्वे कंडक्ट कराया. इस सर्वे का परिणाम जानने के लिए आप अपना रुमाल, सर दर्द की दवा लेकर तैयार रहिएगा आपको कभी भी जरूरत पड़ सकती है.

सीआईडी

भारतीय टीवी के इतिहास का सबसे लम्बा चलने वाला कार्यक्रम है सीआईडी. ऐसा मालूम होता है कि इनके हीरोज के पास सुपरपावर्स है. क्यूंकि वे “कुछ भी” कर सकते हैं चाहे धूप के चश्मे से रेडिएशन देखना हो या किसी फटे कपड़े के एक रेशे से उसे बनाने वाले तक पहुंचना और बेहतरीन तो तब होता है जब झापड़ पड़ते ही गुनेहगार जहाँ भी हो सीधे सीआईडी के दफ्तर पहुंच जाता है.

निर्मल बाबा का दरबार

मुझे याद है एक बार किसी परेशान व्यक्ति ने इनसे समस्या का उपाय पूछा तो ये बोले बेटा समोसा हरी चटनी से खाया करो. किसी मधुमेह रोगी को रसगुल्ला खाने को कह देते हैं. कभी कहते हैं समागम होगा तो काला पर्स खोल कर बैठना कृपा बरसेगी. मेरी दादी भी बैठती थी ऐसे ही कृपा लेने; पर मैंने कभी आते नहीं देखी. बाबा ‘कुछ भी’ बताते थे.

साथ निभाना साथिया

इस सीरियल में लीप पर लीप होते जा रहें हैं लेकिन गोपी बहु बुड्ढी नहीं हुई और कोकिला कभी सुरीली नहीं हुई. अब जब सब बच्चों की शादी हो गयी और उनके भी बच्चे हो गये तो गोपी बहु की फिर से शादी हुई. उतनी ही जवान लग रही थी जितनी पहली शादी में थी.

दीया और बाती हम

जब सीरियल को इतना लम्बा खींचना था तो दीया और बाती नाम क्यूं रखा, अखंड ज्योत रख देते. संध्या बींदणी कभी भी कहीं भी “कुछ भी” कर सकती हैं क्योंकि वो एक सुपर कॉप हैं. हेलीकाप्टर पर उल्टा लटक सकती हैं. बम धमाके से बिना खरोंच के वापस आ सकती हैं क्योंकि देश की पूरी ज़िम्मेदारी इन्हीं पर हैं.

ससुराल सिमर का

ये तो एकदम अल्टीमेट सीरियल है. कभी रोली डायन तो कभी सिमर मक्खी बन जाती है. इनके घर के मर्द सब चूड़ी पहन कर बैठे रहते हैं. पूरे घर की जिम्मेदारी इन दोनों लडकियों पर हैं. बेचारी दो नन्हीं सी जान और उम्र भर का बोझ और उसपर कभी आत्माएं तो कभी जिन्न सब इन्हीं दोनों को परेशान करते हैं. फिर बेचारी पाताल जाकर अपने पति को बचा कर लाती हैं. “कुछ भी” करके इन्हें अपने परिवार को बचाना है और सीरियल को चलाना है.

ये रिश्ता क्या कहलाता है

ये तो इन्हें भी नहीं समझ आया पिछले 8-10 सालों से कि ये रिश्ता क्या कहलाता है? इनकी परेशानियाँ बहुत बड़ी होती हैं जैसे अक्षरा का पहली बार सलाद बनाना या सड़क खुद पार करके दूसरी तरफ जा पाना या नैतिक को छींक आना या नक्श की स्कूल बस छूट जाना. बाप रे इतनी सारी परेशानियाँ!! बेचारे कैसे सह पाते हैं. जीवन मुश्किल है इनका. “कुछ भी” हो सकता है इनके साथ.

जोधा अखबर

एकता कपूर ने अगर रामायण बनाई होती तो लंका में शायद सीता जी की प्लास्टिक सर्जरी हो गई होती और राम जब उन्हें लेने आते तो पहचान न पाते और रावण के मरने के 20 साल बाद पता चलता कि वो तो मरा ही नहीं और अब वो फिर से बदला लेगा. जोधा अखबर में भी यही हुआ. पूरे इतिहास की धज्जियां उड़ा दी गईं. इन्होंने जोधा अखबर की कहानी में “कुछ भी” करके जिन्न, भूत, आत्मा सब घुसेड़ दिया|

झलक दिखलाजा 9

डांस और ब्यूटी का डबल डोज़ झलक दिखलाजा 9 में एक और नई एंट्री.

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