हमारीभारतीय नारी को, गृहिणी को सब से ज्यादा यदि कोई चीज परेशान करती है, तो वह है… लो अभी हम ने बात पूरी भी नहीं की और आप ने कयास लगाने शुरू कर दिए. यह आदत हम हिंदुस्तानियों की जाती नहीं है. पूरी बात सुनी नहीं कि कयास लगाने शुरू कर दिए कि वह सब से ज्यादा परेशान रहती है. म्यूनिसिपैलिटी वालों से. उन के नल की टोंटी कितनी भी मोटी हो उस से जल समय पर नहीं आता है या फिर असमय आता है. रात को 1 बजे नलजी कलकल कर जल गिराते हैं, तो उत्पन्न होने वाले जलतरंगी संगीत से नींद खुल जाती है. यह नल से जल आने के पूर्व के खर्राटे हैं, जो हमारे खर्राटों पर भारी पड़ जाते हैं.

नहीं यह बात नहीं है. अब आप सोच रहे होंगे कि कचरे वाला कचरा नियमित रूप से नहीं उठाता होगा. नहीं, यह बात भी नहीं है. तो आप सोचने लगे होंगे कि पड़ोसिन पलपल किचकिच करने वाली आ गई होगी? नहीं यह परेशानी भी नहीं है. तो उस की ननद, देवर, सास आदि संताप देते होंगे. नहीं, ये तो दकियानूसी बातें हैं. देखा नहीं आप ने कुछ सीरियलों में कि सासू को बहू मां मानती है.

तो अब आप सोचने लगे होंगे कि दूध वाला पानी मिला कर दूध दे कर परेशान कर रहा होगा. वैसे पानी मिलाना तो दूध वालों का ऋगवेदकाल से चला आ रहा धर्म है. मगर नहीं, यह भी कोई बड़ी परेशानी नहीं है. आजकल पैक्ड दूध आसानी से उपलब्ध है. तो फिर प्रैस वाला परेशान कर रहा होगा. हफ्ते भर से ले गया कपड़ा वापस नहीं ला रहा होगा और इकट््ठे हो गए कपड़े ले जा नहीं रहा होगा या फिर माली परेशान कर रहा होगा. नहीं यह भी नहीं है. तो फिर क्या है? स्त्री को ये सारे के सारे पुरुष प्रजाति के लोग परेशान नहीं कर रहे हैं? तो फिर कौन कर रहा है? क्या स्त्री ही कर रही है? सही पकड़ा. स्त्री को एक स्त्री ही परेशान कर रही है. एक बात और समझ लीजिए कि केवल गृहिणी ही नहीं, कामकाजी स्त्री भी इस समस्या से परेशान है. आखिर दफ्तर से लौटने पर कौन से पति महोदय सारे काम करने के बाद पलकपावड़े बिछाए खड़े रहते हैं. वे तो और कोई न कोई काम ही फैलाए बैठे मिलते हैं. यह आज की स्त्री की ज्वलंत समस्या है. केवल जो स्त्री स्वयं मेड है मतलब ‘सैल्फ मेड’ है अपने इन कामों के लिए वह इस से मुक्त है.

यह मेड सर्वैंट है, जोकि हमारी गृहिणी को टैंशन देती है, आए दिन देती है, रोज देती है. बिना लेट देने में इस का लंबा रिकौर्ड है. यह क्या इस के डीएनए में है? कभी लेट आएगी, तो कभी बिना बताए गायब हो जाएगी. बहाने भी एक से एक नायाब. कभी तबीयत का, तो कभी मेहमान अचानक आ टपकने का, कभी बरसात में छत के टपकने का, तो कभी पानी न आने का, कभी भी कोई भी बेसिरपैर का बहाना. मेड के टैंशन देने के और भी कई तरीके हैं. जैसे काम ठीक से न कर बला टाल देना. यदि झाड़ूपोंछे वाली है, तो किसी दिन पोंछा लगाने का काम चुपचाप गोल कर देना.

एक मेड का नाम ‘कचरा बाई’ था, तो कचरा हर कमरे में थोड़ा सा अपने नाम को सार्थक करते हुए छोड़ ही देती थी. यदि बरतन वाली है, तो बरतन में साबुन लगा छोड़ देना या मौका देख कर पानी से ही साफ कर हाथ की सफाई दिखा देती है. यदि रोटी वाली मेड है

और आने का समय 10 बजे है तो 12 बजे आएगी. मैडम से नाराज है तो खुन्नस निकालने के लिए मिर्चमसाला सब्जी में ज्यादा डाल देगी

या फिर किसी दिन जानबूझ कर नमक डालना भूल जाएगी.

किसी दिन पता चला कि गृहिणी को खुद ही खाना बनाना पड़ा. मेम साहब खूब लेट आ कर केवल किचन साफ करने का काम कर चलती बनी और 2 रोटी व सब्जी भी भूख लगी है कह कर पालथी मार कर ठसके से मार ली. मतलब जिस मेड को खाना बनाने रखा था वह मैडम के हाथ का बना खा गई और उन्हें खून का घूंट पिला गई.

यदि शौकीन परिवार है, तो भी फीका सा खाना बना देना. महीने में 2-3 बार गैस खुली छोड़ देना, सब्जीदाल जला देना. चावलदाल में कंकड़ भी उबाल देना. वैसे ये उबलते नहीं हैं और न ही निगलते बनते हैं. हां, जिस की थाली में आ जाएं, वह जरूर गुस्से में उबलना शुरू हो जाता है.

एक आम लक्षण सभी मेड में होता है और वह यह कि काम करतेकरते 10 बार मोबाइल पर अपने आदमी से या फिर अपनी लड़की अथवा लड़के से बात करना. आग लगे इन सस्ती प्लान्स को. मेड जब चाहे कोई भी लिखापढ़ी का काम ले आएगी और मैडममैडम कर के उन से पूरा करवा लेगी. लेकिन दूसरे दिन से फिर वही हरकतें शुरू. घर में 3-4 मेड हैं, तो आपस में मंडली बना कर मैडम की पीठ पीछे बुराई करना, कानाफूसी कर के मैडम को तनावग्रस्त करना आम बात है. अरे, ये समझती क्यों नहीं कि एक महिला दूसरी महिला की कानाफूसी से परेशान हो जाती है. गृहस्वामिनी को लगता है कि हो न हो उस की घोर तरीके से निंदा हो रही है. भले ही कोई किसी की तारीफ करना चाह रहा हो, ये यह क्यों नहीं समझतीं?

गंगू तो कहता है कि मेड को आज की असली मेम साहब कहना चाहिए.

मेड हुई ही इसलिए है कि मैडम को तंग करे, तनाव दे, 2 पल भी सुकून की जिंदगी न जीने दे. यदि आप मेरी बात से सहमत नहीं हैं, तो अपने सीने पर हाथ रख कर बताएं कि आप का ऐसा सौभाग्य रहा कभी कि मेड ऐसी मिली हो जिस ने आप को अपनी हरकतों से कभी तंगाया न हो, नचाया न हो, उलझाया न हो? इतना तो आप अपने पति को भी नहीं नचा पाती हैं.

यहीं से मैनेजमैंट की एक बिलकुल नई ब्रांच ‘मेड मैनेजमैंट’ का स्कोप शुरू होता है.

गंगू की सलाह है कि सभी गृहिणियां, इन में कामकाजी भी शामिल हैं, इसे जौइन करें. यह एक संपूर्ण पाठ्यक्रम है. इस में यह बताया जाएगा कि मेड सिस्टम का विश्व व भारत में उदय व इतिहास, कितनी तरह की होती हैं, मेडों का स्वभाव, लाइक व डिसलाइक्स, उन से कैसे पेश आएं, क्या बात करें क्या नहीं. ‘मेड मैनेजमैंट’  में एक ‘मेड नीति’ बनाई गई है. उसे पढ़ने से ‘चाणक्य नीति’ की तरफ आप मेड से पार पा सकेंगी, नहीं तो वह आप को इसी तरह आरपार करती रहेगी. मेड मैनेजमैंट के निम्न सिद्धांतों पर गंभीरता से गौर करें:

– यदि आप के यहां एक से अधिक मेड हैं तो कभी भी उन्हें एक ही समय पर न बुलाएं. ‘न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी’. सीधी से सीधी मेड भी दूसरे के सान्निध्य में बिगड़ जाती है. जो पहले दिन अपनी आंखें नीचे जमीन में गड़ाए आप से बात करती थी उसी तरह जैसेकि नईनवेली बहू शुरू में सास से करती है, वह भड़कावे में आ कर अब आंखें मिला कर जोरजोर से ऐसे बात करे जैसेकि आप की सास या बौस हो.

– यदि झाड़ूपोंछा वाली को सुबह 9 बजे बुलाया है, तो बरतन वाली को उस के रुखसत होने के बाद 10 या 11 बजे बुलाएं.

– गंगू यह भलीभांति जानता है और मानता है कि यह भारतीय स्त्री के डीएनए में ही होता है कि वह मेड से जमाने भर की बातें किए बिना रह ही नहीं सकती है. वह यह न करे तो उसे बदहजमी हो जाएगी. जिन्हें बदहजमी हो वे कृपया नोट कर लें कि कहीं उन्होंने मेड से दूरी तो नहीं बना ली है. मेड पैरालाइसिस की पौलिसी ठीक नहीं. और यहीं पर जबान फिसल जाती है. वह कई बातें घरपरिवार की भी कर बैठती है और फिर मेड उन्हें यहां से वहां तक खूब नमकमिर्च लगा कर फैला देती है.

– कभी किसी दूसरे घर या मैडम की बात अगर मेड कर रही हो, तो कितनी भी आप के कानों में खुजली हो रही हो, कान न दें. कारण, आप के यहां की बातें भी वह दूसरे के यहां इसी तरह बताएगी.

– यदि आप को समाजसेवा का शौक है, तो आप सब से पहले जोरआजमाइश मेड के बच्चों पर करें. जैसेकि उस के बच्चों को मुफ्त ट्यूशन दें. वह गद्गद हो जाएगी. और आप के सिर पर तबला नहीं बजाएगी.

– सब से बेहतर है ‘एकल मेड’ या ‘ए टु जैड मेड’ जोकि घर के सभी काम करती हो. यह न किसी से बात कर पाएगी और न ही दूसरा इस से बात कर पाएगा.

– कभी जवान व सुंदर मेड को काम पर न लगाएं. विशेषरूप से तब जब आप के पति दिलफेंक स्वभाव के हों. खूसट मेड को खोजबीन कर लाएं. गंगू को माफ करें कि आप खुद ऐसी हैं, तो फिर तो और सतर्क रहने की जरूरत है कि कहीं सुंदरी मेड के रूप में घर न आ जाए.

– मेड की हस्ती कोई सस्ती नहीं होती. उसे चायनाश्ता जरूर करवा दें वरना वह बुरा मानती है. 10 घरों में आप की बुराई करती है.

– यहां आप अंगरेजों की ‘फूट डालो राज करो’ नीति अपनाएं. यदि एक से अधिक मेड हैं, तो एक की कमियां निकाल कर दूसरी के सामने बताएं. वह फील गुड करेगी. कभी उन्हें एकदूसरे से इस तरह भिड़ा भी दें. इस तरह आप का काम निकलता रहेगा.

– बाजारवाद के इस युग में सारी बातें मुफ्त में नहीं बताई जातीं. ‘मेड मैनेजमैंट’ के बाकी सिद्धांत विस्तार से समझने हैं, तो पत्राचार से इस का कोर्स जौइन कर सकते हैं. यदि यह आप के काम का नहीं निकले तो आप के पैसे वापस की भी गारंटी.

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