गत 9 दिसंबर को विस्तारा ऐअरलाइंस की फ्लाइट से दिल्ली से मुंबई जा रही ‘दंगल’ फेम ऐक्ट्रैस जायरा वसीम ने मुंबई पहुंचने के बाद रविवार को इंस्टाग्राम पर कुछ ऐसा पोस्ट डाला कि लोग हैरान रह गए.

दरअसल, जायरा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया था, जिस में वह रोतीरोती बता रही है कि कैसे बीती रात फ्लाइट में उस के साथ एक शर्मनाक घटना घटी. फ्लाइट में जायरा के ठीक पीछे बैठा शख्स अपने पैर से बारबार उस के कंधे को रगड़ता रहा. वह गरदन और पीठ पर भी पैर ऊपर नीचे करता रहा. फ्लाइट के क्रू मैंबर्स ने भी उस की मदद नहीं की. जायरा ने रिकौर्डिंग करनी चाही पर रोशनी कम होने की वजह से वह ऐसा नहीं कर सकी.

बाद में वीडियो वायरल होने पर रविवार शाम आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया. जायरा वसीम ने हाल ही में महिला पहलवान गीता फोगाट के जीवन पर आधारित बहुचर्चित फिल्म ‘दंगल’ में गीता की किशोरावस्था का किरदार निभाया था. उस के बाद वह फिल्म ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ में भी मुख्य किरदार में नजर आई.’

इस घटना के बाद गीता फोगट ने तुरंत अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि यह बहुत ही शर्मनाक है. यदि वह वहां होती तो रोना उसे पड़ता जिस ने ऐसी हरकत की न कि उसे. वाकई जायरा ने गीता फोगट का किरदार तो निभाया पर रियल लाइफ में वैसी नहीं बन सकी.

क्यों आवाज नहीं उठातीं लड़कियां

हम लड़कियों को पढ़ालिखा कर सबल बनाने की मुहिम तो चलाते हैं, उन्हें आगे बढ़ने के मौके देने की बातें भी करते हैं, मगर उन के अंदर बैठे सामाजिक खौफ और संकोच की दीवार गिराने का प्रयास नहीं करते. उन्हें जरूरत पड़ने पर कठोर होने और अपनी सुरक्षा स्वयं करने के गुर नहीं सिखाते. मनचलों की पिटाई करने और अपराधियों से लड़ने का हौसला नहीं देते. यही वजह है कि जायरा जैसी लड़कियां पढ़ीलिखी और आत्मनिर्भर होने के बावजूद अंदर से कमजोर ही साबित होती हैं. जायरा ने इतनी कम उम्र में नाम और धन कमाया, दुनिया में अपनी काबिलीयत का लोहा मनवाया मगर जब बात आत्मबल दिखाने और छिछोरी हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देने की आई तो वह चूक गई. गलत के खिलाफ मजबूती से खड़ी न हो सकी और उस की आंखों में आंसू आ गए. इस रुदन का औचित्य क्या है?

रुदन किसलिए

सवाल यह है कि क्या एक अनजान सामान्य सा शख्स जायरा के साथ सचमुच बदतमीजी कर रहा था या यह तुनकमिजाजी है?

कई दफा छोटी सी बात को भी बेवजह तूल दिया जाता है ताकि मीडिया का ध्यान और लोगों की सहानुभूति हासिल हो सके. महिला या सैलिब्रिटी होने का मतलब यह कतई नहीं कि बेवजह बात का बतंगड़ बनाया जाए. आजकल वैसे भी सोशल मीडिया में चीजें इतनी तेजी से वायरल होती हैं कि जरा सी बात भी कईकई दिनों तक सुर्खियों में छाई रहती है. खासकर वैसी बातें जिन का संबंध किसी स्टार से हो. जबकि वास्तव में जहां बलात्कार से ले कर हत्या तक की घटनाएं हो जाती हैं उन पर लोग सोचने या प्रतिक्रिया देने की भी जहमत नहीं उठाते. 4 पंक्तियों के संक्षिप्त से समाचार की तरह सामने आ कर ये बातें कहीं कोने में खो जाती हैं.

अगर वास्तव में जायरा के साथ अति हो रही थी तो वह उसी वक्त भड़क उठती जब पहली बार उस पुरुष ने गलत हरकत की. जोर से चिल्ला कर अपनी बात क्रू मैंबर्स के आगे रखती या बोल कर सीट बदलवा लेती तो उसे इस कदर बाद में रोते हुए वीडियो शेयर नहीं करना पड़ता.

जायरा की इस तुनकमिजाजी और रुदन से इतर महिला सुरक्षा से जुड़ी गंभीर समस्याओं और उपायों पर चर्चा करें तो कुछ बिंदुओं पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है.

प्रतिकार जरूरी

किसी महिला / लड़की के साथ वास्तव में कोई शख्स छिछोरी हरकतें करता है, तो बेहतर होगा कि पहली बार में ही लड़की उसे आंखें दिखा कर उस की सीमा बता दे. इस के विपरीत उस की हरकतों को इगनोर करने का मतलब उस का मनोबल बढ़ाना है.

मान लीजिए कोई शख्स आप के सोने की चेनपर्स या कोई और महंगा सामान ले कर भागने का प्रयास करता है तो क्या आप शोर मचाने और उस के पीछे भाग कर उसे धर दबोचने का प्रयास नहीं करेंगी? उसे रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत नहीं लगा देंगी? फिर इसी तरह यदि कोई शख्स आप की इज्जत पर हमला करता है या छे़ड़छाड़ करने का प्रयास करता है तो क्या यह उचित नहीं कि आप शोर मचाएं और उस के हौसले को पस्त करने में अपना दमखम लगा दें?

डर का सामना करें

मनोचिकित्सक, डा. गौरव गुप्ता कहते हैं, ‘‘डर का सामना करें, डर अपनेआप भाग जाएगा. अपने अंदर आत्मविश्वास जगाएं, यही आप की मदद करेगा.’’

जेएनयू की एक छात्रा जाह्नवी गांगुली अपना एक कटु अनुभव याद कर आज भी सिहर उठती हैं. एक आदमी उस का पीछा करता था. अश्लील इशारे भी करता. कई दिनों तक वह अपने पिताभाई को ले कर निकलती रही पर यह समस्या का समाधान नहीं था. पिताभाई कब तक साथ देते? कभी तो उसे अकेले भी निकलना ही था. वह बहुत डरी हुई रहती. अपना सामान्य जीवन नहीं जी पा रही थी. हमेशा यही सोचती कि कब घर से निकले, क्या पहन कर निकले कि उस की नजर न पड़े.

अंत में उस ने अपने कालेज में इस तरह की समस्याओं से निबटने हेतु बनाई गई समिति में शिकायत की.

समिति के जरीए उस व्यक्ति को सचेत करते हुए चेतावनी दी गई कि वह ऐसी हरकतें छोड़ दे वरना कड़ी काररवाई की जाएगी. उस के बाद ही उस व्यक्ति ने जाह्नवी का पीछा करना छोड़ दिया.

इसी तरह 28 वर्षीय स्वाति जो एक बिजनैस वूमन है ने 6 महीने की ट्रेनिंग ली, जिस में उसे आत्मरक्षा के गुर सिखाए गए. वह बताती है कि प्रशिक्षण लेने के बाद वह ज्यादा आत्मविश्वासी, जिंदादिल और शक्तिशाली होने का एहसास करती है.

जाहिर है कि असुरक्षा, छेड़छाड़ के भय से घर में बैठने से काम नहीं चलेगा न ही रोनेधोने या दूसरों पर इलजाम लगाने से कुछ मिलने वाला है. जरूरी है खुद को मजबूत बनाना और अपनी सुरक्षा के लिए स्वयं मुस्तैद रहना.

आंकड़ों पर एक नजर

हाल ही में प्रजा फाउंडेशन के शोध संस्थान हंसा रिसर्च द्वारा 24,301 परिवारों पर किए गए सर्वेक्षण के आधार पर तैयार रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध निरंतर बढ़ रहे हैं. 2016 में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के कुल 3,969 मामले दर्ज हुए जबकि अपहरण के दर्ज कुल मामलों में से 59.60 मामलों का संबंध महिलाओं के अपहरण से था.

नैशनल क्राइम रिकौर्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2016 में देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की औसत दर 77.2% रही वहीं दिल्ली में यह दर 182% रही.

लैंगिक असमानता और असुरक्षा

गत 2 नवंबर को वर्ल्ड इकौनौमी फोरम ने ग्लोबल जैंडर गैप इंडैक्स (वैश्विक लैंगिक असमानता सूचक) 2017 की सूची जारी की, जिस में लैंगिक समानता के मामले में भारत को दुनिया के 144 देशों की सूची में 108वां स्थान मिला है. पिछले साल इस सूची में भारत का स्थान 87वां था.

भारत की खराब रैंकिंग के लिए मुख्यतया 2 कारकों को जिम्मेदार बताया गया है. इस में से एक है आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की घटती भागीदारी. दुनिया में भारत की रैंकिंग 139वें स्थान पर है. आर्थिक गतिविधियों के संदर्भ में देखा जाए तो 86% नाइट शिफ्ट में आतेजाते समय परेशानी महसूस करती हैं. बीपीओ, आईटी, होटल इंडस्ट्री, नागरिक उड्डयन, नर्सिंग होम, गारमैंट इंडस्ट्री आदि में लगभग 53% कामकाजी महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करतीं.

देश की राजधानी दिल्ली तक में 65% महिलाएं खुद को महफूज नहीं मानतीं. ऐसे हालात में महिलाएं पूरे आत्मविश्वास के साथ नौकरी कैसे कर पाएंगी?

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