नरेंद्र मोदी की सरकार ने साबित कर दिया है कि न उन्हें राज करना आता है और न ही उसे सीखने की उन की इच्छा है. उन की सरकार के लोग प्रवचनों से निकल कर आए हैं और वे आम साधुसंतों, स्वामियों व बाबाओं की तरह के प्रवचन दे सकते हैं, कल्याण भव: का आशीर्वाद दे सकते हैं, पर सरकार नहीं चला सकते.

नोटबंदी तो उन के निकम्मेपन का एक बड़ा नमूना है, वरना उन के अब तक के ढाई साल के फैसलों में कोई एक अच्छा फैसला नहीं हुआ, जिस से आम गृहिणी को राहत मिली हो. सरकार उन बाबाओं की तरह काम कर रही है, जो शायद खुद इस झूठ को मानते हैं कि व्यक्ति के दुखों का कारण उस के पिछले जन्मों या इस जन्म के पाप हैं और धर्मगुरु व सरकार उन्हें पापमुक्ति दिलाने के लिए कष्ट दे तो ही उन का जीवन सुधरेगा. जैसे पापों के प्रायश्चित्त के लिए नंगे पैर चलना, कईकई दिन भूखे रहना, ठंडे पानी में स्नान करना, अपना सर्वस्व दान करना शामिल है, वैसे ही सरकार बिना कुछ किए जनता से त्याग, बलिदान और कष्ट उठाने की बात आते ही करने लगी कि इस के कुछ दिन बाद उन की घोर तपस्या फल जाएगी और सुनहरे महलों का वरदान उन्हें स्वयं भगवान देंगे.

हमारी मूढ़ जनता, जिन में महिलाएं ज्यादा शामिल हैं, इस गलतफहमी में रह रही है और हर कष्टमय काम को ताली बजा कर स्वागत करती रही है, चाहे वह गैस सब्सिडी समाप्त करने का मामला हो, गौरक्षा के नाम पर दलितों और मुसलिमों पर अत्याचार की घटनाएं हों, टैलीविजन मीडिया पर अंकुश लगाने वाले नियम हों, किसानों से जबरन जमीन लेने का प्रयास हो या अब नोटबंदी हो, धर्मभीरु जनता उन्हें स्वामियों, धर्मगुरुओं का आदेश मान कर सह रही है.

सरकार चलाना और मठआश्रम चलाना अलग है. केवल बातों से सरकार नहीं चलती. जहां भी केवल बकबकिए नेता बने और सरकार में घुस गए, वहां की जनता ने बहुत अनाचारअत्याचार देखे, चाहे वह लेनिन हो, स्टालिन हो, ईदी अमीन हो, माओ हो.

नोटबंदी एक ऐसी चमत्कारी तपस्या की तरह पेश की गई थी, मानो इस कष्ट को सहने के बाद भगवान प्रकट हो कर खुद ही इस भारतभूमि पर स्वर्ग फैला देंगे. नरेंद्र मोदी की गलती कम है, इस देश की मूर्खता की गलती ज्यादा है. काले धन के मर्म को पहचाने बिना और यह जाने बिना कि पाप होते क्यों हैं, जपतप से पुण्य कमाने की सहमति जो जनता दे रही है, नोटबंदी जैसे फैसले का कारण है.

अब हालत यह हो गई है कि धर्मगुरुओं के कहने पर जनता को अब गणेश को दूध पिलाने के लिए कतारों में खड़ा होना पड़ेगा और वह भी नंगे पैर और भूखे पेट. जय नोट महाराज की. कल्याण करो, वर दो, वर दो.       

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