किट्टी पार्टी का नाम आते ही जेहन में गृहिणियों की गोष्ठी का चित्रांकन हो उठता है. हंसी ठिठोली, गपशप, चुगलियां करती, बनीसंवरी, खानेपीने की सामग्री के अंबार के साथ अपने घर की साजसज्जा व क्रौकरी का दिखावा करती गृहिणियां. लेकिन अब किट्टी पार्टियों की रूपरेखा भी बदल रही है. अब हर किट्टी पार्टी एकजैसी नहीं होती, बल्कि भिन्नभिन्न समूह भिन्नभिन्न तरीकों से अपनी किट्टी आयोजित करते हैं, तो फिर देर किस बात की है? नववर्ष में आप भी बदल डालिए अपनी किट्टी का रंगरूप और उसे दे डालिए नया लुक.
हर बार नया अंदाज
बैंगलुरु की शोभा सोसाइटी की महिलाओं ने किट्टी का थीम रखा ‘टपोरी’ और सभी महिलाएं टपोरीनुमा तैयार हो कर आईं. किसी ने गले में रूमाल बांधा तो किसी ने गाल पर मस्सा बनाया. मुंबई के शारदा हाउसिंग कौंप्लैक्स की महिलाओं ने अपनी किट्टी का थीम रखा ‘मुगल’. सभी महिलाएं कामदार अनारकली सूट पहन
कर आईं. मेजबान ने मुगल जमाने की तरह ही अपनी बैठक को सजाया और शेरशायरी का माहौल बनाया.
पुणे की एक किट्टी की सदस्याओं ने यह निर्णय लिया कि वे हर बार अलग राज्य की भांति तैयार होंगी और उस राज्य की खास बातें एकदूसरे से बांटेंगी जैसे उस राज्य का इतिहास, वहां का खास भोजन, वहां के खास दर्शनीय स्थल, वहां का नृत्य इत्यादि और जो कोई महिला उस राज्य में घूमने गई हो, वह वहां खींची गई तसवीरें भी सब को दिखाएगी. और भी कई र्आकर्षक थीम हो सकती हैं. मसलन, रैट्रो लुक अर्थात पुराने समय की हीरोइनों की तरह तैयार हो कर आना या फिर डिस्को लुक, जिस में आप अपने माथे पर सुनहरी डोरी बांध, चमचमाते कपड़े पहन ठुमक सकती हैं या फिर आने वाले त्योहारों को ध्यान में रखते हुए कोई लुक.
अब हमारे समाज में विदेशी त्यौहार भी उसी धूम से बनाए जाने लगे हैं जैसे कि वैलेंटाइन डे या हैलोवीन. वैलेंटाइनडे के दौरान लाल रंग का ड्रैसकोड, गुब्बारे या फिर दिल के आकार की सजावट की जा सकती है. ऐसे ही हैलोवीन जब मनाएं तब हर कोई डरावनी शक्ल बना कर आए. किट्टी की सभी सदस्याओं की राय लीजिए और हर बार अलग अंदाज में किट्टी पार्टी करिए.
किट्टी के बहाने खोजिए नए वेन्यू
अधिकतर किट्टी पार्टी का समय दोपहर या तीसरे पहर का होता है. सदस्याएं भी कई होती हैं. सभी महिलाएं संग मिल कर हर बार नई जगह जा सकती हैं. इस बहाने आप अपने शहर की नई जगह या नए रेस्तरां जा पाएंगी. इस तरह जीवन में मेलमिलाप के साथ नई जगह घूमने का आनंद भी जुड़ जाएगा. नीता की किट्टी कभी आधुनिक सोच के चलते रेस्तरां चल देती है तो कभी शुद्ध शाकाहारी भोजन करने आंध्रा भवन. जिस की किट्टी पार्टी आयोजित करने की बारी होती है, उस की इच्छानुसार ही जगह और थीम को निश्चित किया जाता है.
मास्टर शैफ या दिलदार मेजबान
किसी महिला को खाना बनाने और नित नए ढंग से सजा कर खिलाने में आनंद आता है, तो किसी को बनाबनाया मिल जाए तो उस की खुशी का ठिकाना नहीं रहता. नईर् दिल्ली की शेफाली स्वयं को मास्टर शैफ कहलाना पसंद करती है और उस की सहेलियां खुशीखुशी उसे यह पदवी देती हैं. शेफाली अपनी बारी आने पर किट्टी पार्टी अपने घर में ही रखती है और विभिन्न पकवान बना कर सब का दिल जीत लेती है. दूसरी तरफ उसी की किट्टी की मानसी है, जिसे खाना बनाने के नाम से भी चिढ़ होती है.
‘‘सारा दिन घर में सब के लिए इतना खाना बनाती हूं कि किट्टी की मेरी बारी आते ही मुझे बाहर जाने का बहाना दिखाई देने लगता है,’’ मानसी कहती हैं.
मानसी अपनी सभी सहेलियों को किसी न किसी रेस्तरां ले जा कर मनचाहे व्यंजन खिला कर लाती है. बड़ी उम्र की महिलाएं भी सुविधा के कारण किसी रेस्तरां जाना पसंद करती हैं.
नए खेलों से करें मनोरंजन
किट्टी में अंत्याक्षरी, तंबोला या हाउजी जैसे खेलों से मन भर गया हो तो अन्य नए खेलों को भी अवसर दीजिए. सभी सदस्याओं को अपने सब से फैशनपरस्त परिधान पहन कर आने को बोलिए और एक रैंपवाक रखिए या फिर यदि किसी के पास कैरिओके का सामान है तो कैरिओके का लुत्फ उठाएं. बच्चों के खेल जैसे लूडो, सांपसीढ़ी या फिर ऊनो में भी बहुत आनंद आता है. जी भर कर हंसिए और 4 घंटों में तरोताजा हो जाइए.
अपनी किट्टी को बनाएं साहित्य को बढ़ावा देने का मंच
आजकल पढ़ने की आदत कहीं पीछे छूटती जा रही है. साहित्य को बढ़ावा देने हेतु किट्टी पार्टी में कवितापाठ का कार्यक्रम रखा जा सकता है. सभी सदस्याएं अपनी मनपसंद कविता लिख कर या याद कर आएं और सब के बीच सुनाएं. इस के अलावा किट्टी में सदस्याओं को कहिए की अपनी पसंदीदा किताब की समीक्षा सब को सुनाएं. आप देखेंगी कि आप के बीच ही मार्मिक कविता लिखने वाली लेखिका छिपी है और पढ़ने की शौकीन पाठिकाएं भी हैं. पढ़ने से न केवल हमारा ज्ञान बढ़ता है अपितु हम अधिक संवेदनशील भी बनते हैं, हमारी अपने विचार व्यक्त करने की क्षमता बढ़ती है, रूढिवादी विचारधारा से निकल पाने में सक्षम होते हैं. नित नए विषयों पर चर्चा करने से हमारे मानसिक परिप्रेक्ष्य की वृद्धि होती है.
केवल प्रतिस्पर्धा नहीं, प्रेरणा प्रोत्साहन भी
अकसर देखा जाता है कि महिलाओं को आपसी प्रतिस्पर्धा और जलन से जोड़ा जाता है. किंतु आजकल की महिलाएं एकदूसरे की मदद करना चाहती हैं, जिस किसी में आत्मविश्वास की कमी हो, उसे ऊपर उठाना चाहती हैं. अपनी सखी का मेकओवर कर के उसे भी स्मार्ट बनाना चाहती हैं. किट्टी पार्टी में मिल कर महिलाएं एकदूसरे को प्रोत्साहित करती हैं, कुछ नया करने हेतु प्रेरणा देती हैं.
दिल्ली की सुमेधा बताती हैं कि उन का वजन बढ़ने पर उन की किट्टी की स्मिता ने उन्हें अपने साथ सुबह व शाम सैर पर ले जाना शुरू किया. इसी तरह लेखन की शौकीन प्रिया का अपनी कविताएं सुनाने का पहला मंच अपनी किट्टी से ही मिला. ऐसे ही जयपुर स्थित पद्मा ने अपनी किट्टी पार्टी की सहेलियों के साथ अपने शरीर को फिट बनाने के लिए जूंबा करना शुरू किया ताकि अपनी पसंद की पोशाकें पहन सकें.