दुनिया पिछले 20 वर्षों में तेजी से बदली है और अगले 20 वर्षों में यह और तेज रफ्तार पकड़ेगी. इस से 35-40 साल पहले की दुनिया का लगभग नामोनिशान मिट जाएगा. हर क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आएगा. वैसे भी बदलाव हमेशा समग्रता में ही होता है, भले ही हम सिर्फ बदलाव के उन्हीं पहलुओं पर ध्यान दे पाते हों जिन से हमारा अपनी निजी जिंदगी में वास्ता पड़ता है. बहरहाल, बात अगर रोजगार की है तो समझ लीजिए कि अगले 20 वर्षों में रोजगार की दुनिया का समूचा परिदृश्य बिलकुल बदलाबदला होगा. आज जो क्षेत्र अभी हलकीफुलकी चर्चाओं, उम्मीदों और अनुमानों में हैं, अगले 10 वर्षों में वे अपनी जगह बना लेंगे और 20 वर्षों बाद रोजगार के ये नए क्षेत्र, इस दुनिया की धुरी होंगे.

इसलिए अगर आप अपने कैरियर की शुरुआत करने जा रहे हैं तो आने वाले दिनों में होने वाले आमूलचूल बदलाव को ध्यान में रखें. कैरियर की ऐसी राह चुनें जो भविष्योन्मुखी हो. यहां हम ऐसे ही कुछ क्षेत्रों के बारे में बता रहे हैं :

फोटोनिक्स : रोशन हो जाएं राहें आने वाले समय में कैरियर की असीम संभावनाएं इस पाठ्यक्रम से जुड़ी हैं. देशविदेश में इस की बड़ी मांग है. फोटोनिक्स का क्षेत्र मूलतया उन लोगों के लिए है जिन की रुचि विज्ञान में है और उन्हें भौतिक विज्ञान बहुत भाता है. फोटोनिक्स का अध्ययन प्रकाश के मूल कण फोटोन से संबंधित है. औप्टिकल टैक्नोलौजी यानी प्रकाश संबंधी विज्ञान और तकनीक तथा इलैक्ट्रौनिक्स का यह अच्छा मेल है. यह कोर्स आप को प्रकाश के उत्सर्जन, प्रसारण, उस की पहचान तथा बदलाव की तकनीकी में दक्ष बनाता है.

फोटोनिस्ट सरकारी या निजी कंपनियों में बतौर फोटोनिक इंजीनियर काम करते हैं पर ये वैज्ञानिक, शोधार्थी तथा पेशेवर के तौर पर भी काम कर सकते हैं. इन का काम अधिकतर फोटोनिक उपकरणों, उत्पादों की डिजाइन, निर्माण या उन की जांच वगैरह करना होता है. इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की अभी भारी कमी है, इसलिए फोटोनिक्स के विशेषज्ञों की मांग वैश्विक तौर पर बहुत ज्यादा है.

देश के कई कालेज और विश्वविद्यालय फोटोनिक्स का कोर्स करवाते हैं. इंटरनैशनल स्कूल औफ फोटोनिक्स, कोचीन, यूनिवर्सिटी औफ साइंस ऐंड टैक्नोलौजी (सीयूएसएटी) कोचीन, आईआईटी, नई दिल्ली और चेन्नई, मणिपाल इंस्टिट्यूट औफ टैक्नोलौजी, राजर्षि शाहू महाविद्यालय, लातूर का फोटोनिक्स विभाग और सैंट्रल इलैक्ट्रौनिक्स इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (सीरी), पिलानी से यह कोर्स किया जा सकता है.

अल्टरनेटिव एनर्जी : ऊर्जा से भरपूर कैरियर

पैट्रोल और डीजल का इस्तेमाल अगले कुछ ही बरसों में खत्म होने वाला है, ऐसा नहीं है. पर जिस तरह जीवाश्म ईंधन का विरोध बढ़ता जा रहा है उस से पैदा होने वाला प्रदूषण पूरे संसार की नाक में दम कर रहा है. हर तरफ इस के इस्तेमाल कम से कम करने और साफसुथरी या क्लीन एनर्जी अपनाने की बात चल रही है, इस से लगता है कि इस का भविष्य असीमित होने जा रहा है और उसी अनुपात में वैकल्पिक ऊर्जा का क्षेत्र विस्तारित होने को है. हाइड्रोजन पावर, सौर ऊर्जा, जियो थर्मल पावर, पवन ऊर्जा, विभिन्न तरह के सेल और बैटरियां ऊर्जा के नए स्रोत होंगे. ऐसे में इस क्षेत्र में बहुत सारी नौकरियां और बहुत से पद सृजित होने वाले हैं. इस क्षेत्र में आने वाले दिनों में न सिर्फ इंजीनियरों की बल्कि मैकेनिक्स, मैनेजर, सैल्स और मार्केटिंग पेशेवरों की भी काफी जरूरत पड़ेगी. विज्ञानवर्ग के छात्र जिन्हें लगता है कि उन का दिमाग कुछ वैज्ञानिक तरीके से सोचता है, उन की शोध में रुचि है, पर्यावरण और पृथ्वी से लगाव है व उस के भविष्य के बारे में सरोकार और चिंता रखते हैं, वे इस क्षेत्र के बेहतर उम्मीदवार हो सकते हैं. वे वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में डिगरी ले सकते हैं, ग्रीन और सस्टेनेबल एनर्जी में मास्टर डिगरी कर सकते हैं.

देश के कई तकनीकी विश्वविद्यालय और दूसरे संस्थान वैकल्पिक ऊर्जा में बीटैक और एमटैक की डिगरी दे रहे हैं. एसिटी इंस्टिट्यूट औफ रीन्यूबल ऐंड अल्टरनेटिव एनर्जी, गुजरात इंस्टिट्यूट औफ सोलर एनर्जी, टेरी यूनिवर्सिटी दिल्ली के अलावा भी दर्जनों प्रतिष्ठित संस्थान इस की पढ़ाई करा रहे हैं.

फ्लेवर कैमिस्ट : इस काम का स्वाद है नया

आप को यदि बढि़या व स्वादिष्ठ भोजन भाता है. नए स्वाद और खुशबू की खोज में रहते हैं, उन से वास्ता रखते हैं तो अपनी रुचि बढ़ाइए और फ्लेवर कैमिस्ट के रोचक क्षेत्र में उतरिए. एक खास कोर्स जो आप को स्वाद, रसायन, प्राकृतिक और कृत्रिम रसायनों की गंध व स्वाद के बारे में बताता है. इस क्षेत्र में जबरदस्त उछाल है, देश के अलावा विदेशों में भी फ्लेवर कैमिस्ट की खासी मांग देखी जा रही है और यह माना जा रहा है कि खानपान का क्षेत्र निरंतर बढ़ने वाला है. साथ ही, कृत्रिम स्वाद और सुगंध का अभी देश में भी बहुत स्कोप है. इसलिए इस क्षेत्र में प्रवेश लेने वालों के लिए काम मिलने और अच्छी कमाई की कोई समस्या नहीं है.

नई सुगंध और स्वाद को महसूस करना, उन का रासायनिक विकल्प तैयार करना और विश्लेषण करना फ्लेवर कैमिस्ट का काम है. फ्लेवर कैमिस्ट की जरूरत फूड ऐंड बीवरेज इंडस्ट्री से ले कर कौस्मैटिक्स और मैडिसिन से अखाद्य उपभोक्ता उत्पादों का निर्माण तक हर जगह है. यह क्षेत्र खास कर उन लोगों के लिए है जिन की रसायनशास्त्र में गहरी रुचि ही नहीं, बल्कि उन का अकादमिक और प्रायोगिक ज्ञान भी शानदार है. जिन्होंने बायोटिक या फूड टैक में डिगरी ले रखी हो और यह विशेषज्ञता हासिल करना चाहते हों, उन के लिए इंडियन इंस्टिट्यूट औफ हौस्पिटैलिटी ऐंड मैनेजमैंट मुंबई एसआरएम यूनिवर्सिटी के डिपार्टमैंट औफ फूड प्रोसैस इंजीनियरिंग, गाजियाबाद, सैंट्रल फूड टैक्नोलौजिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट मैसूर, फ्रेग्नेंस ऐंड फ्लेवर डिपार्टमैंट भारत सरकार के कन्नौज स्थित संस्थान में यह कोर्स उपलब्ध है. एथिकल

हैकर : साइबर संसार के सुपर हीरो बनें

देश को तकरीबन 5 लाख साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ चाहिए. इन में से 70 हजार से ज्यादा एथिकल हैकर्स की आवश्यकता है. यदि आप सकारात्मक तौर पर शरारती हैं, कंप्यूटर से प्यार है और कभीकभी अपने मित्रों की सोशल साइट हैक करने या फिर उन के इंटरनैट पासवर्ड को तोड़ने या बंद सिस्टम को खोलने जैसे कार्यक्रमों को क्रैक करने व कूट संदेशों से खेलने में आप को मजा आता है और इस से आप को थकान के बजाय खुशी मिलती है तो यह क्षेत्र आप के लिए ही है. आजकल बहुत सी कंपनियां सुरक्षा कारणों से अपने लिए एथिकल हैकर रखती हैं. इन की तनख्वाह शुरुआत से ही बहुत बढि़या होती है. आप किसी संस्था, कंपनी में इंटर्न के तौर पर प्रवेश लें, प्रशिक्षु बन शीघ्र ही बड़े ओहदे पर पहुंच सकते हैं. यहां बहुत जल्दी प्रगति होती है. वेतन शानदार है. बस, योग्यता और कुशलता होनी चाहिए. पर इस के लिए जो सब से जरूरी शर्त है वह यह है कि आप का कोई आपराधिक रिकौर्ड नहीं होना चाहिए.

आखिर जो कंपनी अपने सारे राज आप के सामने उजागर करेगी, उसे आप पर पूरा भरोसा होना ही चाहिए. हां, इस के अलावा तेज दिमाग होने के साथसाथ कई तरह की कंप्यूटरी भाषाओं पर भी पूरी पकड़ होनी चाहिए और टास्क अथवा समस्या से जूझने के लिए पर्याप्त धैर्य भी.

इंडियन स्कूल औफ एथिकल हैकिंग, इंस्टिट्यूट औफ इन्फौर्मेशन सिक्योरिटी कोलकाता, एथिकल हैकिंग से संबंधित कोर्स कराते हैं. पुणे की एरिजोइन इंफोटैक एथिकल हैकिंग से संबंधित कोर्स कराती है. पुणे की एरिजाइन इंफोटैक उन लोगों को 15 दिन का शौर्टटर्म कोर्स भी कराती है जो इस विधा में पारंगत तो नहीं हैं पर इसे जानते और इस में सक्रिय हैं. बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई ही नहीं, दिल्ली और लखनऊ जैसे तमाम शहरों में इस तरह के कोर्स उपलब्ध हैं.

कंटैंट क्रिएशन : रचनात्मकता की राह

बिजनैस राइटर, कंटैंट क्रिएटर की मांग जबरदस्त जोर पकड़ चुकी है और इस की मांग भविष्य में और तेज होने वाली है. बाजार बढ़ता ही जा रहा है और संचार तथा संवाद के साधन भी. बाजार इन से जुड़ कर इस का लाभ ले रहा है. बात महज माल बेचने या उत्पाद का प्रचार भर के परंपरागत तौरतरीके की नहीं है. अब रणनीति बदल चुकी है. कंपनियां हों, संस्थाएं हों, उत्पाद हों या कोई सेवा, वे अपने बारे में विशेष धारणा स्थापित करना चाहती हैं. एक बार धारणा बन गई तो विश्वसनीयता और बिक्री दोनों बढ़ जाएंगी. धारणा बनाने के लिए वे लोगों तक विभिन्न माध्यमों की सामग्री परोस दर्शकों व पाठकों को शिक्षित कर रही हैं. वैबसाइट आर्टिकल, व्हाइट पेपर, स्पैशल रिपोर्ट, स्लाइड शो, ब्लौग, न्यूजलैटर जैसे बीसियों इस के माध्यम हैं. ये सब कंटैंट क्रिएशन के दायरे में आते हैं.

फिलहाल कंटैंट क्रिएटर की कोई डिगरी सामान्यतया देशी संस्थानों में उपलब्ध नहीं है, पर औनलाइन इस के बारे में पढ़ा जा सकता है. ऐसे में जिन लोगों की भाषा पर पकड़ है, लेखन बहुरंगी है, संवाद, संचार को बखूबी समझते हैं, क्रिएटिव राइटिंग कर सकते हैं. वे कंटैंट क्रिएशन के क्षेत्र में आएं. बस, शर्त यह है कि उन में जनसंचार विधाओं के लिए लेखन की क्षमता हो, वे स्वप्रेरित, स्वस्फूर्त तथा स्वानुशासित हों और डैडलाइन यानी हर हाल में समय पर काम पूरा करने की क्षमता व आदत और जज्बा रखते हों.

रूरल स्टडीज : कामकाज का हराभरा विकल्प

नौकरी या बेहतर कैरियर के लिए लोग गांव से शहर आते हैं, पर बेहतर कैरियर के लिए गांव की तरफ देखने का अवसर अब आया है. सरकारें और बाजार अब गांव पर अलगअलग कारणों से ध्यान दे रहे हैं. गांवों में काफी सारी संभावनाएं देख रहे हैं, ऐसे में कैरियर के क्षेत्र में गांव को चुनना एक सूझबूझ भरा फैसला हो सकता है. गांव से आप का नाता महज टीवी या फिल्मों में उसे देखने भर का है या कभीकभार आप ने गांव देखा है और महसूस किया है. गांव के बारे में अगर आप थोड़ाबहुत जानते हैं तो यह क्षेत्र आप के लिए बेहतर संभावनाओं वाला है. यह कोर्स ग्रामीण समुदाय के विकास से जुड़ने का आप को मौका देगा. पशुपालन, वानिकी, कृषि प्रबंधन या फार्म मैनेजमैंट, पर्यावरण प्रबंधन, कृषि, सामुदायिक और शिशु विकास जैसे बेहद अनूठे अनुभव और नए तरह की चुनौतियों से यह क्षेत्र आप को रूबरू कराने वाला है.

इस कोर्स को करने के बाद आप न केवल सरकारी बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र के साथसाथ निजी संस्थाओं में भी काम का अवसर पा सकते हैं, बल्कि स्वयंसेवी संगठनों यानी एनजीओ में भी आप को बेहतर काम के मौके मिल सकते हैं. गुजरात की भावनगर यूनिवर्सिटी रूरल स्टडी में बैचलर और मास्टर डिगरी देती है. गुजरात के दर्जनभर प्रतिष्ठित कालेज हैं जो इस तरह के कोर्स कराते हैं पर यह महज इसी प्रदेश तक सीमित हो, ऐसा नहीं है. राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के बहुत से विश्वविद्यालय भी यह कोर्स कराते हैं.

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