कैलिफोर्निया में एक एलएसडी प्रेमी को नशे की झोंक में यह सनक सवार हो गई कि  वह पक्षियों की तरह हवा में उड़ सकता है. अपनी सनक को पूरा करने के लिए वह एक बहुमंजिली इमारत की 10वीं मंजिल पर चढ़ा और वहां से कूद कर मौत का शिकार हो गया. होस्टल में रह रहे एक विद्यार्थी को नशे में यह भ्रम हो गया कि वह अपने आकार से दोगुना लंबा हो गया है और उस के पैर 6 फुट लंबे हो गए हैं. उस ने अपनी लंबाई के हिसाब से पास वाली मंजिल पर कूदने के लिए छलांग लगाई और वह 8 मंजिल से नीचे जमीन पर गिर पड़ा. ये 2 उदाहरण मादक द्रव्यों के प्रभाव और उन की विध्वंसता को दर्शाते हैं.

अनुभूतियों और संवेदनाओं का केंद्र मनुष्य का मस्तिष्क है. सुखदुख, कष्टआनंद, सुविधा और अभावों का अनुभव मस्तिष्क को ही होता है तथा मस्तिष्क ही प्रतिकूलताओं को अनुकूलता में बदलने का जोड़तोड़ करता है. कई लोग इन समस्याओं से घबरा कर अपना जीवन ही नष्ट कर लेते हैं.

अधिकांश व्यक्ति जीवन से पलायन करने के लिए अजीब उपाय अपनाते हैं, जैसे शुतुरमुर्ग संकट को देख कर अपना सिर रेत में छिपा लेता है. उसी तरह की पलायनवादी प्रवृत्तियों में मुख्य है, द्रव्यों की शरण में जाना. शराब, गांजा, भांग, चरस, अफीम, ताड़ी आदि नशे वास्तविक जीवन से पलायन करने की इसी मनोवृत्ति के परिचायक हैं. लोग इन का सेवन या तो जीवन की समस्याओं से घबरा कर करते हैं या फिर अपने संगीसाथियों को देख कर इन्हें अपना कर अपना मनोबल चौपट करते हैं. मादक द्रव्यों के प्रभाव से वे अपनी अनुभूतियों, संवेदनाओं तथा भावनाओं के साथसाथ सामान्य समझबूझ और सोचनेविचारने की क्षमता भी खो देते हैं. मादक द्रव्य इतने उत्तेजक होते हैं कि सेवन करने वाले को तत्काल अपने आसपास की दुनिया से काट देते हैं और उसे विक्षिप्त कर देते हैं. ऐसी वस्तु जिस की मांग हमारा मस्तिष्क करता है लेकिन उस से शारीरिक नुकसान हो, तो वह नशा कहलाता है. मानसिक स्थिति को उत्तेजित करने वाले रसायन जो नींद, नशे या भ्रम की हालत में शरीर को ले जाते हैं, वे ड्रग्स कहलाते हैं. नशे को 2 भागों में बांटा जा सकता है.

1. पारंपरिक नशा : इस के अंतर्गत तंबाकू, अफीम, खैनी, सुल्फा और शराब आती हैं.

2. सिंथैटिक ड्रग्स : इस के अंतर्गत स्मैक, हेरोइन, आइस, कोकीन, क्रेक कोकीन, एलएसडी, मारिजुआना, एक्टेक्सी, सिलोसाइविन मशरूम, फेनसिलेडाइन मोमोटिल, पारवनस्पास, कफसिरप आदि मादक दवाएं आती हैं.

मादक दवाओं के गुण और दुष्प्रभाव

मादक दवाएं ट्रंकोलाइजर ऐंटीसाइकोटिक्स, ऐंटीडिप्रेसैंट और साइकोस्टुमुलैंट आदि हैं. इन के अधिक सेवन से मस्तिष्क विकृत हो जाता है और व्यक्ति इन का आदी हो जाता है, जिस से उसे शारीरिक, मानसिक व आर्थिक हानि उठानी पड़ती है.

कोकीन : यह ट्रोपेन एलकालाइड है. इसे सूंघ कर, धूम्रपान कर नशा किया जाता है. यह मानसिक स्थिति को कमजोर करता है. यह हृदय गति तेज कर उच्च रक्तचाप को बढ़ाता है. इस में नशा लेने वाले को आनंद की अनुभूति होती है. इस के 1 ग्राम के 8वें हिस्से की कीमत 4 हजार रुपए है.

मेथामेप्टामाइन : यह साइकोस्टूमेलैंट है, इसे मैथ या आइस भी कहते हैं. इस को धूम्रपान से या इंजैक्ट कर लिया जाता है. इस से शरीर में उत्तेजना उत्पन्न होती है और आनंद का अनुभव होता है. इस को लेने से अवसाद, उच्च रक्तचाप और नपुंसकता होती है.

क्रेक कोकीन : इस से पूरा स्नायुतंत्र प्रभावित होता है और हृदय को नुकसान पहुंचता है. इस के सेवन से हृदयगति बढ़ जाती है और धमनियां सिकुड़ जाती हैं. इस के नशे का आदी व्यक्ति अपराधी प्रवृत्ति का होता है. इस को लेने से अवसाद, अकेलापन और असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है. क्रेक कोकीन के नशे के आदी व्यक्ति को गलतफहमी होती है कि वह बहुत ताकतवर है.

एलएसडी : यह लाइसर्जिक अम्ल से बनती है जो अरगट में पाया जाता है. यह गोलियों के रूप में मिलती है. इस का नशा करने से व्यक्ति का मस्तिष्क अत्यंत क्रियाशील हो जाता है. करीब 30 से 90 मिनट बाद इस का प्रभाव शुरू होता है. इस मादक द्रव्य को लेने से व्यक्ति के भाव तेजी से बदलने लगते हैं. अधिक मात्रा में इस का सेवन करने से व्यक्ति के समक्ष काल्पनिक भ्रम पैदा होता है, जिस से उसे आनंद की अनुभूति होती है. इस का नशा करने वाला नशेड़ी अवसादग्रस्त, वस्तुओं के आकार और रंग में भ्रमित तथा मधुमेह व उच्च रक्तचाप का रोगी हो सकता है. एक बार नशा करने पर करीब 10 से 12 घंटे तक इस का असर रहता है.

हेरोइन : यह मादक पदार्थ मौर्फिन से बनता है. इस का नशा शीघ्र होता है. इस का नशा व्यक्ति के श्वसनतंत्र पर प्रभाव डालता है. इस नशे का सेवन करने वाले को निमोनिया की तीव्र आशंका रहती है. इस के प्रभाव से धमनियों में थक्का जमने लगता है और  फेफड़े, लिवर व किडनी खराब हो जाते हैं.

मारिजुआना : यह टेट्रा हाइड्रो कैनाबिनोलिक एसिड है जो केनिबस पौधे से प्राप्त होता है. यह एक खतरनाक नशा है और प्रतिवर्ष करीब 1 करोड़ लोग इस की चपेट में आ रहे हैं. इसे धूम्रपान के रूप में लिया जाता है. इसे हशीश भी कहते हैं. इस नशे को लेने वाले व्यक्ति की आंखें लाल रहती हैं और नींद बहुत आती है. यह नशा भ्रम उत्पन्न करता है, जिस से व्यक्ति निर्णय नहीं ले पाता और अनावश्यक बातें करता है.

एक्टेसी : इसे एमडीएमए भी  कहते हैं. यह उत्तेजना पैदा करने वाली दवा है. इस से शरीर का तापमान इतना बढ़ जाता है कि शरीर के अंग जैसे किडनी और हृदय काम करना बंद कर सकते हैं. इस के प्रभाव से मांसपेशियों में खिंचाव, उत्तेजना और भ्रम पैदा होता है.

नशे के आदी होने के कारण

मादक द्रव्यों के बढ़ते प्रचलन के लिए आधुनिक सभ्यताओं को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिस में व्यक्ति यांत्रिक जीवन व्यतीत करता हुआ भीड़ में इस कदर खो गया है कि उसे अपने परिवार के लोगों का भी ध्यान नहीं रहता. नशा एक अभिशाप है. यह एक ऐसी बुराई है जिस से इंसान का अनमोल जीवन मौत की आगोश में चला जाता है और उस का परिवार बिखर जाता है. व्यक्ति के नशे के आदी होने के कई कारण हो सकते हैं, जिन में से निम्न मुख्य हैं :

मातापिता की अति व्यस्तता बच्चों में अकेलापन भर देती है. प्यार से वंचित होने के कारण वे नशे की दुनिया का रुख कर लेते हैं.

परिवार में कलह का वातावरण व्यक्ति को नशे की ओर ढकेलता है.

मानसिकरूप से परेशान व्यक्ति नशे का आदी हो जाता है. यह मानसिक परेशानी पारिवारिक, आर्थिक तथा सामाजिक भी हो सकती है.

बेरोजगारी भी नशे की ओर उन्मुख होने का एक प्रमुख कारण है. खाली दिमाग शैतान का घर होता है. दिनभर घर में खाली और बेरोजगार बैठे रहने से व्यक्ति हीनभावना का शिकार होता है और इसे दूर करने के लिए वह नशे का सहारा लेता है.

शारीरिक कमजोरी व पढ़ने में कमजोर होने के कारण बच्चे उस कमी को पूरा करने के लिए नशे का सहारा लेने लगते हैं.

जो व्यक्ति तनाव, अवसाद और मानसिक बीमारी से पीडि़त है वह नशे का आदी हो जाता है.

परिवार के व्यक्ति, दोस्त तथा अपने आदर्श व्यक्ति को नशा लेते देख कर युवा नशे का शिकार होते हैं.

कुछ लोग यह सोच कर नशा लेते हैं कि नशा तनाव को दूर करता है.

किसी दूसरे की दवा को खुद पर आजमाने से व्यक्ति नशे का आदी हो जाता है. चोट या दर्द की वजह से डाक्टर दवा लिखता है, जिस से आराम मिलता है. जब भी चोट लगे या दर्द हो, वह दवा बारबार लेने लगता है, जिस से वह नशे का आदी हो जाता है.

पुरानी, दुखद घटनाओं को भूलने के लिए भी लोग नशे का सहारा लेते हैं.

लोग सोचते हैं कि ड्रग्स लेने से वह फिट और तंदुरुस्त रहेंगे, विशेषकर खिलाड़ी किसी कारण मादक द्रव्यों की चपेट में आ जाते हैं.

बच्चों में भेदभाव करने पर वे हीनभावना से ग्रसित हो जाते हैं और विद्रोह स्वरूप नशे की ओर मुड़ जाते हैं.

नशा और अपराध

अपराध ब्यूरो रिकौर्ड के अनुसार छोटेबड़े अपराधों, बलात्कार, हत्या, लूट, डकैती, राहजनी आदि तमाम तरह की वारदातों में नशे के सेवन का मामला लगभग साढ़े 73 फीसदी तक है. अपराधजगत पर गहन नजर रखने वाले मनोविज्ञानी बताते हैं कि अपराध करने के लिए जिस उत्तेजना, मानसिक उद्वेग और दिमागी तनाव की जरूरत होती है उस की पूर्ति नशा करता है, जिस का सेवन मस्तिष्क के लिए एक उत्प्रेरक की तरह काम करता है.

पुनर्वास तथा उपचार

नशे की लत वाले व्यक्ति को विभिन्न स्तरों पर उपचार की जरूरत होती है. इस के लिए कुशल चिकित्सक की देखरेख में उपचार जरूरी है. अधिकांश इलाज नशे के सेवन को बंद करने में मदद करने पर केंद्रित होते हैं, जिस के बाद उन्हें नशे के प्रयोग पर फिर लौटने से रोकने में उन की मदद करने के लिए जीवन प्रशिक्षण सामाजिक समर्थन की आवश्यकता होती है. कुछ तरीके इस प्रकार हैं :

डिटौक्सीफिकेशन : यह उपचार का शुरुआती स्तर है. इस में नशे के परिणामों को कम करने के लिए दूसरी दवाओं का प्रयोग किया जाता है. इस का प्रबंधन बहुत सतर्कता से किया जाना चाहिए. दवा उपचार, अनुकूलन और मनोवैज्ञानिक सहायता के बिना संभव नहीं है. गंभीर नशे के आदी व्यक्ति को लंबे उपचार की जरूरत पड़ती है. इस में रोगी को 24 घंटे चिकित्सक की देखरेख में रखा जाता है. इस में 8 से 12 माह लगातार सामाजिक, पारिवारिक और मानसिक स्तरों पर चिकित्सक उपचार करते हैं. छोटे उपचार में रोगी करीब 3 से 6 सप्ताह तक चिकित्सक की निगरानी में रहता है.

बाह्य रोगी उपचार : यह उपचार रोगी की स्थिति तथा मादक द्रव्य के असर पर निर्भर करता है. यह उपचार ग्रुप या व्यक्तिगत रूप से दिया जाता है. इस में रोगी को आंशिक रूप से अस्पताल में भरती होना पड़ता है.

व्यक्तिगत परामर्श : व्यक्तिगत परामर्श उपचार में रोगी के संपूर्ण इतिहास पर परामर्श दिया जाता है. रोगी की पारिवारिक पृष्ठभूमि, रोजगार, सामाजिक और आर्थिक स्थिति के बारे में गहन अध्ययन पर चिकित्सक उस के योग्य उचित सलाह तथा इलाज का परामर्श देते हैं. परामर्शदाता 12 सप्ताह तक रोगी को नशे से दूर रहने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

अन्य उपचार जोकि व्यक्ति के नशे के आदी के स्तर पर चिकित्सक द्वारा प्रस्तावित किए जाते हैं, ये हैं-

  1. आचरण या व्यवहारवाद उपचार
  2. मानववादी उपचार.
  3. संज्ञानात्मक व्यवहार उपचार
  4. द्वंद्वात्मक व्यवहार उपचार
  5. मानसंगति उपचार
  6. अर्थपूर्ण उपचार
  7. एकीकृत उपचार
  8. हार्म रिडक्शन ट्रीटमैंट
  9. जानवर आधारित उपचार.

नशा रोकने के उपाय

नशे से लड़ने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पारिवारिक, सामाजिक और सामूहिक संकल्प की आवश्यकता है. सिर्फ सरकार या नशामुक्ति संस्थाएं इस के लिए पर्याप्त नहीं हैं. नशा रोकने में सब से बड़ी समस्या है कि हम सिर्फ जागरूकता पर जोर देते हैं, उस की रोकथाम के प्रयास कम करते हैं. जागरूकता सिर्फ बड़ों को नशे की लत से दूर करती है जबकि रोकथाम बचपन से नशे की लत न लगे, इस के लिए जरूरी है. राष्ट्रीय स्तर पर चेतना जरूरी है. नशे को रोकने के लिए निम्न प्रयासों का क्रियान्वयन किया जाना चाहिए.

  1. सामाजिक स्तर पर नशा रोकथाम कार्यक्रम बनना चाहिए.
  2. नशे का व्यापक फैलाव समाज से संबंधित है, सो, ऐसे समाजों को चिह्मित कर के व्यापक जागरूकता अभियान चलाना चाहिए.
  3. स्वस्थ, सफल और सुरक्षित छात्र कैसे बनें, इस थीम पर सभी विद्यालयों में नशामुक्ति अभियान को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना होगा.
  4. नशा रोकने के लिए कारगर रणनीति राष्ट्रीय स्तर पर क्रियान्वित होनी चाहिए.
  5. राष्ट्रीय युवा नशामुक्ति आंदोलन महाविद्यालयी स्तर पर पाठ्यक्रम में लागू होना चाहिए.
  6. बच्चे नशे से दूर रहें, ऐसे क्षेत्रों में नशा रोकथाम केंद्र होने चाहिए. इस के लिए 3 स्थानों विद्यालय, कालेज और कार्यक्षेत्र पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
  7. नशे की रोकथाम वाली संस्थाओं और कानून तथा न्याय संस्थाओं में आपसी समन्वय व सूचनाओं का आदानप्रदान होना चाहिए.
  8. नशे की हालत में गाड़ी चलाने पर रोकथाम के लिए कड़े कानून का प्रावधान होना चाहिए.
  9. मादक दवाओं से जुड़े लोगों पर कठिन दंड का प्रावधान होना चाहिए.
  10. आवासीय उपचार कार्यक्रमों को बढ़ावा मिलना चाहिए.
  11. विद्यालय तथा परिवार में बच्चों और युवाओं का नशे के संकेत पहचानने वाले कार्यक्रमों का आयोजन एवं प्रशिक्षण देना चाहिए.

नशीले पदार्थों के सेवन से विश्व स्तर पर आपातस्थिति बन गई है. नशे के प्रभाव से न केवल एक जीवन बल्कि संपूर्ण परिवार का विनाश हो जाता है. शस्त्र तथा पैट्रोलियम उद्योग के बाद अवैध मादक द्रव्यों का धंधा विश्व का तीसरा सब से बड़ा उद्योग है. नशे के फैलाव से देशों का आर्थिक विकास पिछड़ रहा है और समाज में आपराधिक प्रवृत्तियां पनप रही हैं.    

भयावह आंकडे़

ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे औफ इंडिया की रिपोर्ट काफी चौंकाने वाली है. युवा किस तरह से नशे का शिकार हो रहा है इस की बानगी इन आंकड़ों से स्पष्ट झलकती है :

भारत में तंबाकू व मादक द्रव्य का सेवन करने वालों में खैनी का प्रयोग सब से ज्यादा किया जाता है. करीब 13 फीसदी लोग इस का सेवन करते हैं.

2009-10 के ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे के मुताबिक भारत में तब 12 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन कर रहे थे.

तंबाकू से होने वाली बीमारियों के इलाज पर 2011 में भारत में 1,04,500 करोड़ रुपए खर्च हुए.

  1. एक सिगरेट आप की जिंदगी के 9 मिनट पी जाती है.
  2. तंबाकू की एक पीक आप की जिंदगी के 3 मिनट कम कर देती है.
  3. हर 7 सैकंड में तंबाकू और अन्य मादक द्रव्यों से एक मौत होती है.
  4. भारत में हर साल साढ़े 10 लाख मौतें तंबाकू के सेवन से होती हैं.
  5. 90 फीसदी  फेफड़े का कैंसर, 50 फीसदी ब्रोंकाइटस एवं 25 फीसदी घातक हृदय रोगों का कारण धूम्रपान है.

राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय दिवस

  1. 31 मई को अंतर्राष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस.
  2. 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय नशा निवारण दिवस.
  3. 2 से 8 अक्तूबर तक मद्यपान निषेध सप्ताह.
  4. 18 दिसंबर को मद्यनिषेध दिवस. 
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