मध्यम वर्गीय परिवार में पली बड़ी हुई मराठी अभिनेत्री सायली संजीव को बचपन से ही अभिनय का शौक नहीं था, लेकिन एक नाटक में उनके अभिनय की तारीफों से वह इस क्षेत्र में आई. सायली औडिशन देते-देते थक चुकी थी और कुछ दूसरा काम करने की मन बना रही थी, तभी उसे मराठी धारावाहिक ‘काहे दिया परदेस’ में गौरी की भूमिका मिली और वह हर घर में स्थापित हो गयी. इसके बाद से उसे पीछे मुडकर देखना नहीं पड़ा. अभी उसकी दो मराठी फिल्में एक के बाद एक रिलीज हो रही है. उनसे बात करना रोचक था पेश है, उनकी कहानी उन्ही की जुबानी.

सवाल- आपको इस क्षेत्र में आने की प्रेरणा कहां से मिली?

ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद मैंने एक नाटक में अभिनय किया, वहां के एक निर्णायक ने मुझे मराठी निर्देशक प्रवीण तरडे से मिलने के लिए कहा, उनके हिसाब से मेरा चेहरा पर्दे पर अधिक अच्छा दिखाई देगा. इससे पहले मैंने कभी भी अभिनय के बारें में सोचा नहीं था. मैं पोलिटिकल साइंस पढ़ रही थी और पोलिटिकल एनालिस्ट बनना था.मैंने हॉबी के तौर पर इस नाटक में अभिनय किया था, लेकिन सबकी तारीफे और पुरस्कार मिलने से मैंने इस क्षेत्र के बारें में सोचना शुरू किया और धारावाहिकों में काम करने के लिए ऑडिशन देने लगी. कई जगह मुझे लोगों ने पसंद भी किया, पर अंत में किसी और को ले लिया ऐसा करने पर मैंने इस क्षेत्रको छोड़ देना ही बेहतर समझी, तभी मुझे मराठी धारावाहिक ‘काहे दिया परदेस’ के लिए मेरे पास औडिशन के लिए फोन आया, मैंने औडिशन दी और चुन ली गयी.

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