आधुनिक किचन की शान बन चुका माइक्रोवेव ओवन आज भारतीय गृहिणियों की नजरों में चढ़ रहा है, तो इस के पीछे शायद आम भारतीय ग्राहक परिवार की जीवनशैली में आया बदलाव एक प्रमुख कारण है.
ऊर्जा की बचत
दरअसल, उच्च आवृत्ति दर (सामान्यतया 2,500 मेगाहर्ट्ज या 25 गीगाहर्ट्ज) वाली माइक्रोवेव्स को उत्पन्न कर के खाना पकाने या खाना गरम करने में माइक्रोवेव ओवन का कोई सानी नहीं है. एल.जी. कंपनी के राजीव जैन इस संबंध में बताते हैं कि माइक्रोवेव ओवन में उत्पन्न होने वाली माइक्रोवेव्स जहां पानी, वसा और कार्बोहाइड्रेट्स द्वारा आसानी से अवशोषित कर ली जाती हैं, वहीं वे कागज, ग्लास, प्लास्टिक और सिरेमिक द्वारा शोषित नहीं होतीं और अधिकांश धातुओं द्वारा ये परावर्तित हो जाती हैं.
जिन पदार्थों द्वारा इन का शोषण होता है वे उन के परमाणुओं को उत्तेजित कर के ताप ऊर्जा को उत्पन्न करते हैं. इस प्रकार उत्पन्न होने वाली ताप ऊर्जा का उपयोग खाना गरम करने से ले कर खाना पकाने तक में होता है. कागज, प्लास्टिक, ग्लास या सिरेमिक के बरतन में माइक्रोवेव्स द्वारा खाना पकाने में परंपरागत इलैक्ट्रिक ओवन की तुलना में काफी कम ऊर्जा खर्च होती है तथा बहुत ही कम समय लगता है, क्योंकि माइक्रोवेव ओवन में माइक्रोवेव्स केवल खाने के अणुओं को उत्तेजित करने में ही खर्च होती हैं, जिस से भोजन एकसार रूप में एक ही समय में अंदर से बाहर की ओर पकता है. जबकि तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो इलैक्ट्रिकल ओवन में संचालन द्वारा ताप बाहर से अंदर की ओर जाता है, जिस की वजह से पहले ओवन की हवा गरम होती है, फिर बरतन गरम होता है, तब जा कर भोजन बाहर से अंदर की ओर गरम होता है. वह भी धीरेधीरे, इसलिए इस में समय लगता है. मतलब साफ है कि ज्यादा समय लगने से ऊर्जा की खपत भी ज्यादा होती है.
पकाने का जादू भोजन में
माइक्रोवेव ओवन में माइक्रोवेव्स का उत्पादन करने के लिए वैक्यूम्ड ट्यूब के अंदर कैथोडएनोड और एक ग्रिड की व्यवस्था की जाती है. ट्रायोड इलैक्ट्रोड ट्यूब में एक इलैक्ट्रोड से दूसरे इलैक्ट्रोड की दूरी तय करने में लगने वाले समय का तरंगों की आवृत्ति से सीधा संबंध होता है. उच्च वाटेज पर माइक्रोवेव ओवन के मैग्नेट्रौन ट्यूब से 25 गीगाहर्ट्ज की उच्च आवृत्ति दर वाली माइक्रोवेव्स से भोजन को पकाए जाने पर ये माइक्रोवेव्स भोजन में उपस्थित अणुओं (विशेषकर भोजन में उपस्थित पानी के अणुओं) की पोलैरिटी को प्रति सैकंड लाखों बार परिवर्तित करते रहते हैं. इन की इसी उत्तेजना के फलस्वरूप उत्पन्न घर्षण ऊर्जा द्वारा भोजन गरम हो कर पकता है. माइक्रोवेव में उच्च आवृत्ति दर वाले माइक्रोवेव का उपयोग अवश्य होता है, लेकिन इस ओवन में एक ऐसी पक्की व्यवस्था की जाती है कि ये वेव्स ओवन के बाहर न निकल सकें. अत: माइक्रोवेव ओवन के उपयोग से हमारे शरीर के किसी भी हिस्से को क्षति पहुंचने की संभावना न के बराबर होती है. शर्त यह है कि माइक्रोवेव ओवन किसी प्रकार से दोषयुक्त न हो.
हालांकि माइक्रोवेव्स की आवृत्ति की दर सामान्य रेडियो तरंगों की तुलना में कई गुना अधिक होती है, लेकिन ये तरंगें नौन आयोनाइजिंग प्रकार की होती हैं अर्थात इन में इतनी ऊर्जा नहीं होती है कि ये एक्सरे जैसी आयोनाइजिंग किरणों की तरह जैविक कोशिकाओं के परमाणुओं से टकरा कर उन से इलेक्ट्रौन को अलग कर के गंभीर क्षति पहुंचा सकें.
माइक्रोवेव रहे कितना नया
आमतौर पर एक ऐप्लाइंसेस के बाजार में आने के बाद भी कंपनियां नए से नए ऐप्लाइंस बाजार में लाने की पेशकश करती रहती हैं. इस के पीछे उन की निश्चित तौर पर यही सोच रहती है कि घरेलू और कामकाजी गृहिणियां नई टैक्नोलोजी का नए और आसान सौल्यूशंस के साथ समायोजन कर सकें. इसलिए खास डिजाइन और स्टाइल के साथ माइक्रोवेव ऐप्लायंसेस ग्राहकों की जीवनशैली को आधुनिक बनाने का काम कर रहे हैं और पूरी तरह से इनडोर प्रबंधन का भी मौका दे रहे हैं.
इस संबंध में एल.जी. के राजीव जैन कहते हैं कि आप का माइक्रोवेव चाहे किसी भी कंपनी का क्यों न हो, उस की औसत आयु लगभग 10 साल ही होती है, क्योंकि उस के बाद ओवन की कार्यक्षमता में बदलाव आने लगता है. यह बदलाव इतना धीमा होता है कि अमूमन किसी को पता भी नहीं चलता. जैसे अगर किसी गृहिणी का नया माइक्रोवेव एक कप पानी 1 मिनट में उबाल देता है तो 10 साल बाद वह इस काम को करने के लिए डेढ़ मिनट लेगा. अकसर गृहिणियां इस बात पर ध्यान दिए बिना कुकिंग टाइम को ऐडजस्ट कर देती हैं, जिस से बिजली का बिल नियंत्रित नहीं रह पाता. अगर बिजली के बिल को नियंत्रण में रखना है तो 10 साल के बाद ओवन को बदल देने में ही समझदारी है.
माइक्रोवेव ओवन खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान रखना इसलिए जरूरी होता है, क्योंकि अगर ओवन का उपयोग तरीके से नहीं किया जाए तो इस से ऊर्जा की बरबादी खूब होती है. पर यदि ओवन का सही इस्तेमाल करना आता हो तो एक गृहिणी 10% तक ऊर्जा की बचत कर सकती है.
खरीदते समय
अगर आप सिर्फ खाना गरम करने के लिए माइक्रोवेव खरीदने जा रही हैं तो ध्यान रखिए कि ऐसा माइक्रोवेव ओवन देखें जिस में ज्यादा फीचर न हों. इस से आप दुकानदार को ज्यादा पैसे देने से बच जाएंगी. अगर आप माइक्रोवेव ओवन में खाना पकाना चाहती हैं तो सब से लेटैस्ट और ज्यादा फीचर वाला माइक्रोवेव खरीदें.
अगर आप के घर में बच्चे भी माइक्रोवेव उपयोग करने वाले हैं तो खरीदे जा रहे माइक्रोवेव में यह जरूर देख लें कि वह सरलता से चलाया जा सके, साथ ही उस में सुरक्षा संबंधी फीचर भी हों.
यह जानामाना सच है कि ज्यादा वाटेज भोजन को जल्दी पकाता है. ज्यादातर माइक्रोवेव 600 से 1,200 वाट की बिजली पर चलते हैं. माइक्रोवेव ओवन में पकने वाली ज्यादातर रैसिपी को पकाने के लिए रैसिपी विशेषज्ञों द्वारा 800 वाट की आवश्यकता बताई जाती है. इसलिए ओवन खरीदने से पहले उस की वाटेज सुनिश्चित कर लें.
उपयोग करते समय
फूड ऐक्सपर्ट नीता मेहता कहती हैं कि माइक्रोवेव ओवन के इस्तेमाल में कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है जैसे कि- द्य खाना पकाने के समय को सावधानी से ऐडजस्ट करना जरूरी है वरना ज्यादा पका हुआ भोजन कड़ा और बदमजा हो जाता है. अगर पकाई जाने वाली भोजन सामग्री की मात्रा बढ़ाई जा रही हो तो पकाने का वक्त भी बढ़ जाता है. जैसे, 4 आलू 6 मिनट में पकते हैं, वहीं 8 आलू 9 मिनट में पकेंगे, इसलिए अगर रैसिपी में भोजन सामग्री की मात्रा बदल रही हों तो टाइमिंग का ऐडजस्टमैंट जरूरी है.
माइक्रोवेव से भोजन को बाहर निकालने के बाद भी वह कुछ समय तक अपनी गरमी से पकता रहता है. उदाहरण के लिए माइक्रोवेव में केक बनाया जाए तो मानक वक्त के अंदर उसे बाहर निकालने पर वह अधपका दिखाई देता है. लेकिन बाहर निकालने के 8-10 मिनट के बाद वह खाने योग्य दिखाई देता है.
खाद्य सामग्री को ढक कर रखने से उस से निकलने वाली भाप सामग्री को डिहाइड्रेट होने से रोकती है. इसलिए ढक्कन के तौर पर हीटप्रूफ प्लेट अच्छा विकल्प है. अगर सिर्फ 6 मिनट के लिए ही खाना पकाया जा रहा हो तो क्लिंग (पारदर्शी) फिल्म से भी खाद्य सामग्री ढकी जा सकती है.
अगर खाद्य सामग्री को उलटनेपलटने की जरूरत पड़े तो सामग्री को बरतन के बाहर की ओर से मध्य की ओर पलटें, क्योंकि माइक्रोवेव्स खाद्य सामग्री को बरतन के बाहर की ओर से पहले पकाती हैं. हालांकि माइक्रोवेव में लगातार उलटनेपलटने की जरूरत बहुत कम पड़ती है.
माइक्रोवेव्स हमेशा भोजन के बाहरी हिस्से को पहले भेदती हैं, जिस के कारण डिश में खाद्य सामग्री रखते समय बाहर की ओर उस की मोटी परत जमाएं. चिकन या मटन बनाते समय मीट वाला हिस्सा बाहर की ओर रखें. टमाटर, आलू या कौर्न को पकाते समय उन्हें या तो
गोलाई में या फिर एक पंक्ति में सजाएं. ध्यान रखें, भोजन पकाने के लिए हमेशा गोलाकार बरतन का प्रयोग करें. चौकोर या आयताकार बरतनों में भोजन किनारों से ज्यादा पक जाता है. यदि उचित समय तक तथा सही ताप पर भोजन न पकाया जाए तो उस के अंदर से कच्चा रह जाने का अंदेशा रह जाता है या फिर बाहरी हिस्से के जल जाने का खतरा रहता है. खाना पकाने के बाद कुछ देर तक माइक्रोवेव का दरवाजा खुला रखें, ताकि नमी बाहर निकल जाए. नमी अंदर रहने से मशीन को नुकसान हो सकता है. माइक्रोवेव को सूखे स्थान पर व बच्चों की पहुंच से दूर रखें.
- इस्तेमाल करने से पहले माइक्रोवेव ओवन के साथ दिए गए ब्रोशर को अवश्य पढ़ें और उस के अनुसार उसे इस्तेमाल करें.
- माइक्रोवेव ओवन को कभी खाली न चलाएं. अगर जांच करना हो तो पहले कुछ भी चीज, जो माइक्रोवेव ओवन में इस्तेमाल करने योग्य हो, उसे रख कर चलाएं.
- माइक्रोवेव में धातु के बरतन आदि रख कर न चलाएं. इस से ओवन में शार्ट सर्किट हो सकता है.
- सफाई करते समय माइक्रोवेव को हमेशा साफ और सूखे कपड़े से पोंछें.
- माइक्रोवेव की सफाई नुकीली और धारदार चीजों से न करते हुए नरम कपड़े या प्लास्टिक स्टिक से करें.