कैसी होगी 5 जी के बाद की दुनिया?

चीन और अमरीका के बीच जो कई मोर्चों पर ‘फूं फां’ मची हुई है, उसकी जड़ में 5 जी तकनीक है. दरअसल 5 जी तकनीक के मामले में अमेरिका, चीन से पिछड़ गया है. चीन की कंपनी हुवेई या ख्वावे चीन की तकनीकी ताकत का प्रतीक बन गई है. हुवेई दो साल पहले ही 5 जी तकनीकी विकसित कर चुकी है और 2019 से तो वह चीन में इसकी सर्विस भी दे रही है. हुवेई ने पूरी दुनिया में 5 जी के ठेके हासिल करने के लिए टेंडर लिए खड़ी है. चूंकि चीनी कंपनी का कुटेशन दुनिया में सबसे सस्ता होता है, इस कारण उसे तकनीकी तौरपर ठेका मिलने की करीब करीब गारंटी होती है. लेकिन चीन से प्रतिद्वंदिता के चलते अमेरिका और उसके साथी देश, हुवेई को अपने यहां से सुरक्षा का वास्ता देकर रास्ता दिखा रहे हैं. बावजूद इसके हुवेई को आम उपभोक्ता और सर्विस प्रोवाइडरों का समर्थन हासिल है. जिस कारण उसे उम्मीद है कि आज नहीं तो कल दुनिया के तमाम देशों में वही 5 जी तकनीक की असली प्रोवाइडर होगी.
सवाल है आखिरकार 5 जी तकनीक इतनी महत्वपूर्ण क्यों है कि जानकार कह रहे हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे के बावजूद भी हर देश 5 जी तकनीक में जाना चाहता है? आखिरकार लोगों और देशों में इसको लेकर इतना रोमांच क्यों है? इस रोमांच की वजह यह है कि 5 जी तकनीक के बाद दुनिया पूरी तरह से बदल जायेगी.

हकीकत होगी वर्चुअल रियलिटी

इससे यह होगा कि आज हमें जिस हाई डेफिनिशन मूवी को डाउनलोड करने में 30-40 मिनट लगते हैं, तब यह कुछ सेकंड्स में ही हो जायेगा. 5 जी से वीआर और एआर तकनीक को जबरदस्त बढावा मिलेगा. इससे  एंटरटेनमेंट और गेमिंग इंडस्ट्री पूरी तरह से बदल जायेंगी. 5 जी से हमारा घर स्मार्ट हो जायेगा. 5जी से लैस स्मार्ट होम्स सिक्यॉरिटी सिस्टम, बिजली और पानी की खपत को मैनेज कर सकेगा. एक स्मार्ट होम घर के हर काम कर पाएगा और बिजली की फिजूलखर्ची भी रोकेगा. यही नहीं यह हमारी हेल्थ का भी ख्याल रखेगा. इमर्जेंसी होने पर इसके जरिए डॉक्टर को भी बुलाया जा सकेगा. इसे ही हम इंटरनेट ऑफ थिंग्स या आईओटी कहते हैं. कुल मिलाकर इससे जीवन की दिशा और दशा बदल जायेगी इसीलिये पूरी दुनिया में लोग 5 जी नेटवर्क का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

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डायलॉग करेंगी ऑटोमेटिक कारें

5जी के बाद स्वचालित कारें एक दूसरे से आपस में बेहतर संवाद कर पाएंगी और ट्रैफिक व मैप्स से जुड़ा लाइव डेटा साझा कर पाएंगी. क्योंकि 5जी की मदद से स्वचालित कारों के एआई कम्पोनेंट में सुधार किया जा सकेगा. अभी स्वचालित कारों में जल्दबाजी के चक्कर में उनका मार्गदर्शन नहीं हो पाता,जिसकी वजह से उन्हें चलाने के लिए मानवीय हस्तक्षेप की जरूरत पड़ जाती है. 5जी के आने के बाद हमारा मोबाइल स्वास्थ्य संबंधी उपकरणों के सेंसर लगातार जुड़े रहेंगे जो आपके स्वास्थ्य के बारे में पल-पल की जानकारी देते रहेंगे. कुल मिलाकर स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं और भी बेहतर हो जाएंगी. उदाहरण के लिए, अगर आप एक डॉक्टर हैं तो दूर बैठे ही मरीज की जांच कर सकते हैं. बाहर किसी देश से आप भारत के किसी अस्पताल में पड़े मरीज का इलाज या ऑपरेशन भी कर पाएंगे.

भारत में मोबाइल तकनीक

मोबाइल की 5जी नेटवर्क तकनीक लोवर फ्रीक्वेंसी पर कार्य करती है. इसे 600 मेगाहर्ट्ज से लेकर 6 गीगाहर्ट्ज तक के नेटवर्क बैंड पर चलाया जा सकता है. जहां 4जी के लिए अधिकतम स्पीड 600 एमबीपीएस तक ही है. वहीं 5जी स्पीड 1जीबीपीएस से ही शुरू होती है. 5जी नेटवर्क पर अधिकत डाटा स्पीड 20 जीबीपीएस तक की है  अब तक कहा जाता है कि भारत तकनीक में दूसरे देशों से काफी पीछे है. यहां लगभग 15 साल की देरी से मोबाइल सर्विस आई. 3जी सर्विस में भी लगभग 10 साल पीछे थे. यूरोपीय देशों ने 2001 में ही 3जी सर्विस लॉन्च करना शुरू कर दिया था, लेकिन भारत में 2011 के बाद यह सर्विस आई. हालांकि 4जी ने देरी के खाई को बहुत हद तक कम कर दिया है. जल्द ही देश में आ गई. इसमें भी लगभग 3 से 4 साल देर थे. वहीं 5जी में शायद अब ऐसा भी न हो. रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश अंबानी ने साल 2016 में अपनी 4जी सर्विस की शुरुआत के समय ही यह घोषणा की थी कि जियो नेटवर्क 5जी रेडी है और यहीं से कंपनी ने भारत में 5जी की नींव रख दी थी.

कब आएंगे 5जी डिवाइस?

5जी को लेकर डिवाइस क्षेत्र में भी बड़ी तैयारी की जा चुकी है. मोबाइल चिपसेट निर्माता क्वालकॉम ने वर्ष 2017 में ही 5जी चिपसेट का प्रदर्शन कर दिया था. क्वालकॉम द्वारा एक्स50 5जी चिपसेट तैयार किया गया था, जो 1जीबीपीएस प्रति सेकंड की दर से डाटा कनेक्शन सपोर्ट करने में सझम था. वहीं, पिछले साल कंपनी ने इसका अपडेटेड वर्जन भी पेश किया था, जो न सिर्फ एडवांस था बल्कि पहले की अपेक्षा काफी छोटा भी हो गया था. रही बात डिवाइस आने की तो मोटोरोला ने मोटो जेड3 के साथ 5जी डिवाइस की शुरुआत एक साल पहले कर दी थी. कई कंपनियां लाने वाली हैं 5जी डिवाइस: मोटोरालो के बाद शाओमी ने भी मी मिक्स 3 से 5जी फोन क्षेत्र में कदम रख दिया है. हालांकि मी मिक्स 3 पिछले साल चीन में लॉन्च हुआ था, जो कि लेकिन 5जी के क्षेत्र में यह बड़ी कोशिश थी. क्वालकॉम के 4जी/5जी समिट 2018 में वनप्लस ने जानकारी दी थी कि वर्ष 2019 में लॉन्च होने वाला कंपनी का फोन 5जी रेडी होगा. वनप्लस 7 में 5जी सपोर्ट होगा. पिछले दिनों रिलायंस की एजीएम में मुकेश अंबानी ने घोषणा कि है कि जिओ, गूगल के साथ मिलकर 5 जी फोन काफी सस्ते में भारतीय ग्राहकों को उपलब्ध कराएंगे.

हर देश होड़ में क्यों है?

सूचना को इस युग की संपदा कहा जाता है तो भला कौन देश नहीं चाहेगा कि वह इस संपदा का स्वामी हो. मगर तेज रफ्तार सूचना की इस संपदा को पाना तेज रफ्तार संचार तकनीक से ही संभव है. ऐसे में यह स्वाभाविक है कि दुनिया का हर देश 5 जी तकनीक हासिल करना चाहता है. हासिल ही नहीं करना चाहता बल्कि बाकी देशों से अलग इसमें अगुवा होना चाहता है. यही वजह है कि दुनिया का हर देश अपने अपने ढंग से 5 जी तकनीक का अगुवा होने की कोशिश में लगा है. आइये देखें कौन क्या प्रयास कर रहा है ?
5 जी तकनीक हासिल करने के मामले में भारत क्या कर रहा है? इस सवाल का जवाब यह है कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने 2 साल पहले यानी  साल 2017 में 5 जी से जुड़ा एक मसौदा जारी किया था. तत्कालीन केंद्रीय संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा था कि 2020 में जब दुनिया भरमें 5 जी लागू होगा,उसी साल भारत भी इसे अपना लेगा . भारत में बीएसएनएल समेत वोडाफोन और रिलायंस जियो जैसी कंपनियां 5 जी की तैयारी में है.

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अमरीका 5 जी के जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर को तेजी से पूरा करने में लगा है. अमरीका की टेलीफोन नियामक संस्था फेडरल कमिशन ऑफ कम्युनिकेशन कि निगरानी में यह काम हो रहा है. उम्मीद है कि इस साल के अंत तक अमरीका की कुछ कंपनियां 5 जी की सुविधाएं देने लगेंगी और साल 2020 के अंत तक लगभग सभी अमेरिकी संचार कम्पनियां में 5जी की सेवा देने लगेंगी. चीन इस मामले में भारत और अमरीका दोनों से आगे है. चीन की सरकारी कंपनी चाइना यूनिकाम को उम्मीद है कि साल 2020 तक वह देश में 10 हजार 5 जी बेस स्टेशन खड़े कर पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर देगी. इस पायलट प्रोजेक्ट में बीजिंग समेत देश के 15 बड़े शहर शामिल होंगे.

जहां तक जापान की बात है तो यहां कि सबसे बड़ी वायरलेस कंपनी एनटीटी डोकोमो 5 जी पर साल 2010 से ही प्रयोग कर रही है. जापान में साल 2020 में ओलंपिक खेल होने थे, जो कि अब रद्द हो चुके हैं. पहले योजना यही थी कि ओलंपिक शुरु होने के दो महीने पहले यानी मई या जून 2020 में यहां 5 जी की सेवा शुरु हो जायेगी. लेकिन कोरोना के चलते पूरी दुनिया में सन्नाटा पसरा है. उसका शिकार जापान भी हुआ है. फिर भी लोगों को उम्मीद है कि इस साल के अंत तक जापान अपने यहां पूरी तरह से 5 जी सेवा शुरु कर देगा. कतर की टेलीकॉम कंपनी ओरिडो साल 2016 से 5 जी सुविधा दे रही है तो कुवैत की टेलिकॉम कंपनी जेन साल 2018 में 5 जी लॉन्च किया था. इस तरह देखें तो कोरोना के बावजूद साल 2020, 5जी के निर्णायक रूप से बाजार में आने का साल है.

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