REVIEW: बेहतरीन डॉर्क कॉमेडी और पल्प एक्शन ड्रामा है ‘ए सिंपल मर्डर’

रेटिंगः तीन स्टार

निर्माताः जार पिक्चर्स

निर्देशकः सचिन पाठक

कलाकारः मोहम्मद जीशान अयूब, प्रिया आनंद, अमित सियाल,  सुशांत सिंह,  यशपाल शर्मा , अय्याज खान.

अवधिः 30 से 36 एपीसोड के सात एपिसोड, कुल अवधि तीन घंटे पैंतालिस मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः सोनी लिव

वेब सीरीज‘‘रंगबाज फिर से’’से चर्चा में आए निर्देशक सचिन पाठक इस बार क्राइम थ्रिलर के साथ डार्क कॉमेडी वाली वेब सीरीज‘‘ए सिंपल मर्डर’’लेकर आए हैं. जिसमें कई मर्डरों के पीछे लालच ही मूल वजह है. तो वहीं औनर किंलिंग के अलावा ‘लव जिहाद’भी है.

कहानीः

मनीष (मोहम्मद जीशान अयूब)एक स्टार्ट अप उद्यमी है, जो आकंठ कर्ज में डूबा हुआ है, उसे लगता है कि उसकी किस्मत सोयी हुई है. मनीष ने ऋचा (प्रिया आनंद) से शादी की है, जो अब इस शादी से उब चुकी है और अपने विवाहित बॉस राहुल (अयाज खान)के साथ गुप्त संबंध रखती है, पर उसे इस बात का अहसास ही नही है कि राहुल उसे भी धोखा देते हुए मधु संग रंगरेलियां मना रहा है.

मनीष अपने व्यवसाय को गति प्रदान करने के लिए निवेशक की तलाश में है. एक दिन उसे एक निवेशक मिलने के लिए बुलाता है, मगर कुछ गलतफहमी के चलते मनीष पंडित (यशपाल शर्मा) के पास पहुंच जाते हैं, जो कि उन्हें कॉन्ट्रैक्ट किलर मानकर एक युवा लड़की को मारने की सुपारी देते हुए उसे पांच लाख रूपए भी देता है. यह लड़की मंत्री  प्राण की बेटी प्रिया (तेजस्वी सिंह)है, जो कि एक मुस्लिम लड़के उस्मान(अंकुर पांडे)  से प्रेम विवाह करने जा रही है. यह बात मंत्री जी को पसंद नही है, इसलिए पंडित के माध्यम से मंत्री अपनी बेटी से हमेशा के लिए छुटकारा पाना चाहते हैं. पांच लाख रूपए देखकर मनीष, प्रिया की हत्या करने का मन बना लेते हैं. और इन पांच लाख रूपयों से बैंक की ईएमआई चुका देते हैं. शाम को पृथ्वी बार में शराब की टेबल पर हिटमैन हिम्मत सिंह (सुशांत सिंह)से मनीष की मुलाकात होती है. हिम्मत सिंह उसे सलाह देता है कि जिसकी हत्या करनी हो, उसकी आंखों में मत देखना.

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उधर मधु भी अपने एक अन्य प्रेमी व हिटमैन संतोष (अमित सियाल) को मूर्ख बना रही है. वह संतोष से मिले पांच करोड़ रूपयों के संग राहुल के साथ विदेश भागने की तैयारी में है. प्रिया व उस्मान को पंडित ने मधु के बगल वाले मकान में ठहराया है. मगर मनीष गलती से मधु की हत्या कर पांच करोड़ रूपए लेकर अपने घर जाता है. इन रूपयों को देखकर ऋचा पांच करोड़ रूपए लेकर भाग जाती है. इधर हिम्मत सिंह को पता चलता है कि पंडित जी ने मनीष को उसका आदमी समझकर उसे पांच लाख रूपए दे दिए हैं. तो वह मनीष के घर पहुंच जाता है. अब मनीष व हिम्मत सिंह, ऋचा की तलाश में निकलते हैं.

उधर संतोष को पता चलता है कि किसी ने उसकी प्रेमिका मधु की हत्या कर उसके पांच करोड़ लेकर चला गया. वह अपने तरीके से जांच करता है, तो उसे राहुल पर शक होता है. अब हर कोई पांच करोड़ रूपए की तलाश में हैं. हिम्मत सिंह व संतोष दोनो पंडित के लिए काम करते हैं, पर अब एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं. पुलिस और पंडित जी प्रिया व उस्मान को खत्म करना चाहते हैं. अचानक मनीष व हिम्मत सिंह तय करते हैं कि प्रिया व उस्मान को जीवित रखना है. फिर कहानी कई मोड़ों से होकर गुजरती है.

लेखनः

लेखकद्वय अखिलेश जायसवाल और प्रतीक पयोधि समय समय पर धूर्त हास्य व आश्चर्य जनक मोड़ जरुर लेकर आते हैं. मगर कई घटनाक्रमों का दोहराव है. पीठ में छूरा घोपना, विश्वासघात,  हत्याएं वगैरह सब कुछ है. छठे एपीसोड में कथा थोड़ी गंभीर हो जाती है. पर क्लायमेक्स बहुत गड़बड़ है. परिणामतः वह ‘चूहे ’ व ‘बिल्ली’ के खेल में दर्शकों को उतना प्रभावित नही कर पाते, जितना कर सकते थे.

यॅूं तो लेखकों ने जीवन के कुट अनुभवों को ही कहानी का आधार बनाया है. इस वेब सीरीज में हत्याओं के पीछे मूल वजह लालच हैं. यह लालच भी कटु सत्य ही है. इसमें अपने सांसारिक जीवन से तंग हो चुके, कुछ अधिक हासिल करने की कोशिश कर रहे, कुछ अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए व कुछ सिर्फ अपने लालच के कारण इस झमेले में फंसे हैं. ‘‘लव जिहाद’’के एंगल को उठाने से बचा जा सकता था. पर इस पर कुछ ज्यादा ही जोर दिया गया है. एक जगह पंडित जी मुस्लिम युवक उस्मान पर बंदूक तानते हुए कहते हैं-‘‘हिंदू लड़की को प्यार करेगा. ’’

निर्देशनः

इस बार निर्देशक सचिन पाठक ने पहले कुछ चूक गए हैं. जिसके चलते  कई दृश्यों में दोहराव नजर आता है. इसे एडीटिंग टेबल पर कसे जाने की भी जरुरत थी.

यह प्यार के सपनों,  आकाक्षाओं,  जरुरतों, लालच, भूख,  विश्वास,  तकदीर, पाप व पुण्य पर व्यंगात्मक मुस्कान वाली फिल्म है. इसमें इस बात का सटीक चित्रण है कि समय समय पर एक इंसान की मानवता व नैतिकता किस तरह बदलती रहती है.

अभिनयः

सुशांत सिंह व अमित सियाल का अभिनय शानदार है. सुशांत सिंह को नजरअंदाज करना आसान नहीं है, वह मानवीय हिटमैन के रूप में शानदार हैं. संतोष के किरदार में अभिनेता अमित सियाल कम प्रतिभावान नही है. शायरियां सुनाते हुए जिस शंात मन के साथ वह हत्याएं करते हैं, उनकी इस अदा पर दर्शक फिदा हो जाता है. यह उनके अभिनय का कमाल है कि जब तक आवश्यक न हो, उनका भयानक रूप सामने नहीं आता है.

मोहम्मद जीशान अय्यूब एक अच्छे अभिनेता हैं, इसमें कोई दो राय नही है. वह अपने मनीष के किरदार के साथ पूर्ण न्याय करते हैं. जब मनीष के किरदार में मो. जीशान अयूब आंसू से भरे चेहरे के साथ अपने  दर्द को चूहे के संग साझा करते हैं, तो यह मोनोलॉग वाला दृश्य कमाल का है. यहां मो. जीशान अयूब का शानदार अभिनय सामने आता है. 2017 में फिल्म‘समीर’में वह नायक हीरो थे, उसके बाद अब उन्हे यह दूसरा मौका मिला है, जिसमें उन्होने साबित कर दिखाया कि वह एक बेहतरीन अभिनेता है.

पंडित जी के किरदार को जिस अंदाज में अभिनेता यशपाल शर्मा ने जीवंत किया है, वह कमाल का है. वैसे लेखक व निर्देशक ने उनके किरदार को ज्यादा विस्तार नहीं दिया है. पर उनके हिस्से कुछ अच्छे संवाद जरुर हैं.

पुलिस इंस्पेक्टर के किरदार में विक्रम कोचर कमजोर पड़ गए हैं. जबकि गोपाल दत्त हंसाने में कामयाब रहे हैं. भी प्रभावित करते हैं. पृथ्वी बार के वेटर शंकर के किरदार में दुर्गेश कुमार का अभिनय अच्छा ही है, वह जिस दृश्य में आते हैं, वह दृश्य अपने नाम कर ले जाते हैं.

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ऋचा के किरदार में प्रिया आनंद निराश करती हैं. कुछ दृश्यो में वह मासूम जरुर नजर आती हैं. उनके अंदर कलाकार के तौर पर आत्मविश्वास का घोर अभाव नजर आता है. उन्हे काफी कुछ सीखने व मेहनत करने की जरुरत है. इसके अलावा तेजस्वी सिंह, अंकुर पांडे, विनय वर्मा, वेदिका दत्त ने ठीक ठाक अभिनय किया है.

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