अपने अलग अभिनय और अंदाज की वजह से चर्चित अनिल कपूर की शक्सियत से कोई अंजान नहीं. उन्होंने हौलीवुड और बौलीवुड में अपनी एक अलग छवि बनायीं है. उन्होंने हर शैली में काम किया है और आज भी अपने अभिनय से दर्शकों को चकित कर रहे है. कौमेडी हो या सीरियस हर अंदाज में वे फिट बैठते है. हंसमुख और विनम्र स्वभाव के अनिल कपूर अभिनय करना और खुश रहना हमेशा पसंद करते है और यही उनके फिटनेस का राज है. जीवन एक है और इसमें उतार-चढ़ाव का आना स्वाभाविक मानते है. उनकी फिल्म ‘पागलपंती’ में उन्होंने कौमिक भूमिका निभाई है. जिसे लेकर वे बहुत खुश है, पर यहां तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं था. इसका राज आइये जाने उन्ही से.
सवाल-आपके उपर फिल्म की सफलता और असफलता का प्रभाव अभी कितना रहता है? फिल्म की सफलता में अच्छी कहानी का होना कितना जरुरी होता है?
कोई भी कलाकार शुरू में छोटा काम कर धीरे-धीरे बड़ा अभिनय कर स्टार बनता है, लेकिन यहां ये समझना जरुरी है कि कलाकार से अधिक उसकी भूमिका हिट होती है जिसे लोग पसंद करते है. ये बात हर कलाकार को समझ में आनी चाहिए. इसका उदहारण अमिताभ बच्चन है, जो अभी तक भी पोपुलर है. मेरा भी यही सोच रही है. मैंने 17 साल से अपने ईगो को छोड़कर काम करना शुरू किया है और जो भी कहानी या किरदार सही हो, उसमें मैं काम करता हूं, लेकिन सही कौमेडी फिल्म को चुनना मेरे लिए एक चुनौती होती है, क्योंकि अगर मैंने सही कौमेडी को नहीं चुना, तो वह मेरे लिए ट्रेजिडी बन सकती है. कौमेडी को सही स्तर तक ले जाने के लिए बहुत कम फासला होता है और वह सबके बस की बात नहीं होती.
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सवाल- पहले की फिल्मों में कलाकार और निर्देशक के बीच में एक गहरा सम्बन्ध होता था, जिससे कई बार कलाकार संबंधों की वजह से भी फिल्में साईन कर लेते थे, पर अब ये प्रोफेशनल अधिक हो चुका है आप इन बातों पर अब कितना ध्यान देते है?
मैं बहुत अधिक बदल नहीं सकता. पुराना स्वभाव आ ही जाता है. एक रिश्ता एक इमोशन अपने आप ही निर्माता निर्देशक के साथ आ जाता है. मैं एक आत्मविश्वासी इंसान हूं और बहुत अधिक किसी विषय पर नहीं सोचता. इसलिए फिल्म न चलने पर भी घबराहट नहीं होती.
सवाल-आपकी फिटनेस का राज क्या है? अपने अंदर सकारात्मकता को कैसे बनाए रखते है?
मैं नियमित वर्कआउट करता हूं. किसी प्रकार का नशा मैं नहीं करता. मुझे दक्षिण भारतीय व्यजन में स्टीम्ड इडली बहुत पसंद है, क्योंकि ये बहुत सुरक्षित भोजन है. इसके अलावा मेरे लिए मेरे कैरियर और लाइफ का हर दिन नया होता है. सुबह उठकर मैं जिन्दा हूं और काम कर रहा हूं. ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात होती है. जीवन में उतार-चढ़ाव और तनाव को मैं अधिक समय तक अपने पास रहने नहीं देता. आधे से एक घंटे में उसका कोई सोल्यूशन निकाल ही लेता हूं. हर इंसान के जीवन में ऐसी परिस्थितियों से निकलने का एक नुस्खा होता है, जो उस व्यक्ति को खुद ही खोजकर निकालना पड़ता है. इसके साथ-साथ पौजिटिव लोगों की सान्निध्य में रहने की कोशिश करता हूं. जिसमें परिवार, दोस्तों और काम का सही होना जरुरी है.
असल में यहां तक पहुंचने में मैंने भी बहुत पापड़ बेले है. बहुत उतार-चढ़ाव से गुजरा हूं. मैंने बहुत मेहनत की है. मुझे अच्छा नहीं लगता, जब मेरी तुलना लोग मेरे बच्चों के साथ करते है. उन्हें इंडस्ट्री में आये कुछ ही साल हुए है. अनुभव से ही काम में परिपक्वता आती है. पहले मुझे भी फिल्म न चलने, मीडिया के कुछ लिख देने पर खराब लगता था. पहले मैं ऐसा पौजिटिव सोच नहीं पाता था. समय के साथ-साथ समझदारी बढ़ी है.
सवाल-आपकी प्रोड्यूस की गयी फिल्म ‘गांधी माय फादर’ नहीं चली, ऐसे में आपने अपने आपको कैसे सम्भाला?
मैंने उस फिल्म को बहुत ही मेहनत से बनायी थी, पर दर्शकों ने उसे पसंद नहीं किया, पर उसे दो अवार्ड मिले. टीम के सब लोग इसके न चलने से परेशान थे, पर मैं अधिक घबराया नहीं, क्योंकि उस समय मैं फिल्म ‘स्लम डौग मिल्लेनियर’ की शूटिंग कर रहा था. उसमें मैंने बहुत कम काम किया, पर फिल्म औस्कर में चली गयी. मुझे एक मोरल बूस्ट मिला. ‘गांधी माय फादर’ की असफलता में मुझे ‘स्लम डौग मिल्लेनियर’ की सफलता हासिल हुई और मैंने बहुत कम दाम में मेरी फिल्म को हाल तक जाने दिया, जिससे मेरा तनाव कम हो गया.जीवन में ऐसा होता है और आप इस दौर से गुजर कर बहुत सारी बातें सीखते है.
सवाल-क्या कभी राजनीति में आने की शौक रखते है ?
नहीं मुझे कोई शौक अभी नहीं है. मैं अपने परिवार, दोस्तों और काम के साथ बहुत खुश हूं, लेकिन कल क्या होने वाला है ये आज बताना संभव नहीं.