Women Empowerment Movies: बौलीवुड की 5 नारीप्रधान फिल्मों की खास बातें, आज भी क्यों हैं मशहूर

Women Empowerment Movies: आज की वूमन किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानतीं। यही वजह है कि वे हर क्षेत्र में दिखाई पड़ती हैं और सफलतापूर्वक काम भी करती हैं.

लड़कियां आज राजनीति, सैन्य, आर्थिक, सेवा, प्रौद्योगिकी जैसे हर क्षेत्रों में पूरी तरह से भाग लेती हैं. खेलों में भी वे बेहतरीन योगदान देती रही हैं.

यों महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए सरकार ने कई कानून बनाए हैं, जिस में स्त्री शिक्षा को अनिवार्य किया गया है, लड़की की मरजी के बिना शादी पर प्रतिबंध लगाया गया है, तलाक को कानूनी दर्जा दिया गया है. साथ ही आज की नारी अपनी मरजी के मुताबिक किसी भी हुनर के लिए ट्रेनिंग ले सकती हैं.

स्त्री के मजबूत होने की खास वजह उन का शिक्षित और आत्मनिर्भर बनना है, जिस से वे किसी भी परिस्थिति से डट कर मुकाबला कर सकती हैं, किसी भी परिस्थिति में वे पीछे नहीं हटतीं.

सरोजिनी नायडू, इंदिरा गांधी, प्रतिभा पाटिल, द्रौपदी मुर्मू आदि ऐसी कई महिलाएं हैं, जिन्होंने अपनी मौजूदगी से सब को प्रभावित किया है और किसी भी परिस्थिति में वे पीछे नहीं हटीं.

रियल से हट कर मनोरंजन की दुनिया में भी ऐसी कई फिल्में बनीं, जिस में महिलाओं ने हर परिस्थिति का सामना करते हुए आगे बढ़ीं और दर्शकों का प्यार भी इन फिल्मों को मिला, कुछ निम्न हैं :

बैंडिट क्वीन (1984) : फूलन देवी की जिंदगी पर बनी फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ थी, जिस में सीमा बिश्वास ने बेहतरीन रोल अदा किया था और रातोरात उन्हें प्रसिद्धी मिली थी.

एक डकैत किस तरह से लोगों का मसीहा बन गई और कैसे पुरुषसत्ता को पीछे छोड़ते हुए एक महिला ने अपनी जगह बनाई, यह बताती है फिल्म ‘बैंडिट क्वीन.’

रियल में फूलन देवी के साथ बचपन में क्या हुआ था, उस के साथ जवानी में क्या हुआ और किस तरह से वह एक डकैत बन गई, यह सब कुछ इस फिल्म में बताया गया है, जिसे दर्शकों ने भी बहुत पसंद किया था.

मिर्च मसाला (1987) : 80 और 90 का ऐसा दौर था, जब समानांतर फिल्मों को दर्शक अधिक पसंद
करते थे, तब इस तरह की काफी फिल्में बनीं और कई बड़ी हीरोइनों ने काम किया। इसी कड़ी में अगर आप को पैरलल सिनेमा का शौक है, तो केतन मेहता द्वारा बनाई गई फिल्म ‘मिर्च मसाला’ जरूर देखिए.

यह फिल्म बेहद यूनिक है जिस में स्मिता पाटिल, ओमपुरी, नसीरुद्दीन शाह, रत्ना पाठक शाह, दीप्ति
नवल, सुप्रीया पाठक जैसे कलाकार मौजूद हैं. इस फिल्म को बैस्ट हिंदी फीचर फिल्म का नैशनल अवार्ड भी मिला था. इस में दिखाया गया है कि किस तरह छोटे तबके की महिलाएं अपने उत्पीड़न के खिलाफ लड़ती हैं.

अस्तित्व (2000) : फिल्म ‘अस्तित्व’ तब्बू की कुछ बेहतरीन फिल्मों में से एक फिल्म है. भारत के
पितृसत्तात्मक समाज को दिखाने वाली यह फिल्म ऐक्सट्रा मैरिटल अफेयर, पति का ऐब्यूज और एक महिला की अपनी पहचान को खोजने की कहानी है.

आखिर में वह महिला अपने पति और बेटे को छोड़ कर चली जाती है और उस की होने वाली बहू उस का साथ देती है, जो खुद अपने बौयफ्रैंड को छोड़ देती है.

यह फिल्म अपने समय से काफी आगे थी और इस की खासियत इस की दमदार ऐक्टिंग और पावरफुल कहानी है.

लज्जा (2001) : भारतीय समाज में महिलाओं के साथ क्याक्या होता है यह इस फिल्म में
दिखाया गया है. माधुरी दीक्षित, रेखा, मनीषा कोइराला, महिमा चौधरी सभी ने अपनेअपने रोल बहुत अच्छी तरह से निभाए हैं. यह फिल्म बहुत ही खास है.

‘लज्जा’ 4 महिलाओं मैथिली, जानकी, रामदुलारी और वैदेही की कहानी है। मनीषा कोइराला इस फिल्म की प्रमुख पात्र है. वैदेही (मनीषा कोइराला) और रघु (जैकी श्रौफ) पतिपत्नी हैं। रघु वैदेही के साथ अभद्र व्यवहार कर के उसे घर से बाहर निकाल देता है। वैदेही अपने मातापिता के पास लौट जाती है, लेकिन एक कार दुर्घटना में घायल होने के बाद रघु को पता चलता है कि वह कभी बाप नहीं बन सकता और इस के बाद वह पछतावे का ढोंग कर के वैदेही को वापस बुला लेता है.

वैदेही गर्भवती है और रघु सिर्फ अपना बच्चा ले कर उसे मार देना चाहता है, लेकिन वैदेही को यह सब पता चलता है और वह वहां से भाग जाती है. भागते हुए वैदेही, जानकी से मिलती है, जो एक अविवाहित मां है लेकिन उस का प्रेमी शादी से मना कर देता है और वह अकेली हो जाती है.

थिएटर में ऐक्टिंग करते वक्त दर्शक जानकी पर हमला कर देते हैं जिस से उस का गर्भपात हो जाता है. बाद में वैदेही रामदुलारी से मिलती है, जो अपने बच्चों को बचाने के लिए अपना बलिदान दे देती है. ये तीनों स्त्रियां कैसे अपने साथ हुए अत्याचार का बदला लेती हैं उस की कहानी है, जो बहुत ही मोटीवैटिव
है, जिसे देखा जा सकता है.

मैरिकोम (2014) : इंडियन बौक्सर मैरीकोम की जिंदगी पर बनी यह फिल्म प्रियंका चोपड़ा के
कैरियर की सब से बेहतरीन फिल्मों में से एक है.

एक एथलीट के लिए शादी कितनी मुश्किल बात है और शादी के बाद कमबैक करना कितना मुश्किल होता है, यह इस फिल्म में दिखाया गया है. मैरीकोम ने अपने परिवार और बच्चों के साथ अपने कैरियर को कैसे आगे बढ़ाया और कैसे सारी परेशानियों को झेला, यह इस फिल्म की कहानी है, जिस में मैरीकोम ने हर कठिन परिस्थिति से गुजर कर अपनी मुकाम हासिल की और अपना नाम पूरे विश्व मविन फैलाया.
इस प्रकार फिल्म इंडस्ट्री ने आज से कई साल पहले जो फिल्में नारीशक्ति पर बनाई थीं, इन सभी फिल्मों की कहानी आज के परिवेश में भी लागू होती है, क्योंकि उस समय इन फिल्मों की कहानी अपने समय से काफी आगे थीं. यही वजह है कि आज भी दर्शक इन फिल्मों को देखना पसंद कर रहे हैं.

अक्षय कुमार की रक्षाबंधन फ्लौप रही, भाईबहन पर बनी अग्निपथ जबरदस्त हिट, क्यों

कुछ फिल्में ऐसी होती हैं, जिन्हें हम देखकर वास्तविक दुनिया को भूल जाते है और उस काल्पनिक दुनिया में जीने लगते हैं. बौलीवुड में रिश्ते पर ऐसी ही कई फिल्में बनाई गई हैं, जिन्हें देखकर हम वास्तविक रिश्ते की सच्चाई भूल जाते हैं और फिल्मी दुनिया में इतना खो जाते हैं कि उसी तरह हम अपने रिश्ते को भी ढालने की कोशिश करते हैं. लेकिन रील और रियल लाइफ में बहुत अंतर होता है.

बौलीवुड में हर तरह के रिश्ते पर फिल्में बनती हैं. चाहे पतिपत्नी, गर्लफ्रैंड, बौयफ्रैंड, एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर, हर रिश्ते पर फिल्मों में एक्टर्स हर किरदार में नजर आते हैं. भाईबहन पर भी कई सारी फिल्में बनी. कुछ फिल्में हिट हुई, तो कुछ फिल्में फ्लौप हुई. राखी का त्यौहार आने वाला है. ऐसे में इस खास मौके पर भाईबहन इन फिल्मों को देख सकते हैं और अपने रिश्ते को मजबूत बना सकते हैं.

अक्षय कुमार की फिल्म रक्षाबंधन

भाईबहन की बौन्डिंग पर बनी यह फिल्म कौमेडी, मेलोड्रामा और इमोशन से भरपूर है, लेकिन यह फिल्म बौक्स औफिस पर बुरी तरह फ्लौप हुई थी. जब इस फिल्म का ट्रेलर आया था, तो इस फिल्म के गाने और भाईबहन पर बनी इस कहानी से ज्यादा उम्मीद थी, लेकिन यह फिल्म असफल रही. इस फिल्म में आउटडेटेज सब्जेक्ट दिखाया गया. इस फिल्म में दहेज और 4 अविवाहित बहनों की शादी कराने का बोझ उठाते भाई की कहानी दिखाई गई है. यह विषय काफी पुराना था.

पटाखा

यह फिल्म दो बहनों की कहानी थी, लेकिन प्यार से मिलजुल कर रहने वाली इसकी कहानी कतई नहीं थी. इसमें यह दिखाया गया था कि दो बहनें बचपन से ही लड़ाई करती हैं. पौपुलर एक्ट्रैस राधिका मदान की यह पहली फिल्म है. इस फिल्म में उन्होंने लीड एक्ट्रैस के तौर पर काम किया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फिल्म का बौक्स औफिस कलेक्शन कुछ खास नहीं रहा. यह फिल्म भी असफल रही.

दिल धड़कने दो

‘दिल धड़कने दो’ यह बड़ी बजट की फिल्म बताई गई थी, लेकिन इस फिल्म का ट्रीटमेंट स्क्रीन पर कम ही नजर आया. इस फिल्म का म्यूजिक भी कुछ खास नहीं रहा. इस फिल्म को भी बौक्स औफिस पर कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. फिल्म डायरेक्टर जोया अख्तर ने इस फिल्म में मौडर्न फैमिली और इसकी प्रौब्लम को लेकर बनाई थी. इस मूवी में प्रियंका चोपड़ा और रणवीर सिंह भाईबहन के किरदार को बखूबी निभाया.कैसे दोनों भाईबहन एकदूसरे से लड़ते हैं और मुश्किल वक्त में एकदूसरे का साथ भी देते हैं.

सरबजीत

साल 2016 में आई फिल्म सरबजीत ने बौक्स औफिस पर हिट साबित शानदार कमाई की थी. यह फिल्म सुपरडूपर हीट रही थी. इस फिल्म ने क्रिटिक्स को भी काफी इम्प्रैस किया था. रिपोर्ट्स के मुताबाक यह फिल्म 15 करोड़ में बनी थी, लेकिन बौक्स औफिस पर इसने 43 करोड़ की कमाई कमाई की थी, इस क्लेक्शन ने हर किसी को चौंका दिया था.

इस फिल्म की कहानी सच्ची घटना पर आधारित है. इस फिल्म के मुख्य किरदार में रणदीप हुड्डा और ऐश्वर्या राय नजर आए. इन दोनों ने इस फिल्म में भाईबहन के अटूट रिश्ते को बखूबी निभाया है. इस फिल्म में दिखाया गया है कि पाकिस्तान ने सरबजीत नाम के शख्स को गिरफ्तार कर लिया है और उसकी बहन दलबीर अपने भाई को वतन लाने के लिए सालों तक कोशिश करती रही थी.

भाग मिल्खा भाग

साल 2013 में आई फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ एक बायोपिक फिल्म है. ये फिल्म इंडियन एथलीट मिल्खा सिंह के जीवन पर आधारित हैं. यह फरहान अख्तर की बेहतरीन फिल्मों में से एक है. इस फिल्म का बजट 30 करोड़ रुपये था जबकि बौक्स औफिस पर इस फिल्म ने 168 करोड़ रुपये का क्लेक्शन किया था. इस फिल्म में फरहान अख्तर और दिव्या दत्त भाईबहन के किरदार में नजर आए थे.

अग्निपथ

‘अग्निपथ’ यह रिमेक फिल्म थी. अमिताभ बच्चन की अग्निपथ की रिमेक है. इसमें मुख्य किरदार में
ऋतिक रोशन, ऋषी कपूर, प्रियंका चोपड़ा, संजय दत्त और कई कलाकार नजर आए हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह फिल्म बौक्स औफिस पर अच्छा कारोबार किया था. खबरों के मुताबिक 60 करोड़ में बनी यह फिल्म 200 करोड़ की कमाई की थी.

इस फिल्म में बड़े भाई बने हुई हैं जो बचपन में अपनी बहन से बिछड़ जाता है लेकिन हर दिन वो अपनी बहन को याद करता है और उसके लिए तड़पता है. अग्निपथ में भाईबहन के प्यार को बखूबी फिल्माया गया है. इस फिल्म का ये गाना, ‘अभी मुझ में कहीं ‘ काफी पौपुलर है.

फिल्म समीक्षाः एन एक्शन हीरो- आयुष्मान खुराना की अविश्वसनीय कहानी

रेटिंगः दो स्टार

निर्माताः आनंद एल राय व टीसीरीज

निर्देशकः अनिरूद्ध अय्यर

कलाकारः आयुष्मान खुराना, जयदीप अहलावत,हर्ष छाया, मिराबेल स्टुअर्ट, रचित जोडाॅन, अलेक्झेंडर गर्सिया,अमरो

मोहम्मद, हितेन पटेल,मो.  तालिब, जॉन बायरन, गौरव कंडोई,जीतेंद्र राय,टाइगर रूड व अन्य.  

अवधिः दो घंटे दस मिनट

‘तनु वेड्स मनु’ व ‘रांझणा’ जैसी कुछ बेहतरीन फिल्मों के निर्देशक व ‘निल बटे सन्नाटा’ जैसी फिल्म के निर्माता आनंद एल राय अब बतौर निर्माता फिल्म‘एन एक्शन हीरो’लेकर आए हैं,जिसका निर्देशन अनिरूद्ध अय्यर ने किया है.

कहानीः

कहानी के केंद्र में देश का मशहूर व घमंडी एक्शन हीरो मानव ( आयुष्मान खुराना) है,जिसे लोगों को इंतजार कराने में आनंद आता है.  वह लोगों को इंतजार कराकर अपनी शोहरत को नापता रहता है.  एक फिल्म की शूटिंग के लिए हरियाणा जाते समय एअरपोर्ट पर अंडरवल्र्ड के खिलाफ बयानबाजी करता है.  हरियाणा में शूटिंग के लिए इजाजत दिलाने वाला स्थानीय गांव के निगम पार्षद भूरा सोलंकी (जयदीप अहलावत) का भाई विक्की सोलंकी शूटिंग के सेट पर मानव के साथ फोटो खिंचाने जाता है. मगर मानव शूटिंग में व्यस्त रहता है. पूरा दिन बीत जाता है.

 

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शूटिंग खत्म होने के बाद मानव अपनी नई मुस्टैंग कार में बैठकर ड्ाइव पर निकल जाता है,यह देख कर विक्की अपनी कार से उसका पीछा करता है. सुनसान जगह पर विक्की,मानव की कार को रोकता है. दोनों में बहस होती है और विक्की की मौत हो जाती है. मानव डर कर चार्टर्ड प्लेन से लंदन चला जाता है. भूरा सोलंकी भी अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए लंदन पहुंच जाता है. लंदन पहुॅचते ही भूरा ,मानव के घर पहुॅचता है. उस वक्त मानव घर पर नही होता,पर मानव की तलज्ञश में यूके पुलिस जब पहुॅचती है तो भूरा ,उन यूके पुलिस अफसरों को मौत के घाट उताकर इस बात का परिचय देता है कि वह कितना खतरनाक है.

इधर मानव अपने सेके्रटरी रोशन (हर्ष छाया) व वकील की मदद से खुद को सुरक्षित करने में लगा हुआ है.  पर हालात कुछ और हो जाते हैं. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. भारत मंे मानव के खिलाफ एक माहौल बन गया है. इधर जब भूरा व मानव आमने सामने होते हैं,तो भूरा,मानव को मार कर अने भाई की मौत की बजाय लड़ने ़की बात करता है.

पूरी फिल्म मंे दोेनो एक दूसरे को पछाड़ते या भागते नजर ओत हैं. अचानक अंडरवल्र्ड डाॅन मसूद अब्राहम काटकर आ जाता है,जो कि मानव को अपनी नवासी की शादी में नाचने के लिए विवश करता है. काटकर के अड्डे पर भूरा भी पहुॅच जाता है. काटकर,मानव के साथ तस्वीर खिंचवाकर वायरल कर देता है. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. अंत मे मानव हीरो बनकर भारत वापस लौटता है.

कहानी व निर्देशनः

फिल्म ‘एन एक्शन हीरो’ के निर्माता आनंद एल राय मशहूर निर्माता व निर्देशक हैं. उन्होने ‘तनु वेड्स मनु’,‘तनु वेड्स मनु रिर्टन’, ‘रांझणा’ जैसी फिल्में निर्देशित कर अपनी एक अलग पहचान बनायी. उसके बाद वह निर्देशन से तोबा कर सिर्फ निर्माता बन गए.  फिर ‘निल बटे सन्नाटा’,‘तुम्बाड़’जैसी बेहतरीन फिल्मों के अलावा ‘मेरी निम्मो’ जैसी कुछ घटिया फिल्मों का निर्माण कर खूब पैसा कमाया.

2018 में आनंद एल राय ने शाहरुख खान को लेकर फिल्म ‘जीरो’ निर्देशित की,जिसने बाक्स आफिस पर पानी तक नही मांागा.  जब आनंद एल राय ने मुझे बताया था कि वह शाहरुख खान को लेकर एक फिल्म निर्देशित करने जा रहे हैं,तभी मैने उनसे फिल्म की कहानी के आधार पर कहा था कि वह अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जा रहे हैं.  उस वक्त आनंद एल राय ने अपनी बातों से खुद को भगवान और दर्शकों की नब्ज को समझने वाला सबसे बड़ा फिल्मकार साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. पर हर कोई जानता है कि ‘जीरो’ अपनी लागत भी वसूल नही कर पायी.

यहीं से आनंद एल राय के बुरे दिनों की शुरूआत भी हो गयी थी. उसके बाद से उनकी किसी भी फिल्म को सफलता नही मिल रही है. लेकिन आनंद एल राय आज भी अहम के शिकार हैं. वह ख्ुाद को ही सबसे बड़ा समझदार इंसान समझते हैं. बतौर निर्माता अपनी नई फिल्म ‘एन एक्शन हीरो’ के प्रदर्शन से कुछ दिन पहले पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत के दौरान आनंद एल राय ने कहा था-‘‘हम फिल्में अच्छी बना रहे हैं, मगर दर्शक हमसे नाराज चल रहा है.

’’बहरहाल,फिल्म ‘एन एक्शन हीरो’ की कहानी भी एक अति घमंडी अभिनेता की है,जो कि बेसिर पैर के काम करता है. पर फिल्म में उसे विजेता दिखा दिया गया है. मगर हकीकत में इस फिल्म से बतौर निर्माता आनंद एल राय के विजेता बनकर उभरने की कोई उम्मीद नजर नहीं आती. फिल्म के निर्देशक व कहानीकार अनिरूद्ध अय्यर एक बेसिरपैर की कहानी वाली फिल्म ‘एन एक्शन हीरो’ लेकर आए हैं.

फिल्म की कहानी व पटकथा दोेनों गड़बड़ है. हर मशहूर अभिनेता अपनी नई कार की डिलिवरी अपने शहर में लेता है,किसी गांव मंे नहीं और हर हीरो जहां भी जाता है, उसके साथ अब बाउंसरों की टोली होती है. मगर यह बात फिल्म के निर्माता,निर्देशक व लेखक को पता ही नही है.

एक सफल फिल्म कलाकार,जिसके पास भारत व लंदन में अपने आलीशान मकान व अकूट संपत्ति हो,तो उसके संबंध बड़े बड़े लोगों तक होते हैं. फिर भी दुर्घटना वष विक्की की मौत होेने पर मानव सीधे चार्टर्ड प्लेन पकड़कर लंदन भागता है. फिल्मकार ने लंदन की पुलिस को भी घटिया दिखा दिया. पुलिस कमिश्नर अपने आफिस में बैठकर सीसीटीवी पर सब कुद देखते रहते हैं. फिर भी अंडरवल्र्ड डाॅन काटकर के आदमी खुलेआम मानव को बीच सड़क से उठा ले जाते हैं.

 

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हरियाणा के गांव में रहने वाला जाट भूरा सोलंकी लंदन पहुॅचकर मानव के घर में यू के पुलिस वालों की हत्या कर घूमता रहता है,उसे पुलिस पकड़ती नही. पूरी फिल्म इसी तरह के अविश्वसनीय घटनाक्रमों से भरी हुई है.  मानव लंदन भगते समय मास्क पहनकर चेहरा नही छिपाता और कोई उसे पहचान नही पाता.

अभिनेता अक्षय कुमार प्लेन मंे मानव से मिलते हैं और कहते है कि वह किसी को न बताए कि प्लेन में अक्षय मिले थे.  वाह क्या पटकथा है. भारत में ऐसा कौन सा एक्शन हीरो है,जो अपनी निजी जिंदगी में भी एक्शन के कारनामंे करता हो,पर एक्शन सुपर स्टार मानव तो निजी जिंदगी में भी एक्शन मंे माहिर है. वाह क्या सोच है निर्माता,निर्देशक व लेखक की.

फिल्म में संजीदगी तो कहीं है ही नही.  मीडिया को मसखरा,भारतीय पुलिस इतनी निकम्मी है कि वह निगम पार्षद के इषारे पर उसके घर में बिना वस्त्र खड़े रहते हैं.  अंडरवल्र्ड डाॅन जिसके पास भारत का राॅ विभाग तीस वर्षों से नही पहुॅच पाया,उस तक भूरा आसानी से पहुॅच जाता है. फिल्मकार तो न्यायपालिका का मजाक उड़ाने से भी नहीं चूके.   फिल्म में इमोशन तो कहीं नजर ही नही आता. विक्की की मौत के बाद उसके भाई भूरा या परिवार के किसी सदस्य का दुःख नजर नही आता.  रिष्ते तो है ही नहीं. मानव भी अपने सेक्रेटरी व मैनेजर रोशन के अलावा पूरी फिल्म में किसी को फोन नही करता.

अभिनयः

मानव के किरदार को निभाने के लिए आयुष्मान ख्रुराना ने अपनी तरफ से कड़ी मेहनत की है.  पर सच यह है इस किरदार में वह फिट नही बैठते.  जयदीप अहलावत का अभिनय भी काफी मोनोटोनस नजर आता है. हर्ष छाया जरुर अपने अभिनय की छाप छोड़ जाते हैं.

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