कैसे पटरी पर लौटेगा बेहाल बौलीवुड

सिनेमा जगत पर भी कोरोना का कहर बुरी तरह बरपा है, चाहे बौलीवुड हो या क्षेत्रीय सिनेमा, सभी को कोरोना की मार झेलनी पड़ रही है. इंडस्ट्री के सभी डिपार्टमैंट और प्रोडक्शन के काम जैसे कास्टिंग, लोकेशन ढूंढ़ना, टेक स्काउटिंग, कौस्टयूम फिटिंग, वार्डरोब, हेयर ऐंड मेकअप आर्ट, साउंड व कैमरा, कैटरिंग, एडिटिंग, साउंड और वौयस ओवर जैसे सभी काम ठप पड़ गए हैं और ये काम करने वालों के पास कोई काम नहीं है और न ही कमाई का जरीया है.

एक्सपर्ट्स के अनुसार सिनेमाघरों के बंद होने, शूटिंग रुकने, प्रमोशनल इवेंट्स के न होने और इंटरव्यू रुकने के चलते टीवी और फिल्म इंडस्ट्री को आने वाले समय में भारी नुकसान झेलना पड़ेगा.

यह नुकसान कितना बड़ा होगा, इस के सही आंकड़ें अभी मौजूद नहीं हैं, लेकिन अनुमान है कि इंडस्ट्री को 100 से 300 करोड़ रुपए तक का नुकसान हो सकता है.

बंद पड़े हैं सिनेमाघर

तकरीबन 9,500 सिनेमाघरों को बंद कर दिया गया है और आने वाले कुछ हफ्तों तक इन के खुलने की कोई संभावना नहीं है. हर साल हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में 1,200 फिल्में बनती हैं. इन फिल्मों की कमाई मल्टीप्लैक्स से आती है, जो लौकडाउन के दौरान बंद हैं.

मार्च माह में सब से पहले रिलाइंस ऐंटरटेनमैंट ने रोहित शेट्टी की फिल्म ‘सूर्यवंशी’ की तारीख आगे बढ़ाई थी, जिस के बाद फिल्म ‘संदीप और पिंकी फरार’,  ‘हाथी मेरे साथी’ समेत 83 फिल्मों की रिलीज की तारीख टाल दी गई.

फिल्म ‘बागी’ 3 मार्च को रिलीज जरूर हुई, लेकिन उस की टिकटों की बिक्री नहीं हुई थी. इस का एक कारण भारत में बढ़ रहा कोरोना का खतरा था.

इसी तरह इरफान खान और राधिका मदान की फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ को बौक्स औफिस से निकाल ओटीटी प्लेटफार्म डिज्नी हौटस्टार पर रिलीज किया गया. क्षेत्रीय फिल्मों को भी रिलीज से रोक दिया गया था.

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ओटीटी प्लेटफार्म्स बैस्ट औप्शन नहीं 

रिलीज डेट आगे बढ़ जाने और सिनेमाघरों के बंद होने के चलते फिल्म, टीवी व वैब सीरीज की शूटिंग को रोक दिया गया, जिस पर लौकडाउन के बाद पूरी तरह विराम लग गया. ओटीटी प्लेटफार्म्स जैसे अमेजन प्राइम, नैटफ्लिक्स पर कुछ फिल्में रिलीज जरूर हो रही हैं, लेकिन यह हर फिल्म के लिए संभव नहीं है कि वह ओटीटी तक पहुंच पाए और न ही ओटीटी प्लेटफार्म्स हर बड़ी फिल्म को खरीद सकते हैं.

चर्चित तेलुगु फिल्म प्रोड्यूसर एसकेएन का कहना है कि लगभग 1,000 सीटों वाले सिनेमाघरों को महीने के 10 लाख रुपए का घाटा हो रहा है.

एसकेएन इस बात को ले कर चिंतित हैं कि ओटीटी प्लेटफार्म्स लंबी रेस का घोड़ा साबित होंगे या नहीं. वे कहते हैं, ‘‘मुझे नहीं लगता कि ओटीटी प्लेटफार्म्स उन फिल्मों को खरीदना चाहेंगे, जो सिनेमाघर में रिलीज नहीं हुई हैं, क्योंकि हमें नहीं पता कि कौन सी फिल्म सिनेमाघर में हिट साबित होगी और कौन सी नहीं. और यह साफ  है कि ओटीटी उन्हीं फिल्मों को खरीदना चाहते हैं, जो पहले से ही हिट हों.’’

इस समय ऐंटरटेनमैंट इंडस्ट्री में केवल ओटीटी प्लेटफार्म ही एसे हैं, जो फायदे में हैं. बहुचर्चित शोज और फिल्मों को लोग लौकडाउन के चलते बिंज वौच कर रहे हैं, जिन के जरीए इन प्लेटफार्म की व्युअरशिप बढ़ी है.

साल 2019 में इस इंडस्ट्री ने 17,300 करोड़ रुपए की कमाई की थी. इस से अंदाजा लगाया जा सकता है कि साल 2020 में इन प्लेटफार्म्स की कमाई के कितने रिकौर्ड टूटेंगे.

यह जगजाहिर है कि सिनेमाघरों में बौलीवुड फिल्मों की रिलीज व उन की मान्यता कितनी महत्वपूर्ण है, जोकि ओटीटी प्लेटफार्म्स पर होना मुश्किल है, दूसरी तरफ , ओटीटी प्लेटफार्म्स 5 करोड़ की फिल्म तो खरीद सकते हैं लेकिन वे 100 करोड़ की फिल्म खरीदने में असमर्थ होंगे. इसलिए बौलीवुड फिल्मों को सिनेमाघरों में रिलीज करना आवश्यक है.

इन फिल्मों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा दिल्ली, मुंबई और चेन्नई समेत भारत के 10 महानगरों से आता है, जो फिलहाल कोरोना वायरस के हौटस्पौट हैं. इस स्थिति में बौलीवुड की बिग बजट फिल्मों का भविष्य अंधकारमय है.

कर्मचारियों की है हालत पस्त

बड़े सितारे आएदिन सोशल मीडिया के जरीए अपनी उपस्थिति दिखाते हैं. किसी को अपने एसी खराब होने की चिंता है, तो कोई बरतन धोने को प्रोडक्टिविटी के रूप में पेश कर रहा है. परंतु, फिल्मों के बैकग्राउंड में काम करने वालों के लिए यह समय बेरोजगारी और भुखमरी ले कर आया है.

फिल्मों की शूटिंग और उस से जुड़े सभी प्रोडक्शन और प्रमोशन के काम बंद होने का इतना असर बड़े बैनर्स और एक्टर्स पर नहीं पड़ा है, जितना फिल्मों से जुड़े छोटे स्तर पर उतना काम करने वाले कर्मचारियों पर हुआ है. कू्र्र मेंबर्स, दिहाड़ी पर काम करने वाले और छोटेमोटे प्रोजेक्ट्स से पैसा कमाने वाले लोगों के लिए जीवन निर्वाह करना मुश्किल हो गया है. वे दो 2 वक्त की रोटी के लिए भी मोहताज हो चुके हैं.

प्रोड्यूसर्स गिल्ड औफ  इंडिया के अनुसार, बौलीवुड का काम ठप होने से इंडस्ट्री से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े तकरीबन 10 लाख लोगों पर कोरोना के चलते प्रभाव पड़ रहा है. कई लोग बिना काम के रहने को मजबूर हैं. इस से बौलीवुड में दिहाड़ी पर काम करने वाले 35,000 कर्मचारी अत्यधिक प्रभावित हुए हैं.

सिने एंड टीवी आर्टिस्ट्स एसोशिएशन यानी सिनटा द्वारा बौलीवुड के ए लिस्टर सितारों से इन कर्मचारियों के लिए डोनेशन की अपील की गई, जिस के चलते रोहित शेट्टी, सलमान खान, रितिक रोशन, अमिताभ बच्चन और विद्या बालन उन सितारों में से थे, जो दिहाड़ी कर्मचारियों के लिए फंड व राशन देने के लिए सामने आए.

चिंता की बात यह है कि आखिर कब तक डोनेशन के जरीए इन कर्मचारियों का घर चलेगा. ज्ञातव्य है कि मदद हर कर्मचारी तक नहीं पहुंच रही व एसे कितने ही अभिनेता हैं, जो खुद चिंता में हैं कि उन के खर्चे कैसे पूरे होंगे, परंतु पोपुलैरिटी के चलते वे मदद मांगने में असमर्थ हैं.

नए एक्टर्स और पैपराजी भी चपेट में

मुंबई महानगरी है और देश के अलगअलग हिस्सों से युवा यहां अपने सपने पूरे करने आते हैं. किराए के घरों में रहने वाले इन युवाओं को भी अपने घरों तक लौटना पड़ा. यह सभी छोटेमोटे प्रोजेक्ट कर अपना निर्वाह कर रहे थे, पर अब कोई काम न होने पर इन्हें अपने मातापिता पर आश्रित होना पड़ रहा है.

हालत यह है कि एकसाथ मिल कर जी लोग जिस घर का किराया दे रहे थे, उन में से कई अपने घर लौट चुके हैं. इस के चलते जो रह गया है, उसे पूरा किराया खुद देना पड़ रहा है. यह स्थिति कब तक बनी रहेगी, किसी को कोई अंदाजा नहीं है.

आएदिन टीवी एक्टर्स के एयरपोर्ट लुक्स, जिम लुक्स, वैडिंग लुक या सीक्रेट डेट लुक को कैमरे में कैद करने वाले पैपराजी भी कोरोना की मार से नहीं बचे हैं. न अब सैलिब्रिटी घर से निकल रहे हैं और न ही ये उन्हें कैप्चर कर पा रहे हैं.

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आमतौर पर एक दिन में 11,000 से 20,000 रुपए कमाने वाले इन पैपराजी के लिए कमाई के रास्ते बंद हो गए हैं. डायरैक्टर और प्रोड्यूसर रोहित शेट्टी व एक्टर रितिक रोशन ने इन के लिए डोनेशन दिया है.

ऐसे संभलेगी फिल्म इंडस्ट्री

लौकडाउन खुलने के बाद फिल्म इंडस्ट्री को पटरी पर वापस आना है. लेकिन यह इतना आसान नहीं है. फिल्म के निर्मातानिर्देशकों को प्रीप्रोडक्शन काम को बेहद सावधानी से पूरा करना होगा.

यदि स्टाफ  के एक व्यक्ति को भी कोरोना संक्रमण होता है, तो सारा काम 3 हफ्तों तक रोक दिया जाएगा. अंतर्राष्ट्रीय यातायात पर प्रतिबंध होने पर ज्यादा से ज्यादा ग्रीन स्क्रीन पर शूटिंग होगी, जिस से फिल्में अलग तरह से बनेंगी. इसी तरह से अनेक बदलाव होने वाले हैं.

प्रोडक्शन को जारी करने के लिए प्रोड्यूसर्स गिल्ड औफ  इंडिया ने बैक टु एक्शन रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में औन और औफ  स्टेज व प्री और पोस्ट प्रोडक्शन के सभी डिपार्टमैंट्स के लिए निर्देश दिए गए हैं, जिन की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं:

– लौकडाउन खुलने के पहले 3 महीनों में सैट पर आने वाले हर शख्स का टैंपरेचर चैक होगा व उस के द्वारा सैनिटाइजेशन, सोशल डिस्टैसिंग, जहां तक संभव हो, वर्क फ्रौम होम का पालन किया जाएगा. साथ ही, कम कास्ट और क्रू व बाहरी लोकेशनों में शूटिंग कम करने को ध्यान में रखा जाएगा. सैट पर मैडिकल टीम का होना अनिवार्य होगा.

– सैट पर सभी को हर थोड़ी देर में हाथ धोने होंगे व ट्रिपल लेयर मास्क हर समय लगाए रखना होगा. सभी को 3 मीटर की दूरी का पालन करना होगा और हाथ मिलाने, गले लगने व किस करने से परहेज करना होगा.

– सैट पर आने वाले हर क्रू मैंबर और स्टाफ  को अपनी फिटनैस और स्वास्थ्य के सही होने की पुष्टीकरण के लिए फार्म भरना होगा और किसी भी प्रोजैक्ट को साइन करने से पहले स्वास्थ्य की सही जानकारी देनी होगी.

– शूटिंग के दिनों में हर व्यक्ति की उपस्थिति का रिकौर्ड रखा जाएगा. सभी को शूटिंग से 45 मिनट पहले सैट पर पहुंचना होगा, ताकि उन्हें कोरोना से बचाव के तरीके बताए जाएं और नई दिनचर्या उन की आदत बन जाए.

– जो लोग घर से काम कर सकते हैं, उन्हें घर से ही काम करना होगा. 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के व्यक्ति और किसी भी तरह की बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को घर से काम करना अनिवार्य होगा.

देखना यह है कि आखिर कब तक यह स्थिति बनी रहती है. सभी की कोशिश यही है कि काम जल्दी से जल्दी पटरी पर लौट आए और रफ्तार पकड़ ले.

‘दिया तले अंधेरा’ को सच करती एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री 

धारावाहिक ‘आदत से मजबूर’ टीवी शो के चर्चित स्टार मनमीत ग्रेवाल का सुइसाइड करना और अब ‘क्राइम पेट्रोल’ फेम 25 वर्षीय अभिनेत्री प्रेक्षा मेहता का इंदौर स्थित अपने घर पर आत्महत्या करना,  पूरी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री सदमे में है. 32 साल के मनमीत के सुइसाइड की वजह पैसे की तंगी और बिल का न चुका पाना है. इधर एक्टर आशीष रॉय भी हॉस्पिटल में डायलिसिस के लिए एडमिट हुए और मोनिटरी हेल्प के लिए सोशल मीडिया से सहयोग मांग रहे है, ताकि उनको डिस्चार्ज मिले.

लॉक डाउन का लगातार बढ़ना, आम नागरिकों से लेकर सेलिब्रिटी सभी के लिए काफी संकट भरा होता जा रहा है, यहां तक कि जहां भी थोड़ी सी ढील लॉक डाउन मिल रही है, लोग कोरोना संक्रमण की परवाह किये बिना काम पर जाने के लिए मजबूर है, क्योंकि काम कर पैसे कमाने है, नहीं तो भूखों मरने की हालात पैदा हो रही है. असल में लॉक डाउन की वजह से बहुत सारे लोग आज जॉब लेस हो गए है. एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की हालत तो और भी गंभीर है. जिन लोगों ने पेंडेमिक से पहले काम किया है, उनके भी पैसे नहीं मिले है. असल में टीवी इंडस्ट्री आम दिनों में पैसे शूटिंग करने के 60 या 90 दिनों बाद देती है. लॉक डाउन की वजह से कुछ प्रोडक्शन हाउस ने पैसे कलाकारों के चुका दिए है, लेकिन कुछ निर्माताओं को बहाने मिल गए है और वे पैसे देने के विषय को टालते जा रहे है. साथ ही कलाकारों को ये भी डर सताने लगा है कि आगे काम मिलने पर भी ऐसे लोग सही पारिश्रमिक देंगे या नहीं. सभी कलाकार समस्या ग्रस्त है. फाइनेंसियल क्राइसिस के बारें में क्या कहते है, ये टीवी सितारें आइये जाने उन्हीं से,

विजयेन्द्र कुमेरिया 

पिछले 2 महीने से कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन चल रहा है, ऐसे में बहुत सारें ऐसे प्रोडक्शन हाउस है जो बकाया राशि देने के बारें में लगातार बहाने बनाते जा रहे है, उनका कहना है कि उनके पास पैसे की सोर्स नहीं है, जबकि पेंडेमिक से काफी पहले कई शो ऑफ एयर हो चुके है, उन्हें उसके पैसे मिल चुके है, पर पेमेंट अभी तक नहीं मिले. जबकि कुछ अच्छे प्रोडक्शन हाउस इस हालात में भी सबके बकाये राशि का भुगतान कर रही है. काम करवाने के बाद नियम से पेमेंट देना बहुत सारे निर्माता नहीं जानते, ऐसे में वहां काम करने वालों के लिए दुःख की बात है. लॉक डाउन ने इंडस्ट्री को बुरी तरह से प्रभावित किया है. चैनल से लेकर स्पॉट बॉय सभी लोग आज पैसे के लिए मोहताज है. कुछ लोग तो इससे निकल जायेंगे, पर डेली वेज वर्कर्स के लिए अपना जीवन गुजरना मुश्किल होगा.

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विकास सेठी  

इस तरह के आपदा के लिए कोई भी तैयार नहीं था, लेकिन इससे हम सबको सीख मिली है कि हमेशा ऐसे हालात से उबरने के लिए तैयार रहना चाहिए. अभी इस समय पैसे आ नहीं रहे है.ऐसे में हमें जरुरत के अलावा किसी भी चीज पर पैसे खर्च करने के बारें में नहीं सोचना चाहिए. हालाँकि कलाकारों को एक अलग तरीके की लाइफस्टाइल मेन्टेन करने की जरुरत होती है, पर अभी उस बारें में न सोचकर जो है उसी में गुजारा करने की आवश्यकता है, क्योंकि फाइनेंसियल क्राइसिस का असर मानसिक अवस्था पड़ता है, ऐसे में अपने आसपास के दोस्त और परिवार के साथ लगातार संपर्क बनाये रखने की जरुरत है.

केतन सिंह 

अभिनेता केतन सिंह का कहना है कि लॉक डाउन और कोरोना वायरस की वजह से इंडस्ट्री की हालत गंभीर हो चुकी है. कुछ निर्माता अपने कास्ट और क्रू को पेमेंट करने के बारें में सोच रहे है, जबकि कुछ नहीं कर रहे है, उन्हें दोषी ठहराना भी ठीक नहीं होगा, क्योंकि उन्हें चैनल ने पैसे नहीं दिए है और वे आगे हमें नहीं दे पा रहे है. मुश्किल घड़ी है, जिससे सभी को मिलकर आगे निकलना है. अभिनेता मनमीत ने बहुत कड़ा कदम उठा लिया है और मैं समझ सकता हूँ कि उसने किस मानसिक दशा में ऐसा कदम उठाने पर विवश हुआ होगा. एक्टर आशीष रॉय भी ऐसा ही कलाकार है, जिसके साथ मैंने कई शो में काम किया है, आज वह भी पैसे के लिए मोहताज है. मेरा सभी से ये कहना है कि इंडस्ट्री के सारे कलाकार जो जितना भी सहायता कर सकते है आशीष के लिए करें. इसके अलावा एसोसिएशन भी आगे आकर उन कलाकारों को सहयोग दे, जो मानसिक और वित्तीय रूप से टूट चुके है, उन्हें सहारा दें और इस विपत्ति से उन्हें उबारें.

अरुण मंडोला 

मेरे एक दोस्त के पास इतने भी पैसे नहीं थे, जिससे वह कुछ दिन लॉक डाउन में खा सकें, क्योंकि प्रोडक्शन हाउस ने उसके पैसे दिए ही नहीं थे. कलाकार हमेशा सही समय पर पैसे न मिलने की वजह से परेशान रहते है और प्रोडक्शन हाउस कभी भी समय पर पैसे का भुगतान नहीं करती. शूटिंग के बाद हमें 60 से 90 दिनों बाद पैसे मिलते है, जो एक बड़ी समस्या होती है. मुंबई के खर्चे बाकी शहरों की तुलना में अधिक है. बिना कमाई के पैसे खर्च करना बहुत बड़ी मुसीबत है. एक्टर्स के लिए भी CINTAA  को कुछ नियम बनाए जाने की जरुरत है. अगर एक एक्टर देर से सेट पर पहुंचता है तो उसे निर्माता, निर्देशक अनप्रोफेशनल कहते है, लेकिन जब प्रोडक्शन हाउस देर से पैसों का भुगतान करते है तो उन्हें कोई कुछ नहीं कहता. असल में कलाकारों में एकजुटता नहीं है. पहले मनमीत, फिर प्रेक्षा ने आत्महत्या की और अब आशीष रॉय अस्पताल में है, जिसे देखने वाला कोई नहीं. हम सबको एक प्रतिनिधि रखने की जरुरत है, जो मुश्किल घड़ी में कलाकारों का साथ दे सकें.

शरद मल्होत्रा 

अभिनेता शरद मल्होत्रा का कहना है कि ये निश्चित ही मुश्किल घड़ी है. कहा जाता है कठिन समय चला जाता है, पर टफ लोग हमारे बीच रह जाते है. ये कहना मुश्किल है कि ये लॉक डाउन कब ख़त्म होगा और कब सबकुछ पटरी पर लौटेगी. सभी इस समस्या से परेशान है. किसी भी कलाकार का वित्तीय समस्या या काम न मिलने की वजह से डिप्रेशन में जाकर आत्महत्या कर लेना इंडस्ट्री के लिए अच्छी बात नहीं.

जैस्मिन भसीन 

फाइनेंस को हमेशा सही तरह से मैनेज करना जरुरी होता है. लाइफ के बारें में कुछ भी पहले से कहना संभव नहीं होता. किसी ने लॉक डाउन के बारें में सालों से सोचा नहीं होगा. कोरोना काल समाप्त होगा और काम भी शुरू होगा. तब तक सबको संयम और धीरज से रहने की जरुरत है. पैसे आपके जीवन के लिए जरुरी है, पर किसी भी कलाकार का सुइसाइड कर लेना दुखदायी है.

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रिशिना कंधारी

जीवन में उतार-चढ़ाव आते जाते रहते है. ये कुछ दिनों के लिए ही होता है. हर किसी को अपने मेंटल हेल्थ के बारें में ध्यान रखने की जरुरत है. आत्महत्या किसी भी चीज का समाधान नहीं है. पैसों की तंगी मुश्किल घड़ी होती है और ये कलाकारों के साथ घटने वाली कड़वी सच्चाई है. उम्मीद है लॉकडाउन के बाद सब कुछ थोड़े दिनों में नार्मल हो जायेगा.

#lockdown: कोरोनावायरस ले डूबा है बौलीवुड का बिजनेस, भविष्य और स्टाइल

कोरोना वायरस का संक्रमण एक ऐसी त्रासदी है, जैसी आक्रामक त्रासदी दुनिया ने पिछले पांच सौ सालों में पहले कभी नहीं देखी. ऐसा नहीं है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के पहले दुनिया में महामारियां नहीं आयीं, लेकिन अब के पहले दुनिया में जितनी भी महामारियां आयी हैं, उनका कुछ निश्चित क्षेत्रों में ही असर हुआ है. मसलन ज्यादातर महामारियां बड़े पैमाने पर आम लोगों की जानभर लेती रहती हैं. लेकिन कोरोना महामारी ऐसी है जो न सिर्फ बड़े पैमाने पर लोगों को मार रही है बल्कि अब तक के तमाज जीवन जीने के ढंग पर सवालिया निशान लगा रही है और हमारी तमाम उपलब्धियों को अर्थहीन कर रही है या फिर उन्हें पूरी तरह से बदलने के लिए इशारा कर रही है. कहने का मतलब यह कि जब कोरोना महामारी दुनिया से जायेगी, तब तक दुनिया पूरी तरह से बदल चुकी होगी और फिर लौटकर वैसी नहीं होगी, जैसी कोरोना संक्रमण के पहले थी.

इन पंक्तियों के लिखे जाने तक कोरोना के संक्रमण से पूरी दुनिया में 1 लाख 5 हजार लोगों की मौत हो चुकी थी साथ ही करीब 16 लाख 50 हजार लोग पीड़ित थे, जिसका मतलब है कि अगर आज की तारीख में भी यह त्रासदी कहीं ठहर जाये तो भी इसके जाने के बाद इससे मरने वालों की गिनती 2 लाख के ऊपर पहुंचेगी. बहरहाल जहां तक महामारियों में लोगों के मरने की संख्या का सवाल है तो निश्चित रूप से पहले इससे भी कहीं ज्यादा लोग मरते रहे हैं, लेकिन जहां तक विभिन्न क्षेत्रों में इसके भयानक असर का सवाल है तो अब के पहले किसी भी महामारी का ऐसा असर किसी क्षेत्र में नहीं हुआ, जैसा असर फिलहाल कोरोना का दिख रहा है.

 

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#aliabhatt #staysafe #stayhome #viralbhayani @viralbhayani

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बाॅलीवुड के फिल्मोद्योग को ही लें, अब के पहले की तमाम त्रासदियों ने कभी बाॅलीवुड को इस कदर नहीं झकझोरा जैसा कोरोना ने झकझोर दिया है. कोरोना के कहर ने बाॅलीवुड को पांच तरीके से झकझोरा है. सबसे पहले तो इसने उन बहुप्रतीक्षित फिल्मों का दिल तोड़ा है, जिन्होंने साल 2020 की पहली तिमाही में कमायी का इतिहास रचने का मंसूबा बना रखा था. जनवरी 2020 से मार्च 2020 के दूसरे सप्ताह तक जो बहुप्रतीक्षित फिल्में रिलीज हुई, उनमें एक बागी-3 को छोड़ दें, जिसने 109 करोड़ रुपये का बिजनेस किया तो तमाम दूसरी फिल्मों को अपनी लागत निकालना भी संभव नहीं हुआ. ‘लव आजकल’ जैसी फिल्म जिसके बारे में कहा जा रहा था कि 500 करोड़ रुपये का बिजनेस करेगी, वह 50 करोड़ रुपये का भी नहीं कर पायी. इरफान खान की बीमारी से लौटने के बाद उनके प्रशंसकों द्वारा बेसब्री से इंतजार की जा रही फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ भी अपनी लागत नहीं निकाल पायी, जबकि इसे भी 200 करोड़ रुपये तक बिजनेस करने वाली फिल्म माना जा रहा था.

एक आयुष्मान खुराना की ‘शुभमंगल ज्यादा सावधान’ ही ऐसी फिल्म रही जिसने इस तिमाही में अपनी 40 करोड़ रुपये की लागत के मुकाबले 62 करोड़ रुपये का बिजनेस करके 22 करोड़ रुपये का लाभ कमाया वरना कामयाब जैसी फिल्म तो तमाम प्रचार, प्रसार के बावजूद 2 करोड़ रुपये का बिजनेस भी बहुत मुश्किल से कर पायी, जबकि इस फिल्म को मीडिया में 5 में से 4.5 स्टार की रेटिंग मिली हुई थी. फिल्म में संजय मिश्रा, दीपक डोबरियाल तथा ईशा तलवार जैसे चेहरे थे, जिसका मतलब था कि फिल्म भरपूर मनोरंजन करने वाली होगी. ‘थप्पड़’ के आने के पहले भी उसकी खूब हवा बांधी गई थी, लेकिन फिल्म 30 करोड़ रुपये का बिजनेस भी नहीं कर पायी जबकि माना जा रहा है इसे बनाने में 75 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.

 

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Cutie #taimuralikhan with dad #SaifAliKhan ❤❤❤❤😜 #happyeaster

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लेकिन यह कोई अकेला क्षेत्र नहीं है जिसे कोरोना संकट ने बहुत ज्यादा प्रभावित किया है. कोरोना के कहर के चलते न सिर्फ फिल्मों की बड़े पैमाने पर शूटिंग कैंसिल हुई बल्कि हर साल गर्मियों में होने वाले फिल्म सितारों के विदेशी टूर भी करीब करीब सब कैंसिल हो गये हैं. हर साल गर्मियों में बाॅलीवुड के चर्चित सितारे यूरोप और अमरीका के टूर पर जाते हैं. जहां वे खुद तो करोड़ों रुपये कमाते ही हैं, उनके बदौलत इंडस्ट्री के सैकड़ों लोगों को अच्छाखासा रोजगार मिलता है और कमायी होती है. एक अनुमान के मुताबिक हर साल बाॅलीवुड के सितारे गर्मियों के इस विदेशी टूर से 300 से 400 करोड़ रुपये की कमायी करते है, जो इस साल घटकर शून्य हो गई है. कमायी तो हुई ही नहीं साथ ही जो इन टूर के चलते बड़ी संख्या में लोगों को हिंदुस्तान की लू के थपेड़ों से राहत मिल जाती थी, वह भी इस साल नहीं होने वाला. क्योंकि इन पंक्तियों के लिखे जाने तक एक भी टूर शिड्यूल नहीं था और न ही इसकी कोई उम्मीद है.

 

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Here’s another fun banter of Karan Johar with his kids. #lockdownwiththejohars

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कोरोना वायरस का एक और बड़ा असर तमाम आने वाली फिल्मों की रिलीज पर पड़ा है. जो फिल्में आमतौर पर फरवरी के अंत या मार्च के दूसरे तीसरे सप्ताह में रिलीज होनी थी, उन सबकी रिलीज डेट अनिश्चितकाल के लिए बढ़ गई है. ‘लालसिंह चड्ढा’, ‘बह्मास्त्र’, ‘1983’, ‘जर्सी’, ‘राधे’ और ‘तख्त’ जैसी फिल्में कब रिलीज होंगी, फिलहाल इसका ठोस अनुमान किसी के पास नहीं है और जब रिलीज भी होगी तो क्या दर्शक उन्हें देखने आयेंगे, यह भी तय नहीं है. हां, इस त्रासदी ने फिल्मी सितारों को एक मायने में राहत दी है कि उनकी छोटी से छोटी गतिविधियों पर बाज की तरह आंख रखने वाले पपराजियों का इन दिनों कहीं दूर दूर तक अता पता नहीं चलता यानी ऐसे स्वतंत्र फोटोग्राफर जो हमेशा फिल्मी सितारों की एक्सक्लूसिव तस्वीरेें उतारने के फेर में सितारों के आगे पीछे मंडराया करते थे, अब वे पता नहीं कहां छिप गये हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो बाॅलीवुड की कोरोना संक्रमण ने कमर तोड़ दी है. अव्वल तो बहुत मुश्किल है कि अगले कुछ सालों तक फिल्म इंडस्ट्री फिर से पुराने ढर्रे पर लौट पाये, लेकिन जब लौटेगी तो भी वह पुरानी जैसी तो कतई नहीं होगी. कोरोना ने एक ऐसे उद्योग का समूचा रूप रंग बदलने के संकेत दे दिये हैं, जिस उद्योग पर कभी किसी का बस नहीं चलता था.

#lockdown: परेशान निर्माता, ऊबते सितारे, बड़े पर्दे पर कोरोना का कहर

अपने एक एक पल की मौजूदगी की सुर्खियां चाहने वाले बौलीवुड के तमाम सितारे इन दिनों घर में कैद हैं. ऐसे में ये चाहकर भी अपनी नयी स्टाइल वाली टोपी, कातिल हेयरकट और प्रैक्टिस से हासिल की गई स्माइल को अपने फैंस के बीच लाइव साझा नहीं कर पा रहे. हालांकि इस फ्रंट कैमरा युग में वर्चुअल मौजूदगी के लिए कहीं भी लाइव मंच की जरूरत नहीं पड़ती. लेकिन दिन रात नियोन लाइटों के बीच रहने वाले सेलिब्रिटीज कैमरे से उस तरह रोमांचित नहीं होते, जिस तरह उन्हें 24 घंटों में महज कुछ मिनटों के लिए आम लोगों या आम जगहों में अपने चाहने वालों से रूबरू होने के दौरान रोमांच महसूस होता है. इसलिए भले कैटरीना कैफ घर में झाड़ू को क्रिकेट के बैट की तरह घुमाते हुए कुछ कमेडी पैदा करने की कोशिश कर रही हो या कि टाइगर श्राफ गाना गाकर अर्जुन कपूर को अपने एक और टैलेंट का पता दे रहे हों. लेकिन अगर समग्रता में देखें तो बौलीवुड के सितारे एक हफ्ते से भी कम के इस लाॅकडाउन में ऊब से गये हैं.

लेकिन बाॅलीवुड के सितारों से ज्यादा हालत इन दिनों बाॅलीवुड के निर्माताओं की खराब हो गई है. ऐसा नहीं है कि वे कोरोना से संक्रमित हो गये हैं. दरअसल कोरोना का कहर उनके पूरे कारोबार में इस तरह से छाया डालता दिख रहा है कि उन्हें लगने लगा है वह जल्द ही इसके कहर से नहीं ऊबर पाएंगे. यह स्वाभाविक भी है. एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बाॅलीवुड इंडस्ट्री इन दिनों पूरी तरह से कोरोना वायरस के चंगुल में फंस गई लगती है. अगर अगले एक महीने तक इसका संकट यूं ही बना रहा तो फिल्म कारोबारियों को तो जो नुकसान होगा, उसकी देर सवेर किसी न किसी रूप में भरपायी हो ही जायेगी. लेकिन फिल्म इंडस्ट्री से खास तौरपर बाॅलीवुड से जो करीब 10 लाख लोग प्रत्यक्ष तौरपर और करीब 2 करोड़ लोग अप्रत्यक्ष तौरपर जुड़े हैं, उनकी जिंदगी का सारा बजट गड़बड़ा जायेगा.

यूं भी साल 2020 अभी तक बाॅलीवुड के लिए वैसा नहीं रहा, जैसे होने की पिछले साल की पृष्ठभूमि में उम्मीद की गई थी. गौरतलब है कि साल 2020 में अभी तक कोई 42 फिल्में रिलीज हो चुकी हैं और सही बात यह है कि एक तानाजी को छोड़ दें तो किसी भी फिल्म ने 100 करोड़ रुपये का कारोबार इस साल अभी तक नहीं किया. हालांकि कई फिल्में बड़े जोर शोर से आयी थीं जैसे- दीपिका पादुकोण की ‘छपाक’, कंगना रानौत की ‘पंगा’, कियारा आडवानी की ‘थप्पड’़, रेमी डिसूजा की वरूण धवन और श्रद्धा कपूर स्टारर ‘स्ट्रीट डांसर 3-डी’, टाइगर श्राफ की ‘बागी-3’, कार्तिक आर्यन और सारा अली की जोड़ी वाली ‘लव आजकल’ और आयुष्मान खुराना की ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’. इन तमाम फिल्मों में ‘तानाजी’ के 280 करोड़ रुपये कमाने के अलावा एक बागी-3 ही ऐसी फिल्म है जिसके लिए कहा जा रहा है कि उसने 130 करोड़ रुपये कमाये बाकी ये तमाम फिल्में जिनका यहां जिक्र किया गया है, सफल रहने के बावजूद भी मुश्किल से अपनी लागत ही निकाल पायी हैं.

जबकि पिछले साल जिस तरह से 13 फिल्मों ने 100 करोड़ रुपये कमाई के क्लब में अपनी जगह बनायी थी, उसको देखते हुए लग रहा था कि इस साल भी काफी ज्यादा फिल्में 100 करोड़ रुपये की कमाई के क्लब की हिस्सेदार बनेंगी. मगर पहले साल की सुस्त शुरुआत और जब अभी बाॅलीवुड ने रफ्तार पकड़नी शुरु की तो कोरोना के कहर का टूटना, बाॅलीवुड के होश फाख्ता कर चुका है. शायद हाल के दशकों में किसी को भी यह याद नहीं होगा कि कब पूरे देश के सभी सिनेमाहाॅल एक साथ बंद हुए हों. जैसा कि इस समय 21 दिनों के टोटल लाॅकडाउन के चलते पूरे देश के सिनेमाहाॅलों में ताले बंद हैं. लेकिन इस देशव्यापी तालेबंदी के पहले भी अलग अलग राज्यों में कई हफ्तों से कोरोना के चलते मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन वाले सिनेमाहाॅल बंद हो रहे थे. कोरोना की पहली जो दो बड़ी फिल्में शिकार हुईं, उनमें एक थी ‘अंग्रेजी मीडियम’ और दूसरी ‘बागी-3’. इसके पहले की फिल्में अपनी कमजोर कहानियों, कामचलाऊ पटकथाओं और औसत सिनेमेटोग्राफी के चलते असफल हुई थीं. जबकि ये दोनो फिल्में सिर्फ और सिर्फ कोरोना के कहर का शिकार हुईं. वरना इनकी शुरुआती उठान को देखकर लग रहा था कि ये 100 करोड़ रुपये की कमाई के क्लब में प्रवेश करेंगी.

हालांकि बागी-3 के बारे में फिर भी ऐसी खबरें हैं जो शायद इस वजह से कि भारत में जो 9600 स्क्रींस हैं उनमें से ये करीब 5000 स्क्रीन में रिलीज हुई थी और 2000 से ज्यादा स्क्रीन में ‘अंग्रेजी मीडियम’. लेकिन इन दोनो फिल्मों ने जैसे ही अपनी रफ्तार पकड़ी कि उसके पहले कोरोना ने अपनी रफ्तार पकड़ ली. इस कारण ये दोनो फिल्में इसका शिकार हो गईं. अंग्रेजी मीडियम अच्छा कारोबार करने वाली थी; क्योंकि इसमें अपनी बीमारी से उबरे इरफान खान तो थे ही जो अपनी बेहतरीन अदाकारी के लिए जाने जाते हैं, इसमें करीना कपूर और राधिका मदान की भी खूब मंझी हुई अदाकारी वाली भूमिकाएं थीं. पूरी फिल्म की खूब तारीफ हो रही थी, लेकिन कोरोना के सामने सारी तारीफ बेकार हो गई. कोरोना के चलते मार्च के दूसरे सप्ताह में ऐसी स्थितियां बनी कि अंग्रेजी मीडियम 16 मार्च को महज 45 लाख रुपये का ही बिजनेस कर सकी. जबकि पहले दिन इसका बिजनेस काफी ज्यादा था.

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हालांकि बागी-3 को लेकर अलग अलग खबरे हैं, कुछ का मानना है कि यह 130 रुपये करोड़ का बिजनेस कर चुकी है. जबकि कुछ दूसरी खबरें ऐसी भी हैं जिनके मुताबिक इसने महज 97 करोड़ रुपये का बिजनेस किया है. इस समय इंडस्ट्री के सबसे ज्यादा डिमांड में रहने वाले टाइगर श्राफ की इस फिल्म ने अगर महज 97 करोड़ का बिजनेस किया है तो सफल होने के बावजूद भी यह कारोबारी नजरिये से अपने निर्माताओं के लिए फायदेमंद नहीं है. क्योंकि फिल्म की लागत ही करीब 100 करोड़ रुपये कही जा रही है. ऐसे में अगर इसने वाकई 97 करोड़ रुपये कमाये हंै तो कारोबार के नजरिये से यह घाटे का सौदा है. इन दोनो के अलावा जो फिल्में मार्च के तीसरे और चैथे हफ्ते में रिलीज होने वाली थीं, उनमें से ज्यादातर की रिलीज डेट टाल दी गई है और कुछ की घोषणा ही नहीं हुई है. मसलन- रणवीर सिंह के अभिनय वाली ‘1983’, अमिताभ और आयुष्मान खुराना की ‘गुलाबो सिताबो’, ‘लूडो’ और जान्हवी कपूर की ‘गुंजन सक्सेना द कारगिल गर्ल’ के प्रदर्शन पर अनिश्चितता का काला पर्दा पड़ गया है. इस तरह देखें तो कोरोना ने इस देश में सबसे पहले फिल्म इंडस्ट्री की कमर तोड़ दी है.

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