Diwali Special: बौलीवुड के सितारे कैसे मनांएगे दीवाली

भारतीय संस्कृति में हर त्यौहार का अपना महत्व है.हर त्यौहार एक जश्न होता है.इस जश्न को मनाने के लोगो के अपने अपने अंदाज है.बौलीवुड में तो यह पैसे के दिखावे का त्यौहार/उत्सव रहा है.बौलीवुड में दीवाली के दिन मां लक्ष्मी का पूजन करने से अधिक जष्न मनाने व एक दूसरे को उपहार देने का उत्सव ज्यादा है, जिसमें हर धर्म के कलाकार शिरकत करते हैं.अमिताभ बच्चन,अनिल कपूर,शाहरुख खान, आमीर खान,एकता कपूर,भूषण कुमार सहित कई फिल्मी हस्तियां ‘दीवाली पार्टी का आयोजन कर दीवाली का जश्न मनाते हैं.जी हाॅ! कई बॉलीवुड सितारे दिवाली पार्टी के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर देते हैं. इन सितारों को दिवाली जश्न काफी शानदार और देखने लायक होता है.इनकी पार्टी में बौलीवुड के तमाम सितारे भी शामिल होते हैं.

दिवाली से एक सप्ताह पहले या दिवाली के दिन जिस कलाकार की फिल्म प्रदर्शित हो और  वह सफल हो जाए, उसके यहां दीवाली का जश्न देखते ही बनता है.मगर अफसोस की बात यह है कि इस बार दीवाली से पहले जितनी फिल्में प्रदर्शित हुई हैं,वह सभी फिल्में बुरी तरह से असफल हो चुकी है.जिसके चलते बौलीवुड में उदासी का माहौल है. मगर शाहरुख खान अति उत्साहित हैं. इस वर्ष उनकी दो फिल्में ‘पठान’ व ‘जवान’ बाक्स आफिस पर धमाल  मचा चुकी हैं.और उन्हे पूरा यकीन है कि 22 दिसंबर को प्रदर्शित होने वाली उनकी फिल्म ‘डंकी’ सफलता के नए रिकार्ड बनाएगी.फिल्म ‘डंकी’ का निर्माण शाहरुख खान ने खुद राज कुमार हिरानी व जियो स्टूडियो के साथ मिलकर किया है.तो वहीं दीवाली के दिन यानी कि रविवार,12 नवंबर को सलमान खान की फिल्म ‘‘टाइगर 3’’ प्रदर्शित होगी. इस फिल्म को लेकर कोई उत्साह नजर नही आ रहा है.इससे पहले सलमान खान की बतौर अभिनेता और बतौर अभिनेता सात आठ फिल्में बुरी तरह से बाक्स आफिस पर दम तोड़ चुकी हैं.इससे भी सलमान खान उत्साहित नही है.वैसे ‘टाइगर 3’ का निर्माण ‘यशराज स्टूडियो’ ने किया है और इसके निर्देशक मनीष शर्मा हैं.यह पहला मौका है,जब ‘यशराज फिल्मस’ दीवाली का बहाना कर अपनी फिल्म ‘टाइगर 3’ का ‘प्रेस शो’ भी नहीं करेगा. इसलिए सलमान खान कैंप में दीवाली के जष्न को लेकर फिलहाल खामोशी है. माना कि बौलीवुड में बाक्स आफिस पर फिल्मों की लगातार असफलता के चलते उदासी है,फिर भी बौलीवुड के कलाकारों ने दीवाली उत्सव मनाने की तैयारियां कर ली हैं.

आइए,जानते है कि इस बार दीवाली पर बौलीवुड के सितारे क्या करने वाले हैं

 ‘‘दीवाली पर हमारे मन्नत में ‘अतिरिक्त चमक-दमक‘ होगी.’’ शाहरुख खान

‘‘हमारे लिए तो दीवाली का त्यौहार खुशियो का त्याहार है.हम खुशियां बांटने में यकीन करते हैं.हम त्योहारों का आनंद लेते है क्योंकि त्योहार हमें अपने प्रियजनों के साथ समय बिताने का मौका देते हैं.इस अवसर पर हमारे मन्नत में ‘अतिरिक्त चमक-दमक‘ होगी.मुझे लगता है,त्योहारों में,आप सिर्फ परिवार के एक साथ रहने और कुछ जश्न मनाने और कुछ का इंतजार करने की उम्मीद करते हैं.अगर और कुछ नहीं, तो बस घर में ढेर सारी मिठाइयाँ रखना, कुछ वजन बढ़ाना और ताश खेलना.साथ रहने का मजा ही कुछ और है परिवार और घर को सजाना, इसलिए मैं इसके लिए उत्सुक हूं.दीवाली का त्योहार उपहार देने व लेने का दिन है.वैसे भी हम तो हर त्यौहार मनाते हैं.दिवाली के दिन हम अपने परिचितों को ‘दिवाली उपहार’ भेजते हैं.हम चाहते हैं कि सभी इस त्योहार में खुश होकर जश्न मनाए.हम अपनी कंपनी ‘रेड चिल्ली’ के दफ्तर जाकर सभी कर्मचारियों के संग भी दिवाली मनाते हैं.इस बार भी हम यह सब करने वाले हैं.’’

‘‘पति बेटी के साथ दीवाली का जश्न मनाउंगी,दिए जलाउंगी..’’ आलिया भट्ट

आलिया भट्ट कहती हैं-‘‘बचपन से अब तक मैने दीवाली का जश्न अलग अलग शहरों में मनाती आयी हूं.मेरे पापा हमेशा दीवाली के दिन जश्न मानते आए हैं.मैं जब से समझदार हुई हूं या यूं कहें कि पिछले कुछ वर्षों से दीवाली का त्योहार अपने दोस्तों व सहेलियों के साथ मनाते आए हैं.दीवाली के दिन हम सभी मिलते हैं और एक साथ मिलकर दिए जलाते हैं.अच्छा, मीठा व स्वादिष्ट भोजन करते हैं.कई तरह के गेम खेलते हैं.मौज मस्ती करते हैं.हाॅ! इस दिन हम सभी परंपरा गत भारतीय पोशाक ही पहनते हैं.मैं तो हर दीवाली के दिन अति खूबसूरत लाल रंग या पीले रंग की साड़ी पहनकर ही दिए जलाती हूं.

लेकिन इस बार की दीवाली मेरे लिए कुछ खास मायने रखती है.यह दीवाली मेरी शादी के बाद की दूसरी दीवाली होगी,जब मैं अपने पति रणबीर कपूर व ससुराल के सदस्यों के साथ मनाउंगी,वहीं मेरी सबसे बड़ी खुशी यह दीवाली मेरी बेटी की पहली दीवाली होगी,जो छह नवंबर को एक वर्ष की हुई है.तो इस बार हम दीवाली सही मायनों में खुशी के लिए मनाएंगे.हम कलाकार वैसे भी पटाखा चलाने से दूर रहते हैं.इस बार तो हम अपनी बेटी की वजह से भी ऐसा नही करेंगे.तीसरी बात हम तो हर मुंबई वासी से आग्रह करना चाहते हैं कि वह पटाखे कम जलाकर प्रदूषण पर रोक लगाए.क्योकि इन दिनों मुंबई में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा हुआ है.

हमारे लिए यह पांच दिन का महोत्सव है..’’ अनन्या पांडे

अनन्या पांडे कहती हैं-‘‘हमारे लिए दीवाली का त्यौहार पाॅच दिन का होता है.हम धनतेरस से भईयादूज तक दिवाली का पांच दिवसीय महोत्सव मनाते हैं.धनतेरस से पहले ही हम घर को खूबसूरती से सजाते हैं.इस बार के लिए मेरे मन में घर को सजाने की कई तरकीबें मेरे दिमाग में हैं.मिठाइयां भी बांटूॅंगी.घर के अंदर ही दीवाली के दिन अपने दोस्तों व परिवार के लोगों के लिए एक छोटी सी पार्टी रखने वाली हूं,पर यह पार्टी परंपरागत भारतीय षैली मंे ही होगी.मेरे मन मे इस बार की दीवाली बहुत खास बनाने की कई योजनाएं हैं,अभी से उनकी चर्चा नहीं करना चाहती.

‘‘ मैं तो दिवाली के त्यौहार को काफी इंज्वाॅय करती हूं.’’जया ओझा

मुंबई की दीवाली की बात ही कुछ और होती है.जब कोई त्यौहार आता है तो लगता है कि जैसे स्वर्ग उतर आया हो.पर इस बार अभी तक तो दीवाली पर महंगाई का असर नजर आ रहा है.लोग इस बार टैंशन फ्री होकर मस्ती के साथ दिवाली नही मना पाएंगे,पर मैं तो दिवाली के त्यौहार को काफी इंज्वाॅय करती हूं.इस बार भी पारंपरिक शैली में लक्ष्मी पूजन,दिए जलाने व पटाके फोड़कर दिवाली मनाउंगी.’’

‘‘रंगोली बनाने का शौक..’’ अनुस्मृति सरकार

‘‘मुझे रंगोली बनाने का बड़ा शौक हैं.मैं हर दिवाली तरह तरह की रंगोली बनाती हूं.दिवाली की अलग अलग तरह की प्रतिमाएं बनाती हूं दिवाली मैं हमेशा अपने रिश्तेदारों के साथ उनके यहां जाकर हर एक पल को इंज्वाॅय करती हूं.पर उनका आशिर्वाद लेती हूं.मैं अपने प्रशंसकों वाॅर्म और हैप्पी दिवाली कहना चाहूंगी.सभी का जीवन खुशियों,तरक्की और मस्ती से परिपूर्ण रहें.’’

‘‘दिवाली परिवार के साथ..’’ एकता जैन

अभिनेत्री एकता जैन कहती हैं- ‘‘दिवाली का मजा नही आता, अगर हम उसे अपने परिवार के साथ नहीं मनाते हैं.दिवाली के मौके पर धनतेरस से लेकर दिवाली की पूजा तक मेरा पूरा परिवार एक साथ रहता हैं.दिवाली के दिन हम पूजा करने के बाद एक साथ बैठकर भोजन करते हैं.उसके बाद पटाकें फोड़ते हैं.खुले आकाष के नीचे मिठाइयां खाते हैं.दिवाली के समय मैं अपने हाथों में फुलझड़ी जलाना पसंद करती हूं.मैं तो दिवाली के त्यौहार को काफी इंज्वाॅय करती हूं .इस बार भी पारंपरिक शैैली में लक्ष्मी पूजन,दिए जलाने व पटाके फोड़कर दिवाली मनाउंगी. हर वर्ष की तरह इस बार भी हम दिन में अनाथाश्रम जाकर अनाथ बच्चों के साथ इस जश्न को मनाने वाली हॅूं.इस बार हम अपने पारिवारिक ‘एनजीओ’ की तरफ से दूसरो की जिंदगी में दीवाली के अवसर पर उजाला भरने वाले हैं,पर उसको लेकर अभी हम बात नही करना चाहते. ’’

‘‘ सभी की दिवाली बहुत ही खुशनुमा तरक्की से भरपूर हो.’’ पंकज झा

अपने घर में अभी से ढेर सारे दिए लाकर रख दिए है,जिनसे दिवाली के दिन मैं अपने पूरे घर को रोशन करुॅंगा.मुझे तो रंगोली बनाना और आकाश कैंडिल बनाना भी आता है.मैं दिवाली के दिन पैसों की देवी लक्ष्मी को अपने घर लाने का पूरा प्रयास करुॅंगा.इसलिए इस दिवाली मैं अपने घर पर ही रहकर उनका स्वागत करना चाहूंगा. दिवाली ढेर सारे नए कपड़ों,पटाकों और मिठाइयों को दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ मिलकर मनाने का त्यौहार है.वह बहुत ही स्पेशल समय होता है,जब सभी दोस्त व रिष्तेदार मजा करने के लिए इकट्ठा होते हैं.सभी की दिवाली बहुत ही खुशनुमा व तरक्की से भरपूर हो.’’

‘‘हम सपरिवार लक्ष्मी पूजन करेंगे..’’ सुरेंद्र पाल

दिवाली का त्यौहार तो पूरे पारिवारिक सुख का अहसास करने का त्यौहार है.मैं हर साल दिवाली का त्यौहार अपने ही घर पर रहकर अपने तीनों बच्चों के साथ मनाता हॅंू.इस बार भी हम सपरिवार लक्ष्मी पूजन करेंगे.दिये जलाएंगे,पटका फोड़ेंगे..हम मां लक्ष्मी की आराधना करने में कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे.’’

 ‘‘यह दीवाली मेरे लिए दोहरी खुशी लेकर आयी है..’’ सिमरत कौर

‘गदर 2’फेम अदाकारा सिमरत कौर कहती हैं-‘‘मेेरे लिए दीवाली का त्यौहार का मतलब सदैव लक्ष्मी पूजा का त्यौहार, रोषनी, मिट्टी के दिये और बहुत सारी मिठाइयां ही रहा है.मेरे पास बहुत सारी अच्छी बचपन की यादें हैं कि कैसे हम इस त्यौहार को सेलीबे्रट करते थे.लक्ष्मी गणेश पूजा के बाद हमारा पहला काम मिट्टी के दियों को जलाना और पटाका फोड़ना होता था.हमारे घर में दिवाली के दौरान पान रखने की परंपरा हैं.यह दीवाली मेरे लिए दोहरी खुषियां लेकर आयी है.मेरी फिल्म ‘गदर 2’ ने जबरदस्त सफलता हासिल की है.इसके अलावा मुझे नाना पाटेकर के साथ एक नई फिल्म ‘जर्नी’ भी मिल गयी है। इस वजह से इस बार दीवाली मेरे लिए ढेर सारी खुशियां लेकर आयी है.’’

‘‘लोग दीवाली मिल जुलकर प्यार मोहब्बत के साथ मनाएं’’ दिव्या दत्ता

हम चाहते हैं कि इस बार दीवाली लोग मिल जुलकर प्यार मोहब्बत के साथ बिना पटाखे फोडे़ मनाएं.मिल जुल कर,एक साथ बैठकर भोजन करें,मिठाई का सेवन करे और लोगों के बीच मिठाई बांटें.अच्छी अच्छी बातें करे,अच्छा उपहार दें.दीवाली का त्योहार दो दिए जलाकर, एक अनार फोड़कर,एक फुलझड़ी जलाकर भी मनाया जा सकता है.कम से कम मैं तो इसी तरह से दीवाली मनाउंगी.जो लोग दिखावे के लिए बोरी भरकर पटाखे लेकर आते हैं और अपने घर के सामने फोड़ते हंै,वह सबसे पहले अपने घर के अंदर प्रदूषण को निमंत्रण देते हैं,फिर मोहल्ले और पूरे शहर में कम से कम इससे बचने का प्रयास तो किया ही जाना चाहिए. ’’

प्ले बैक सिंगर अन्वेषा इस बार दिवाली कैसे मनाने वाली है, पढ़ें इंटरव्यू

कला के माहौल में पैदा हुई अन्वेषा को बचपन से ही संगीत के क्षेत्र में जाने की इच्छा थी, उन्होंने हिन्दुस्तानी क्लासिकल संगीत की शिक्षा 4 साल की उम्र में गुरु पंडित जयंत सरकार, जो पटियाला घराने के गुरु और पंडित अजय चक्रवर्ती के शिष्य रहे, उनसे लिया है. टीवी पर अन्वेषा की पहली प्रस्तुति साल 2007 में ‘वौइस् ऑफ़ इंडिया छोटे उस्ताद से किया, जब वह केवल 13 साल की थी. इसके बाद उन्होंने म्यूजिक का महा मुकाबला में भाग लिया है. बॉलीवुड संगीत के क्षेत्र में उनका पहला ब्रेक 14 साल की उम्र में गोलमाल रिटर्न्स के गीत ‘था कर के……’ से मिला, जिसके संगीतकार प्रीतम थे. गाना सुपरहिट रही, इसके बाद अन्वेषा को पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा और उन्होंने डेंजरस इश्क, राँझना, लव यू इश्क, प्रेम रतन धन पायों आदि कई फिल्मों में सुरीले संगीत से सबको सरोबार किया है. उन्होंने इंडस्ट्री के सभी बड़े संगीतकारों जैसे ए आर रहमान, अजय अतुल, इस्माइल दरबार, शंकर इशान लोय, जॉय सरकार आदि के गाने गाये है. हिंदी के अलावा उन्होंने बांग्ला, तमिल, तेलगू मलयालम, गुजराती, राजस्थानी, भोजपुरी और मराठी में भी गाने गाएं है.

म्यूजिक में आने की प्रेरणा

अन्वेषा कहती है कि मैं सेकंड जेनेरेशन की संगीतज्ञ हूँ, मेरे परिवार में कई लोग संगीत, कला और साहित्य से जुड़े है. इससे घर में संगीत पर चर्चा होती रहती है, मैं सुर के साथ ही पैदा हुई और इसे निखारने के लिए मैंने शिक्षा ली है. मेरी माँ गाती थी, उनका नाम मीता दत्ता गुप्ता है. प्रोफेशनली वह गा चुकी है. उन्होंने संगीत की शिक्षा भी ली है, इसलिए बचपन में उनको संगीत की रियाज़ करते देखती थी, ऐसे में बहुत छोटी उम्र से मैं उन्हें फोलो करती रहती थी, उनके जैसे आवाज निकालती थी. थोड़ी बड़ी होने पर उन्होंने मुझे गुरु के पास ले गए, ताकि सुर की पकड़, संगीत की बारीकियों को मैं सीख सकूँ. मैंने 4 साल की उम्र से गुरु से संगीत की तालीम लेनी शुरू की. क्लासिकल संगीत गाते हुए मुझे फ़िल्मी और हर तरह के पॉप संगीत की तरफ रुझान बढ़ने लगा. उस समय पॉप के क्षेत्र में यहाँ कुछ नहीं था, अब कई सारी संस्थाएं पॉप के क्षेत्र में भी आ चुकी है.

संगीत बना मेरा पैशन

वह आगे कहती है कि इससे मुझे प्ले बैक सिंगिंग में बड़े सिंगर्स के गाने के तरीके को सुनना और सीखना अच्छा लगने लगा था. मेरे अंदर लाइट म्यूजिक के प्रति प्यार बढ़ता गया और मेरा झुकाव इंडी पॉप की तरफ हो गया. इसके बाद रियलिटी शो में जाने की कोशिश करने लगी. ऑडिशन दिया, बच्चों की रियलिटी शो ‘वौइस् ऑफ़ इंडिया, छोटे उस्ताद में आने के बाद मैं सबकी नजर में आ गई, क्योंकि वहां लोगों ने मुझे चुना और मैं वर्ल्डवाइड जानी गई. शो के ख़त्म होने के 25 दिनों के बाद मुझे पहला प्ले बैक मिल गया था, जो संगीतकार जतिन ललित के साथ था. इसके बाद से मेरा किसी प्रोजेक्ट में आना आसान हुआ. केवल हिंदी फिल्मों में ही नहीं, रीजनल फिल्मों में भी गाने का अच्छा अवसर मिल रहा है.

था स्टेज फियर

अन्वेषा हंसती हुई कहती है कि पहली परफॉरमेंस मैंने 4 साल की उम्र में दिया था और पूरी गाने के दौरान मैं माथा नीची कर गाई थी, बचपन में स्टेज का डर बहुत था, इसे दूर करने में काफी साल लगे है, लेकिन रियलिटी शो से मेरे अंदर कॉन्फिडेंस आया और मैं वहां सामने देखकर गाना गा सकी.

तकनीक के खिलाफ नहीं

तकनीक की मदद से आज हर कोई अच्छा गा सकता है, ऐसे में प्ले बैक सिंगर की भूमिका को लेकर अन्वेषा चिंतित है. वह कहती है कि मैं तकनीक के खिलाफ नहीं हूँ, समय के साथ चलना जरुरी है. मैं अगर नए ज़माने के तकनीक का सहारा लेकर गाने वाले के बारें में सोचूं, तो मेरा ग्रोथ रुक जायेगा. ये सही है कि सालों की संगीत साधना के बाद मैं यहाँ तक पहुंची हूँ और अपना एक मुकाम पाई है, मुझे अपनी मेहनत और लगन पर भरोसा है. अगर आप की नीव मजबूत है, तो कोई आपको हिला नहीं सकता. पहले जब तकनीक नहीं थी, तब भी गायकों में राजनीति होती थी, लेकिन तब अलग हुआ करती थी. आज की तारीख में दुनिया में घटने वाले सभी चीजें सोशल मिडिया पर आसानी से मिल जाती है, लोग ओवर लोड हो चुके है और सभी एक दूसरे की नक़ल करने में लगे है. हर किसी को स्टार बनना  है और ये समाज के लिए अनहेल्दी परिस्थिति है, जिसका असर समाज पर पड़ रहा है. इनफार्मेशन की ओवर लोड से व्यक्ति जितना खुद को बचा सकता है, उतना ही उसके लिए अच्छा होता है. बहुत लोगों को लगता है कि तकनीक का प्रयोग कर वे आसानी से गा सकते है, लेकिन मेरे हिसाब से तकनीक का प्रयोग कर किसी की टैलेंट को अपमानित करना ठीक नहीं. तकनीक का गलत प्रयोग करना भी ठीक नहीं, टैलेंट की कद्र जितनी पहले होती थी, उतनी ही आज भी होनी चाहिए. मेहनत की वैल्यू केवल गायिकी में ही नहीं, हर क्षेत्र में है, लेकिन गलत प्रयोग करने वालों का इलाज कुछ नहीं है. इसके साथ ही सबको आगे बढ़ना है.

मनी मेकिंग डिवाइस

रियलिटी शोज अच्छा मंच देती है, लेकिन कुछ लोग रियलिटी शोज करने के बाद गायब हो जाते है या शोज करते रहते है, आप की राय इस बारें में क्या है? अन्वेषा कहती है कि मंच मिलना एक बड़ी बात होती है, आज कई लोग काफी टेलेंटेड भी है, लेकिन शोज की संख्या इतनी अधिक है कि टैलेंट को याद रखना मुश्किल हो रहा है. इतने सारे डांस रियलिटी शोज, सिंगिंग शोज है कि एक सीजन के बाद तुरंत दूसरी शोज शुरू हो जाती है, ऐसे में आज ये एक व्यवसाय हो चुका है, पहले जो प्रतिभा की खोज का एक इमानदार एप्रोच था, आज वह नहीं है. आज के रियलिटी शोज मनी मेकिंग डिवाइस हो चुके है. टैलेंट को खोजने के लिए अगर सही प्रयास है, तो उसमे समय लगता है. हर थोड़े दिन में टैलेंट तैयार नहीं होते, क्योंकि इसके लिए बहुत मेहनत, समय और लगन की जरुरत होती है. अगर इतने सारे टैलेंट है, तो वे बाद में किसी को दिखते क्यों नहीं है, म्यूजिक कंपोजर क्या उन्हें बुलाकर नए गाने देते है? ये मेरा भी प्रश्न है, जिसका उत्तर मिलना आसान नहीं.

किये काफी संघर्ष

अन्वेषा अपनी संघर्ष के बारें में कहती है कि जब मैं संगीत के क्षेत्र में मेहनत कर रही थी, तो एक गाने की ऑफर के लिए बहुत इंतज़ार करना पड़ता था. इन्टरनेट तब इतना स्ट्रोंग नहीं था. इसलिए किसी संगीतकार तक पहुंचना आसान नहीं था. आज के गायक कलाकारों के पास हर तरह की सुविधा उपलब्ध है, वे सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफॉर्म पर अपनी आवाज रिकॉर्ड कर डाल सकते है. वे एक इंडिपेंडेंट सिंगर या चैनेल भी बना सकते है, जिसे संगीतकार नोटिस करते है और उन्हें काम मिलता है. सोशल मीडिया से कई बच्चे आज संगीत के क्षेत्र में आ रहे है, इन्टरनेट उनके लिए वरदान है, कई सरे कंपोजर ऐसे है जो संगीत के लिए फिल्म इंडस्ट्री पर डिपेंडेंट नहीं है, जो एक अच्छी बात है. मैंने तो अभी मेरा इंडिपेंडेंट म्यूजिक जोन शुरू किया है, जिसमे सोंग बालकनी को लोगों ने काफी पसंद किया.

बढाएं संगीत का ज्ञान

किसी गायक कलाकार को शस्त्रीय संगीत के सीखने को लेकर अन्वेषा कहती है कि कैरियर के पहले पडाव में मैंने देखा है कि शास्त्रीय संगीत की तालीम के साथ आने वाले कलाकार को एक सम्मानित दृष्टी से देखा जाता था, लेकिन समय के साथ – साथ संगीत में काफी बदलाव आया है. आज थोड़े पॉप संगीत को अधिक महत्व दिया जा रहा है और इसमें शास्त्रीय संगीत सीखना जरुरी नहीं होता, लेकिन हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत अपने आप में काफी रिच है, इसकी क़द्र भी है. इसलिए संगीत के ज्ञान को बढाने के लिए क्लासिकल संगीत को सीखना जरुरी होता है, जिसमे संगीत की सभी बारीकियों को आसानी से समझा जा सकता है.

खुद को रखे शेप में

इतने सारे टैलेंट के बीच में खुद को प्रूव कर टिके रहना कितना मुश्किल होता है? अन्वेषा कहती है कि मैं खुद को खुशनसीब समझती हूँ, क्योंकि मुझे अच्छा काम मिल रह है. उस दिशा में अभी अधिक एफर्ट नहीं लगाना नहीं पड़ता. मैं खुद को मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से हेल्दी रखना चाहती हूँ. इससे किसी भी उतार – चढ़ाव को आसानी से झेला जा सकता है, नहीं तो बहुत अधिक तनाव में जीना पड़ता है. क्रिएटिव लोग अधिक सेंसेटिव होते है और बहुत जल्दी तनावग्रस्त हो जाते है. खुद को प्रेजेंटेबल रखने के लिए मैं योगा, वर्कआउट और डांस करती हूँ.

हूँ फॅमिली पर्सन

अन्वेषा का कहना है कि समय मिलने पर मैं कुछ समय तक चुप रहना पसंद करती हूँ, कुछ नहीं करती. क्योकि साइलेंस रहने से मैं खुद को आगे के लिए तरोताजा करती हूँ. उसे मैं एन्जॉय भी करती हूँ. लॉकडाउन के समय मैंने काफी पुरानी घूल जमी किताबों को निकाल कर पढ़ी थी, जो बचपन की आदत थी. मैं काम से वापस आने के बाद परिवार के साथ ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फिल्में देखना पसंद करती हूँ और पूरे दिन में एक भोजन उनके साथ करती हूँ.

सेलिब्रेट करना जरुरी

अन्वेषा त्योहारों में सेलिब्रेशन को अधिक पसंद करती है, क्योंकि इसमें सभी साथ मिलकर इसे मनाते है, जिससे व्यक्ति फिर से तरोताजा महसूस करते है. अधिकतर त्योहारों में बाहर शोज होते है, लेकिन इस बार दिवाली को परिवार के साथ मनाना पसंद है. उन्हें दिवाली पर स्वादिष्ट पकवान के साथ रंगोली बनाना बहुत पसंद है, जिसे वे खुद बनाने का प्रयास करती है.

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