Monsoon Special: इन 6 टिप्स से घर की सीलन को कहें बाय-बाय

मौनसून में चाय की चुसकियों के साथ बारिश को एंजौय करने का अलग ही मजा है. पर इस मौसम मेंहमारे घर को भी कुछ नुकसान उठाना पड़ता है. मौनसून में ही घर में सीलन, फंगस और लीकेज जैसी कई तरह की प्रौब्लम्स होती हैं, जो घर में रहने वालों के लिए बड़ी मुसीबत बन जाती हैं. इसलिए आज हम आपको घर को सीलन आने के कारण और सीलन से घर को बचाने के लिए कुछ टिप्स बताएंगे, जिससे आप घर को मौनसून में अच्छा लुक दे पाएंगी.

ये है सीलन के मुख्य कारण

घर की दीवारों, छतों के किनारों, किचन या फिर बाथरूम में नजर आने वाली सीलन केवल बारिश के कारण ही नजर नहीं आती, बल्कि इस के और भी कारण जिम्मेदार होते हैं जैसे ग्राउंड वाटर यानी जमीन का पानी जो दीवारों से चढ़ता हुआ बिल्डिंग के ऊपर तक आ जाता है.

अगर घर बनाते वक्त डीपीसी (डैंप प्रूफिंग कोड) को ठीक से न करवाया गया हो तब भी ये प्रौब्लम आती है. इसी तरह अगर दीवारों पर प्लास्टर करते वक्त क्रैक्स यानी दरारें रह जाती हैं तो भी बारिश का पानी उनसे होते हुए अंदर ही अंदर फैलता है, जो सीलन का कारण बनता है. इसके अलावा किचन या टौयलेट की पाइप लाइन में कोई लीकेज हो तो उस से भी सीलन आती है.

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इस तरह घर को सीलन से बचाएं 

1. सीलन के कारणों का पता लगाना है जरूरी

सबसे पहले तो सीलन के कारणों का पता लगाना जरूरी होता है ताकि उसे सही जगह से रोका जा सके. सीलन का पता लगाने के 2 तरीके होते हैं. पहला यह कि वाटर टैंक में थोड़ा सा पानी भर कर उस में कपड़ों में डाले जाने वाले नील को मिला दिया जाए और उसे 2 दिन के लिए छोड़ दिया जाए. जब टैंक का पानी घर में आएगा तो उस से लीकेज वाली जगह पर नीला रंग नजर आएगा. इस से लीकेज की सही जगह का पता चल जाएगा. अगर बारिश का पानी है तो वह बाहरी दीवारों की दरारों से आता है जिसे उचित प्लास्टर करवा कर ठीक किया जा सकता है.

2. वाटरप्रूफिंग प्रौडक्ट्स का करें इस्तेमाल

वाटरप्रूफिंग प्रौडक्ट्स सीलन से बचने के लिए काफी असरदार होते हैं. इन में भी 3 तरह की रेंज होती हैं- एक जिसे डायरैक्ट पेंट की तरह एप्लाई किया जाता है. इसे वाटरप्रूफिंग वन और वाटरप्रूफिंग टू कंपाउंड कहते हैं. दूसरी चीज होती है एलडब्ल्यू प्लास्टो जिसे सीमेंट के अंदर मिला कर प्लास्टर किया जाता है और तीसरा होता है ऐपौक्सी. यह पेंट के फौर्म में भी होता है, जो थोड़ा सा प्लास्टिक जैसा होता है. इस से दरारें नहीं आतीं और सीलन होने का खतरा कम होता है.

3. प्लास्टर को करें चेक

मौनसून में बाहरी दीवारों के प्लास्टर को चैक करें. अगर दरारें नजर आएं तो दोबारा से प्लास्टर करवा लें. प्लास्टर से पहले पुट्टी लगवाएं. जब प्लास्टर करवाएं तो उस में वाटरप्रूफिंग कंपाउंड जरूर मिलाएं. जब भी पेंट करवाएं उससे पहले दीवारों के प्लास्टर पर ध्यान जरूर दें. उसकी दरारों को भरवाने के बाद ही पेंट करवाएं. बाहरी दीवारों की दरारें ठीक होंगी तो उन पर किया गया वाटरप्रूफ पेंट अतिरिक्त सुरक्षा का काम करता है.

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4. पेंट करवाने का सही समय करें तय

पेंट करवाने के लिए मौसम तो सारे सही होते हैं, लेकिन सब से सही समय है गरमी का, क्योंकि पेंट करने के लिए 3 लेयर्स चढ़ाई जाती हैं और उस से पहले पुट्टी भी लगाई जाती है, जिसे वाल पुट्टी कहते हैं. यह गरमी के मौसम में जल्दी सूखती है. दरअसल, लेबर समय बचाने के लिए एक के ऊपर एक लेयर चढ़ाते जाते हैं. ऐसे में अगर एक लेयर सूखे न और दूसरी चढ़ा दी जाए तो क्रैक होने का डर रहता है. गरमी के मौसम में पेंट जल्दी सूख जाता है और लेयर पूरी पक्की हो जाती है. अगर उस समय उस में क्रैक नजर आता है तो उसे तभी रिपेयर कर सकते हैं. वैसे पेंट और पौलिश भी सीलन का कारण बनती है, लेकिन ऐसा बरसात के मौसम में होता है, क्योंकि तब पेंट या पौलिश के अंदर नमी रह जाती है, जिस से बाद में सीलन नजर आती है.

5. वाटरप्रूफिंग कंपाउंड का करें इस्तेमाल

अगर आप के घर में सीलन नजर आ रही है, तो घबराएं नहीं इस के लिए वाटरप्रूफिंग कंपाउंड आते हैं, जिन में इंस्टैंट वाटरपू्रफिंग कंपाउंड भी शामिल है और जो गीली दीवारों पर लगाने से भी असरकारक परिणाम देता है, क्योंकि यह इंस्टैंट काम करता है.

6. नया घर बनाने से पहले रखें सीलन का ध्यान

– अगर आप नया घर बनवाने की सोच रहे हैं तो उस में डैंप प्रूफिंग कोड करवाना न भूलें. अगर बिल्डिंग में बेसमैंट बन रहा है तो उसे वाटरपू्रफिंग करवाना बहुत जरूरी है. सीलन का मुख्य कारण ग्राउंड वाटर होता है. अगर ग्राउंड वाटर एक दीवार पर चढ़ता है तो पूरी बिल्डिंग पर चढ़ जाता है. आजकल घरों में पीवीसी के पाइप लगते हैं, इसलिए पाइप से सीलन का खतरा कम हो गया है. लेकिन ग्राउंड वाटर ही सब से ज्यादा सीलन का कारण बनता है. बाहरी दीवारों का प्लास्टर वाटरप्रूफिंग कंपाउंड डाल कर करवाया जाए जो कम से कम 15 एमएम तक का होना चाहिए.

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