बौयफ्रैंड पर इकोनौमिक डिपैंडैंस नो…नो…नो…

लड़के-लड़कियों का रिलेशनशिप में होना कोई नई बात नहीं हैं और न ही लड़कियों का अपने बौयफ्रैंड्स से छोटेमोटे गिफ्ट्स की उम्मीद लगाना नया है. लड़कियों की अपने बौयफ्रैंड्स से कई तरह की अपेक्षाएं होती हैं. कुछ के लिए रिलेशनशिप में आने का मतलब ही यह होता है कि आज तक जो इच्छाएं पूरी न हो सकीं, अब करेंगे. लेकिन, ये लड़कियां या तो स्कूलगोइंग होती हैं या फिर कालेजगोइंग, और उन के खुद के पास इतने पैसे नहीं होते जो उन के अरमानों को पूरा करने के लिए पर्याप्त हों.

ऐसे में उन की जरूरतें पूरी करने के लिए प्रकट होते हैं उन के बौयफ्रैंड्स जिन्हें शरूशुरू में तो पैसा लुटाने और अपनी धाक जमाने में बड़ा मजा आता है, लेकिन जैसेजैसे उन के हाथ से पैसा जाने लगता है यह मजा सजा बन कर रह जाता है. डेट्स का बिल, मूवी टिकट, महंगे कैफे में खाना, मिलने पर फूल या चौकलेट, फोन का रिचार्ज विद ऐक्स्ट्रा डाटा पैक, फैस्टिवल और वेलैंटाइन पर अलग तोहफे और बर्थडे पर तो सम झो दीवाला निकल जाता है.

कहीं आनाजाना हो, तब भी रिकशे से ले कर पानी खरीदने तक का बिल बौयफ्रैंड की जेब से ही खर्च होता है, क्योंकि गर्लफ्रैंड का हाथ बैग में लिपस्टिक के लिए तो हर घंटे जाता है लेकिन पैसों के लिए नहीं. लड़कियों का पैसों के मामले में पूरी तरह से बौयफ्रैंड पर आश्रित हो जाना और हर छोटीबड़ी चीज के लिए उस का मुंह ताकना एक आदत बन जाती है जो समय के साथ पहले से ज्यादा गहराती जाती है.

लड़कियों की प्यार के नाम पर अपने बौयफ्रैंड्स पर यह इकनौमिक डिपैंडैंस लड़कों का जीना मुश्किल कर देती है या यों कहें कि उन्हें बरबाद कर देती है. ये वही लड़के हैं जो बेचारे बाबू, जानु, शोनामोना करते रह जाते हैं और रिलेशनशिप खत्म होने पर इन्हीं गर्लफ्रैंड्स को गोल्डडिग्गर होने का टैग देते फिरते हैं. सोशल मीडिया पर तो ऐसे लड़कों की भरमार है. असल में देखा जाए तो इस में पूरी तरह लड़कियों की गलती नहीं कही जा सकती. लड़कों को खुद को एक लैवल अप दिखाने का कोई मौका छोड़ना पसंद नहीं. ऐसे में पैसा, रुतबा दिखाने से बेहतर क्या होगा?

1. बौयफ्रैंड खर्च करने को शान मानते हैं

पीयूष एक अमीर घराने का लड़का था जिसे दिन के 700-800 रुपए लुटाना आम बात लगती थी. उस की गर्लफ्रैंड नीता भी खूब खर्चीली थी और आएदिन पापा से पैसे मांग कर खर्च करती थी. पीयूष और नीता रिलेशनशिप में थे और काफी खुश भी थे. लेकिन जब भी दोनों डेट पर जाते तो सारा खर्च पीयूष उठाता. उसे नीता का पैसे खर्च करना खुद की बेइज्जती लगता था. नीता के पास भी पैसे होते थे लेकिन पीयूष ही सारे बिल भरता था.

ये भी पढ़ें- माता-पिता के विवाद का बच्चे पर असर

कालेज के थर्ड ईयर तक आतेआते पीयूष को पैसों की तंगी होने लगी, जिस के चलते अब वह नीता पर खर्च नहीं कर पाता था. नीता के सामने  झुकना और ‘लड़की के पैसों पर जीना’ वाली धारणा लिए रिलेशनशिप में रहना पीयूष को कतई मंजूर नहीं था. उस ने डेट्स पर जाना, नीता के साथ फिल्म देखना, घूमनाफिरना सब कम कर दिया. फिर क्या होना था, नीता और पीयूष के बीच अनबन होने लगी. पीयूष हमेशा टैंशन में रहने लगा, नीता को टाइम भी नहीं देता था. आखिर, कुछ ही दिनों में दोनों का ब्रेकअप हो गया.

2. गर्लफ्रैंड को इंप्रैस करने के लिए करते हैं खर्च

काव्या रोहित को कालेज में मिली थी. रोहित उसे देख कर मानो हवा में उड़ने लगा. जब वे दोनों रिलेशनशिप में आए तो रोहित जबतब उसे अपनी स्कूटी पर घुमाने ले जाता. वह उसे उस की मनपसंद आइसक्रीम खिलाने ले जाता था. काव्या के पास इतने पैसे नहीं होते थे कि वह महंगे कपड़े खरीद पाती. वह रोहित के सामने जानबू झ कर कहा करती थी कि उसे यह या वह ड्रैस लेने का बहुत मन है लेकिन पैसे नहीं हैं अभी. रोहित यह सुन कर सम झ जाता कि उसे काव्या को गिफ्ट में अगली बार क्या देना है. काव्या और रोहित एक ही ग्रुप में थे. कोई और दोस्त काव्या को यह न कहे कि वह रोहित के पैसों पर जी रही है, रोहित उस के साथसाथ गु्रप की बाकी लड़कियों को भी शौपिंग करा आता. वे सभी कहीं कुछ खाने जाते तो काव्या खाने से इसलिए मना कर देती कि उस के पास पैसे नहीं हैं. इस पर रोहित अपने साथसाथ उस के पैसे भी दे देता.

रोहित हर दूसरे दिन अपनी मम्मी से पैसे मांगता था. मम्मी के मना करने पर उन से लड़ भी पड़ता. अपनी गर्लफ्रैंड का दिल जीतने के लिए उसे जो कुछ भी करना पड़ता, वह करता था. पर वह दिन दूर नहीं था जब दोनों का ब्रेकअप हो गया. रोहित और काव्या दोनों को ही ब्रेकअप का दुख था लेकिन ब्रेकअप के बाद रोहित को काव्या पर बहुत गुस्सा आया था. वह अब उस के बारे में किसी को भी कुछ बताता तो यह जरूर कहता कि वह एक पैसा खाने वाली लड़की है जिस ने उस का पैसों के लिए खूब इस्तेमाल किया. ऐसे में यह सम झना बहुत जरूरी हो जाता है कि चाहे आप का बौयफ्रैंड खुद आप पर पैसे लुटाना चाहे, फिर भी आप को उसे खुद पर खर्च करने से रोक देना चाहिए.

3. गर्लफ्रैंड्स खुद के खर्चे उठाना सीखें

ऐसा नहीं है कि हर लड़की अपने बौयफ्रैंड पर ही निर्भर रहती है. ऐसी लड़कियां भी हैं जो अपने खर्चे खुद उठाती हैं. फिर भी जिन लड़कियों को अपने पैसे खर्च करने के बजाय अपने बौयफ्रैंड की जेब ढीली करने में आनंद आता हो उन्हें यह सम झना बहुत जरूरी है कि वे अपने रिलेशनशिप को तो डिसबैलेंस्ड कर ही रही हैं, साथ ही, अपने बौयफ्रैंड की टैंशन और अजीब व्यवहार का कारण भी बन रही हैं.

ये भी पढ़ें- जीवनसाथी के प्रति यह कैसी जिम्मेदारी

4. हर समय तोहफों की अपेक्षा न करें

लड़कियों का हर समय तोहफे मांगते रहना या अपने बौयफ्रैंड से महंगे तोहफे लेने की अपेक्षाएं असल में लड़कों के लिए परेशानी का सबब बन जाती हैं. वे कभी दोस्तों से पैसे उधार मांगते हैं तो कभी बड़े भाईबहन से. मम्मीपापा अगर पैसे के लिए मना कर दें तो वे उन से लड़ाई झगड़े पर उतर आते हैं. पैसों को ले कर बौयफ्रैंड की यह टैंशन गर्लफ्रैंड अपनी अपेक्षाएं कम कर आसानी से दूर कर सकती है.

5. अपने बिल खुद भरें

हर चीज में लड़कियां लड़कों से आगे हैं तो इस में क्यों पीछे रहें. लड़कियों को जरूरत है कि वे डेट्स या मूवीज का पूरा बिल न सही पर अपने हिस्से का तो दे ही दें. इस से बेचारे बौयफ्रैंड का कम से कम थोड़ा बो झ तो कम होगा.

6. मनपसंद चीजों के लिए पैसे बचाना सीखें

लड़कियों को भी अपने घर से अच्छाखासा जेबखर्च तो मिल ही जाता है. और अगर किसी महंगी चीज को खरीदने का मन करे तो उस के लिए पैसे बचाएं. अपने खुद के पैसों से खरीदी हुई चीज का मोल कहीं ज्यादा होता है.

7. पैसे नहीं हैं तो इच्छाएं कम रखें

हर सुंदर चीज पर दिल आ जाना और अपने बौयफ्रैंड की तरफ नजर घुमा लेना बहुत सी लड़कियों की आदत होती है. यह एक बुरी आदत है क्योंकि आप की इच्छाएं पूरी करना आप के बौयफ्रैंड का काम नहीं है. अगर पैसे नहीं हैं तो ऐसी इच्छाएं रखना कम कर दीजिए. यानी, रिलेशनशिप में खर्च केवल लड़का ही उठाए, यह सरासर गलत है. लड़कालड़की दोनों ही रिलेशनशिप में बराबर की हिस्सेदारी रखते हैं, तो बिल्स के भी बराबर हिस्से होने चाहिए.

ये भी पढ़ें- सफल शादी के राज, सूरत नहीं सीरत

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें