#coronavirus: गिरती अर्थव्यवस्था से हारे नहीं, जीते जंग

जर्मनी के वित्त मंत्री थॉमस शेफर का अचानक सुइसाइड कर लेना पूरे विश्व के लिए दुःख का विषय है. 10 साल से उन्होंने जर्मनी की अर्थव्यवस्था को सम्हाला था और उसे नयी ऊँचाई प्रदान की थी, ऐसे में कोविड 19 जैसे महामारी के सामने हार मान लेना क्या सही है? पूछे जाने पर ट्रस्ट वोर्दी फाइनेंसियल प्लानर के सर्टिफाइड फाइनेंसियल प्लानर सुजीत शाह कहते है कि आत्महत्या इसका समाधान नहीं है. उन्हें अगर अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता थी, तो वे किसी देश से सहायता के लिए गुहार लगा सकते थे. उनका इस तरह से आत्महत्या करने का निर्णय लेना वहां के देश वासियों के लिए भी दुखदायी है. उनका मनोबल भी इससे गिरता है. मुश्किल घड़ी में सबको साथ मिलकर काम करने की जरुरत है. ये सही है कि विश्व के कई विकसित देश कोविड 19 से जंग लड़ रहे है, लाखों की संख्या में इन देशों में संक्रमण और हजारों में मौत का आंकड़ा सामने आ रहा है. जो चौकाने वाला है, क्योंकि विकसित देश में मेडिकल की पर्याप्त सुविधा होने के बावजूद भी उनके हजारों में लोग अपनी जान गवा रहे है. असल में इन देशों ने शुरू से इस बीमारी को गंभीरता से नहीं लिया, उन्होंने इसकी रोकथाम के लिए कारगर कदम नहीं उठाये. कई बड़े पद पर आसीन लोग इस बीमारी से पीड़ित मरीजों से मिले, उनसे हाथ मिलाया, जिसकी वजह से ये उनके लिए जान लेवा साबित हुई.

क्या हमारा देश इस बीमारी से ऊबर पायेगा और अर्थव्यवस्था पर इसका असर क्या होगा? इस बारें में सुजीत का कहना है कि हमारे देश ने उनसे शिक्षा ली है और लॉकडाउन कर काफी हद तक इसे रोकने में सफल हो रही है. ये और भी कम फ़ैल सकता था, पहले अगर यहाँ के देशवासी विदेश से आने के बाद अपने आप को तुरंत क्वारंटाइन कर लिया होता, तो भारत में इसकी संख्या और भी कम होती. कुछ लोगों के गलत आचरण से आज पूरा देश भुगत रहा है.

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इसके आगे सुजीत का कहना है कि विदेश में लोगों के खर्चे अधिक है, वहां प्रति व्यक्ति आय अधिक है, वहां के सरकार को बेरोजगारी भत्ता और वृद्धा अवस्था के पेंशन देने पड़ते है, जो उनके लिए बोझ है, अभी लॉकडाउन की वजह से वहां कारखाने बंद है, किसी भी प्रकार के काम-काज अब नहीं हो पा रहे है, ऐसे में देश को सम्हालने की समस्या केवल जर्मनी को ही नहीं, पूरे विश्व में सभी देश को आयेगी और भारत को भी इसका सामना करना पड़ेगा. गिरती अर्थवयवस्था को देखकर ही शायद जर्मनी के वित्तमंत्री ने ऐसा कदम उठाया है, जो करना उचित नहीं था. यहाँ एक बात और भी समझने की जरुरत है कि हमारे देश में लोगों की आय कम है, यहाँ लोग कम खर्चे में अपना जीवन गुजारने में समर्थ है, ऐसे में सरकार को द्वारा उठाये गए सभी कदम सराहनीय है. इतना ही नहीं होटल्स और ट्रेन में भी ऐसे मरीजों के लिए अलग से प्रावधान किया जा रहा है. दूसरे राज्यों से आने वाले गरीब मजदूरों के लिए टेंट और भोजन की व्यवस्था भी की गयी है, उन्हें कुछ राशि उनके अकाउंट में भी दिया जा रहा है, जो अच्छी बात है. इसके अलावा कोरोना वायरस की वजह से तेल के भाव कम हो गए है, जिसका फायदा हमारे देश में पेट्रोलियम से बनने वाले पदार्थों को होगा. इस तरह से हमारा देश जल्दी वित्तीय समस्या से उबर सकेगा. 6 महीने की समस्या है, इसके बाद सब ठीक हो सकेगा. ये बीमारी विदेश से आई है, पर अब सभी देशवासियों को सरकार द्वारा बताएं गए निर्देशों का पालन कर इस बीमारी को जल्द से जल्द कम करने की जरुरत है, ताकि एक बार फिर से काम शुरू हो सकें.

देश की अर्थव्यवस्था न चरमराएं इसके लिए कुछ कदम नागरिकों अवश्य उठाने है, जो निम्न है,

  • अभी कंट्रोल के करीब है, इसलिए सरकार के निर्देशों का पालन करें, दो महीने थोड़ी मुश्किल होगी, लेकिन इसके बाद सब ठीक हो जायेगा,
  • गरीब को थोड़ी अधिक तकलीफ होगी, उनको सरकार सहायता कर रही है, पर उनकी मजदूरी को देने से व्यवसायी न कतराएं, उन्हें नौकरी से न निकालें,
  • पेशेदार लोग अपने तरीके से जितना डोनेट कर सकते है, उतना अवश्य करें,
  • अपने आसपास काम करने वाले, चौकीदार, घर काम करने वाली महिलाओं आदि सभी के पैसों का भुगतान करें, ताकि उनका घर परिवार चलता रहे.

ये सही है कि इतने बड़े देश में कुछ खामियां हुई है, जिसकी वजह से काफी संख्या में मजदूरों को दिल्ली से अपने घर में पहुँचने में समस्या आई, लेकिन समाधान हो रहा है और धीरे-धीरे और भी अच्छा काम होगा.

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