जब पेरैंट्स ऐजुकेशन लोन चुकाने को कहें

पेरैंट्स बच्चों की खुशी के लिए क्या कुछ नहीं करते. यहां तक कि उन की पढ़ाई के लिए अपनी सेविंग तक तोड़ देते हैं ताकि उन का बच्चा पढ़लिख कर अच्छी नौकरी करे. लेकिन जब कई बार बच्चे की पढ़ाई के लिए एफडी, म्यूच्युअल फंड्स के द्वारा जमा की गई राशि कम पड़ जाती है तो उन्हें ऐजुकेशन लोन लेना पड़ता है ताकि वे बच्चे का सपना पूरा कर सकें.

ऐसा ही रोहन के मातापिता ने किया. उन्होंने बच्चे को टौप यूनिवर्सिटी से डाक्टरी का कोर्स करवाया. जिस के लिए उन्होंने अपनी सारी सेविंग लगाने के साथसाथ ऐजुकेशन लोन भी लिया. लेकिन जब रोहन के पिता को लोन चुकाने में परेशानी होने लगी तो उन्होंने रोहन से ऐजुकेशन लोन की ईएमआई अब खुद चुकाने को कहा. इस पर रोहन ने जवाब दिया कि यह मेरी ड्यूटी नहीं है बल्कि मु झे पढ़ाना आप का कर्तव्य था. ऐसा सिर्फ आप ने ही नहीं किया बल्कि सभी पेरैंट्स अपने बच्चों के लिए करते हैं.

यह सुन रोहन के पिता को बहुत दुख हुआ कि जिस बेटे के लिए हम ने खुद की सेविंग उस की पढ़ाई पर लगाने के साथसाथ ऐजुकेशन लोन भी ले लिया, वह रोहन आज लाखों कमाने के बावजूद ऐजुकेशन लोन की ईएमआई चुकाने से मना कर रहा है, जबकि वह पिता की हालत से अच्छी तरह वाकिफ है.

ऐसा सिर्फ रोहन के पिता के साथ ही नहीं बल्कि बहुत पेरैंट्स के साथ होता है. ऐसे में बच्चों को उन की स्थिति को सम झते हुए खुद ऐजुकेशन लोन चुकाना चाहिए ताकि आप अपने पेरैंट्स का सहारा बन सकें न कि उन के बो झ को और बढ़ाएं.

किनकिन परिस्थितियों में पेरैंट्स ऐसा बोल सकते हैं, आइए जानते हैं:

नौकरी जाने पर

आप के घर में ब्रीडएनर अगर पिता ही हैं और किसी कारणवश उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़े या फिर ऐक्सिडैंट की वजह से वे काम करने में असमर्थ हों, तो वे आप से ऐजुकेशन लोन की ईएमआई भरने को कह सकते हैं. ऐसे में आप रिएक्ट न करें बल्कि आप अपने पिता की हालत को सम झें कि उन्होंने आप की पढ़ाई के लिए ही लोन लिया था. अत: अब उस की ईएमआई चुकाना आप की ड्यूटी है.

बहन की शादी के समय

हो सकता है आप के पेरैंट्स ने आप की बहन से ज्यादा आप की ख्वाहिशों को पूरा करने पर ध्यान दिया हो, जिस कारण से वे आप की बहन की शादी के लिए उतना पैसा जमा न कर पाए हों, जितना करने की जरूरत थी.

ऐसे में अब जब आप की बहन की शादी के लिए उन्हें पैसों की जरूरत है और वे आप को लिए हुए ऐजुकेशन लोन की ईएमआई चुकाने के लिए बोल रहे हैं, तो ऐसे में आप उन्हें मना न करें बल्कि उन्हें हिम्मत दें कि अब आप को मेरा ऐजुकेशन लोन चुकाने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि मैं अब इस लायक हो गया हूं कि लोन का पैसा चुका सकूं. साथ ही मैं बहन की शादी में भी आप की पूरीपूरी मदद करूंगा.

बीमारी की स्थिति में

परिवार में कब कौन बीमार हो जाए, कब परिवार में इमरजैंसी की स्थिति आ जाए, किसी को नहीं पता होता. ऐसे में हो सकता है कि अचानक आप की मां बीमार हो जाए और उन के इलाज के लिए पैसों की जरूरत हो या फिर मैडिकल इंश्योरैंस लेने के कारण उन का इलाज तो हो गया, लेकिन अब उन के दवा के बढ़ते खर्च के कारण पिता पर आर्थिक बो झ बढ़ता जा रहा है, जो उन्हें परेशान कर रहा हो.

ऐसे में पिता ने आप से अपना ऐजुकेशन लोन खुद चुकाने की बात कही हो, तो आप उन की इस बात से नाराज न हों, बल्कि उन की स्थिति को सम झने की कोशिश करें. वैसे अब लोन चुकाना आप की ड्यूटी है, इसलिए इसे मजबूरी या बो झ न सम झें. साथ ही आप अपने पेरैंट्स की फुल सपोर्ट करें.

जिन पेरैंट्स ने आप को कुछ बनाने की खातिर अपनी सेविंग तक खत्म कर दी, आज जब उन्हें जरूरत है तो आप न सिर्फ लोन की ईएमआई भरें बल्कि उन्हें घर खर्च व मां की बीमारी पर भी खर्च करें ताकि आप के पिता पर अकेले भार न पड़े और आप अपनी फैमिली का सहारा बन पाएं.

आप के आर्थिक रूप से सक्षम होने पर

जिंदगी भर पेरैंट्स अपने शौक को मार कर अपने बच्चों की इच्छाओं को पूरा करने में लगे रहते हैं. लेकिन अब जब उन्हें लगने लगता है कि आप अच्छीखासी जौब में सैटल हो गए हैं तो वे आप से आप के लिए गए ऐजुकेशन लोन का पैसा खुद चुकाने की बात कह सकते हैं ताकि आप अपनी जिम्मेदारी को सम झने के साथसाथ अपने पेरैंट्स के लोड को भी कम कर पाएं. ऐसा ही सुरेश के साथ हुआ. सुरेश के पापा ने उसे उस की पसंद के कोर्स में एडमिशन दिलवाने के लिए लाखों का लोन लिया. इस का परिणाम यह हुआ कि सुरेश की लाखों की नौकरी लग गई.

लेकिन उस के बावजूद एक साधारण सी नौकरी करने वाले सुरेश के पिता ही लोन की ईएमआई चुका रहे थे. पिता ने जब देखा कि सुरेश सिर्फ और सिर्फ अपने बारे में ही सोच रहा है, अब भी अपनी ही इच्छाओं को पूरा करने पर ध्यान दे रहा है, तो उन्होंने उसे अपनी जिम्मेदारियों का एहसास दिलवाने के लिए आगे से उसे लोन की ईएमआई चुकाने को कहा. सही भी है कि सक्षम होने के बाद बच्चे अपना लोन खुद चुकाएं.

अकेले छोड़ जाने की स्थिति में

अधिकांश बच्चे तब तक ही अपने पेरैंट्स का हाथ थामे रहना पसंद करते हैं, जब तक कि उन्हें उन की जरूरत होती है. लेकिन जैसे ही वे अपने पैरों पर स्टैंड हो जाते हैं उन्हें अपने ही पेरैंट्स बो झ लगने लगते हैं और तब वे उन्हें उन के हाल पर अकेला छोड़ने में भी पीछे नहीं रहते है.

ऐसे में कई पेरैंट्स इस दुख को सहन नहीं कर पाते और मन ही मन बस यही सोचते हैं कि जिस बच्चे के लिए हम ने इतना त्याग किया, वही बच्चा नौकरी लगते हमें हमारे हाल पर छोड़ कर चला गया है. ऐसे में वे दुखी मन से ही सही, लेकिन अपने बच्चे को खुद ही अपने ऐजुकेशन लोन की ईएमआई चुकाने के लिए कहते हैं

ताकि उन्हें पेरैंट्स के सैक्रिफाइस के बारे में सम झ आने के साथसाथ अपनी गलती का भी एहसास हो सके.

समय पर ईएमआई देना जरूरी

ऐजुकेशन लोन महंगी पढ़ाई को सुविधाजनक बनाने में मदद करता है. यह लोन बच्चे के नाम से अभिभावक को मिलता है. लेकिन अगर इस की ईएमआई समय पर नहीं चुकाई जाती तो यह आप के क्रैडिट स्कोर को बिगाड़ सकता है, जिस से आप को आगे लोन मिलने में परेशानी हो सकती है. अकसर हम सभी यही सम झते हैं कि लोन अभिभावक ने लिया है, तो इस से बच्चे का कोई लेनादेना नहीं है. जबकि ऐजुकेशन लोन एक ऐसा लोन है, जिस की ईएमआई समय पर नहीं देने पर बच्चा व अभिभावक दोनों का क्रेडिट स्कोर खराब होता है. इसलिए एजुकेशन लोन की ईएमआई देने में लापरवाही न करें.

पेरैंट्स क्या ध्यान रखें

पेरैंट्स के पास इतनी सेविंग नहीं होती है कि वे उस से बच्चे को बाहर या फिर अपने शहर में ही हायर ऐजुकेशन दिला सकें. ऐसे में उन्हें बच्चे के भविष्य की खातिर ऐजुकेशन लोन लेना ही पड़ता है. लेकिन ऐजुकेशन लोन लेने का यह मतलब नहीं कि पेरैंट्स ही उस लोन को चुकाएं बल्कि पहले ही बच्चे से बात कर लें कि हम यह लोन तुम्हें पढ़ाने के लिए ले रहे हैं और इसे तब तक चुकाएंगे जब तक तुम अच्छी तरह सैटल न हो जाओ. उस के बात तुम्हें ही लोन चुकाना होगा. ऐसे में आप के साथसाथ बच्चा भी मैंटली तैयार होगा कि उसे ही जौब में सैटल होने पर अपना ऐजुकेशन लोन भरना होगा. इस से बाद में प्रौब्लम आने के चांसेज काफी कम रह जाते हैं.

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