एक थी शिवानी

लेखक -सुहानी साहू

-“”शिवानी चलो पिक्चर चलते हैं.” रूबी ने कहा तो शिवानी आनन फानन तैयार हो चली. शिवानी,रूबी,मारिया  से शिवानी की हाल ही में मित्रता हुई थी. यह मुलाकात भी एक दुखद संयोग थी. एक दिन शिवानी अकेली ही खरीददारी करने पाम माल गई थी खरीददारी  के बाद जब  वह वापस लौट रही थी तभी  शिवानी की तबीयत अचानक बिगड़ी और उसकी आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा. वह सड़क पर ही बैठ गई .

तभी जैसे देवी के चमत्कार हुआ या कहे दूरयोग. रूबी, मरिया ने शिवानी को सहारा दिया और डट कर उसके सामने खड़ी हो गई. अन्यथा उस दिन जाने क्या होता. थोड़ी देर बाद शिवानी को ठीक लगा तो पास खड़ी रूबी और मारिया को उसने देखा और पहचानने का प्रयास किया मगर दोनों को शिवानी पहचान नहीं पाई. रूबी और मारिया ने उसे सहारा दिया और पास ही के माखीजा क्लिनिक में लेकर प्राथमिक उपचार कराया . डॉक्टर ने शिवानी को देखा और कुछ दवाइयां दी धीरे-धीरे वह स्वस्थ हो गई तो उसने देखा रूबी और मारिया उसके पास बैठी है. वह संकोच में डूबी हुई थी मेरे कारण दोनों ने कितनी तकलीफ झेली.

मगर शिवानी के भावना को समझ मारिया ने शिवानी के माथे को सहलाते हुए मीठे शब्दों में कहा- “अब चिंता मत करो, ठीक हो जाओगी .”

रूबी पास ही बैठी हुई थी उसने कहा- “तुम्हें क्या हो गया था ? क्या पहले भी होता है .”

शिवानी ने बताया-” कुछ समय से मेरे साथ हो रहा है मैं अच्छी भली रहती हूं कि कभी आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है जाने किस  बीमारी ने मुझे घेर लिया है.”

रूबी बोली- “अरे कुछ नहीं है ? यह कमजोरी के कारण होता है. दूसरा जीवन में खुशी नहीं हो तो आदमी अक्सर इस बीमारी से ग्रस्त हो जाता है.”

शिवानी कुछ ठीक हुई तो वह उठ  बैठी और उन्हें धन्यवाद देकर घर को निकल पड़ी. इस बीच रूबी और मारिया से उसकी दोस्ती प्रगाढ हो चली. अब दोनों अक्सर उससे मिलती और इसी दरमियान इनकी जोड़ी कभी सिनेमा जाती,कभी गार्डन, कभी माल. इसी दरम्यान एक दिन मारिया को नशा करते हुए शिवानी ने देखा. सिल्वर जुबली गार्डन में एक कोने में मारिया ने डिब्बी निकाली और सफेद सा कुछ पाउडर ले लिया.

धीरे धीरे शिवानी को सब कुछ पता चल गया. रूबी ने बताया यह हीरोइन है इसे लेने से जीवन खुशियों से भर जाता है.

शिवानी को कुछ समझ नहीं आया नशा करने से भला जीवन कैसे खुशियों से भर उठेगा.उसे रूबी ने बताया यह वह शै है जिसके इस्तेमाल से तरक्की के रास्ते खुल जाते हैं ?

यह सुन तो शिवानी उनकी ओर आकर्षित हुई वह भी तरक्की करना चाहती थी. और देखते ही देखते कब नशे के जाल में फंस गई उसे पता ही नहीं चला.

शिवानी दोनों के साथ मल्टीप्लेक्स पहुंची और फिल्म देखी. इसी बीच शिवानी ने नशा भी किया और फिल्म देखने के बाद मारिया,रूबी के साथ कब एक होटल पहुंच गई. होटल में उसका परिचय उन लोगों ने शहर के कुछ रईसजादो से कराया जो पैसे पानी की तरह बहा रहे थे तीनों सहेलियों ने एक-एक पल को मानो खूब इंजॉय किया और पैसों की धार दिखाने वाले लड़कों की बाहों में झूलने लगी.

शिवानी आज बहुत खुश थी. होटल की चकाचौंध, नशा यह सब उसे एक दूसरी दुनिया में ले जाता था जहां वह सब कुछ भूल जाती थी घर की गरीबी,  समस्याएं जाने कहां खो जाती थी.

आज तो मानो तकदीर ही खुल गई थी उसे होटल में सुरेश मिला था जो गले में सोने की चेन हाथ की उंगलियों में अंगूठियां पहने था. एक नजर में लगता था वह रईसजादा है और वह समझ गई कि सुरेश उस पर फिदा है .

कमरे मैं वह सब कुछ हुआ जो नहीं होना चाहिए था. मगर शिवानी सुरेश के आगे मानो आत्मसमर्पण कर के खुश थी. चलते चलते सुरेश ने कहा यह लो रुपए यह सब तुम्हारे हैं.

शिवानी ने देखा सौ-सौ रुपयों की एक गड्डी सुरेश ने उसके आगे उछाल दी है. यह देख उसका नशा ही हिरण हो गया. वह बहुत खुश थी. उसकी आंखों के आगे सितारे चमकने लगे वह सोचने लगी अब वह जिंदगी जहालत से नहीं , सर उठा कर जीयेगी.

उसने रुपए रख खुशी खुशी सुरेश के गले में बाहें डाल दी. सुरेश ने कहा देखो आज यहां जो हुआ है उसका वीडियो कैमरे में कैद हो गया है अब जो मैं कहूंगा तुम वहीं करोगी.

यह सुन शिवानी मानो आसमान से जमीन पर गिर पड़ी. उसकी आंखों के आगे अंधेरा छा गया. नशा फट गया. सुरेश ने बताया वह अब उसके जाल में फंस चुकी है और रूबी, मारिया उसी के लिए काम करती है. अब तो नित्य ही शिवानी को सुरेश के इशारो पर नाचना पड़  रहा था. जिन्हें वह अपनी खास हितेषी समझ रही थी रूबी, मारिया आगे निकल चुकी थी किसी नई शिवानी की तलाश में.

शिवानी एक भयंकर जाल में फंस चुकी थी.वह कोस रही थी उस पल को जब पहली बार नशा किया था उस नशे में उसका जीवन बर्बाद कर दिया .शिवानी अब पिंजरे का पंछी थी जो अपनी मर्जी से उड नहीं सकती थी.

दुखी, चिंतित शिवानी की कहानी उस दिन खत्म हो गई जब उसे अत्याधिक आत्मग्लानि हुई. और उस दिन उसने शहर के माल से नीचे कूद अपनी जान दे दी.

यह वही माल था जहां से उसकी जिंदगी बदल गई थी उसने उसी माल पर चढ़ नीचे कूद खुदकुशी कर ली थी .

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