जामदानी सिल्क को देते हैं मॉडर्न लुक, पढ़ें खबर

सालों से फैशन इंडस्ट्री में नाम कर चुके बेस्ट कॉस्टयूम डिजाईन नेशनल अवार्ड 2019 पुरस्कार विजेता टेक्सटाइल और फैशन डिज़ाइनर गौरांग शाह ने विलुप्त होती कारीगरी को नए रूप में लाकर इस विधा में काम करने वालों के हौसले को बढाया है, पहले जो कारीगर अपनी रोजी-रोटी के लिए तरस रहे थे, उन्हें काम और भरपेट भोजन मिला. गौरांग ने हर एक कारीगरी को अलग रंग और फैब्रिक देकर आज के परिवेश में पहनने योग्य बनाया है. वे मानते है कि हैण्डलूम टाइमलेस होता है और किसी भी डिजाईन में उसे बनाने पर खुबसूरत दिखता है. इसलिए हैंडलूम कपड़ों की सुन्दरता कभी ख़त्म नहीं होती.

मुश्किल है विलुप्त कारीगरी को बचाना

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फैशन के क्षेत्र में 20 साल से अधिक समय गुजार चुके गौरांग को हर एक विलुप्त होती कारीगरी को रैंप पर लाने की चुनौती आकर्षित करती है. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि हैंडलूम, पॉवरलूम के आने से ख़त्म हो चुकी थी, क्योंकि पॉवरलूम से बने कपडे जल्दी बनने की वजह से सस्ते होते है, जबकि हैंडलूम से बने कपडे महंगे हुआ करते है, क्योंकि इसे बनाने में समय अधिक लगता है.इसलिए हैंडलूम को मॉस में पहुँचाना मुश्किल होता है. FDCIलेक्मे फैशन वीक विंटर कलेक्शन में डिज़ाइनर गौरांग ने ‘चाँद’ कांसेप्ट पर आधारित कपडे रैम्प पर उतारे.

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चाँद जैसी खूबसूरती

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कांसेप्ट ‘चाँद’की गरिमा को उन्होंने अलग तरीके से प्रस्तुत कीहै. उनके अनुसार चाँद के उगने परजब उसकी शीतल किरणें धरती पर पड़ती है, तो पूरी धरती पर मानो सफ़ेद चादर बिछ जाती है, इसी कल्पना के साथ उन्होंने पूरे भारत की कारीगरी को जामदानी सिल्क साड़ियों में उतारा. शो की शुरुआत को अधिक आकर्षक बनाने के लिए उन्होंने ग़ज़ल सम्राट अनूप जलोटा की ग़ज़ल‘चाँद अंगड़ाईयाँ ले रही है, चांदनी मुस्कुराने लगी है…… का लाइव सिंगिग प्रस्तुत किया. इससे रैंप पर उतरी मॉडल्स की भव्य प्रस्तुति भी देखने लायक रही. शो स्टोपरअभिनेत्री तापसी पन्नू कीजामदानी सिल्क साड़ी पर ‘वाइड फ्लोरल बॉर्डर’और अनूप जलोटा द्वारा लाइव गीत ‘चौदहवी का चाँद हो……गाने ने इस शो में चार चाँद लगाये.

जामदानी की तकनीक है कठिन

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डिज़ाइनर गौरांग कोविड 19 के लॉकडाउन के बाद पहली बार ‘चाँद’कलेक्शन को रैंप पर उतारे है. इस कांसेप्ट के बारें में उनका कहना है किये कलेक्शन मानव क्रिएटिविटी को कपड़ों के द्वारा प्रस्तुत करने काएक बेहतरीन उदाहरण है,जो लगातार जारी है. ये कला फैशन से हटकर महिला को एक अलग दुनिया के बारें में सोचने का मौका देती है, जो रोमांस और टाइमलेस सोफिस्टीकेशन होने का एहसास दिलाती है.

जामदानी कपड़ो की बुनाई की तकनीक सबसे कठिन होती है, ये कला ढाका, बनारस, कोटा, श्रीकाकुलम, उप्पदा, वेंकटगिरी, कश्मीर और पैठन में बुनी जाती है. इसे मॉडर्न लुक देने के लिए गौरांग ने पेस्टल, लाइट पिंक, लाइट ग्रीन जैसे आकर्षक रंगों के साथ कढ़ाई की सहायता ली है. इन 40 साड़ियों को बुनकरों ने पेंडेमिक और लॉकडाउन के दौरान पिछले 3 सालों से अपने-अपने घरों में बैठकर तैयार किया है.

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पेंड़ेमिक का असर फैशन इंडस्ट्री पर पड़ने के बारें में गौरांग का कहना है कि कोविड 19 की वजह से काम थोडा धीमा था, क्योंकि इसका असर कारीगरों पर अधिक हुआ है, उनकी रोजी-रोटी ख़त्म हो रही थी,लेकिन अब वे धीरे-धीरे सामान्य होते जा रहे है. फैशन का काम जो पहले महीनों में पूरा होता था, अब कोविड की वजह से पूरा साल लग गया है और नए-नए डिजाईनों पर अधिक काम नहीं हो पाया है.इसके अलावा कोविड की वजह से शोरूम बंद करने पड़े, जिससे कपड़ों की बिक्री पर काफी प्रभाव पड़ा है. अभी मेरे सारे शो रूम फिर से खुल चुके है.

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