मैडम खर्चीली न बनें

रीमा के हाथ में शौपिंग बैग देख कर प्रमोद के माथे पर बल पड़ गए. पति को समय पर घर आया देख कर रीमा बड़ी अदा से मुसकराते हुए बोली, ‘‘अजी, आप आ गए, पता होता तो…’’

रीमा की बात बीच में ही काटते हुए प्रमोद लगभग दहाड़ते हुए बोला, ‘‘हां, हां, पता होता कि मैं अभी नहीं आने वाला हूं तो क्या सारा बाजार ही उठा लातीं, मेम साहब. अरे, मैं तो तंग आ गया हूं तुम्हारी इस खरीदारी की खर्चीली आदत से…बीवी हो या आफत. मौत भी नहीं आती कि इस आफत नाम की खर्चीली बीवी से जान छूटे.’’

रीमा भौचक्की सी कभी पति को तो कभी अपनी कुलीग प्रेमा को देखती, जिसे वह दफ्तर से अपने साथ ले आई थी. थोड़ी हिम्मत कर रीमा ने पति से पूछा, ‘‘अजी, आप की तबीयत तो ठीक है न?’’

‘‘क्यों? क्या हुआ मेरी तबीयत को,’’ प्रमोद घूर कर देखते हुए बोला.

‘‘नहीं, यों ही पूछा था…यह अचानक…’’

‘‘क्या अचानक तबीयत कभी बिगड़ नहीं सकती? पर तुम्हें क्या…मैं मरूं या जिंदा रहूं…तुम्हें अपनी साडि़यों की खरीदारी से फुरसत मिले तब न. करो, करो…खूब खर्च करो. बाप की दौलत है न, लुटाओ…पति जाए भाड़ में.’’

पति महोदय किस बात की भड़ास निकाल रहे थे. क्या यह पत्नी की ओर से महज की गई खरीदारी को ले कर थी या इस की जड़ में और भी कुछ था. आमतौर पर पतियों को यही शिकायत रहती है कि उन की बीवियां बहुत ही फुजूलखर्च होती हैं. जब देखो बनावशृंगार और घर के रखरखाव के नाम पर हर महीने अच्छा- खासा पैसा खर्च कर आती हैं. यही नहीं कुछ पतियों को यह शिकायत रहती है कि किफायत नाम का शब्द इन की डिक्शनरी में नहीं रहता. बाजार से बनाबनाया खाना, फास्ट फूड सेंटर से पिज्जा का वक्तबेवक्त आर्डर आदि वाहियात बातों पर तमाम पैसा जाया करती हैं. यही शिकायत घर की सजावट को ले कर भी रहती होगी.

आजकल भले ही पतिपत्नी दोनों कामकाजी हों, पत्नी कमाऊ हो तो भी पतियों की सोच में लगता है ज्यादा बदलाव नहीं आया है. गुड़गांव के एक मशहूर फैशन हाउस में काम कर रही सुधा गुगलानी ने बताया, ‘‘दरअसल, व्यक्तिगत खर्चे अकसर पतियों को नागवार गुजरते हैं क्योंकि उन की निगाह में यह नाजायज खर्च है. उन्हें लगता है कि औरतें अपने रखरखाव, चेहरे के आकर्षण, सुडौल शरीर और सुंदर दिखने के लिए पार्लर व ब्यूटी केयर के नाम पर जो कुछ खर्च करती हैं उन्हें फुजूलखर्च लगते हैं. यदि मैं फैशन हाउस में काम करती हूं और बनसंवर कर, जिम या हेल्थ क्लब में जा कर खुद को फिट रखना चाहती हूं तो पति को क्यों लगता है कि मैं फुजूलखर्च करती हूं. मोटी सी तोंद ले कर और बिखरे बालों के साथ किसी विदेशी ग्राहक से क्या मैं बात कर पाऊंगी? अपना आत्म- विश्वास बढ़ाने के लिए और उस आत्मविश्वास के स्तर को बनाए रखने के लिए मुझे तो ये खर्चे जरूरी लगते हैं. मेरे लिए ये खर्चे कोई शौकिया नहीं, काम की मांग हैं.’’

पति कब चूकने वाले थे, झट बोले, ‘‘यह भी क्या काम की मांग हुई, मैचिंग के नाम पर दर्जनों चप्पल, सैंडल, जूते और भी न जाने क्याक्या. इतना तो कमाती नहीं जितना खर्च कर डालती हो. मैं तो इसे मैडम खर्चीली कहता हूं.’’

इन के घर में खाने की टेबल पर कैसा हंगामा. नहीं, चुपकेचुपके सुनने की जरूरत नहीं, गली में हर आताजाता इन की बातें साफसाफ सुन सकता है.

‘‘सुधा आज फिर…’’ तभी घंटी बजती है, ‘‘अजी, जरा देखना तो दरवाजे पर कौन है,’’ पति दहाड़ते हुए बोले, ‘‘यह मिस्टर कोई और नहीं, तुम्हारा पिज्जा वाला होगा.’’

‘‘प्लीज, क्या कर रहे हो, जरा खोल दो न किवाड़, बेचारा कहीं लौट न जाए.’’

‘‘सुनो, तुम अपना अकाउंट नंबर उस पिज्जे वाले को क्यों नहीं दे देतीं. तुम्हारे व्यक्तिगत खर्चे का बिल भुगतान के लिए बैंक में जाता ही है, साथ में उस का भी चला जाएगा.’’

‘‘क्या है जी, बच्चों की कुछ भी फिक्र नहीं आप को तो.’’

‘‘बच्चों की बात मत करो, खुद को खाना न बनाना पड़े इसलिए झट से आर्डर दे दिया और हो गया मेरा कबाड़ा. मैडम खर्चीली, जागो, फ्री होम डिलीवरी के नाम पर अच्छाखासा पैसा लुटा डालती हो तुम. कभी यह भी सोचा कि बच्चों के स्वास्थ्य पर इस का क्या असर पड़ेगा. पर नहीं, तुम्हें क्या? तुम्हें तो अपनी झूठी शान, झूठी आधुनिकता का मुखौटा कुछ करने ही नहीं देता.’’

दरवाजा खोलने के नाम पर पति ने अपने मन के कपाट ही खोल डाले. बच्चों को फास्ट फूड अच्छा लगता है. उन के स्कूल में, बाहर सब जगह ही तो इस का चलन है, सभी खाते हैं, फिर हम क्या इतने गएगुजरे हैं कि बच्चों की इतनी छोटी सी मांग भी पूरी न कर पाएं. आफ्टर आल, दोनों किस के लिए कमाते हैं, बच्चों के लिए ही न. तो फिर इतना आसमान क्यों सिर पर उठा रखा है.

वैसे बड़ेबुजुर्गों का और मनो- चिकित्सकों का भी यही मानना है कि बच्चों को अधिक लाड़ करना, अधिक आइसक्रीम, जंक फूड कैंडीस की आदत डालना फिर उस आदत को पालना बिलकुल नाजायज है.

सवाल यह उठता है कि क्या बच्चों के लिए कई खर्चे जरूरी हैं? हां, स्कूल के खर्चे हैं, जेबखर्च है, बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए कुछ खर्चे हैं, ये सभी आवश्यक हैं और इन के लिए सीमाएं तो मांबाप दोनों को ही तय करनी हैं. हां, ध्यान रहे, रिश्तों में खटास न आए. मनमुटाव होना भी लाजिमी है, क्योंकि विचारधारा मेल नहीं खाती. हो सकता है बच्चे के लिए कोई खास गेम खरीदने के लिए बीवी की जिद सही हो, उस से बच्चे का बौद्धिक विकास हो रहा हो, लेकिन एक शब्द है ‘नीड’ यानी जरूरत और दूसरा शब्द है ‘डिजायर’ यानी इच्छा. इन दोनों में अंतर करना जब जान लेंगे तो न पतिदेव कंजूस रहेंगे न बीवी मैडम खर्चीली. इसलिए इच्छाओं के घोड़ों की लगाम अपने हाथों में रखें और जरूरतों के दास न बनें.

टैक्स एग्जेंप्शन, टैक्स डिडक्शन, टैक्‍स रिबेट में अंतर जानिए

टैक्स के पेंच सभी की समझ से परे  है. बहुत से लोग इन टर्मिनोलौजी में उलझ कर रह जाते हैं. उन्हें असल चीजों के बारे में नहीं पता चल पाता है. ऐसे में हम आपके लिए कुछ खास शब्दों के बारे में जानकारी देने वाले हैं जो अक्सर टैक्स संबंधी बातचीत में आते रहते हैं.

जब भी टैक्स संबंधी बातें होती हैं, टैक्स एग्जेंप्शन, टैक्स डिडक्शन और टैक्स रिबेट जैसे टर्म सुनने को मिलते हैं. पर बहुत से लोगों को इन टर्म्स का मायने नहीं मालूम होता. इसलिए इस खबर में हम आपको इन शब्दों का अर्थ समझाएंगे.

टैक्स डिडक्शन (टैक्स की कटौती)

टेक्सपेयर की कुल आय से कुछ चीजें घटाकर टैक्स योग्य आय निकाली जाती है. इसका प्रमुख उद्देश्य है टैक्स योग्य आय को घटाना. इसमें मेडिकल, ट्रांसपोर्ट, ट्यूशन आदि के खर्च को शामिल किया जाता है। करदाता को कितना कर देना है, इसका भुगतान व्यक्ति की बची हुई टैक्स योग्य आय के आधार पर किया जाता है.

टैक्स एग्जेंप्शन (टैक्स छूट)

टैक्स एग्जेंप्शन वो खर्च, आय या निवेश होते हैं जिनपर कोई टैक्स नहीं लगता है. इससे आपकी टैक्स योग्य आय कम हो जाता है. उदाहरण के लिए अगर आप साल भर में 7 लाख कमाती हैं और इसी में 2 लाख का निवेश करती हैं तो आपके केवल 5 लाख पर ही टैक्स देना होगा.

छूट योग्य सारे आय और निवेश के बारे में कर्मचारी को अपनी कंपनी को बताना जरूरी है. जिसके बाद बचे रकम पर कंपनी टैक्स काटती है.

टैक्स रिबेट

टैक्स रिबेट वो राशि होती है जिसपर टैक्सपेयर को कोई कर नहीं देना होता है. जैसे 87A के तहत मिलने वाला रिबेट. इसके अनुसार अगर आपकी सालाना आय 3।5 लाख रुपये से कम है तो आप 2,500 रुपये तक के रिबेट का दावा कर सकते हैं. छूट और रिबेट के बाद जो राशि बचती है उसपर आपको टैक्स देना होता है. टैक्‍स की गणना करने के बाद रिबेट आपको इनकम टैक्‍स की राशि के भुगतान में राहत देता है.

महिलाएं पैसा बचाना चाहती हैं तो इन बातों को जान लें

आज महिलाएं केवल घर गृहस्थी संभालने तक ही सीमित नहीं हैं. बल्कि घर से बाहर निकल कर उन्होंने दुनिया के सामने अपना लोहा मनवाया है. आज वो अपना बिजनेस भी कर रही हैं तो मल्टीनेश्नल कंपनियों में नौकरी कर उनकी नेतृत्व भी कर रही हैं. आमतौर पर धारणा है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में बचत की भावना अधिक होती है. ऐसे में सबसे अधिक जरूरी है कि उन्हें वित्तीय मामलों की समझ अच्छी हो. इस खबर में हम आपको टिप्स के बारे में बताएंगे जिनसे महिलाओं को बचत के साथ वित्त की अच्छी समझ विकसित होगी.

निवेश के बारे में ज्यादा सोचें

पैसों की बचत के लिए बेहद जरूरी है कि आप निवेश के बारे में भी सोचना शुरू कर दें. पैसा बचा कर घर में रखने का कोई फायदा नहीं होता. बेहतर है कि आप उसे बाजार में या पौलिसी में निवेश करें. निवेश किए हुए पैसों से आपका बचत अच्छा हो सकेगा.

समझे कहां और कितना करना है खर्च

जो भी आपके खर्चे हैं उनको बारिकी से समझे. जरूरी है कि खर्चों को आप कहीं नोट करें. रोजाना के खर्चे का हिसाब करें. और ध्यान रखें कि जितनी जरूरत हो उतना ही खर्च करें.

जरूरी चीजों की करें खरीदारी

जितना जरूरी हो उतना ही खरीदारी करें. फालतू के खर्चे से दूरी बनाएं. अगर आपके सामने कोई औफर हो तो पहले खुद से पूछें कि क्या आपको उस प्रोडक्ट की जरूरत है? अगर आपको जवाब हां मिलता है तो ही उसे खरीदें. अपनी जरूरत को ध्यान में रख कर ही खरीदारी करें.

वित्तीय मामलों की समझ

एक महिला के लिए ये बेहद जरूरी है कि वो वित्तीय मामलों के बारे में समझ अच्छी रखे. इसके लिए आप चाहें तो फाइनेंशियल प्लानर की मदद ले सकती है.

चेक से लेनदेन करते वक्त इन बातों का रखें ध्यान

बैंकों से लेनदेन के लिए चेक ट्रांजेक्शन एक महत्वपूर्ण माध्यम होता है. चेक लेनदेन में बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है. चेक भरते समय थोड़ी से लापरवाही से आपको भारी नुकसान हो सकता है. इस खबर में हम आपको कुछ जरूरी बते बताने वाले हैं जिन्हें ट्रांजेक्शन करते वक्त आपको ध्यान में रखना चाहिए.

  • चेक में जानकारी भरते वक्त ओवर राइटिंग से बचें. किसी भी तरह की कटिंग या ओवर राइटिंग की सूरत में बैंक चेक कैंसिल कर देता है. यदि चेक भरते वक्त किसी तरह की गलती हो जाए तो दूसरा चेक भरें.
  • चेक भरते वक्त इस बात का खासा ध्यान रखें कि जो रकम आपने शब्दों में भरा है, वही अंकों में भी हो. अक्सर लोग अंकों में रकम भरते वक्त गलती कर बैंठते हैं. दोनों रकम में अंतर होने पर बैंक चेक कैंसिल कर देता है.
  • ध्यान दें कि चेक भरते वक्त शब्दों और फिगर्स के बीच ज्यादा स्पेस ना हो. ऐसा करने से आपके रकम के साथ छेड़छाड़ की संभावना होती है.
  • ज्यादातर लोग बैंक खाते में अपना बैलेंस देखे बिना चेक काट देते हैं, जिसके बाद उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. कई बार खाते में जो बैलेंस होता है और उससे ज्यादा रकम का चेक कट जाता है. ऐसे में आपका चेक बाउंस हो सकता है. चेक में अंकों में रकम लिखने के बाद \ साइन करना ना भूलें. ये बहुत जरूरी होता है. वहीं शब्दों में रकम लिखने के बाद ओनली लिखना कभी ना भूलें. इस / संकेत का अर्थ है कि आपने जिस राशि का चेक काटा है, वह उसी तक सीमित है. इस साइन को न डालने पर कोई भी व्यक्ति रकम की राशि को आसानी से बढ़ा सकता है.
  • किसी भी व्यक्ति को चेक से भुगतान करने बाद उसकी जानकारी अपने पास नोट करें. इसी काम के लिए चेकबुक के आखिर में एक इंडेक्स होता है. इस इंडेक्स में आप चेक नंबर, अकाउंट नंबर, रकम और तारीख नोट करके रख सकती हैं. जब किसी कारण से कोई चेक कैंसल हो जाए तो ये जानकारियां बहुत काम आती हैं.
  • आपको बता दें कि कोई भी चेक तीन महीने यानि 90 दिनों के लिए मान्य होता है. उस चेक से आप किसी भी तरह का लेनदेन इसी वक्त के दौरान कर सकती हैं. इसलिए जरूरी है कि किसी भी तरह का चेक बैंक में जमा करने से पहले उसके तारीख की जांच जरूर कर लें.
  • साइन करते वक्त ध्यान रखें कि आपका साइन ठीक उसी तरह से हो जैसा आपने बैंक रिकार्ड में दिया है. अगर दोनों साइन में किसी भी तरह का अंतर होता है तो बैंक आपके चेक को रिजेक्ट कर सकता है.

कैश निकालने के अलावा एटीएम से कर सकती हैं ये 10 काम

आम तौर पर लोग एटीएम (एटीएम मशीन) को इस्तेमाल केवल पैसा निकालने के लिए करते हैं. इसके अन्य सुविधाओं के बारे में लोगों को जानकारी नहीं होती. हम आपको बताएंगे कि कैश निकालने के अलावा एटीएम अन्य 10 तरह के काम करता है. आइए जानते हैं एटीएम की अन्य सुविधाओं के बारे में.

पिन बदलना

एटीएम से आप अपने कार्ड का पिन जेनरेट करने के अलावा बदल भी सकती हैं.

मिनी स्टेटमेंट

एटीएम से आप अपने अकाउंट ट्रांजेक्शन्स की जानकारी ले सकती हैं. इसे मिनी स्टेटमेंट कहते हैं. इसके लिए आपको बैंक जाने की जरूरत नहीं है.

पता करें अकाउंट बैलेंस

अपके खाते में कितना पैसा है इसकी जानकारी आप एटीएम से ले सकती हैं.

करें बिल की पेमेंट

आजकल लगभग सभी एटीएम मशीनों में ये सुविधा मौजूद है. इससे कई तरह के बिल, जैसे इलेक्ट्रिसिटी, डीटीएच और गैस बिल, एटीएम मशीन में मौजूद पे यूटिलिटी बिल्स विकल्प पर क्लिक करके कर सकती हैं.

करें मोबाइल रिचार्ज

अपने मोबाइल फोन को रिचार्ज करें एटीएम से. जी हां, प्री-पेड फोन का रिचार्ज अब एटीएम से संभव है. इसके लिए आपको मशीन में मौजूद रिचार्ज मोबाइल ऑप्शन को सिलेक्ट करके ज़रूरी निर्देशों का पालन करना होगा.

करें क्रेडिट कार्ड का पेमेंट

अपने क्रेडिट कार्ड बिल का पेमेंट करने के लिए आप एटीएम का इस्तेमाल कर सकती हैं. इसके लिए आपको अपने डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करना होगा. इसकी बकायदा आपको रसीद दी जाएगी. इसके लिए जरूरी है कि आपका डेबिट और क्रेडिट कार्ड एक ही बैंक का हो.

करें फंड ट्रांसफर

एक बैंक से दूसरे बैंक में पैसा भेजन की सुविधा एटीएम पर मिलती है. आपको बता दें कि एक बार में 15 हज़ार और एक दिन में आप 30 हजार तक ट्रांसफर कर सकती हैं.

फिक्ड डिपौजिट अकाउंट खोलें

बचत के लिए फिक्स्ड डिपौजिट एक बेहतर विकल्प है. इसके लिए किसी तरह के फौर्म को भरने की जरूरत नहीं है. एटीएम के ज़रिए भी आप यह कर सकती हैं. कुछ बैंक 10 हज़ार से लेकर 50 हज़ार तक के फिक्स्ड डिपौजिट एटीएम से करने की सुविधा देते हैं.

करें चेक बुक रिक्वेस्ट

अगर आपकी चेकबुक खत्म हो जाए और आप उसे दोबारा प्रिंट करवाना चाहती हैं तो एटीएम पर आपको ये सुविधा मिलेगी. एटीएम से रिक्वेस्ट भेजें और आपकी चेक बुक आपके घर पहुंच जाएगी.

करें कैश डिपौजिट

आजकल कई एटीएम में कैश डिपौजिट की सुविधा मिलती है. वहां से आप पैसे जमा कर सकती हैं.

इस साल से होंगे ये वित्तीय बदलाव, मिलेगा फायदा

नए साल की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में आपके लिए जरूरी है कि आज से होने वाले वित्तीय बदलावों के बारे में आप जान जाएं. 1 जनवरी से ना सिर्फ साल बल्कि आपकी जिंदगी से जुड़ी कई जरूरतों और सेवाओं में बदलाव होने जा रहा है. इन बदलावों का आपकी जिंदगी पर कहीं ना कहीं असर होगा. इसमें वस्तुओं की कीमतों से लेकर बैंक से जुड़ी कई सेवाएं शामिल हैं जिन्हें आपको जान लेना जरूरी है.

डेबिट और क्रेडिट कार्ड में बदलाव

आपको बता दें कि  आरबीआई ने सभी बैंकों को 31 दिसंबर से पहले मैग्नेटिक स्ट्रिप वाले डेबिट या क्रेडिट कार्ड बदलने के लिए कहा था. आरबीआई के मुताबिक 1 जनवरी से इस कार्ड को बदल कर ईएमवी चिप वाले कार्ड लागू होंगे. ऐसे में आपने अभी तक कार्ड नहीं बदला है तो तुरंत बदलवा लें.

पुराना चेक नहीं होगा मान्य

अगर आप पुराने चेक का इत्तेमाल करती हैं तो ध्यान रहे कि वो अब मान्य नहीं होगा. आप तुरंत उसे बैंक से बदल लें. अब आपको सीटीएस वाला चेक लेना होगा. सीटीएस चेक को क्लियर होने के लिए एक बैंक से दूसरे बैंक भेजने की जरूरत नहीं होगी.

इनकम टैक्स रिटर्न भरने की तारीख

जिन लोगों ने 2017-18 में इनकम टैक्स नहीं भरा है उनके लिए ये खबर जरूरी है. पिछले साल 21 जुलाई 2018 था, 5 हजार रुपये की फाइन के साथ इसे बढ़ा कर 31 दिसंबर 2018 कर दिया गया था. पर अगर ये डेडलाइन भी मिस हो जाए तो 31 मार्च 2019 तक 10 हजार के जुर्माने के साथ आयकर जमा करना होगा.

एक्सिडेंटल कवर में इजाफा

इस साल से वाहन दुर्घटना के बदले मिलने वाली बीमा की रकम अब 1 लाख से बढ़कर 15 लाख रुपये हो जाएगी. इस बात की जानकारी इंश्योरेंस रेग्युलेटरी अथौरिटी औफ इंडिया (IRDAI) ने एक सर्कुलर जारी दिया. इंश्योरेंस के लिए 750 रुपये का प्रीमियम तय किया जा चुका है.

बिना बैंक गए ऐसे करें SMS सर्विस चालू या बंद

सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने एसएमएस अलर्ट को एक्टिवेट या डिएक्टिवेट करने की सुविधा सीधे ग्राहकों के हाथ में दे दी है. अब आपको एसएमएस अलर्ट एक्टिवेट करने के लिए या डिएक्टिवेट करने के लिए बैंक जाने की जरूरत नहीं है. वो बस अपने इंटरनेट बैंकिंग में लौगइन कर के इन सुविधाओं का लाभ उठा सकती हैं. इस बारे में और ज्यादा जानकारी बैंक के आधिकारिक वेबसाइच पर उपलब्ध है.

एसबीआई ने अपनी एसएमएस अलर्ट सेवा को एक्टिवेट या डिएक्टिवेट या फिर बदलने के लिए इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल कैसे करना है इसकी जानकारी हम आपको देंगे.

बैंक के मुकाबित इंटरनेट बैंकिंग से एसएमएस अलर्ट एक्टिवेट या डिएक्टिवेट करने के लिए आपको सबसे पहले onlinesbi.com पर लौग इन करना होगा. इसके बाद उसे ई-सर्विस पर क्लिक करने के बाद एसएमएस अलर्ट पर जाना होगा.

इसके बाद यूजर्स एसएमएस अलर्ट रजिस्ट्रेशन/अपडेटेशन पेज पर जाएं. इसमें अपने खाते को चुनें.

यहां पर आप सेवाओं को यस या नो का चुनाव कर एक्टिवेट/डिएक्टिवेट कर सकते हैं. आप सेवा के नाम के आगे जाकर बने कौलम के जरिए ऐसा कर सकते हैं.

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